मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण-2011 (भाग:8 )

वर्ष-2011 में जहां प्रेम की
रचनात्मकता दिखी
वहीँ रचनात्मकता में प्रेम....
गतांक से आगे ...

परिकल्पना ब्लॉग सर्वे के माध्यम से किए गए एक आंकलन के अनुसार हिंदी में राजनीति, सामाजिक मुद्दे, अध्यात्म, दर्शन, धर्म और संस्कृति से संवंधित ब्लॉग का औसत 22% है, वहीँ विज्ञान, अंतरिक्ष और इतिहास से संवंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% । यात्रा, जीवनशैली, स्वास्थ्य, गृह डिजाइन और चिकित्सा से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 14 % है वहीँ समूह ब्लॉग केवल 2% के आसपास । सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस हिंदी ब्लॉगिंग को न्यू मीडिया या कंपोजिट मीडिया कहा जा रहा है उसी से संवंधित ब्लॉग अर्थात न्यूज पोर्टल और प्रिंट मीडिया के ब्लॉग का औसत केवल 5% है । कुल हिंदी ब्लॉग का 5% ब्लॉगसामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से संवंधित है, जबकि हिंदी प्रचार प्रसार से संवंधित ब्लॉग का औसत 18% है । हास्य, व्यंग्य, पहेली और कार्टून से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 3% के आसपास है वहीँ शिक्षा से संवंधित ब्लॉग का प्रतिशत केवल 2% के आसपास ।

साहित्य के ब्लॉग का औसत भी बहुत संतोषप्रद नही दीखता, क्योंकि तमाम हिंदी प्रेमियों में साहित्यकारों की संख्या सर्वाधिक होने के वाबजूद औसत केवल14% के आसपास है । अन्य विषयों का आंकलन करने पर पाया गया कि पर्यावरण, वन्य जीवन, ग्लोबलवार्मिंग से संबंधित ब्लॉग के साथ-साथ वेब डिजाइन, ई– लर्निंग, पॉडकास्ट, रेडियो, वीडियो, खेल, खेल गतिविधि, खाद्य, पाक कला, टीवी, बॉलीवुड सिनेमा, मनोरंजन आदि से संबंधित ब्लॉग का औसत1% के आसपास है । बच्चों से संबंधित ब्लॉग का औसत जहां 2% है, वहीँ नारी सशक्तिकरण से संबंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% के आसपास। सबसे दयनीय स्थिति है बंगाली, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, सिंधी, उर्दू, संस्कृत, तमिल तथा अंग्रेजी से अनुवाद वाले ब्लॉग के साथ-साथ मानव संसाधन, वित्त, प्रबंधन, निवेश, शेयर बाजार, व्यापार, सरकार, विज्ञापन, कानून,खोज, इंटरनेट मार्केटिंग, वेब विश्लेषिकी,प्रौद्योगिकी, गैजेट्स, मोबाइल,संगीत, नृत्य,फैशन,उद्यम और आविष्कार से संबंधित ब्लॉग की , जिसकी औसत काफी नगण्य है ।

वर्ष-2011 में अधिकांश मुद्दों पर कोई न कोई पोस्ट देखने को अवश्य मिली है । साक्षात्कार से ले कर कृषि और विदेशी घटनाक्रमों से ले कर धर्म व महिलाएं– बहस के हरेक मुद्दे को हिंदी ब्लॉग पर इस वर्ष समेट लेने की कोशिश की गई लगती है। एक ब्लॉग है कस्बा, एन.डी.टी.वी. के रबीश कुमार अर्थात एक पत्रकार का का ब्लॉग है मगर इसकी अधिकांश पोस्ट पढ़ कर लगता है कि किसी ऐसे 'साहित्यिक' व्यक्ति का ब्लॉग है जो अपने आप में डूब कर केवल काव्य रचना नहीं करता बल्कि समाज के प्रति बेहद संवेदनशीलता के साथ सोचता है, विचार रखता है|निश्चित रूप से हिंदी ब्लॉग जगत का अनमोल मोती है यह ब्लॉग।

कई ब्लॉग इंटरनेट जगत की कई हिंदी-उपयोगी हलचलों के बारे में लगातार बताते हुए नज़र आये। क्या नया आया? कौन सी तकनीक का प्रयोग कैसे करें? इंटरनेट/ ब्लॉग/ हिंदी संबंधी किस समस्या से किस प्रकार छुटकारा पाएं? अपने ब्लॉग या वेबसाइट को कैसे 'एनरिच' करें? इन सारे विषयों पर लगातार बात करता रहा हिंदी ब्लॉग टिप्स जो ब्लॉग संबंधी कई समाधानों के लिए एक बेहद उपयोगी है। वहीँ मोबाइल ब्लॉगिंग, पोस्ट व टाइपिंग संबंधी प्राइवेसी, प्रोटेक्शन आदि कई सवालों के जवाब पूरी निर्भीकता के साथ देते रहे नवीन प्रकाश अपने ब्लॉग hindi  tech  तकनिकी हिंदी में पर । हां एक बात और, ब्लॉगिंग टिप्स के अलावा यहां कुछ और भी आपको मिलेगा जैसे आपस की बात, इन्टरनेट एक्स्प्लोरर,कंप्यूटर कीमतें,डेस्कटॉप,ब्लॉगर टेम्पलेट आदि ।कई वर्षों की चुप्पी के बाद पिछले वर्ष पुन: सक्रिय हुए प्रारंभिक दिनों के ब्लॉगर श्रीश शर्मा यानी ईपंडित इस वर्ष चिठ्ठाकारों के मददगार साबित हुए ।

हिंदी ब्लॉगजगत केवल साहित्य और मुद्दों का अखाड़ा मात्र नहीं है। यहां हल्की-फुल्की चीजें भी मौजूद हैं। जैसे कार्टून, हास्य आदि। वर्ष-2008 से सक्रिय ताऊ रामपुरिया ने ताऊ डाट इन पर इसवर्ष भी खूब धमाल मचाया, जैसा कि नाम से जाहिर है, हास्य का पिटारा है यह ब्लॉग। दिमागी कसरत और तनाव मुक्ति के लिए सर्वथा उपयुक्त जगह।

अप्रैल-2007 से लगातार कला और संगीत में सराबोर होकर तरह तरह का खूबसूरत प्रयोग कर रहा है एक ब्लॉग रेडियो वाणी । यहां पुराने गानों को 'पढ़ा' भी जा सकता है और डाउनलोड भी किया जा सकता है। सगीत के विभिन्न आयाम को समेटे अनोखे प्रयोग करने वाले ब्लॉगर युनुस खान मध्‍यप्रदेश के दमोह शहर में पैदा हुए और म0प्र0 के कई शहरों में पले बढे । बचपन से ही संगीत, साहित्‍य और रेडियो में गहरी दिलचस्‍पी थी । सन 1996 से मुंबई स्थित देश के प्रतिष्ठित रेडियो चैनल विविध भारती (vividh bharati) में ये एनाउंसर हैं । नए पुराने तमाम अच्‍छे गीतों में गहरी रूचि है इनकी । संगीत प्रेमियों के लिए उपयुक्त जगह है ये।



इस वर्ष ब्लॉग स्पेस का उपयोग जागरुकता फैलाने के लिए काफी हुआ ।ब्लॉग पर महिला अधिकारों, पर्यावरण संबधी मसलों और समाज के विभिन्न वर्गों के हितों पर काफी कुछ लिखा गया । कहीं अन्ना का आन्दोलन छाया रहा तो कहीं कीमतों में बढ़ोत्तरी का रोना।कहीं सरकार और सरोकार के प्रति द्वंद्व दिखा तो कहीं बंगाल के चुनावी परिणाम पर आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रया, किन्तु इस सबसे अलग एक ब्लॉग ऐसा भी था जो हर पल मानवाधिकार की बात करता रहा पूरे वर्ष भर । मानव अधिकार संबंधी लेख यही नाम है इस ब्लॉग का, फरवरी महीने की एक पोस्ट में जिसमें ब्लॉगर का कहना है कि, "अंजाम देखा आपने हुस्ने मुबारक का,था मिस्र का भी वही जो है हाल भारत का,परजीवियों के राज का तख्ता पलट कर दो,जन में नई क्रांति का जोश अब भर दो,उठो आओ हिम्मत करो क्रांति का परचम धरो,मत भूलो यह सरोकार अच्छा है मानवाधिकार।"

साहित्यिक ब्लॉग की श्रेणी में इस वर्ष 'वातायन' में काफी सक्रियता देखी गयी । वरिष्ठ लेखक रूपसिंह चंदेल का ब्लॉग वातायन कविता, कहानी, जीवनी, आलेख, रिपोर्ट और यहां तक कि साहित्यिक समाचारों का एक अनुपम गुलदस्ता है। इस वर्ष इसपर कई साहित्यकारों की उत्कृष्ट रचनाएं पढ़ने को मिली है । इसी श्रेणी का एक और सक्रिय ब्लॉग सृजनयात्रा' अपनी सक्रियता से सबको अचंभित करता रहा पूरे वर्ष भर। इसके मॉडरेटर सुभाष नीरव साहित्यकार हैं और अपनी रचनाओं का संकलन उन्होंने यहां किया है। सुभाष नीरव के अन्य साहित्यिक ब्लॉग यथा कथा पंजाब , गवाक्ष , सेतु साहित्य , वाटिका आदि ने भी इस वर्ष पाठकों को काफी आकर्षित किया ।


डॉ.सरोजिनी साहू का विश्व की नारीवादी लेखिकाओं में एक विशिष्ट स्थान हैं. दिनेश कुमार माली ने अपने ब्लॉग 'सरोजिनी साहू की श्रेष्ठ कहानियां' में लेखिका की कई चुनी हुई कहानियों का अनुवाद पेश करने का प्रयास किया है, किन्तु अफसोस इस बात का है कि हिंदी में उडिया साहित्य से अनुवाद का एकमात्र यह ब्लॉग इस वर्ष अपडेट नहीं हुआ 

विगत चार वर्षों से सक्रिय होमियोपैथिक उपचार से संबंधित प्रभात टंडन का महत्वपूर्ण ब्लॉग HOMEOPATHY -A NEW APPROACH इस वर्ष पूरी तरह निष्क्रिय रहा ।

जिस शरीर के सहारे हम जीवन भर 'जीते' हैं, उसके प्रति अक्सर उदासीन रहते हैं। तब तक, जब तक यह गंभीर संकेतों द्वारा खुद अपनी ओर हमारा ध्यान न खींचे। एक ब्लॉग है RAINBOW/इंद्रधनुष,जहाँ कैंसर पर बात होती है। चाट जाने वाले इस रोग से जुड़े तमाम पहलुओं और जानकारियों से अवगत करवाने वाली ब्लॉगर आर अनुराधा खुद एक कैंसर विजेता हैं। हिंदी ब्लॉग जगत में यह अपनी तरह का संभवतः पहला ब्लॉग है और वर्ष-2008 से लगातार सक्रिय भी है।

अब आईए बेटियों की बात करते हैं । एक अनोखा ब्लॉग है बेटियों का ब्लॉग। हिंदी ब्लॉगजगत में अपनी तरह का यह अनोखा ब्लॉग है जहां केवल बेटियों की ही चर्चा होती है। इसमें बेटियों के माता- पिता और खुद बेटियां अपनी बातें साझा करती हैं।

मीडियाकर्मियों क्रमश: आर. अनुराधा ,राजेंद्र भट्ट , प्रणव प्रियदर्शी और दिलीप मंडल द्वारा संचालित ब्लॉग रिजेक्टमाल पर इस वर्ष हालांकि कुछ खास हलचल नहीं देखा गया, किन्तु कुछ अच्छे विषय और मुद्दे को उठाकर पाठकों को आकर्षित अवश्य किया है। आंकड़ों और संवेदनाओं का अनूठा संगम है यह ब्लॉग, क्योंकि यहां तर्क के आधार पर भावनाओं को स्थापित किया जाना देखा गया है।

अब आइये ज़रा प्रेम अथवा प्रेम की अनुभूतियों की ओर चलें,जहां सादगी है,पवित्रता है और भावनाओं की गहरी अनुभूति भी।हिंद युग्म की अनुपम प्रस्तुति है एक ब्लॉग आवाज़ जहां साज और आवाज़ का वेहद संतुलित संयोजन देखने को मिला इस वर्ष।वैसे तो इस ब्लॉग का अंदाज़े वयं हीं कुछ और है, किन्तु प्यार की अनुभूति से सराबोर उसकी एक प्रस्तुति ने पाठकों को काफी आकर्षित किया शीर्षक है इसी को प्यार कहते हैं.. प्यार की परिभाषा जानने के लिए चलिए हम शरण लेते हैं।

शमशेर बहादुर सिंह की कविता की इन पंक्तियों "आज कोई ज़ख्म इतना नाज़ुक नहीं जितना यह वक्त है.. जिसमे हम तुम, सब रिस रहे हैं....चुप चुप" को पञ्चलाईन बनाता अभी का एक ब्लॉग है एहसास प्यार का.. जिसपर वर्ष-2011 में प्यार की सुखद अनुभूतियों से लबरेज कई पोस्ट देखे गए। हृदयानुभूति का मानना है कि "प्यार एक मात्र भ्रम है इससे अधिक कुछ नहीं,हाँ सभी को इसका अलग-अलग ग़ुमां ज़रूर होता है। कोई प्यार में बावरा हुआ जाता है कोई प्यार में खुद को तलाशता है। आप सही गलत सब प्यार की नज़र से देखते हैं और यही भ्रम आपको खोखला करता चला जाता है,पूरी तरह।" वैसे तो वटवृक्ष एक ब्लॉग है, किन्तु ब्लॉग पर प्रकाशित उत्कृष्ट रचनाओं का एक नायाब गुलदस्ता है । इसपर भी वर्ष-2011 में अनेकानेक स्तरीय प्रेम कवितायें पढ़ने को मिली।इस पर इस वर्ष प्रकाशित प्यार के पोपकोर्न काफी लोकप्रिय हुआ ।

प्रेम की अनुभूतियों को काव्य में गूंथकर अनुपम प्रस्तुति करने वाला एक और ब्लॉग है आरंभन जहां इस वर्ष प्रेम पर आधारित अनेकानेक मोहक प्रस्तुतियां देखी गयी । वहीँ मेरी भावनाएं पर रश्मि प्रभा ने किताबों वाला प्यार की चर्चा की । मन को छूती हुयी इस काव्य प्रस्तुति को पाठकों ने काफी सराहा। रजनीश ने काव्य में पिरोकर जहां प्यार भरी बातें की.... वहीँ रचना ने कहा कि प्यार हो जाने का एहसास प्यार पाने के अहसास से ज्यादा सुकून देता हैं ।cinema- सिलेमा पर इस वर्ष प्रकाशित तमाम प्रेम परक फिल्म की समीक्षा प्रस्तुत की गयी है प्‍यार ही प्‍यार, बेशुमार..शीर्षक से ।

ब्लॉग का नाम है " किस्सा और कहानी, ग़ज़ल, गीत और चुटकुला, प्यार और दोस्ती" ।इस ब्लॉग पर हर प्रकार की प्रस्तुति केवल प्यार को केंद्र में रखकर प्रस्तुत की जाती है। हिंदी में मज़ेदार, हंसाने वाले, शिक्षाप्रद, कहानी, किस्सा, चुटकुला, दोस्त, दोस्ती, गीत, ग़ज़ल, शायरी, प्यार, प्रेम, कमाई, चिंता, आर.टी.यू., जोक्स, और भी बहुत खुछ है इस ब्लॉग में। मेरी दोस्‍ती मेरा प्‍यार नाम से एक ब्लॉग भी है ब्लोगर हैं मुस्कान, जिसपर इस वर्ष कुछ बेहतर अनुभूतियों से पाठक रूब रू हुए । सच का सामना पर पूछा गया कि आखिर यह यह प्यार क्या है ? मैं और मेरी सोच पर शशांक मेहता ने प्यार पर बड़ी खुबसूरत कविता कही कल का प्यार और आज की दोस्ती । उन्मुक्त ने कहा प्यार तो होता ही है। रैन बसेरा पर प्यार कुछ अनोखे ढंग से परोसा गया । कुश की कलम ने कहा प्यार को प्यार ही रहने दो.. कोई नाम ना दो, जबकि मेरी भावनायें ने कहा प्यार मर जाता है।

इन सबके अलावा स्पंदन SPANDAN पर रूहानी प्यार "रॉक स्टार", क्वचिदन्यतोSपि पर आप किस बच्चे को ज्यादा प्यार करते हैं,चला बिहारी ब्लॉगर बनने पर प्यार, दोस्ती और भक्ति, मनोज पटेल द्वारा अनूदित नाजिम हिकमत की कविता तुम्हें प्यार करता हूँ मैं को पढ़ते-पढ़ते पर पाठकों ने काफी पसंद किया । बहुत कुछ लिखा गया इस वर्ष प्यार के ऊपर, किन्तु एक ब्लॉग पर लिखा गया भावनाओं से परे जाकर सच और नहीं लिखा गया सच के सिबा कुछ और।

हर इंसान का दिमाग खूबसूरती पर तत्‍काल प्रतिक्रिया देता है। उसमें भी जितनी खूबसूरती चेहरे की भाती है, उतनी इमारत, वस्‍तु यहाँ तक कि प्रकृति की भी नहीं। मैसाच्‍युसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी के एक शोध के अनुसार, मस्तिष्‍क में फसी फार्म फेस एरिया यानी एफएफए भाग होता है, जो खूबसूरत और आकर्षक चेहरा देख हरकत में आ जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, अब किस मस्तिष्‍क को कौन सा चेहरा भा जाएगा, यह गुत्‍थी अभी नहीं सुलझाई जा सकी है। बल्कि प्‍यारी की परिभाषा ही बदल गई है। प्‍यार या चाहत के लिए अभीतक दिल को दोषी माना जाताथा, मगर अब हकीकत सामने आई कि ‘लव एड फर्स्‍ट साइट’ यानी चेहरा देखते ही प्‍यार हो जानेकी घटना मस्तिष्‍क काकिया धरा होता है, चोट बेचारे दिल पर होती है। इस वर्ष प्यार की गहन अनुभूतियों का वैज्ञानिक परिक्षण करता एक सार्थक पोस्ट लेकर आये डा. जाकिर अली रजनीश अपने ब्लॉग तस्लीम पर ध्‍वस्‍त हो गयी प्‍यार की परिभाषा शीर्षक से ।

........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-2011 की कुछ और झलकियाँ

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण-2011 (भाग-7)


"ब्लॉगिंग में कमाई" विषय पर 
खुलकर बहस हुई वर्ष -2011 में 

गतांक से आगे -
वर्डप्रेस, ब्लॉगर, रीडिफ आदि के जरिए ब्लॉग बनाना बहुत आसान हैं। लेकिन क्या ब्लॉगों के लिए भी उसी तरह विज्ञापन जुटाए जा सकते हैं जैसे कि वेबसाइटों या पत्र.पत्रिकाओं के लिए जुटाए जाते हैं?
- बालेन्दु शर्मा दाधीच
(वरिष्ठ हिंदी ब्लॉग समीक्षक )


Top Earning Blogs – Make Money Online Bloggingवर्ष-2003 से सफ़र की शुरुआत कर महज आठ वर्षों में हिंदी ब्लॉगिंग , जिसे न्यू मीडिया का दर्जा प्राप्त हो चुका है , अत्यंत विस्तृत और व्यापक होता जा रही हैब्लॉगिंग धीरे-धीरे कमाई का जरिया भी बन रही है | इन्हीं विषयों की पड़ताल करते कुछ उपयोगी पोस्ट  इस वर्ष प्रकाशित हुए हैं |  आइए चलते हैं इस वर्ष के इन्हीं कुछ उपयोगी पोस्ट की ओर :  

ब्लॉगों पर गूगल और माइक्रोसॉट द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापनों की प्रधानता है। गूगल ने अपने सर्च इंजन पर दिखाए जाने वाले दूसरे लोगों के विज्ञापनों का दायरा बढ़ाने के लिए अन्य वेबसाइटों तथा ब्लॉगों पर भी उन्हें देने की शुरूआत की थी। ऐसा 'एडसेन्स' नामक कायर्क्रम के लिए किया गया, जिसके लिए कोई भी वेबसाइट या ब्लॉग संचालक आवेदन कर सकता है। छोटी सी प्रक्रिया के बाद गूगल से एक कोड दिया जाता है जिसे अपने वेब.पेज में पेस्ट करने के बाद आपको गूगल द्वारा स्थानांतरित किए जाने वाले विज्ञापन मिलने लगते हैं। जिस पेज पर जैसी सामग्री, उसी तरह का विज्ञापन गूगल द्वारा स्वचालित ढंग से दिखाया जाता है। लेकिन एक उलझन है। आपको पैसे तब मिलते हैं जब कोई व्यक्ति इन विज्ञापनों पर क्लिक करता है। ऐसा कहना है बालेन्दु शर्मा दाधीच का 

हिन्दी ब्लॉगिंग से धन कमाना

मेरा एक रूप ये भी : साभार - टुडेज कार्टून
ब्लॉगिंग से कमाई करने की आस देखने वालों के लिए यह एक अच्छी खबर हो सकती है एक नई सेवा चालू की गई है. पोस्ट्स जीनियस. यह बहुभाषी सेवा है, जिसमें हिंदी भी शामिल है. इस सेवा के जरिए ब्लॉग पोस्टें लिख कर कमाई की जा सकती है यह सेवा दो-तरफा है जहाँ ब्लॉगर या वेबसाइट मालिक किसी उत्पाद के रीव्यू व ब्लॉग पोस्टें लिख कर कमाई कर सकते हैं तो तो उत्पादक या विक्रेता ऐसी पोस्टें लिखवा कर अपने उत्पाद का विज्ञापन/विपणन भी कर सकते हैं छीटें और बौछारें पर यह जानकारी बांटी है वरिष्ठ ब्लॉगर रवि रतलामी ने   

ब्लॉग से कमाने वाले हर लेख का शीर्षक हर एक ब्लॉग लेखक को आकर्षित करता है | ब्लॉग से कमाई करने के कई तरीके विभिन्न ब्लॉगस पर विद्वान ब्लॉग लेखकों ने समय पर समय लिखें है | पर फिर भी आज सवाल वहीँ का वहीँ है कि क्या ब्लॉग से कमाया जा सकता है? इस विषय पर बड़ी बेवाकी से लिखा है रतन सिंह शेखावत ने अपने ब्लॉग ज्ञान दर्पण पर ब्लॉग कमाने में कितना सहायक ? अनुभव और उदाहरण | वहीँ 5 मुख्य अफवाहें ब्लॉग से पैसे कमाने के सम्बंध में ब्लॉग बाबा डोट कॉम पर देखने को मिला विवेक रस्तोगी ने अपने ब्लॉग कल्पनाओं के वृक्ष पर लिखा कि "क्या वाकई घर से काम (Work from home) करने के पैसे मिल सकते हैं, कुछ डाटा एन्ट्री (Data Entry) जॉब्स या फ़िर कोई ऐड क्लिक या फ़िर कोई सर्वे। सब माया का मकड़जाल लगता है, और जितना विज्ञापन में सरल दिखाया जाता है उतना सरल होता भी नहीं है।" जबकि एक ब्लॉग की मदद के साथ इंटरनेट से पैसे कैसे कमाए जा सकते हैं,इसकी गहन पड़ताल इस वर्ष की गयी है मदद से आप रिटायर ब्लॉग पर  

इस वर्ष योगेन्द्र पाल का बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण आलेख प्रकाशित हुआ ब्लॉगिंग से कमाई!! मैं तैयार हूँ, आप? इस आलेख में योगेन्द्र का आत्मविश्वास पूरी तरह दृष्टिगोचर होता है । योगेन्द्र कहते हैं कि "पिछले 2 बर्षों से कमाने के मौके देने वाली साईट को देख-परख रहा था और कई वेबसाईट को जांचने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ की प्रारंभ में कमाई करने के लिए एडसेंस से बेहतर कुछ नहीं है, यह विचार मेरे दिमाग में बहुत पहले से थे पर मैं पहले यह देख लेना चाहता था की एडसेंस से ठीक-ठाक आय हो सकती है या नहीं और पैसे समय पर मिल जाते हैं या नहीं? और एडसेंस पर पूरा भरोसा होने के बाद अब वक्त है अपने विचार आपको बताने का और उनमे आपको शामिल करने का हालांकि मैं पूरी तरह गूगल एडसेंस पर निर्भर नहीं हूँ पर बाकी सभी रास्ते तब खुलते हैं जब हम कुछ बड़ा कर चुके होते हैं, प्रारंभ में गूगल ही मदद करता है ।" 


इस वर्ष प्रवासी दुनिया  पर भी इसी विषय पर एक वेहतरीन आलेख पढ़ने को मिला है व्यावसायिक ब्लॉगिंग यानी कमाने का एक नया जरिया नामक आलेख में बालेन्दु कहते हैं कि "जब अंग्रेजी में एक लोकप्रिय ब्लॉग ‘डिजिटल इंस्पिरेशन’ चलाने वाले अमित अग्रवाल ने कहा कि उन्हें गूगल एडसेंस के जरिए रोजाना एक हजार डॉलर तक की कमाई हो रही है तो भारतीय ब्लॉगरों में यकायक ही उत्साह, जोश और उम्मीदों का संचार हुआ। अंग्रेजी ही नहीं अन्य भाषाओं के ब्लॉगरों में भी। कुछ उत्साही युवा कामकाज छोड़कर पूर्णकालिक ब्लॉगर बन गए तो कुछ ने मीडिया हाउस की तर्ज पर अनेक ब्लॉगों की श्रृंखला शुरू कर दी। यूं तो कुछ ब्लॉगर बंधु पहले से ही गूगल प्रायोजित विज्ञापन लगा रहे थे, अब उनकी संख्या कई गुना उछल गई। एडसेंस विज्ञापनों को पाठक द्वारा क्लिक किए जाने पर ब्लॉग संचालक को एक बहुत छोटी, परिवर्तनशील राशि का भुगतान होता है। लेकिन वरिष्ठ ब्लॉगर रवि रतलामी को छोड़कर कोई हिंदी ब्लॉगर इस माध्यम से दस-बीस डॉलर से ज्यादा धन कमाने में नाकाम रहा। हां, इस प्रलोभन ने बड़ी संख्या में युवकों को हिंदी ब्लॉगिंग की ओर आकर्षित जरूर किया।" हमारा जौनपुर पर मासूम साहब कहते हैं कि "वेबसाइट या ब्लॉग बना के पैसे  कमाना बहुत मुश्किल काम नहीं बस आप को पता होना चाहिए कि आप के पाठको  को क्या पसंद है. इस से पहले मैंने ब्लॉग  कैसे बनाएं  पे एक लेख़ लिखा था और मेरी  पिछली  पोस्ट पे लोगों ने बहुत से सवाल पूछे और बहुतों ने मुझे मेल किया.मैं अपने इस लेख़ मैं आप सभी को यह समझाने कि कोशिश करुंगा कि गूगल एडसेंस क्या है और आप को पैसे कैसे मिल सकते हैं?" 

education jangul पर यह बताया गया कि  ब्लॉगिंग में कॅरियर तलाशने वालों की नहीं है कमी वहीँ  16  मार्च को सिरसा में आयोजित ब्लॉगिंग में करीयर पर कार्यशाला में कैसे करेंगे ब्लॉगिंग से कमाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। बताया गया कि  ब्लॉगिंग का शौक आपकी कमाईका बेहतर साधन बन सकता है। अपने इसी शोक की बदोलत कई लोग लाखों कमा रहे हं। यदि आपको यह शौक है तो आप भी डॉलर में कमाई कर सकते हैं। अगर आप की लेखन में रूचि है और इंटरनेट पर काम करना भी आप को भाता है तो ब्लॉगिंग आप के लिए रोजी-रोटी कमाने का साधन बन सकता है। साइबर-संसार की आधारभूत समझ के साथ ब्लॉगिंग के कार्य में जुटा जाए तो प्रारंभिक परिश्रम के बाद बहुत जल्द आप अपनी इस अभिरूचि को अपनी जीविका के आधार में तब्दील कर सकते हैं। देश और दुनिया में ऐसे ब्लॉगरों की लंबी कतार है जो इस विधा से लाखों रूपये मासिक की आमदनी पा रहे हैं। ब्लॉगर और www.sunilnehra.com के संपादक सुनील नेहरा ने पत्रकारिता विभाग की प्रिंट व साइबरमीडिया कार्यशाला में यह बात कही।

हिंदी ब्लॉगिंग की चुनौतियां विषय पर 
मीडिया मीमांशा में उमेश चतुर्वेदी का एक सारगर्भित आलेख आया इस वर्ष, जिसमें उमेश कहते हैं कि एक अमरीकी संस्था 'बोस्टन कंस्लटिंग ग्रुप' की पिछले साल आई रिपोर्ट 'इंटरनेट्स न्यू बिलियन' के मुताबिक भारत में इन दिनों 8.1 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं। इनमें मोबाइल फोन धारकों की संख्या शामिल नहीं है। ट्राई की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2010 तक देश में मोबाइल फोन धारकों की संख्या बढ़कर 77 करोड़ हो गई है। इनमें कितने लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका सही-सही आंक़ड़ा मौजूद नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि इनमें से करीब आधे उपभोक्ता अपने मोबाइल फोन पर ही इंटरनेट का इस्तेमाल तो कर ही रहे हैं। बहरहाल बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट पर ही ध्यान दें तो देश और हिंदी में ब्लॉगिंग की संभावना ज्यादा है।

My Photoवर्ष के आखिरी दिनों में दैनिक भास्कर के पत्रकार और  अपने ब्लॉग शब्दों की सफ़र के माध्यम से हिन्दी शब्दों के इतिहास और व्युत्पत्ति परिचित कराने वाले ब्लॉगर  अजित वाडनेकर का साक्षात्कार आया चिट्ठा चर्चा पर । अजित का मानना है कि "हिन्दी का सृजनधर्मी समाज सम्भवतः अपनी खूबियों से परे खामियों के साथ यहाँ मौजूद है। हम ब्लॉगिंग की प्रकृति को ही समझ नहीं पाए हैं। ब्लॉगिंग के मूल स्वरूप से हटकर कहीं न कहीं इसे साहित्य और पत्रकारिता का कलेवर देने का प्रयास किया जाता रहा है। संघ-सम्मेलन जैसी गतिविधियों के ज़रिये ब्लॉगर खुद को महिमंडित करने लगा है। प्रिन्ट मीडिया में सृजनधर्मियों के लिए कम होते अवसरों का लाभ ब्लॉगविधा को मिलना था, पर हम उसका लाभ नहीं ले पाए। हालाँकि कई लोगों की निजी प्रतिभा ब्लॉगिंग की वजह से जिस तरह उजागर हुई है, वैसा उभार उन्हें बरसों में नहीं मिला था। निजी तौर पर मेरे लिए ब्लॉगिंग डाक्युमेंटेशन का माध्यम है।"


कविता कोश के संस्थापक ललित कुमार लालित्यने इस वर्ष अपने ब्लॉग दशमलवपर। उन्होंने  एक अच्छे ब्लॉग की जरूरतें शीर्षक से अत्यंत शूक्ष्मता से कई खण्डों में ब्लॉगिंग के विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डाला है । उनका मानना है कि "इंटरनेट पर किसी भी वेबसाइट (ब्लॉग एक किस्म की वेबसाइट ही होती है) को अपने पैर जमाने में कम-से-कम एक वर्ष का समय लगता है; और इस दौरान आपको वाकई में काफ़ी मेहनत करनी होती है। नियमित, काफ़ी सारा, रोचक और गुणवत्ता-पूर्ण लेखन करना होता है। मेरी सलाह यही रहती है कि आपकी नज़रे धन पर नहीं बल्कि लेखन पर होनी चाहिए; क्योंकि लेखन अच्छा होगा तो धन अपने-आप आएगा… पर यदि आप ब्लॉग से धन के बारे में ही सोचते रहेंगे तो अच्छा लेखन कतई नहीं कर पाएंगे। और चाहे जो भी हो, एक वर्ष से पहले तो उम्मीद रखिए भी मत।"

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अब ब्लॉग बने हैं कमाई का जरिया शीर्षक लेख पर बताया गया है कि ब्लॉग की दुनिया नई तकनीक बनाने वाली कम्पनियों के लिए अपने उत्पादों का प्रचार करने का एक सशक्त जरिया बन चुकी है। कम्पनियां इंटरनेट पर अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिए विशेषज्ञ ब्लॉगर को नियुक्त करती हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसके लिए आपको कोई पेशेवर ब्लॉगर होने की जरूरत नहीं। एक आम ब्लॉगर भी पैसे कमा सकता है। बस अपने ब्लॉग और अपने लेखन को पेश करने का तरीका आपके पास होना चाहिए और बस शोहरत आपके कदमों में होगी। साक्षी जुनेजा ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि केवल शिल्पा शेट्टी और बिग ब्रदर प्रकरण पर लिखने से वे लगभग 36,000 रुपए कमा लेंगी। उन्हें बस अपने ब्लॉग पर विज्ञापन लाना था। विज्ञापन कम्पनी ने अपने विज्ञापनों को साक्षी के ब्लॉग पर आने लोगों के सामने प्रदर्शित करने के लिए यह कीमत दी है।ऐसे कई उदाहरण हैं।

ArvindShreevastav.jpgवर्तमान समय में मीडिया को पांच भागों में विभक्त किया जा सकता है। सर्वप्रथम प्रिंट, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं चौथा इलेक्ट्रानिक यानि टीवी चौनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, सोशलनेटवर्किंग वेबसाइटस, फेसबुक, माइक्रो ब्लागिंग साइट टिवटर, ब्लागस, फॉरम, चैट सोशल मीडिया का हिस्सा है। यही मीडिया अभी ‘न्यू मीडिया’ की शक्ल में कई मठाधीशों की नींद चुरा ली है। इस वर्ष आई हिंदी ब्लॉगिंग की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक "हिंदी ब्लॉगिंग: अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति" की समीक्षा में यह बात समीक्षक अरविन्द श्रीवास्तव ने कही 

देशनामा पर खुशदीप सहगल ने इस वर्ष कुछ इस अंदाज़ में कहा कि अख़बार की तरह हर ब्लॉगर ज़रूरी होता है..। ऐसे कई लोग हैं, जिनका हमें अहसास हो न हो, लेकिन वो हमारी सहूलियत के लिए चुपचाप कर्मपूजा में लगे रहते हैं...आज अगर आपको अखबार नहीं मिला, और उसकी कमी महसूस कर रहे हैं तो हॉकर, एजेंट, ड्राइवरों जैसे अनसंग हीरो को याद कीजिए, जिनकी वजह से हम रोज़ अपने आस-पास और दुनिया जहान की ख़बरों से रूबरू होते हैं...अखबारों का महत्व आज लोकल खबरों के लिए ज़्यादा है...देश-दुनिया के बड़े शहरों की ख़बरें तो ख़बरिया चैनलों से हर वक्त मिलती ही रहती हैं...लेकिन अपने आसपास क्या हो रहा है, इसके लिए आज भी अखबार से सस्ता और अच्छा साधन और कोई नहीं है...
हिन्‍दी ब्लागों की संख्‍या में दिनों दिन होती बढ़ोतरी को आनलाईन विज्ञापन कम्‍पनियॉं  बहुत ही गंभीरता से ले रही हैं। भारत व विदेशों में हिन्‍दी ब्‍लॉगों की लोकप्रियता के सहारे विज्ञापन कम्‍पनियॉं अपना व्‍यवसाय करना चाहती हैं एवं इसके लिए हिन्‍दी ब्‍लॉगर्स को बतौर पब्लिशर अपने कमाई का हिस्‍सा भी देना चाह रही हैं। यह जानकारी दी है सजीव तिवारी ने, वहीँ  समाचार4मीडिया पर एक महत्वपूर्ण आलेख आया सुप्रिया अवस्थी का जिसमें उन्होंने कहा है कि "ब्लॉग जिसे अभी तक भड़ास का माध्यम ही समझा जाता है और ब्लॉगर चाहे वे कितना भी अच्छा कंटेंट क्यों न दे अपने पाठकों से प्रशंसा के दो शब्द नहीं सुन पाते हैं जिनके वे हकदार होते हैं। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या ब्लॉग कभी एक संस्थान के रूप में उभर सकेगा? यहां बात चाहे किसी भी भाषा के ब्लॉगर की क्यों न हो सभी ब्लॉगर को एक जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ब्लॉग को अगर एक कमाई के साधन के रूप में न देखा जाए तो पत्रकारिता के नजरिए से यह एक बहुत ही अच्छा प्रयास है, लेकिन जब कोई रिसर्च करके ब्लॉग पर अपनी स्टोरी पोस्ट करता है तो उसकी अपेक्षाएं कहीं अधिक बढ़ जाती है। आखिर उसे एक पत्रकार के रूप में वह सम्मान क्यों नहीं दिया जाना चाहिए, जब कि वह स्टोरी पोस्ट करने से पहले चार गुना ज्यादा मेहनत करता है।"


........विश्लेषण अभी जारी है,फिर मिलते हैं लेकर वर्ष-2011 की कुछ और झलकियाँ 

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

आवश्यक सूचना

तकनीकी समस्या के कारण 
अगले दो-तीन दिनों तक 
परिकल्पना और वटवृक्ष का 
प्रकाशन अवरुद्ध रहेगा ! 

असुविधा के लिए हमें खेद है !
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