
सोमवार, 29 मार्च 2010
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव को प्रायोजक मिला

गुरुवार, 25 मार्च 2010
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव-2010 की उद्घोषणा

उत्सव के परिप्रेक्ष्य में आपकी सहमति, सुझाव और रचनात्मक सहयोग का वादा इसे आयोजित करने हेतु हमें प्रेरित कर रहा है । इसलिए मैंने यह निश्चय किया है कि इस उत्सव की शुरुआत हम अप्रैल के किसी दिवस में करेंगे . यानी शीघ्र !
ध्यान दें- उत्सव समस्त ऐंठन - अकडन भरी ग्रंथियों और खिंचाव - तनाव भरी मानसिक पीड़ा को दूर करने का एक सहज-सरल तरीका है। उत्सव पारस्परिक प्रेम का प्रस्तुतीकरण है ...!
कहा भी गया है कि प्रेम तभी शाश्वत है जब वह सार्वजनिक और सर्वजनहितकारी हो । किसी संप्रदाय विशेष, वर्ग विशेष या जाति विशेष से बंधा हुआ नहीं हो । यदि ऐसा हो तो उसकी शुद्धता नष्ट हो जाती है । प्रेम तभी तक शुद्ध है , जबतक सार्वजनिक, सार्वदेक्षिक, सार्वकालिक है । इसी प्रेम को पारस्परिक प्रेम की संज्ञा दी गयी है. पारस्परिक प्रेम जब सार्वजनिक हो जाता है तब उत्सव का रूप ले लेता है।
इस लिंक में लेख भी हो सकते हैं, कहानी भी, कविता-गीत-ग़ज़ल और लघु कथा भी । साक्षात्कार , परिचर्चा , कार्टून, संस्मरण, यात्रा वृत्तांत के साथ-साथ ऑडियो/वीडियो के लिंक भी। यदि इसके संबंध में आपकी कोई अन्य जिज्ञासा हो तो उपरोक्त मेल पर आप मुझसे पूछ सकते हैं । समय कम है और काम ज्यादा करने हैं इसलिए संभव है कि अगले कुछ दिनों तक परिकल्पना पर पोस्ट की अनियमितता बनी रहेगी । अत: क्षमा कीजिएगा !
शुक्रवार, 12 मार्च 2010
ब्लॉग उत्सव-2010 की परिकल्पना

पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत का यदि अवलोकन किया जाए तो यह दृश्य उभर कर सामने आता है कि १५००० से अधिक ब्लॉग इस समय अस्तित्व में है । कहीं फिल्म, कहीं गायन, कहीं साहित्य , कहीं संस्कृति, कहीं खोज, कहीं खबर, कहीं कार्टून तो कहीं बतकही का माहौल है । हर कोई मस्त है अपनी डफली अपना राग अलापने में ।
इसमें कोई संदेह नहीं कि विविधता से परिपूर्ण हिन्दी ब्लॉग जगत में बहुत कुछ समाहित हो चुका है जो अन्यत्र नहीं दिखाई देता । हिन्दी के चिट्ठों पर अनेक उपासना-पद्धतियों, पंथों , दर्शनों, लोक भाषाओं , साहित्य और कला के विकास ने हमारी वैचारिक समृद्धि और सम्पन्नता को सुदृढ़ किया है । वैसे तो हम टिप्पणियों के माध्यम से जुड़े हैं एक दूसरे ब्लोगर के साथ, किन्तु समयाभाव के कारण हम सारे अच्छे ब्लॉग पोस्ट नहीं पढ़ पाते । एक-दूसरे के विचारों को आत्मसात नहीं कर पाते । ऐसे में जरूरी है कि हम उत्सव का माहौल बनाए रखें, पारस्परिक सद्भाव का माहौल बनाए रखें और यदि आपस में मत भिन्नता की स्थिति है भी तो हम मन भिन्नता की स्थिति न आने दें ।
हर ब्लोगर की अपनी एक अलग पहचान है , कोई साहित्यकार है तो कोई पत्रकार , कोई समाज सेवी है तो कोई संस्कृति कर्मी , कोई कार्टूनिस्ट है तो कोई कलाकार । हर ब्लोगर के सोचने का अपना एक अलग अंदाज़ है , एक अलग ढंग है प्रस्तुत करने का । अलग-अलग नियम है , अलग-अलग चलन किन्तु फिर भी एक सद्भाव है जो आपस में सभी को जोड़ता है । नि:संदेह इसकी जड़ों में सहिष्णुता की भारतीय मर्यादा है, जो हमें सद्भावना की शिक्षा देती है । मेरा मानना है कि सद्भाव ही वह शक्ति है जिसके बल पर यह हिन्दी ब्लॉग जगत सबल होगा ।इन्हीं उद्देश्यों के दृष्टिगत हम परिकल्पना पर मनाने जा रहे हैं "परिकल्पना ब्लॉग उत्सव-2010"
- इस उत्सव का नारा होगा- " अनेक ब्लॉग एक हृदय "
- इस उत्सव में हम प्रस्तुत करेंगे कुछ कालजयी रचनाएँ , विगत दो वर्षों में प्रकाशित कुछ महत्वपूर्ण ब्लॉग पोस्ट , ब्लॉग लेखन से जुड़े अनुभवों पर वरिष्ठ चिट्ठाकारों की टिप्पणियाँ ,साक्षात्कार , मंतव्य आदि ।
- विगत वर्ष-२००९ में ब्लॉग पर प्रकाशित कुछ महत्वपूर्ण कवितायें, गज़लें , गीत, लघुकथाएं , व्यंग्य , रिपोर्ताज, कार्टून आदि का चयन करते हुए उन्हें प्रमुखता के साथ हम ब्लॉग उत्सव के दौरान प्रकाशित करेंगे ।
- कुछ महत्वपूर्ण चिट्ठाकारों की रचनाओं को स्वर देने वाले पुरुष या महिला ब्लोगर के द्वारा प्रेषित ऑडियो/वीडियो भी प्रसारित करेंगे ।
- उत्सव के दौरान प्रकाशित हर विधा से एक-एक ब्लोगर का चयन कर , गायन प्रस्तुत करने वाले एक गायक अथवा गायिका का चयन कर तथा उत्सव के दौरान सकारात्मक सुझाव /टिपण्णी देने वाले श्रेष्ठ टिप्पणीकार का चयन कर उन्हें सम्मानित किया जाएगा ।
- साथ ही हिन्दी की सेवा करने वाले कुछ वरिष्ठ चिट्ठाकारों को विशेष रूप से सम्मानित किये जाने की योजना है ।
- यह उत्सव एक या दो महीने तक परिकल्पना पर चलेगा ।
यह उत्सव अभी प्रस्तावित है , जिसे अंतिम रूप आपके सुझाव के अवलोकन के पश्चात ही दिया जाएगा । आप यदि टिपण्णी के माध्यम से अपने सुझाव नहीं देना चाहते हैं तो कृपया इस ई-मेल आई डी ravindra.prabhat@gmail.com
पर आपने अमूल्य सुझाव प्रेषित करें ।
बुधवार, 10 मार्च 2010
मातमी धुन पर थिरकती हुई खुशी तलाश करो !

हो गयी नंगी व्यवस्था , सादगी तलाश करो !
पर्यावरण के नाम पर कर दिए लाखों खरच-
औरतों को मुख्यधारा दो मगर ये दोस्त पहले-
एक-दो दशकों की कोशिश से नहीं होगा असर-
आज के माहौल में सब व्यर्थ है जलसे-जुलूस -
दिन के हिस्से का उजाला पी न जाए यों प्रभात-
() रवीन्द्र प्रभात
सोमवार, 8 मार्च 2010
आप ऐसे थे नहीं बेवक्त कैसे हो गए ?

याचना को धर्म की देहरी गयी थी कल-
ढूँढते हैं जीत अपनी हर किसी की हार में-
जिस शहर की धड़कनों में होठ-भर मुस्कान थी-
सांझ में फिर से निशा ने गीत गाये हैं प्रभात -
- रवीन्द्र प्रभात
बुधवार, 3 मार्च 2010
आपके लिए सृजनशीलता क्या मायने रखती है ?
यहाँ मैं आज स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि सृजनशीलता मेरे लिए महज सृजनशीलता नहीं, सामाजिक जीवन स्थितियों के खोखलेपन से उभरती एक मद्धिम सी अनुगूंज है जिससे मैं अपने अंतस के उस अकेलेपन को भरता हूँ जो मेरी साँसों की लय से जुडा है । मैं दूसरों की खुशियों में अपनी खुशी ढूँढने का प्रयास कराता हूँ । आप इस खुशी को किस रूप में लेते हैं यह आप पर निर्भर

बहुत दिनों से मैं उस ब्लॉग को ढूंढ रहा था, जिसका उद्देश्य दूसरों की खुशियों में अपनी खुशी ढूँढने का हो । काफी खोजबीन के बाद आखिरकार मैने उस ब्लॉग को ढूंढ निकाला । उपरोक्त सारी स्थितियां परिलक्षित हो रही है जिस ब्लॉग के संयोजन - संचालन में, आप जानना चाहेंगे कौन है वह ब्लॉग ?
वह ब्लॉग है क्रिएटिव मंच-Creative Manch ....एक ऐसा मंच जहां आप पहुँच कर सृजनशीलता का सच्चा सुख अनुभव करेंगे । इस ब्लॉग के मुख्य संयोजक हैं श्री प्रकाश गोविन्द और उनके प्रमुख सहयोगी हैं सुश्री मानवी श्रेष्ठा, श्री अनंत , सुश्री श्रद्धा जैन , सुश्री शोभना चौधरी , सुश्री शुभम जैन और सुश्री रोशनी साहू ।
इस ब्लॉग से जुड़े चिट्ठाकारों का शरू से यह प्रयास रहा है कि कुछ सार्थक करने का प्रयास किया जाए ! आप कोई भी पोस्ट देख सकते हैं भले ही परिलक्षित न हो किन्तु अत्यंत मेहनत छुपी है हर एक पोस्ट में ! साज-सज्जा के लिहाज से आम तौर पर किसी के लिए ऐसी पोस्ट तैयार करना संभव नहीं है ब्लॉग जगत में जैसा कि कहा जाता है यहाँ प्रतिक्रियाएं लेन-देन के अंतर्गत होती हैं ! ऐसे माहौल में 'क्रिएटिव मंच' की लोकप्रियता हतप्रभ करती है क्योंकि 'क्रिएटिव मंच' कभी कहीं जाकर प्रतिक्रिया नहीं देता ! इसके बावजूद भी किसी भी पोस्ट पर २५ - ३० प्रतिक्रियाएं आना आम बात है !
१५ अगस्त २००९ को यह ब्लॉग प्रारम्भ हुआ था, यानी इस फरवरी में छह माह पूरे हो गए हैं ! इतने कम अरसे में जो प्यार और अपनापन इस ब्लॉग को अपने पाठकों से मिला है वो बहुत ही कम चिट्ठाकारों को नसीब हो पाता है ! आप एक बार इस ब्लॉग पर जाकर देखें आपको अवश्य महसूस हो जाएगा कि यह ब्लॉग हिन्दी चिट्ठाजगत के लिए क्या मायने रखता है ?
इस ब्लॉग के संयोजकों की मेहनत को दाद देनी होगी । कहा गया है कि में- मेधाविता के साथ, ह- हठधर्मिता के साथ, न-नवीनता के साथ और त- तन्मयता के साथ किये गए कार्य को ही मेहनत की संज्ञा दी जा सकती है । यह ब्लॉग इस कसौटी पर भी खरा उतर रहा है ।मुझे पूरा विश्वास है कि यह ब्लॉग आने वाले समय में अपनी लोकप्रियता से आपको ही नहीं सबको अचंभित करेगा । इस ब्लॉग से जुड़े समस्त सृजनकर्मियों को मेरा नमन !