शनिवार, 17 अप्रैल 2010

ब्लोगोत्सव-२०१० : उमस भरे माहौल से निकलकर आइए चलते हैं पहाड़ों की तरफ(4)

मैं समय हूँ !


मैंने हर प्रकार की भौगोलिक परिस्थितियाँ देखी है मैंने धूप में झुलसती फसलों को भी देखा है और सावनी फुहार को भी ...मैंने शीत में कुहासों को धीरे से झुककर घास को चुम्बन लेते भी देखा है और पुरवा हवा की शीतलता को भी ....मगर आज इस झुलसाने वाली गर्मी में पहाड़ों की रानी के आँचल की छाया में चंद पलों के लिए विश्राम की इच्छा महसूस हो रही है

तो आईये हमें पहाड़ों की गोद में चंद पलों के लिए विश्राम का अवसर प्रदान कर रही हैं रंजना भाटिया


चलते हैं उनसे यात्रा वृत्तांत सुनने उनके पास ...यहाँ किलिक करें




उत्सव जारी है मिलते हैं एक अल्प विराम केबाद यानी ०३ बजे परिकल्पना पर

1 comments:

  1. इस गर्मी में आप पहाड़ों की यात्रा पर ले गये, आभार.

    रोचक वृतांत..ऐसा लगा हम भी यात्रा कर रहे हैं

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