आजकल ऐसी चर्चा है , कि ऑस्कर विजेता फिल्म 'स्लमडॉग मिलिनेअर' में लतिका के बचपन का किरदार निभाने वाली नौ साल की रुबीना अली को उनके पिता रफीक कुरैशी ने करीब डेढ़ करोड़ रुपए में बेचने की कोशिश की। ब्रिटने के अखबार 'न्यूज़ ऑफ द वर्ल्ड' ने एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए इसका खुलासा किया है । न्यूज़ ऑफ द वर्ल्ड की वेबसाइट के मुताबिक उनके रिपोर्टर दुबई के शेख बनकर रुबीना के पिता से मिले और रुबीना को गोद लेने की बात की।
ऑपरेशन के जरिए रिपोर्टर ने रुबीना के पिता को रंगे हाथों कैमरे में कैद किया है। बेबसाइट का दावा है कि रुबीना के पिता रफीक ने 2 लाख पाउंड यानी करीब डेढ़ करोड़ रुपये की मांग की। रुबीना के पिता के साथ उसके चाचा भी इस डील में हिस्सा ले रहे थे। हालांकि रुबीना के परिवार वालों ने ब्रिटिश अखबार के दावे को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि सारी बातें विज्ञापन के लिए हुई थीं। रुबीना की चचेरी बहन ने कहा कि कोई पिता अपनी बेटी को बेचने की बात सोच भी नहीं सकता।
मैं नही जानता कि क्या सच है और क्या झूठ , मगर क्या स्टिंग ऑपरेशन के लिए उन्हें क्या हमारी ही गरीबी दिखी ? पाश्चात्य देशों में हो रही भारतीय गरीबी की इस नुमाईश की अनुभूति मात्र से मन में एक अजीव पीडा का भाव आता है । इससे यह साबित होता है कि वैश्वीकरण के बावजूद संस्कृतियाँ एक-दूसरे को समझने में काफी हद तक नाकाम रही है । उन्हें भारत का अच्छा पहलू दिखाने में क्या दिक्कत है ?आखिर वे यही दिखाना चाहते हैं न कि हम बेटियाँ बेचते हैं .....!
मेरा मानना है कि यूरोप में एक ऐसा वर्ग विकसित हुआ है जो भारत को विश्वपटल पर दरिद्र व् भ्रष्ट देश दिखाना चाहता है । यह और कुछ नहीं,पाश्चात्य देशों के द्वारा भारतीय गरीबी को नंगा दिखाने का सबसे बड़ा षड़यंत्र है । अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इसका विरोध किया जाना चाहिए , ताकि उन्हें हमारी शक्ति का अंदाजा हो सके । इस सन्दर्भ में आपका क्या ख़याल है ?