गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

स्मृति वर्ष-२००९ की आखिरी संध्या पर नव वर्ष की शुभकामनाएं !

जिस प्रकार जीवन के चार आयाम होते हैं उसी प्रकार हिंदी चिट्ठाकारी की भी चार सीढियां है जिससे गुजरकर हिंदी चिट्ठाकारी संपूर्ण होती है..

प्रथम सीढ़ी - भावना
जिससे दिखती है लक्ष्य की संभावना ,
संभावना से प्रष्फुटित होता है विश्वास ,
विश्वास से दृढ़ता , दृढ़ता से प्रयास ....!

यानी दूसरी सीढ़ी - प्रयास
प्रयास परिणाम कां शोध है
यह तभी सार्थक है जब कर्त्तव्य-बोध है

यानी तीसरी सीढ़ी - कर्त्तव्य
कर्त्तव्य से होता है समन्वय आसान
और यही है उत्तरदायित्व का प्रत्यक्ष प्रमाण

यानी चौथी सीढ़ी है - उत्तरदायित्व
जिसमें न भय , न भ्रम , न भ्रान्ति होती है
केवल स्वावलंबन के साथ जीवन में शांति होती है



स्मृति वर्ष -२००९ की आखिरी संध्या पर
मेरी शुभकामना है कि - नूतन वर्ष-२०१० में -


" स्वावलंबन आपके घर को अपना निवास स्थान बनाये ।
और आपका जीवन -- शांति, सुख, संतुष्टि से भर जाये । ।"

नव वर्ष मंगलमय हो

शुभेच्छु-
रवीन्द्र प्रभात

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-24)

दिव्याभ के द्वारा वर्ष-२००९ में केवल एक पोस्ट लिखा गया । अर्श ने पिछले वर्ष ५२ पोस्ट लिखे किन्तु इस वर्ष केवल ३३ ........ब्लॉग टिप्पणियों पर नज़र रखने वाला टिप्पणीकार ने वर्ष-२००७ में जहाँ १३३ पोस्ट दिए वहीँ उसकी पोस्ट संख्या घटाकर वर्ष-२००८ में ७० हुयी और वर्ष-२००९ में यह घटकर २ पर पहुँच गयी । वर्ष-२००८ में ४५ पोस्ट लिखने वाले बाल किशन ने इस वर्ष केवल ०४ पोस्ट लिखे । वर्ष-२००७ और २००८ में पोस्ट का शतक लगाने वाले मनीष कुमार इस वर्ष शतक लगाने से वंचित रहे । पिछले वर्ष पोस्ट कि शतक लगाने वाले कुश की कलम से इस बार केवल २६ पोस्ट ही लिखी गयी । रीतेश गुप्ता ने इस वर्ष केवल ०३ पोस्ट डाले । वर्ष -२००९ में लालकिला पर केवल ०८ पोस्ट ही देखने को मिला । मैत्री पर इस बार केवल २० पोस्ट ही देखने को मिला ।
वाटिका पर पिछले वर्ष जैसी ताजगी नहीं दिखी । आनंद का चिटठा इस वर्ष भी अनियमित रहा । इस वर्ष जनवरी में रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति द्वारा एक नया ब्लॉग कोलाज लेकर लाया गया और २३ पोस्ट डाले गए । भोपाल कि पल्लवी त्रिवेदी ने अपने १४ पोस्ट के माध्यम से कुछ एहसास कराने की कोशिश की पर ब्लॉग को नियमित नहीं रख पायीं । कृष्णलाल कृष्ण ने इस वर्ष दर्पण के टुकडे से ७२ पोस्ट लिखे मगर पिछले वर्ष की तरह पोस्ट का शतक बनाने से वंचित रह गए । दाल रोटी चावल ने पूरे वर्ष केवल ३३ पोस्ट ही परोसे जबकि पिछले वर्ष इस ब्लॉग पर १०० से ज्यादा पोस्ट डाले गए थे । इस वर्ष अंतर्जाल पर बाग्विलाश नहीं हो सका , केवल ४ पोस्ट ही देखने को मिले हैं । संवाद घर में पिछले वर्ष केवल १० बार ही संवाद कि स्थित बनी थी , मगर इस बार संजय ग्रोबर पोस्ट का अर्द्ध शतक लगाने में कामयाब रहे । कवि कुलवंत के गीत सुनहरे खूब गाये इस बार । सुनीता शानू का मन पखेरू फ़िर उड़ चला इस बार मगर सुन्दर और सारगर्भित अभिव्यक्ति के संग बना रहा वर्ष भर । २६ पोस्ट के साथ कबीर खड़ा रहा बाज़ार मेंपंकज नारायण ने इस वर्ष केवल ०६ पोस्ट ही दिए । परमजीत बाली पिछले वर्ष पोस्ट का अर्द्ध शतक लगाने में किसी भी तरह कामयाब तो हो गए थे मगर इस वर्ष ०४ पोस्ट से चूक गए ।
हिंदी कुञ्ज ने बाबा नागार्जुन पर बहुत ही सुन्दर आलेख प्रकाशित किये । वर्ष-२००८ में १०३ पोस्ट के साथ धमाकेदार शुरुआत करने वाला ब्लॉग -ज्ञान दर्पण ने इस वर्ष १५७ पोस्ट के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में अपनी सार्थक उपस्थिति का बोध कराया । आधुनि‍क रचनाशीलता पर केन्‍दि‍त वि‍शि‍ष्‍ट संचयन यानि लखनऊ से प्रकाशित तद्भव का १९ वाँ अंक जनवरी में आया किन्तु उसके बाद अभी तक अन्य कोई अंक नहीं आया इस वर्ष ।

Time Loss : समय नष्ट करने का एक भ्रष्ट साधन पर फरवरी में प्रकाशित एक पोस्ट बना कीर्तिमान समीर लाल जी शीर्ष पर, हम भी बने सात हजारी ब्‍लागर के माध्यम से श्री परमेन्द्र प्रताप सिंह ने यह रहस्योद्घाटन करते हुए अवगत कराया था कि मुझे आज ही पता चला कि हम सात हजारी ब्‍लागर हो गये, अभी तक बहुत कम ही सात हजारी बलागर देखने को मिले है। आज समीर जी के ब्‍लाग टिप्‍पणियों में से सात हजारी ब्‍लागर खोजे तो कुछ मिल ही गये, जिनके नाम छूट गये हो भाई माफ करना।सर्वश्री Sanjeet Tripathi, संजय बेंगाणी, Udan Tashtari, ज्ञानदत्त पाण्डेय आदि प्रमुख हिन्दी ब्‍लागर है जिनके प्रोफाईल विजिटरों की संख्‍या 7000 या उपर रही।

शाश्वत सत्य और शब्द-शब्द अनमोल लगातार पूरे वर्ष भर अनियमित रहा । बसंत आर्य ने फिर इस वर्ष खुलकर ठहाका नहीं लगाया । पिछले वर्ष एक उद्देश्यपूर्ण पहल करते हुए माला ने मेरा भारत महान का जय घोष किया था , किन्तु इस वर्ष इस बलोग कि अनियमितता के कारण उस उद्देश्य कि पूर्ती होती दिखाई नहीं दी । हम आशा करते हैं कि यह महत्वपूर्ण ब्लॉग अगले वर्ष अवश्य ताज़गी के साथ प्रकट हो । पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी बोल हल्ला के स्वर बुलंद रहे । राज यादव की विचारों की जमीं- Land of Thoughts पर कुछ अच्छे विचार पढ़ने को मिले हैं । जज्बात इस वर्ष अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करने में कामयाब रहा ।डा भावना कुंवर की अभिव्यक्ति दिल के दरमियाँ तक ही सिमित नहीं रही , वल्कि उनकी अभिव्यक्ति से हिंदी ब्लॉग जगत भी मुखातिब हुआ । रांची हल्ला ने भी इस वर्ष अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज करायी ।

आईये अब वर्ष के कुछ विवादित पोस्ट पर निगाह डालते हैं -
मसिजीवी के एक पोस्ट अपने बच्‍चे का मैला तो हमने भी कमाया है... शर्माजी जी इतनी नाराज क्‍यों हैं? पर तीखी प्रतिक्रिया आई अपना घर पर आभा की , कि तब तो हर स्त्री, हर पत्नी हर माँ वेश्या है मसिजीवी जी
मैं मूरख, तुम ज्ञानी पर प्रकाशित पोस्ट ब्लॉगवाणी करता है पक्षपात ख़ास ब्लोगरों के साथ: सबूत भी हैं । इस पोस्ट पर लगभग ९० प्रतिक्रया आई मगर अधिसंख्य पाठकों ने इसे ब्लॉग वाणी की स्वतंत्रता से जोड़कर देखा । सबने ब्लॉग वाणी पर उंगली उठाने को सही नहीं ठहराया और एक स्वर से इस विवादित टिपण्णी को ख़ारिज किया । ब्लॉग वाणी ने कुछ दिनों के उहापोह के बाद फिर से वापसी की घोषणा कर दी और चिट्ठाकारों के चहरे पर फिर से मुस्कराहट तैर गयी यह पोस्ट देखकर कि हिप-हिप हुर्रे.. ब्लॉगवाणी इज बैक
हिंदी ब्लॉग टिप्स ने इस वर्ष पाठकों का ध्यान आकर्षित किया इस पोस्ट के माध्यम से कि गूगल, यूं हिंदुस्तानियों के साथ खिलवाड़ न करो , जिसमें उन्होंने गूगल मैप के चीनी संस्करण की ओर ध्यान आकृष्ट कराया कि "अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कितने बड़े हिस्से को तुम चीन में दिखा रहे हो। और तो और ताइवान को भी तुमने चीन का हिस्सा दिखाया है। हिंदुस्तान का राष्ट्रीय राजमार्ग- 52 (असम से अरुणाचल प्रदेश जाने वाला) भी तुमने अटपटे तरीके से सीमा पर ले जाकर अधूरा छोड़ दिया है। " इस पर गूगल ने दिया जवाब, किया कूटनीति का खुलासा
मेरी दुनिया मेरे सपने पर सलीम खान से संवंधित विवादों के परिप्रेक्ष्य में यह खुलासा किया कि आप मानें या न मानें, सलीम खान का हृदय परिवर्तन हो चुका है। उन्होंने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि स्वच्छ संदेश-हिन्दुस्तान की आवाज़’ वाले सलीम खान को लेकर बहुत कुछ लिखा गया है, उस लिखे में कितनी हकीकत थी और कितना फ़साना, यह आप सबको पता चल चुका है। पर इस सम्पूर्ण प्रकरण ने सलीम खान को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है और उन्होंने अपने आप को बदलने का फैसला ले लिया है।इस पर प्रतिक्रिया स्वरुप धनात्मक चिन्तन पर यह पोस्ट आया -जाकिर भाई सलीम के वकील है या जज ???
कुल मिलाकर यदि इन छुटपुट विवादों को छोड़ दिया जाये तो यह वर्ष हिंदी ब्लोगिंग के लिए काफी अच्छा रहा है । आशा की जा रही है कि नया वर्ष इससे और वेहतर होगा और नए वर्ष में हिंदी चिट्ठाकारी को नया आयाम प्राप्त होगा ।

यह विश्लेषण पूरी तरह से मानवीय विश्लेषण था , जिसमें त्रुटि संभव है ।मैंने पूरी तरह से ये कोशिश की है कि किसी की भावनाएं आहत न हो , किन्तु यदि मेरे इस विश्लेषण से किसी का दिल दुखा हो तो मैं ह्रदय से क्षमा प्रार्थी हूँ । इस विश्लेषण को यहीं विराम देते हैं , आप बताएं क्या कहता है आपका विश्लेषण ?

मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-23)

वर्ष -२००९ में श्री दीपक भारत दीप जी के द्वारा अपने ब्लॉग क्रमश: ..... दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका ...शब्दलेख सारथी .....अनंत शब्दयोग ......दीपक भारतदीप की शब्द योग पत्रिका .....दीपक बाबू कहीन .....दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका .....दीपक भारतदीप की ई पत्रिका .....दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका .....दीपक भारतदीप की शब्दलेख पत्रिका ......दीपक भारतदीप की शब्द ज्ञान पत्रिका .....राजलेख की हिंदी पत्रिका ....दीपक भारत दीप की अभिव्यक्ति पत्रिका ...दीपक भारतदीप की शब्द प्रकाश पत्रिका .....आदि के माध्यम से पुराने चिट्ठाकारों के श्रेणी में सर्वाधिक व्यक्तिगत ब्लॉग पोस्ट लिखने का गौरव प्राप्त किया है । इसप्रकार इस चिट्ठाकार का हिंदी ब्लॉग जगत को समृद्ध करने में विशिष्ट योगदान हैं । उनके इस महत्वपूर्ण और विशिष्ट योगदान को देखते हुए परिकल्पना का यह विश्लेषण उन्हें "वर्ष के विशिष्ट चिट्ठाकार " की संज्ञा से अलंकृत कर रहा है ।

इसी श्रेणी में दूसरे स्थान पर हैं एक ऐसी संवेदनशील महिला चिट्ठाकार , जिनकी संवेदनशीलता उनके बहुचर्चित ब्लॉग पारुल चाँद पुखराज का ...पर देखी जा सकती है । इस ब्लॉग पर पहले तो गंभीर और गहरी अभिव्यक्ति की साथ कविता प्रस्तुत की जाती थी , किन्तु अब गहरे अर्थ रखती गज़लें सुने जा सकती है । सुश्री पारुल ने शब्द और संगीत को एक साथ परोसकर हिंदी ब्लॉगजगत में नया प्रयोग कर रही हैं , जो प्रशंसनीय है ।

चलते- चलते मैं यह बता दूं कि वर्ष-२००९ में हास्य-व्यंग्य के दो चिट्ठों ने खूब धमाल मचाया पहला ब्लॉग है श्री राजीव तनेजा का हंसते रहो आज के भाग दौर , आपा धापी और तनावपूर्ण जीवन में हास्य ही वह माध्यम बच जाता है जो जीवन में ताजगी बनाये रखता है । इस दृष्टिकोण से राजीव तनेजा का यह चिटठा वर्ष-२००९ में हास्य का बहुचर्चित चिटठा होने का गौरव हासिल किया है । दूसरा चिटठा है -


के. एम. मिश्र का सुदर्शन इसपर हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर प्रहार किया जाता है । के .एम. मिश्र का कहना है कि व्यंग्य, साहित्य की एक गम्भीर विधा है । व्यंग्य और हास्य में बड़ा अन्तर होता है । हास्य सिर्फ हॅसाता है पर व्यंग्य कचोटता है, सोचने पर मजबूर कर देता है । व्यंग्य आहत कर देता है । सकारात्मक व्यंग्य का उद्देश्य किसी भले को परेशान करना नहीं बल्कि बुराइयों पर प्रहार करना है चाहे वह सामाजिक, आर्थिक या राजनैतिक हो । सुदर्शन सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विसंगतियों, भ्रष्टाचार, बुराइयों, कुरीतियों, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं, बाजार, फिल्म, मीडिया, इत्यादि पर एक कटाक्ष है ।


वहीं तहजीब के शहर लखनऊ के श्री सलीम ख़ान..........स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़ में अपने स्पष्टवादी दृष्टिकोण के साथ-साथ विभिन्न चिट्ठों पर अपनी तथ्यपरक टिप्पणियों के लिए लगातार चर्चा में बने रहे । डा० अमर कुमार जी ने स्वयं को चर्चा से ज्यादा चिंतन में संलग्न रखा । -रवीश कुमार जी ने महत्वपूर्ण चिट्ठों के बारे में लगातार प्रिंट मिडिया के माध्यम से अवगत कराया । श्री पुण्य प्रसून बाजपेयी अपनी राजनीतिक टिप्पणियों तथा तर्कपूर्ण वक्तव्यों के लिए लगातार चर्चा में बने रहे ।

हिंदी ब्लोगिंग के लिए सबसे सुखद बात यह है कि इस वर्ष हिन्दीचिट्ठों कि संख्या १५००० के आसपास पहुंची । वर्ष का सर्वाधिक सक्रीय क्षेत्र रहा मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ । वर्ष का सर्वाधिक सक्रीय शहर रहा भोपाल और रायपुर । वर्ष में सर्वाधिक पोस्ट लिखने वाले नए चिट्ठाकार रहे डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक । वर्ष में सर्वाधिक टिपण्णी करने वाले चिट्ठाकार रहे श्री श्री समीर लाल । वर्ष भर हिंदी चिट्ठों की चर्चा करने वाला चर्चित सामूहिक चिटठा रहा चिट्ठा चर्चा । सर्वाधिक समर्थकों वाला तकनीकी ब्लॉग रहा हिंदी ब्लॉग टिप्स
अबतक मुम्बईया हिंदी के स्वर फिल्मों में ही सुनाई देते थे किन्तु इस बार हिंदी ब्लॉग जगत में इसे सर्किट ने प्रस्तुत करके ख्याति अर्जित की ।
इस वर्ष साहित्य-संस्कृति और कला को समर्पित अत्यधिक चिट्ठों का आगमन हुआ । चिट्ठों कि चर्चा करते हुए इस वर्ष श्री रवि रतलामी जी , श्री अनूप शुक्ल जी और मसिजीवी ज्यादा मुखर दिखे । चुनौतीपूर्ण पोस्ट लिखने में इस बार महिला चिट्ठाकार पुरुष चिट्ठाकार की तुलना में ज्यादा प्रखर रहीं । इस वर्ष मुद्दों पर आधारित कतिपय ब्लॉग से हिंदी पाठकों का परिचय हुआ । इस वर्ष फादर्स डे पर एक नया सामूहिक ब्लॉग पिताजी से भी मुखातिब हुआ हिंदी का पाठक । मुद्दों पर आधारित नए राजनीतिक चिट्ठों में सर्वाधिक अग्रणी रहा - बिगुल .......आदि ।

इस वर्ष का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा रहा - स्लम डॉग , सलैंगिकता और मंहगाई आदि । सबसे सुखद बात तो यह रही कि विगत कई वर्षों से अग्रणी श्री श्री समर लाल जी, श्री ज्ञान दत्त पांडे जी , श्री रवि रतलामी जी , श्री अनूप शुक्ल जी , श्री शास्त्री जे सी फिलिप जी , श्री दीपक भारतदीप जी , श्री दिनेशराय द्विवेदी जी आदि अपने सम्मानित स्थान को सुरक्षित रखने में सफल रहे ।वर्ष का एक और सुखद पहलू यह रहा की चिट्ठा चर्चा ने १००० पोस्ट की सीमा रेखा पार की ।

चर्चा अभी जारी है , मिलते हैं एक छोटे से विराम की बाद ..../

वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-22)

आज के इस प्रारूप में हम चर्चा कर रहे हैं वर्ष-२००९: हिंदी ब्लॉग जगत के दशावतार यानी वर्ष के ऐसे दस चिट्ठाकारो की जो पूरे वर्ष भर हिंदी ब्लॉग जगत के माध्यम से मुद्दों की बात पूरी दृढ़ता के साथ करते रहे हैं .... इस क्रम में वे ही चिट्ठाकार शामिल किये गए हैं जो या तो किसी समाचार पत्र में संपादक अथवा संवाददाता है अथवा ऑफिस रिपोर्टर या फिर वकील अथवा स्वतन्त्र लेखक , व्यंग्यकार और स्तंभ लेखक आदि...ये चिट्ठाकार अपने कार्यक्षेत्र के दक्ष और चर्चित हस्ती हैं , फिर भी इनका योगदान वर्ष-२००९ में हिंदी ब्लोगिंग में बढ़- चढ़कर रहा है । इसमें से कई ब्लोगर चिट्ठाजगत की सक्रियता में शीर्ष पर हैं और समाज -देश की तात्कालिक घटनाओं पर पूरी नज़र रखते हैं । ये ब्लोगर प्रशंसनीय ही नहीं श्रद्धेय भी हैं ।


पहले स्थान पर है-रवीश कुमार का कस्बा qasba

यह एऩडीटीवी के रवीश कुमार का निजी चिट्ठा हैये अपनी ज़िन्दगी के वाकयों, सामयिक विषयों व साहित्य पर खुलकर चर्चा करते हैंअपने ब्लॉग के बारे में रबीश कुमार का कहना है कि –“हर वक्त कई चीज़ें करने का मन करता है। हर वक्त कुछ नहीं करने का मन करता है। ज़िंदगी के प्रति एक गंभीर इंसान हूं। पर खुद के प्रति गंभीर नहीं हूं। मैं बोलने को लिखने से ज़्यादा महत्वपूर्ण मानता हूं क्योंकि यही मेरा पेशा भी है। इस ब्लाग में जो कुछ भी लिखता हूं वो मेरे व्यक्तिगत विचार है। यहां लिखी गई बातों को मेरे काम से जोड़ कर न देखा जाए। “


इनके विषय में रवि रतलामी का कहना है कि “चिट्ठाकारी ने लेखकों को जन्म दिया है तो विषयों को भी। आप अपने फ्रिज पर भी लिख सकते हैं और दिल्ली के सड़कों के जाम पर भी। नई सड़क पर रवीश ने बहुत से नए विषयों पर नए अंदाज में लिखा है और ऐसा लिखा है कि प्रिंट मीडिया के अच्छे से अच्छे लेख सामने टिक ही नहीं पाएँ। हिन्दी चिट्ठाकारी को नई दिशा की और मोड़ने का काम नई सड़क के जिम्मे भले ही न हो, मगर उसने नई दिशा की ओर इंगित तो किया ही है।”



इस क्रम में दूसरे स्थान पर हैं -पुण्य प्रसून बाजपेयी


ये न्यूज़ (भारत का पहला समाचार और समसामयिक चैनल) में प्राइम टाइम एंकर और सम्पादक हैं। इनके पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। ये देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।



इस क्रम का तीसरा चिटठा हैं -आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म


अगड़म बगड़म वाले आलोक पुराणिक वरिष्ठ लेखक तथा व्यंग्यकार हैं। इनके व्यंग्य कई पत्र-पत्रिकाओं में छपते हैं। इनके व्यंग्यों में वक्रता है, मारकता है। ये कभी हँसाते हैं, कभी गुदगुदाते हैं और कभी तीखा कटाक्ष करते हुए सोचने पर भी विवश करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बात को कहने का इनका अंदाज अनूठा है, इसीलिए ये पठनीय हैं। ये गंभीर से गंभीर मुद्दों को बड़े सहज ढंग से करते हुए गंभीर वहस को जन्म देने में माहिर हैंचाहे वाह शेयर मार्केट से जुड़ा हो चाहे देश-विदेश से संवंधित हो हर विषय पर अपनी वेवाक टिपण्णी के लिए ये कफी मशहूर हैं



इस क्रम का चौथा चिटठा है- समाजवादी जनपरिषद


भारतीय चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनैतिक दल का अधिकारिक चिट्ठा है यह । वैश्वीकरण विरोध तथा नई राजनैतिक व्यवस्था स्थापित करना इसका लक्ष्य है।लिंगराज,समता भवन,बरगढ़,उड़ीसा दल के राष्ट्रीय महासचिव हैं तथा सुनील,केसला,जि। होशंगाबाद , (म.प्र.) राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अफ़लातून तथा महामंत्री जयप्रकाश सिंह हैं ।


अफ़लातून जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं, अध्येता हैं। वे महात्मा गांधी के निजी सचिव रहे महादेवभाई देसाई के पौत्र है। यह तथ्य सिर्फ उनके परिवेश और संस्कारों की जानकारी के लिए है। बनारस में रचे बसे हैं मगर विरासत में अपने पूरे कुनबे में समूचा हिन्दुस्तान समेट रखा है। ब्लाग दुनिया की वे नामचीन हस्ती हैं और एक साथ चार ब्लाग Anti MNC Forum शैशव समाजवादी जनपरिषद और यही है वो जगह भी चलाते हैं।



इस क्रम का पांचवा चिटठा है- मसिजीवी


यही चिटठा और चिट्ठाकार दोनों का नाम है, यानि दोनों है -मसिजीवी….किन्तु इनके अन्य व्यक्तिगत ब्लॉग है -रचनात्मक लेखन…..हिंदी ब्लॉग रिपोर्टर….लिंकित मनआदिइसके अलावा ये सबसे ज्यादा चर्चित हैं चिट्ठा चर्चा पर अपनी टिप्पणियों के कारण ये अपने चिट्ठे पर केवल मुद्दों की ही बाते करते हैंअपने स्वयं की बारे में ये कहते हैं कि- " ठेठ हिंदीवाला पढ़ने पढ़ाने लिखने और सोचने की अलावा कुछ सोचता तक नाही । "



इस क्रम के छठे चिट्ठाकार है- राजकुमार ग्वालानी

इनका मुद्दों पर आधारित ब्लॉग -राजतन्त्र इसी वर्ष अस्तित्व में आया और महज ११ महीनों में श्री राज कुमार ग्वालानी ने मुद्दों पर आधारित लगभग ३१९ पोस्ट लिख डालेइनके लेख विषय परक होते हैं और बड़े सहज ढंग से मुद्दों को उठाते हुए सवाल छोड़ जाते हैं


ये पत्रकारिता सॆ करीब दो दशक‌ से जुड़े हैं । वैसे इन्होने लंबे समय तक‌ देश की क‌ई पत्र-पत्रिकाऒ में हर विषय में लेख लिखे हैं। इन्होने दो बार उत्तर भारत की सायक‌ल यात्रा भी की है। रायपुर कॆ प्रतिष्ठित समाचार पत्र देशबन्धु में 15 साल तक काम किया है। वर्तमान में ये रायपुर कॆ सबसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र में एक पत्रकार कॆ रूप में काम क‌र रहे हैं



इस क्रम कॆ सातवें चिट्ठाकार हैं- प्रभात गोपाल झा


ये खुद अपनी ही तलाश में जुटे हैं । उन हजारों ब्लागरों की जमात में रहकर विचारों के प्रवाह को सही दिशा देना चाहते हैं , जो जाने-अनजाने ब्लाग की दुनिया में आने की गलती कर चुके हैं। बस अब खुद को बदलने का प्रयास है। अब ये खुद को उन आम ब्लागरों का हिस्सा मानते हैं , जिन्होंने हिन्दी में बात करने, लिखने और इसे आत्मसात करने की चेष्टा की है। आप दक्षिण भारतीय हैं या उत्तर भारत, इससे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। आप इनके साथ दोस्त और सहभागी बनकर हिन्दी को आम आदमी की भाषा बनाने में सहयोग कर सकते हैं यानि इनके द्वारा खुद को तलाशने का अभियान जारी है।

मुद्दों पर आधारित इनका महत्वपूर्ण ब्लॉग है -आइये करें गपशप…..इसके अलावा ये सामुदायिक ब्लॉग-नुक्कड़ पर भी कभी-कभार दिखाई दे जाते हैं



इस क्रम का आठवा चिट्ठा है -डा महेश परिमल का संवेदनाओं के पंख


जीवन यात्रा जून 1957 से। भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती। हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएचडी। 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव। अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 700 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन। आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी। शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन। धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन। हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान। संप्रति भास्कर ग्रुप में अंशकालीन समीक्षक के रूप में कार्यरत्।



इस क्रम के नौवें चिट्ठाकार है - सुमन
यानि लोकसंघर्ष सुमन

बाराबंकी के रहने वाले सुमन स्वभाव से एक संघर्ष शील व्यक्तित्व के मालिक हैं । पेशे से वकील श्री सुमन का बहुचर्चित चिटठा है -लो क सं घ र्ष ! जिसपर केवल मुद्दों की ही बात होती है । चाहे वह मुद्दा सामाजिक हो , आर्थिक हो अथवा राजनैतिक । इनके शब्द वैश्विक मुद्दों को सरेआम करने में भी नही कांपते । ये स्वयं को लोकसंघर्ष कें आम से नवाजते हैं जो जन आकांक्षाओं के प्रति इनकी कटिबद्धता को प्रदर्शित करता है ।
लो क सं घ र्ष ! के अलावा इन्हें आप गंगा के करीब ….उल्टा तीर…..भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बाराबंकी…..ठेनेत्प्रेस.कॉम…..लोकसंघर्ष छाया….लोक वेब मीडिया…..हिन्दुस्तान का दर्द…..रंगकर्मी रंगकर्मी……भड़ास ब्लॉग….ब्लॉग मदद…..लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन……कबीरा खडा़ बाज़ार में…आदि पर भी देख सकते हैं ।




इस क्रम की दसवीं महिला चिट्ठाकार हैं -अन्नू आनंद

ये देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र में वरिष्ठ पत्रकार हैं । प्रेस इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की पत्रिका विदुरा के पूर्व संपादक हैं । ये लगातार भारत की अग्रणी पत्र-पत्रिकाओं में अपने आलेख के माध्यम से अपनी सार्थक उपस्थिति रखती हैं । हिंदी पत्रकारिता में इनका २० वर्षों से ज्यादा का अनुभव है । सामयिक विषयों पर लिखने के लिए मशहूर सुश्री आनंद का हिंदी चिट्ठा है- अनसुनी आवाज
अनसुनी आवाज़ उन लोगों की आवाज़ है जो देश के दूर दराज़ के इलाकों में अपने छोटे छोटे प्रयासों के द्वारा अपने घर, परिवार समुदाय या समाज के विकास के लिए संघर्षरत हैं। देश के अलग अलग हिस्सों का दौरा करने के बाद लिखी साहस की इन कहानियों को इन्होने अख़बारों और इस ब्लॉग के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहती हैं ,क्योंकि ये खामोश योधाओं के अथक संघर्ष की वे कहानियाँ हैं जिनसे सबक लेकर थोड़े से साहस और परिश्रम से कहीं भी उम्मीद की एक नयी किरण जगाई जा सकती है।


चर्चा अभी जारी है मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद ...!

सोमवार, 21 दिसंबर 2009

वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-21)

परिकल्पना से भावनाओं के साथ जुड़े कुछ चिट्ठाकारों की जिज्ञासा थी कि क्या वर्ष के नवरत्न और नौ देवियों की तरह नौ नए, किन्तु यशश्वी चिट्ठाकार का उल्लेख इस विश्लेषण के अंतर्गत नहीं किया जा सकता है ? काफी सोच- विचार के बाद मैंने इस प्रारूप को लाने का फैसला किया है जो आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है



इस प्रारूप के अंतर्गत हम उन नए चिट्ठाकारों को शामिल कर रहे हैं जो वर्ष-२००८ के उत्तरार्द्ध में अथवा वर्ष-२००९ के मध्य तक हिंदी ब्लॉग जगत का हिस्सा बने हैं और अपने कौशल व् प्रतिभा के बल पर वर्ष-२००९ के चर्चित चिट्ठाकारों में शुमार हो चुके हैंतो आईये शुरू करते हैं चर्चा वर्ष-२००९ : हिंदी ब्लॉग जगत के नौ उपरत्न यानि वर्ष के नौ नए यशश्वी चिट्ठाकार से



इस विश्लेषण के अंतर्गतडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक का नाम पहले स्थान पर रहा था, किन्तु पिछले प्रारूप में इस सम्मानीय चिट्ठाकार की चर्चा हो चुकी है इस लिए अब यह क्रम इसप्रकार है -


ओम आर्य

सीतामढी बिहार के इस ब्लोगर के बारे में विस्तार से चर्चा वर्ष-२००९ : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-१२) में के जा चुकी है

ब्लॉग लाने के सन्दर्भ में इनका कहना है कि कुछ शब्द जो मेरे मौन के खाली घर में आते हैं उन्हें मैं आवाज की पनाह में लाने की कोशिश करता हूँ ।इसी का प्रतिफल है-मौन के खाली घर में... ओम आर्य…..

कृष्ण कुमार यादव

ये डाक विभाग में अधिकारी है मगर इस ब्लॉग में ये डाकिया बाबू की भूमिका में हैं यानि डाकिया बाबू हैं , वही डाकिया जो पत्र के माध्यम से आपका सुख-दुःख बाँचता है।उनका कहना है कि " वक़्त के साथ व्यक्तिगत पत्रों की संख्या में भले ही कमी होती गयी पर कारपोरेट डाक में इजाफा होता गया। जब पत्रों की भाषा व्यक्तिगत थी तो सम्बन्ध भी व्यक्तिगत थे। अब पत्र व्यावसायिक होते गए तो संबंधों की उष्णता भी ख़त्म होती गयी और इसी के साथ डाकिया के प्रति समाज का नजरिया भी बदलता गया....? संचार के तीव्र साधनों ने गति भले ही दी हो पर उस गति ने हमें आस-पास ही नहीं अपने से भी काटकर रख दिया है। यह ब्लोगर न सिर्फ आपको उन भावनाओं से जोड़ने का प्रयास करता है बल्कि डाक सेवाओं में आई नई गति से भी परिचित कराता है ॥ बहुत कुछ जो कहीं वक़्त के साथ खो गया है उसे पकड़ने का भी प्रयास करता है यह डाकिया बाबू और वर्ष- २००९ में अपने दिलचस्प किस्सों से पाठकों का मन मोहने में सफल भी होता हैइनका ब्लॉग है --डाकिया डाक लाया


राज कुमार केसवानी
इनका ब्लॉग है--बाजे वाली गली

हर शहर की तरह भोपाल में भी बाजे वाली गली है और बाजे का महत्‍व तो सुनने वाले से है, लेकिन सुनने वाले मिलते हैं बाजे के सुरों से निकलने वाले रस से । अच्‍छा रस निकाला है इन्होने अपने ब्लॉग के माध्यम सेभोपाल निवासी श्री राज कुमार केशवानी के द्वारा यह चिटठा १९ अगस्त २००९ को इस आशय के साथ शुरू किया गया कि इस बाजे वाली सुरीली गली में संगीत प्रेमी आके सुकून पायेंगे , ब्लॉग की दुनिया को कुछ ऐसा ही सुरीलापन दरकार था जो राज जी ने पूरा क्या है इस ब्लॉग को लाकर

ललित शर्मा

अपने बारे में ललित शर्मा कहते हैं कि -"परिचय क्या दुं मैं तो अपना, नेह भरी जल की बदरी हुँ। किसी पथिक की प्यास बुझाने, कुँए पर बंधी हुई गगरी हुँ। मीत बनाने जग मे आया, मानवता का सजग प्रहरी हुँ। हर द्वार खुला जिसके घर का, सबका स्वागत करती नगरी हुँ।"

नुक्कड़…..एक लोहार की…..जबलपुर-ब्रिगेड….ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਖੁਸ਼ਬੂ….चर्चा पान की दुकान पर…..ललितडॉटकॉम….ठेनेत्प्रेस.कॉम…..अड़हा के गोठ…..उल्टा तीर……आदि सामुदायिक और सामूहिक चिट्ठों में योगदान देने वाले श्री ललित शर्मा का एक ब्लॉग शिल्पकार के मुख से….२ जून २००९ को आया और अपनी साफगोई से सबको मोह लियाअपने पहले पोस्ट शिल्पकार के मुख से में श्री ललित वर्मा ने इस ब्लॉग को लाने के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए कहा है कि –“काफी दिनों से सफर में होने के कारण आपको पत्र नही लिख सका, लोकसभा के चुनाव थे, परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए। अब वर्तमान मनमोहन सरकार से हमे काफी उम्मीदें हैं हमारे शिल्पकार समाज को जो आजादी के ६० बरसों में नही मिल पाया उसे हमे इन पञ्च सालों में हासिल करना है। “
सम्भवत: ये पहले व्यक्ति हैं जिसने हिन्दी ब्लॉग पर अपने को शिल्पकार घोषित किया है।महर्षि चरक एंव प्राचीन चरक संहिता उपदेश पर आधारित इन्होने नया ब्लॉग ललित वाणी सितंबर में शुरू किया है

खुशदीप सहगल

नोएडा निवासी खुशदीप के द्वारा १७ अगस्त को एक चिटठा देशनामाशुरू किया गया इस आशय के साथ कि देश का कोई धर्म नहीं, कोई जात नहीं, कोई नस्ल नहीं तो फिर यहां रहने वाले किसी पहचान के दायरे में क्यों बांधे जाए ।

आजकल जब सारा मीडिया स्तरहीन सामग्री से भरा पड़ा है तो ऐसे में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाना और तर्कपूर्ण वक्तव्यों के माध्यम से प्रस्तुत करना इस ब्लॉग के प्रति अनायास हीं सम्मान का भाव पनपता हैमहज चार - पांच महीनों के अल्प आयु वाला यह ब्लॉग चिट्ठाजगत की सक्रियता में ६६ वें स्थान पर है और इसमें अभीतक महत्वपूर्ण मुद्दों से परिपूर्ण ११५ पोस्ट लिखे जा चुके हैं जो इस चिट्ठे के समर्पण को परिलक्षित कर रहा हैखुशदीप के सहभागिता इसके अलावा सामूहिक ब्लॉग-नुक्कड़….में भे दिखाई देती है .

गिरिजेश राव और अभिषेक ओझा

श्री गिरिजेश राव के द्वारा विगत वर्ष २००८ के नवंबर माह में एक चिटठा लाया गया ,नाम था - एक आलसी का चिठ्ठा….जिसपर एक पोस्ट डालने के बाद राव साहिब पूरे पांच महीने सोये रहे अप्रैल में जब जगे तो फिर अब तक अलसाए नहीं हैं । बाद में इनके द्वारा इस ब्लॉग पर अतिथि लेखक के रूप में लिखने के लिए श्री अभिषेक ओझा को आमंत्रित किया गया । इस चिट्ठे पर अपने सारगर्भित लेखन के लिए ये दोनों चिट्ठाकार प्रशंसनीय और श्रद्धेय हैं इसलिए इस क्रम के अंतर्गत दोनों चिट्ठाकार को एक साथ शामिल किया जा रहा है ,आजकल इस ब्लॉग पर लंठ महाचर्चा चर्चा चल रही है ।

इस ब्लॉग के संचालक द्वयगिरिजेश राव और अभिषेक ओझा क्रमश: लखनऊ और बलिया के निवासी हैं । इस ब्लॉग के अतिरिक्त श्री राव कविताएँ और कवि भी.......और Science Bloggers' Association….से भे जुड़े हैं जबकि श्री ओझा का व्यक्तिगत ब्लॉग है ओझा-उवाच…तथा कुछ लोग... कुछ बातें... !......इसके अलावा इनकी सहभागिता Science Bloggers' Association…..वेबलाग पर...अत हिंदी वेबलॉग…..आदि सामूहिक ब्लॉग पर भी रहती है ।




इरफ़ान

एक संपादकीय कार्टूनिस्ट , प्रति दिन २-३ कार्टून का प्रकाशन । नव भारत टाईम्स , इकोनोमिक्स टाईम्स , दी फाईनेंसियल एक्सप्रेस आदि से सीधे तौर पर जुड़े हैं जबकि इनका योगदान टाईम्स मैगज़ीन में भी है । इसके अलावा देश -विदेश के कई महत्वपूर्ण पात्र-पत्रिकाओं में ये पूरे सम्मान के साथ छपते हैं । कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से ये सम्मानित हैं ।

हिंदी ब्लॉग जगत के लिए यह अत्यंत सौभाग्य की बात है कि इनका कार्टून पर आधारित एक ब्लॉग इतनी सी बात विगत वर्ष हिंदी ब्लॉग जगत का हिस्सा बना और देखते ही देखते इस ब्लॉग पर ४०० से ज्यादा कार्टून पोस्ट कर दिए गए । इस महान कार्टूनिस्ट के आगमन से यह हिंदी ब्लॉग जगत धन्य हुआ है । वर्ष – २००८ के उत्तरार्द्ध में यह ब्लॉग श्री इरफ़ान के द्वारा लाया गया और ७ पोस्ट डाले गए मगर वर्ष -२००९ में इस ब्लॉग पर कार्टून की फैक्ट्री लगा दी श्री इरफ़ान ने अर्थात वर्ष- २००९ में अब तक इसपर ४०५ पोस्ट डाले जा चुके हैं ।



सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)

रांची झारखंड निवासी श्री सुरेश शर्मा के कार्टून मुद्दों पर आधारित होते है और पाठकों के भरपूर मनोरंजन करते हुए उन्हें सोचने को विवश कर देते है जो एक कार्टूनिस्ट के सफलता का पहला मापदंड मना गया है . इनके द्वारा अपने ब्लॉग पर वर्ष-२००९ में लगभग कार्टून धमाका...! पर कार्टून से संबंधित ८४ पोस्ट डाले गए हैं ।
इसके अलावा इनका योगदान सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)…. सुरेश शर्मा(कार्तूनिस...... आटा० तो जाने…..लालू धमाका........... सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)…… न्यू ब्लॉग…..सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) आदि ब्लॉग पर भी है ।



प्रीति टेलर

शायरी ,कविता ,लघुकथाएं , कुछ जिन्दगी के स्पर्श करते लेख इनके सपनों को व्यक्त करने का माध्यम बनते है जिन्हें ये कलमबंद करके कागज़ पर बिखेर हैं उसमे अपने विचारों के रंग देती भर है ... वैसे इनकी मातृभाषा गुजराती है इनकी पढ़ाई भी गुजराती माध्यमसे ही हुई है पर इनका बचपन विभिन्न राज्योंके बाशिंदों के बीच रहकर गुजरा है इसी लिए हिन्दी भी इन्हें मातृभाषा की तरह ही लगी ।एक अहिन्दी भाषी के मन में हिन्दी के प्रति यह स्नेह प्रशंसनीय है । इनका हिंदी कविता पर केन्द्रित ब्लॉग जिंदगी : जियो हर पल वर्ष-२००८ में ही हिंदी ब्लॉग जगत का हिस्सा बना मगर यह ब्लॉग चर्चित हुआ वर्ष -२००९ में . इसी लिए इस ब्लॉग को इस प्रारूप में शामिल किया गया है ।

चर्चा अभी जारी है , मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद …

 
Top