सोमवार, 29 मार्च 2010

परिकल्पना ब्लॉग उत्सव को प्रायोजक मिला

कहा जाता है कि यदि चाहत सबल हो तो लक्ष्य मुश्किल नहीं होता । जब मैंने परिकल्पना ब्लॉग उत्सव की उद्घोषणा की थी तब शायद मुझे भी यकीन नहीं था कि यह आयोजन अपने मुकाम को प्राप्त करेगा , क्योंकि यह धुंध में उगे लक्ष्य रुपी पेंड की मानिंद अस्पष्ट दिखाई दे रहा था । उस पेंड पर बैठी चिड़िया की आंख देखना तो दूर वह चिड़िया भी मुझे दिखाई नहीं दे रही थी । खैर मेल के माध्यम से प्राप्त आपके बहुमूल्य सुझाव और काफी संख्या में विभिन्न विषयों पर प्राप्त रचनाओं से मेरा मनोबल बढ़ा ....सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस उत्सव के परिप्रेक्ष्य में कई वरिष्ठ सृजनकर्मियों की शुभकामनाएं भी प्राप्त हुई है ।
प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा से ज्ञात हुआ है कि परिकल्पना ब्लॉग उत्सव की चर्चा 28 मार्च 2010 को द संडे पोस्ट के साप्ताहिक स्तंभ 'ब्लॉगनामा' में भी हुई है जो हमारे मनोबल को उंचा रखने के लिए काफी है । इस चर्चा के लिए प्रतिभा कुशवाहा जी का आभार ।
अब आईये सीधे-सीधे चलते हैं मुख्य विषय की ओर । जी हाँ ! मिल गया है परिकल्पना ब्लॉग उत्सव को एक प्रायोजक । प्रायोजक है लोकसंघर्ष ( त्रैमासिक हिंदी पत्रिका ) । यह पत्रिका उत्तर प्रदेश के बाराबंकी शहर से प्रकाशित होती है । लोकसंघर्ष पत्रिका के मुख्य सलाहकार एडवोकेट मुहम्मद शोएब और लखनऊ ब्लोगर असोशिएशन के महासचिव श्री जाकिर अली रजनीश की उपस्थिति में हुई बैठक के दौरान पत्रिका के प्रवंध संपादक एडवोकेट रणधीर सिंह 'सुमन' के साथ हुए समझौते के मुताबिक़ -
() लोक संघर्ष पत्रिका परिकल्पना ब्लॉग उत्सव -२०१० के समापन के पश्चात पूरे परिदृश्य को एक विशेषांक के रूप में प्रकाशित करेगी ।
() लोक संघर्ष पत्रिका परिकल्पना ब्लॉग उत्सव-२०१० में शामिल समस्त चिट्ठाकारों को आजीवन सदस्यता मुफ्त देगी और उनके पते पर पत्रिका का प्रत्येक अंक प्रेषित करेगी ।
() लोक संघर्ष पत्रिका अपने आगामी अंक में परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण-२००९ के समस्त २५ खण्डों को संक्षिप्तता के साथ आलेख के रूप में प्रकाशित करेगी ।
() लोक संघर्ष पत्रिका के प्रवंध संपादक के सुझाव के आधार पर इस उत्सव में शामिल होने की शर्त १०० पोस्ट की प्रतिबद्धता समाप्त कर दी गयी है । अब इसमें सभी चिट्ठाकार चाहे वह नए हो अथवा पुराने अपने रचनात्मक सहयोग के साथ शामिल हो सकते हैं
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गुरुवार, 25 मार्च 2010

परिकल्पना ब्लॉग उत्सव-2010 की उद्घोषणा

Photo Flipbook Slideshow Maker
जैसा कि पिछले पोस्ट में मैंने ब्लॉग उत्सव की परिकल्पना करते हुए आपके सुझाव और रचनात्मक सहयोग की अपेक्षा की थी । अपेक्षा से कहीं ज्यादा आपके सुझाव और रचनात्मक सहयोग प्राप्त हुए हैं । जिनके द्वारा अभी तक रचनाएँ प्रेषित नहीं की गयी है उन्होंने भी इसे शीघ्र प्रेषित करने का विश्वास दिलाया है । श्री अविनाश वाचस्पति जी के द्वारा जो पञ्चलाईन इस उत्सव के परिप्रेक्ष्य में सुझाया गया है वह है- अनेक ब्लॉग नेक हृदय !

उत्सव के परिप्रेक्ष्य में आपकी सहमति, सुझाव और रचनात्मक सहयोग का वादा इसे आयोजित करने हेतु हमें प्रेरित कर रहा है । इसलिए मैंने यह निश्चय किया है कि इस उत्सव की शुरुआत हम अप्रैल के किसी दिवस में करेंगे . यानी शीघ्र !

ध्यान दें- उत्सव समस्त ऐंठन - अकडन भरी ग्रंथियों और खिंचाव - तनाव भरी मानसिक पीड़ा को दूर करने का एक सहज-सरल तरीका है। उत्सव पारस्परिक प्रेम का प्रस्तुतीकरण है ...!

कहा भी गया है कि प्रेम तभी शाश्वत है जब वह सार्वजनिक और सर्वजनहितकारी हो । किसी संप्रदाय विशेष, वर्ग विशेष या जाति विशेष से बंधा हुआ नहीं हो । यदि ऐसा हो तो उसकी शुद्धता नष्ट हो जाती है । प्रेम तभी तक शुद्ध है , जबतक सार्वजनिक, सार्वदेक्षिक, सार्वकालिक है । इसी प्रेम को पारस्परिक प्रेम की संज्ञा दी गयी है. पारस्परिक प्रेम जब सार्वजनिक हो जाता है तब उत्सव का रूप ले लेता है।


हम सभी को मिलकर ऐसा ही उत्सव जो प्रेम से लबालब हो मनाना है, क्योंकि आज के भौतिकवादी युग में हमारी पूर्व निश्चित धारणाएं और मान्यताएं हमारी आँखों पर रंगीन चश्मों की मानिंद चढी रहती है और हमें वास्तविक सत्य को अपने ही रंग में देखने के लिए वाध्य करती है । प्रेम के नाम पर हमने इन बेड़ियों को सुन्दर आभूषण की तरह पहन रखा है , जबकि सच्ची मुक्ति के लिए इन बेड़ियों का टूटना नितांत आवश्यक है। यानी हमारा उत्तम मंगल इसी बात में है कि हम समय-समय पर अपने-अपने वाद-विवाद को दरकिनार करते हुए उत्सव मनाएं । यही कारण है इस उत्सव की उद्घोषणा का ...!


इस उत्सव में हमारी कोशिश होगी कि हर वह ब्लोगर शामिल हो जिन्होंने कम से कम सौ पोस्ट के सफ़र को पूरा कर लिया है । इसके लिए जरूरी है कि सौ पोस्ट और उससे ज्यादा प्रकाशित करने का गौरव हासिल करने वाले हर ब्लोगर अपने ब्लॉग से एक श्रेष्ठ रचना का चयन करते हुए उसका लिंक ravindra .prabhat @gmail .com पर प्रेषित करें । हम आपके उस पोस्ट को प्रकाशित ही नहीं करेंगे अपितु विशेषज्ञों से प्राप्त मंतव्य के आधार पर प्रशंसित और पुरस्कृत भी करेंगे ।


इस लिंक में लेख भी हो सकते हैं, कहानी भी, कविता-गीत-ग़ज़ल और लघु कथा भी । साक्षात्कार , परिचर्चा , कार्टून, संस्मरण, यात्रा वृत्तांत के साथ-साथ ऑडियो/वीडियो के लिंक भी। यदि इसके संबंध में आपकी कोई अन्य जिज्ञासा हो तो उपरोक्त मेल पर आप मुझसे पूछ सकते हैं ।
समय कम है और काम ज्यादा करने हैं इसलिए संभव है कि अगले कुछ दिनों तक परिकल्पना पर पोस्ट की अनियमितता बनी रहेगी । अत: क्षमा कीजिएगा !

शुक्रवार, 12 मार्च 2010

ब्लॉग उत्सव-2010 की परिकल्पना

Photo Flipbook Slideshow Makerहमारे लिए प्रत्येक दिन किसी-न-किसी रूप में उत्सव का दिन होता है । उत्सव का यह रंग हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को कायम रखने, आपस में लोगों को जोड़ने और सर्वत्र हंसी-खुशी का वातावरण बनाए रखने में मदद करता है । सामूहिक रूप से जो उत्सव मनाये जाते हैं , मूल रूप में उनका तात्पर्य यही है , कि हम एक-दूसरे को जानें, समझे और आपस में विचारों का आदान-प्रदान करें । यानी कि अनेकता में एकता का बोध कराता है उत्सव ।

पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत का यदि अवलोकन किया जाए तो यह दृश्य उभर कर सामने आता है कि १५००० से अधिक ब्लॉग इस समय अस्तित्व में है । कहीं फिल्म, कहीं गायन, कहीं साहित्य , कहीं संस्कृति, कहीं खोज, कहीं खबर, कहीं कार्टून तो कहीं बतकही का माहौल है । हर कोई मस्त है अपनी डफली अपना राग अलापने में ।

इसमें कोई संदेह नहीं कि विविधता से परिपूर्ण हिन्दी ब्लॉग जगत में बहुत कुछ समाहित हो चुका है जो अन्यत्र नहीं दिखाई देता । हिन्दी के चिट्ठों पर अनेक उपासना-पद्धतियों, पंथों , दर्शनों, लोक भाषाओं , साहित्य और कला के विकास ने हमारी वैचारिक समृद्धि और सम्पन्नता को सुदृढ़ किया है । वैसे तो हम टिप्पणियों के माध्यम से जुड़े हैं एक दूसरे ब्लोगर के साथ, किन्तु समयाभाव के कारण हम सारे अच्छे ब्लॉग पोस्ट नहीं पढ़ पाते । एक-दूसरे के विचारों को आत्मसात नहीं कर पाते । ऐसे में जरूरी है कि हम उत्सव का माहौल बनाए रखें, पारस्परिक सद्भाव का माहौल बनाए रखें और यदि आपस में मत भिन्नता की स्थिति है भी तो हम मन भिन्नता की स्थिति न आने दें ।

हर ब्लोगर की अपनी एक अलग पहचान है , कोई साहित्यकार है तो कोई पत्रकार , कोई समाज सेवी है तो कोई संस्कृति कर्मी , कोई कार्टूनिस्ट है तो कोई कलाकार । हर ब्लोगर के सोचने का अपना एक अलग अंदाज़ है , एक अलग ढंग है प्रस्तुत करने का । अलग-अलग नियम है , अलग-अलग चलन किन्तु फिर भी एक सद्भाव है जो आपस में सभी को जोड़ता है । नि:संदेह इसकी जड़ों में सहिष्णुता की भारतीय मर्यादा है, जो हमें सद्भावना की शिक्षा देती है । मेरा मानना है कि सद्भाव ही वह शक्ति है जिसके बल पर यह हिन्दी ब्लॉग जगत सबल होगा ।इन्हीं उद्देश्यों के दृष्टिगत हम परिकल्पना पर मनाने जा रहे हैं "परिकल्पना ब्लॉग उत्सव-2010"

  • इस उत्सव का नारा होगा- " अनेक ब्लॉग एक हृदय "
  • इस उत्सव में हम प्रस्तुत करेंगे कुछ कालजयी रचनाएँ , विगत दो वर्षों में प्रकाशित कुछ महत्वपूर्ण ब्लॉग पोस्ट , ब्लॉग लेखन से जुड़े अनुभवों पर वरिष्ठ चिट्ठाकारों की टिप्पणियाँ ,साक्षात्कार , मंतव्य आदि ।
  • विगत वर्ष-२००९ में ब्लॉग पर प्रकाशित कुछ महत्वपूर्ण कवितायें, गज़लें , गीत, लघुकथाएं , व्यंग्य , रिपोर्ताज, कार्टून आदि का चयन करते हुए उन्हें प्रमुखता के साथ हम ब्लॉग उत्सव के दौरान प्रकाशित करेंगे ।
  • कुछ महत्वपूर्ण चिट्ठाकारों की रचनाओं को स्वर देने वाले पुरुष या महिला ब्लोगर के द्वारा प्रेषित ऑडियो/वीडियो भी प्रसारित करेंगे ।
  • उत्सव के दौरान प्रकाशित हर विधा से एक-एक ब्लोगर का चयन कर , गायन प्रस्तुत करने वाले एक गायक अथवा गायिका का चयन कर तथा उत्सव के दौरान सकारात्मक सुझाव /टिपण्णी देने वाले श्रेष्ठ टिप्पणीकार का चयन कर उन्हें सम्मानित किया जाएगा ।
  • साथ ही हिन्दी की सेवा करने वाले कुछ वरिष्ठ चिट्ठाकारों को विशेष रूप से सम्मानित किये जाने की योजना है ।
  • यह उत्सव एक या दो महीने तक परिकल्पना पर चलेगा ।

यह उत्सव अभी प्रस्तावित है , जिसे अंतिम रूप आपके सुझाव के अवलोकन के पश्चात ही दिया जाएगा । आप यदि टिपण्णी के माध्यम से अपने सुझाव नहीं देना चाहते हैं तो कृपया इस ई-मेल आई डी ravindra.prabhat@gmail.com

पर आपने अमूल्य सुझाव प्रेषित करें ।

बुधवार, 10 मार्च 2010

मातमी धुन पर थिरकती हुई खुशी तलाश करो !



ग़ज़ल


हो गयी नंगी व्यवस्था , सादगी तलाश करो !
पत्थरों के शहर में एक आदमी तलाश करो !!


पर्यावरण के नाम पर कर दिए लाखों खरच-
खो गयी है गाँव से आई नदी तलाश करो !!


औरतों को मुख्यधारा दो मगर ये दोस्त पहले-
झुग्गियों में बिक रही नन्ही कली तलाश करो !!


एक-दो दशकों की कोशिश से नहीं होगा असर-
हर कोई मिलकरके इक नई सदी तलाश करो !!


आज के माहौल में सब व्यर्थ है जलसे-जुलूस -
मातमी धुन पर थिरकती हुई खुशी तलाश करो !!


दिन के हिस्से का उजाला पी न जाए यों प्रभात-
मैसमों के बीच फिर से रोशनी तलाश करो !!


() रवीन्द्र प्रभात

सोमवार, 8 मार्च 2010

आप ऐसे थे नहीं बेवक्त कैसे हो गए ?

बहुत दिनों के बाद मेरे जेहन की कोख से फूटी है एक ग़ज़ल, पढ़ना चाहेंगे आप ?





ग़ज़ल
बिन पिए शराब यूं मदमस्त कैसे हो गए ?
आप ऐसे थे नहीं बेवक्त कैसे हो गए ?

याचना को धर्म की देहरी गयी थी कल-
मेरी गौरैया के पाँव सख्त कैसे हो गए ?

ढूँढते हैं जीत अपनी हर किसी की हार में-
हर कदम हर शख्स के कमबख्त कैसे हो गए ?

जिस शहर की धड़कनों में होठ-भर मुस्कान थी-
दायरे उस शहर के दरख़्त कैसे हो गए ?

सांझ में फिर से निशा ने गीत गाये हैं प्रभात -
मौसमों के चाल-चलन दुरुस्त कैसे हो गए ?
  • रवीन्द्र प्रभात

बुधवार, 3 मार्च 2010

आपके लिए सृजनशीलता क्या मायने रखती है ?

अभी पिछले दिनों मैंने परिकल्पना पर बसंतोत्सव का आयोजन किया । एक महीने तक कालजयी रचनाकारों के साथ-साथ आप सभी ने आज के कवियों की फागुनी रचनाएँ पढी । अपने वादे के अनुरूप वसंतोत्सव के समापन के दौरान परिकल्पना फगुनाहट सम्मान-२०१० की घोषणा करते हुए विजेता और उप विजेता को पुरस्कृत - प्रशंसित और प्रोत्साहित किया । साथ ही हिन्दी चिट्ठाकारी में पहली बार विजेता को भारी भरकम सम्मान राशि( रू ५०००/-) प्रदान की गयी .....खैर इस दौरान कुछ चिट्ठाकारों की मेल से प्राप्त टिपण्णी अशोभनीय रही । किसी को विश्वास ही नहीं था इतनी बड़ी सम्मान राशि प्रदान की जायेगी ।
यहाँ मैं आज स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि सृजनशीलता मेरे लिए महज सृजनशीलता नहीं, सामाजिक जीवन स्थितियों के खोखलेपन से उभरती एक मद्धिम सी अनुगूंज है जिससे मैं अपने अंतस के उस अकेलेपन को भरता हूँ जो मेरी साँसों की लय से जुडा है । मैं दूसरों की खुशियों में अपनी खुशी ढूँढने का प्रयास कराता हूँ । आप इस खुशी को किस रूप में लेते हैं यह आप पर निर्भर करता है ।


बहुत दिनों से मैं उस ब्लॉग को ढूंढ रहा था, जिसका उद्देश्य दूसरों की खुशियों में अपनी खुशी ढूँढने का हो । काफी खोजबीन के बाद आखिरकार मैने उस ब्लॉग को ढूंढ निकाला । उपरोक्त सारी स्थितियां परिलक्षित हो रही है जिस ब्लॉग के संयोजन - संचालन में, आप जानना चाहेंगे कौन है वह ब्लॉग ?

वह ब्लॉग है क्रिएटिव मंच-Creative Manch ....एक ऐसा मंच जहां आप पहुँच कर सृजनशीलता का सच्चा सुख अनुभव करेंगे । इस ब्लॉग के मुख्य संयोजक हैं श्री प्रकाश गोविन्द और उनके प्रमुख सहयोगी हैं सुश्री मानवी श्रेष्ठा, श्री अनंत , सुश्री श्रद्धा जैन , सुश्री शोभना चौधरी , सुश्री शुभम जैन और सुश्री रोशनी साहू

इस ब्लॉग से जुड़े चिट्ठाकारों का शरू से यह प्रयास रहा है कि कुछ सार्थक करने का प्रयास किया जाए ! आप कोई भी पोस्ट देख सकते हैं भले ही परिलक्षित न हो किन्तु अत्यंत मेहनत छुपी है हर एक पोस्ट में ! साज-सज्जा के लिहाज से आम तौर पर किसी के लिए ऐसी पोस्ट तैयार करना संभव नहीं है ब्लॉग जगत में जैसा कि कहा जाता है यहाँ प्रतिक्रियाएं लेन-देन के अंतर्गत होती हैं ! ऐसे माहौल में 'क्रिएटिव मंच' की लोकप्रियता हतप्रभ करती है क्योंकि 'क्रिएटिव मंच' कभी कहीं जाकर प्रतिक्रिया नहीं देता ! इसके बावजूद भी किसी भी पोस्ट पर २५ - ३० प्रतिक्रियाएं आना आम बात है !

१५ अगस्त २००९ को यह ब्लॉग प्रारम्भ हुआ था, यानी इस फरवरी में छह माह पूरे हो गए हैं ! इतने कम अरसे में जो प्यार और अपनापन इस ब्लॉग को अपने पाठकों से मिला है वो बहुत ही कम चिट्ठाकारों को नसीब हो पाता है ! आप एक बार इस ब्लॉग पर जाकर देखें आपको अवश्य महसूस हो जाएगा कि यह ब्लॉग हिन्दी चिट्ठाजगत के लिए क्या मायने रखता है ?

इस ब्लॉग के संयोजकों की मेहनत को दाद देनी होगी । कहा गया है कि में- मेधाविता के साथ, ह- हठधर्मिता के साथ, न-नवीनता के साथ और त- तन्मयता के साथ किये गए कार्य को ही मेहनत की संज्ञा दी जा सकती है । यह ब्लॉग इस कसौटी पर भी खरा उतर रहा है ।मुझे पूरा विश्वास है कि यह ब्लॉग आने वाले समय में अपनी लोकप्रियता से आपको ही नहीं सबको अचंभित करेगा । इस ब्लॉग से जुड़े समस्त सृजनकर्मियों को मेरा नमन !
 
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