.......गतांक से आगे
विगत क्रम को आगे बढाते हुए हम वर्ष की दूसरी तिमाही के प्रमुख पोस्ट की चर्चा करें उससे पहले एक ऐसे ब्लॉग पर नज़र डालते हैं जिसपर इस तिमाही में आये तो केवल १२ पोस्ट किन्तु हर पोस्ट किसी न किसी विषय पर गंभीर वहस की गुंजाईश छोड़ता दिखाई दिया ,
संजय ग्रोवर के इस ब्लॉग का नाम है संवाद घर यानी चर्चा घर । इस घर में ब्लॉग की तो चर्चा नहीं होती , किन्तु जिसकी चर्चा होती है वह कई मायनों में महत्वपूर्ण है । इस पर चर्चा होती है समसामयिक मुद्दों की , समसामयिक जरूरतों की , समाज की, समाज के ज्वलंत मुद्दों की यानी विचारों के आदान-प्रदान को चर्चा के माध्यम से गंभीर विमर्श में तब्दील करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है इस तिमाही में इस ब्लॉग ने, यथा ०१ अप्रैल को
फिर तुझे क्या पडी थी वेबकूफ ?,११ अप्रैल को
बिन जुगाड़ के छापना , २२ मई को
मोहरा अफवाहें फैलाकर....तथा २४ जून को
टी वी के पहले टी वी के बाद आदि ।
वर्ष की दूसरी तिमाही में मेरी डायरी पर
फिरदौस खान के कई
यादगार पोस्ट देखने को मिले , यथा ३० मार्च को
मुस्लिम मर्दों पर शरीया कानून क्यों नहीं लागू होता? ,२९ मई को
"जान हमने भी गंबायी है वतन की खातिर" ,२७ जून को
"लुप्त होती कठपुतली कला" आदि ।
इसके अलावा ०१ अप्रैल को
रचना की धरती पर आलोचना की पहली आंख पर "
विस्थापन का साहित्य ",०३ अप्रैल को
अनिल पाण्डेय का आलेख
क्या सानिया की शादी राष्ट्रीय मुद्दा है ?,
लडू बोलता है ..इंजिनियर के दिल से पर आलेख
सानिया तुम जहां भी रहो खुश रहो पुरुषों ने तुम्हारे लिए क्या किया है ? ,
एडी चोटी पर
ना आना इस देश मेरी लाडो ,०४ अप्रैल को
नयी रोशनी पर "
भाषा में वर्चस्व निर्माण की प्रक्रिया , १५ अप्रैल को
उठो जागो पर
विज्ञान की नज़र से क्या पुनर्जन्म होता है ?,१७ अप्रैल को
विचार विगुल पर
कौन ख़त्म करेगा जातिवाद विचारों का दर्पण पर मीडिया खडी है कटोरा लेके ,
राजकाज पर
शहीदों के शव पर जश्न यही है माओवाद ,१९ अप्रैल को
कहाँ गयी वो घड़ों -सुराहियों की दुकानें , २१ अप्रैल को
अमीर गरीब लोग पर अनिल पुसदकर का आलेख
"
जहां दिल ख़ुशी से मिला मेरा वहीं सर भी मैंने झुका दिया , २३ अप्रैल को
बतंगड़ पर
और भी खेल है इस देश में क्रिकेट के सिवा २६ अप्रैल को
सोचालय पर
समानांतर सिनेमा तथा २८ अप्रैल को
काहे को ब्याहे विदेश पर
फोन कुछ पलों के लिए गुणगा हो गया आदि यादगार पोस्ट पढ़े जा सकते हैं ।
यदि मई की बात करें तो ०३ मई को हंसा की कलम से पर एक आलेख आया
शहरों के बीच भी है एक जंगल तथा ०६ मई को
उपदेश सक्सेना का आलेख आया नुक्कड़ पर कि
जनगणना है जनाब मतगणना नहीं एक गंभीर विमर्श को जन्म देता महसूस हुआ वहीं १४ मई को
अल्पना पाण्डेय की कलाकृतियों से रूबरू हुए हिंदी ब्लॉग जगत के पाठक ब्लोगोत्सव-२०१० के माध्यम से ।०६ मई ko हलफनामा पर
धंधे का मास्टर स्ट्रोक, ०७ मई को घुघूती बासूती पर
क्या किसी के कहने पर मैं कलम का रूख बदल लूं , ०८ मई को धम्मसंघ पर
पोर्तव्लेयर, पानी और काला पहाड़ ,
०९ मई को
अमित शर्मा पर
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति" --------- , ०९ मई को दिशाएँ पर
मेरी डायरी का पन्ना -२,
१० मई को
स्वप्न मंजूषा अदा ने अपने ब्लॉग पर एक नया प्रयोग किया पोडकास्ट के माध्यम से
ब्लॉग समाचार प्रस्तुत करने का ,
कल हो न हो पर
धोनी का अवसान ,
११ मई को
वेद-कुरआन पर
नियमों का नाम ही धर्म है , १२
मई को
जंतर-मंतर पर शेष नारायण सिंह का आलेख
मर्द वादी सोच के बौने नेता देश के दुश्मन हैं , १५ मई को
आर्यावर्त पर
धोनी की कप्तानी बरकरार , १४ मई को
बलिदानी पत्रकार पर
जातीय आधार पर जनगणना राष्ट्रहित में नहीं , १५ मई को
शब्द शिखर पर
शेर नहीं शेरनियों का राज ,२५ मई को हारमोनियम पर
पी एम , प्रेस कोंफ्रेंस और पत्रकारिता,२७ मई को खबरिया पर
कुछ कहता है मणिपुर , २७ मई को
तीसरी आंख पर
चिन्ता का विषय होना चाहिए सगोत्रीय विवाह, २८ मई को
नटखट पर
माया के आगे ओबामा फिस्स , २८ मई को
दोस्त पर
जंगल से कटकर सूख गए माल्धारी तथा ३१ मई को सत्यार्थ मित्र पर
ये प्रतिभाशाली बच्चे घटिया निर्णय क्यों लेते हैं ? और हिमांशु शेखर पर
प्रतिष्ठा के नाम पर को यादगार पोस्ट की श्रेणी में रखा जा सकता है ।
वर्ष की दूसरी तिमाही की एक महत्वपूर्ण घटना पर नज़र डाली जाए तो २३ मई को पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई में सर दीनबंधु छोटूराम जाट धर्मशाला में दिल्ली हिन्दी ब्लॉगरों की एक बैठक संपन्न हुई । आभासी दुनिया के जरिए एक दूसरे से जुडे़ , समाज के विभिन्न वर्गों और देश के विभिन्न्न क्षेत्रों के लेखक और पाठक एक दूसरे के साथ साझे
मंच पर न सिर्फ़ लिखने पढने तक सीमित रहे बल्कि उन्होंने आभासी रिश्तों के आभासी बने रहने
के मिथकों को तोडते हुए आपस में एक दूसरे के साथ बैठ कर बहुत से मुद्दों पर विचार विमर्श किया। इस बैठक में लगभग ४० से भी अधिक ब्लॉगरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई। शामिल होने वाले ब्लॉगर थे श्री ललित शर्मा, श्रीमती संगीता पुरी, श्री अविनाश वाचस्पति, श्री रतन सिंह शेखावत, श्री अजय कुमार झा, श्री खुशदीप सहगल,श्री इरफ़ान, श्री एम वर्मा, श्री राजीव तनेजा, एवँ श्रीमती संजू तनेजा, श्री विनोद कुमार पांडे , श्री पवन चन्दन , श्री मयंक सक्सेना, श्री नीरज जाट, श्री अमित (अंतर सोहिल), सुश्री प्रतिभा कुशवाहा जी, श्री एस त्रिपाठी, श्री आशुतोष मेहता, श्री शाहनवाज़ सिद्दकी ,श्री जय कुमार झा, श्री सुधीर, श्री राहुल राय,
डॉ. वेद व्यथित, श्री राजीव रंजन प्रसाद, श्री अजय यादव ,अभिषेक सागर, डॉ. प्रवीण चोपडा,श्री प्रवीण शुक्ल प्रार्थी , श्री योगेश गुलाटी, श्री उमा शंकर मिश्रा, श्री सुलभ जायसवाल, श्री चंडीदत्त शुक्ला, श्री राम बाबू, श्री देवेंद्र गर्ग , श्री
घनश्याम बागला, श्री नवाब मियाँ, श्री बागी चाचा आदि ।
एक वेहतरीन लेखक हैं
दिनेश कुमार माली, जो पेशे से खनन-अभियंता हैं पर उन्हें नशा है लेखन का। सम्प्रति ओडिशा में कोल
इंडिया की अनुषंगी कंपनी महानदी कोल-फील्ड्स लिमिटेड की खुली खदान सम्ब्लेश्वरी, ईब-घाटी क्षेत्र में खान-अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं। इनका एक ब्लॉग है
जगदीश मोहंती की श्रेष्ठ कहानियां । उड़ीसा भारत के नक्सल प्रभावित प्रान्तों में एक है। सत्तर के दशक से लेकर आज तक इस खतरनाक समस्या से जूझते उड़ीसा के जनमानस में एक अलग छाप छोड़ने वाले इस आन्दोलन के कुछ अनकहे अनदेखे पक्ष को उजागर करने वाली यह कहानी लेखक का न केवल सार्थक व जीवंत प्रयास है, बल्कि भारतीय कहानियों में अपना एक स्वतन्त्र परिचय रखती है। 'सचित्र विजया' पत्रिका में
छपने के बाद यह कहानीकार के कहानी संग्रह 'बीज-
बृक्ष - छाया' में संकलित हुई है। लेखक जगदीश महंती द्वारा इस कहानी में किये गए शैली के नवीन प्रयोग इस कहानी को अद्वितीय बना देती है ।
अब आईये आपको मिलवाते हैं इस वर्ष के द्वितिय तिमाही में ब्लॉग जगत का हिस्सा बने एस.एम.मासूम से जो सेवा निवृत शाखा प्रवन्धक हैं और
देश की मर्यादा, सना नियुज़ मुम्बई से जुड़े हैं । इनका
iमानना है कि ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे / यदि आप की कलम में ताक़त है तो इसका इस्तेमाल जनहित में करें" इन्होनें वर्ष -२०१० के मई महीने में अपना ब्लॉग
अमन का पैगाम बनाया ,जिसमें सभी धर्म के लोगों को साथ ले के चलने की कोशिश जारी है . बहुत हद तक इसमें कामयाब भी रहे हैं ये । ये हमेशा जब किसीसे मिलते हैं तो यह सोंच के मिलते हैं कि मैं अपने जैसे इंसान से मिल रहा हूँ ना की किसी हिन्दू , मुसलमान सिख या ईसाई से, और ना यह की किसी अमीर से या
ग़रीब से। ये जब किसी को पढ़ते हैं तो यह नहीं देखते कि कौन कह रहा है बल्कि यह देखते हैं कि क्या कह रहा है?' इनके प्रमुख ब्लॉग हैं
अमन का पैगाम, ब्लॉग संसार , बेजवान आदि ।
सबसे अहम् बात यह कि "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें" श्रेणी में अलग अलग ब्लोगेर्स ने अपने शांति सन्देश "अमन का पैग़ाम " से दिए जिनमें से २१ लेख़ और कविताएँ पेश की जा चुकी हैं..'और अनगिनत अभी पेश की जानी है। कोई भी व्यक्ति समाज में शांति कैसे कायम की जाए इस विषय पे अपने लेख़ ,कविता, विचार इन्हें भेज सकता है, उसको उस ब्लोगर के नाम, ब्लॉग लिंक और तस्वीर
के साथ ये प्रस्तुत करते रहते हैं ।
जून महीने में एक और ब्लॉग आया
नाज़-ए-हिंद सुभाष , ब्लोगर हैं
जय दीप शेखर । जय दीप भूतपूर्व वायु सैनिक हैं और सम्प्रति भारतीय स्टेट बैंक में सहायक के पद पर कार्यरत हैं । इस ब्लॉग में मिलेंगे आपको नेताजी से प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े वे तथ्य और प्रसंग, जिन्हें हर भारतीय को- खासकर युवा पीढ़ी को- जानना चाहिए, मगर दुर्भाग्यवश नहीं जान पाते हैं।
इस चर्चा को विराम देने से पूर्व एक एक चर्चाकार की चर्चा , क्योंकि यह ब्लोगर
अपने सामाजिक सरोकार रूपी प्रभामंडल के भीतर ही निवास करता है और अच्छे-अच्छे पोस्ट की चर्चा करके हिंदी ब्लॉग जगत को समृद्ध करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । नाम है
शिवम् मिश्रा और काम सत्यम शिवम् सुन्दरम से ब्लॉग जगत को अवगत कराना यानी नाम और काम दोनों दृष्टि से साम्य । इन्होनें ब्लोगिंग मार्च' २००९ में शुरू की ... अपना पहला ब्लॉग बनाया ...
बुरा भला के नाम से ... तब से ले कर आज तक ये हिंदी ब्लोगिंग में सक्रिय हैं हाँ बीच में नवम्बर २००९ से ले कर अप्रैल २०१० तक ये इस ब्लॉग जगत से दूर रहे पर केवल तकनीकी कारणों से ! आज ये ९ ब्लोगों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं जिस में से कि २ ब्लॉग इनके है बाकी सामूहिक ब्लॉग है ! जिन-जिन ब्लोग्स से ये जुड़े हैं उनमें प्रमुख है
बुरा भला , जागो सोने वाले, सत्यम नियुज़ मैनपुरी , लखनऊ ब्लोगर असोसिएशन , नुक्कड़ , ब्लॉग4वार्ता , ब्लॉग संसद , मन मयूर और
दुनिया मेरी नज़र से । इन प्रतिभाशाली ब्लोगरों को मेरी शुभकामनाएं !
.....विश्लेषण अभी जारी है मिलते हैं एक विराम के बाद ....