हम काफी हैं
अपना आप गाने के लिए
और अपना आप सुनने के लिए
हर दिन सुनता हूँ इसके बारे में
हो सकता है
सागर की गहराई को किसी दिन नाप लिया जाये
पर इस परिकल्पना की गहराई
कभी नहीं नापी जा सकेगी ...
बस यूँ समझो
परिकल्पना के बीच
सबकी नज़र खूबसूरत हो गई है
एक दूजे को सभी नज़्म नज़र आ रहे हैं दुआ है परिकल्पना
तुम नदी की तरह बहो
मैं सागर तक तेरा किनारा हूँ
शुभकामनाओं के साथ,
इमरोज़
====================================================================
................श्रेष्ठ पोस्ट श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत है सारथी पर दिनांक २७.०२.२००९ को प्रकाशित यह आलेख :नॉल: आईये हिन्दी के लिये कुछ करें — 01====================================================================
================================================================
..... अब हम मिलवाने जा रहे हैं आपको विदेशों में बसे हिंदी के उन्नयन की दिशा में सर्वाधिक सक्रिय हिंदी के प्रहरियों से .....यहाँ किलिक करें
================================================================
और अब -
एक रहस्य से पर्दा उठाने के साथ संपन्न आज का कार्यक्रम........
..........सोमरस यानि सोम नामक जड़ी बूटी से प्राप्त होने वाला देवताओं का प्रिय पेय, किन्तु अब अलभ्य। ऋग्वेद में विस्तार से वर्णित चमत्कारिक पादप-लता या जड़ी बूटी ‘सोम’ का अब अता पता ही नहीं है जिससे कथित ‘सोमरस’ प्राप्त होता था। ऋग्वेद में ऋचाओं का एक पूरा ‘मण्डल’ (नवम मण्डल) ही सोम को समर्पित है- जहा सोम को ‘देवत्व’ प्रदान किया गया है। सोम के एक नही अनेक चमत्कारिक गुणों का वर्णन ऋग्वेद में हुआ है- "यह बल और ओज वर्धक है, घावों को तुरत फुरत ठीक करने की क्षमता से युक्त है, इसके नियमित सेवन से चिर युवा बना रहा जा सकता है और यह अनेक रोग व्याधियों से मुक्ति दिलाने की अद्भुत क्षमता युक्त है।"

कथा- कहानी की बात हो और विज्ञान कथा न हो तो सब कुछ सुना-सुना लगता है, इसी उद्देश्य से आज के इस कथा कार्यक्रम को एक विज्ञान कथा से संपन्न किया जा रहा है . इस कथा के अंतर्गत डा0 अरविन्द मिश्र पर्दा उठा रहे हैं सोमरस के रहस्यों से ......यहाँ किलिक करें
===================================================================
इसी के साथ आज आठवें दिन का कार्यक्रम संपन्न, कल यानी शनिवार और रविबार को उत्सव के लिए अवकाश का दिन है, मिलते हैं पुन: दिनांक ०३.०५.२०१० को प्रात: ११ बजे परिकल्पना पर ...तबतक के लिए शुभ विदा !
===================================================================