शुक्रवार, 9 मई 2008

एक ऐसी किताब जिसे पढ़ने के बाद आप वेचैन हो जायेंगे एक नए समाज की परिकल्पना के लिए !



आज लगभग एक सप्ताह बाद नेट पर लौटा हूँ , बिगत एक सप्ताह ऐसी जगहों पर व्यतीत हुआ जहाँ चाह कर भी नेट पर आना संभव नही हो पाया । खैर इस एक सप्ताह को मैंने तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वेहद उत्पादक तरीके से बिताया । जब भी समय मिला खूब किताबें पढी , खूब चिंतन-मनन किया । वैसे तो मैंने इस एक सप्ताह में लगभग एक दर्जन के आसपास किताबों का अध्ययन किया , मगर ग्रहण किया केवल एक किताब को ।

मेरे एक वरिष्ठ साथी ने मुझे एक किताब पढ़ने को दिया और कहा कि यार रवींद्र! इस किताब को पढो और देखो अपने समाज को , अपने देश को दूसरों की नज़रों से । उस किताब को मैंने अपने हाथों में लेकर सिर्फ़ एक पन्ना ही पलटा था, कि चौंक गया एकबारगी....किताब की शुरुआत में ही लेखक ने पूरे जीवन दर्शन को महज चार-पाँच पंक्तियों में समेटते हुए लिखा है, कि-

"जब मैं मरूँ, तब
मेरी दृष्टि उसे दे देना जिसने कभी सूर्योदय नहीं देखा
मेरा ह्रदय उसे दे देना, जिसने कभी हार्दिक तर्पण अनुभव नही की
मेरा रक्त उस युवक को दे देना, जिसे किसी कार के ध्वंसावशेष से निकाला गया हो, ताकि वह अपने पोते को खेलता देख सके
मेरे गुर्दे को किसी दूसरे का जहर सोखने देना
मेरी हड्डियों को किसी अपंग बच्चे को चलने देने में इस्तेमाल होने देना
मेरे मृत शरीर का जो भी भाग बचे उसे जला देना और मेरी राख को इधर-उधर हवा में छितरा देना, ताकि फूल को जन्म देने में मददगार हो सके
अगर कुछ दफ़न ही करना है, दफनाना मेरी गलतियों को, मेरे उन पूवाग्रहों को, जो अपने साथी-मनुष्यों के प्रति मेरे मन में थे
मेरे पापों को शैतान को दे देना
अगर मुझे याद करने का मन आए, कोई क्रिपालुतापूर्ण कृत्य करके या किसी जरूरतमंद को सांत्वना देकर कर लेना
यदि तुम वैसा ही करोगे जैसा मैंने कहा है, तो मैं अमर हो जाऊंगा, और सदा जीवित रहूँगा .....!"

चौंकिए मत यह कोई धार्मिक किताब नही है और न मैं इस पोस्ट के माध्यम से कोई आस्था चैनल की शुरुआत कर रहा हूँ, बस मेरा उद्देश्य ये है कि हो सके तो इस किताब को एकबार अवश्य पढ़ें, मेरा दावा है कि हर कोई एक सुंदर समाज के निर्माण में सहायक सिद्धहोगा । यह किताब देश के सर्वश्रेष्ठ बुद्धिजीवी नानी पालाखीवाला के उन आलेखों का संकलन है , जिसे पढ़ने के बाद व्यक्ति के भीतर सात्विक तूफान उठाने लगता है। उन्होंने इस किताब के माध्यम से भारत की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सभी प्रकार की समस्यायों का विश्लेषण किया है और समाधान भी दिए हैं । यह किताब उनके समग्र कृतित्व में से चुनी हुयी ऐसी रचनाओं का संकलन है जिनमें देश की सभी वर्त्तमान समस्यायों पर प्रकाश डाला गया है और उनको हल करने के उपाय सुझाए गए हैं। भारत के नव निर्माण में लगे प्रत्येक भारतीय के लिए यह पुस्तक पठनीय है। किताब का नाम है- "आज का भारत नव निर्माण की दिशाएँ" जिसका संपादन-संयोजन किया है देश के विख्यात विधिवेत्ता और बुद्धिजीवी श्री एल. एम्. सिघवी ने और प्रकाशित किया है राजपाल & साँस , कश्मीरी गेट, दिल्ली ने ।

इस किताब में आपको इन प्रश्नों के हल आसानी से मिल जायेंगे -
() मानवीय गरिमा क्या है?
() एक खुले हुए समाज के लिए कौन से अधिकार मूलभूत है?
()राजनीतिक शक्ति की सीमायें क्या है?
()आर्थिक विकास को गतिशील कैसे बनाएं?
() समाजवाद वनाम पूंजीवाद
() शिक्षा के भारतीय आधार क्या है?
() बौद्धिक शक्ति की महत्ता क्या है?
()हम इजराइल से क्या सीखें?
()दुनिया की सबसे गंदी और मंहगी बस्ती मुम्बई है कैसे?

और भी बहुत कुछ पायेंगे आप इस किताब में........! जी हाँ यह एक ऐसी किताब है जिसे पढ़कर आप वेचैन हो जायेंगे एक नए समाज की परिकल्पना के लिए.....मेरी बातों पर यकीं कीजिये और एक बार अवश्य .पढ़कर देखिये इस किताब को....फ़िर आप सवयं कहेंगे क्या सचमुच यही है कसौटी जिंदगी की?

 
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