प्रिये तुम्हारी
मधुर वाणी में कोई
गीत सुना दो
मेरे अंतर्मन को
उल्लास से भर दो
खुशी के अंकुर को
प्रस्फुटित कर दो
निराशा के भावों को
आशा कि वर्षा से
धो दो
रोम रोम में विश्वास के
महकते पुष्पों को
पल्लवित कर दो
ह्रदय में प्रेम सरिता
प्रवाहित कर दो
जीवन को
उत्साह के रंगों से
भर दो
मुझे संताप से मुक्त
कर दो
प्रिये तुम्हारी
मधुर वाणी में कोई
गीत सुना दो

डा.राजेंद्र तेला"निरंतर""  
30-05-2012
550-70-05-12

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