कल रात दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई;
सपनो की आंखो से देखा तो, 
तुम थी .....!!!
मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी,
उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था, 
मैंने तुम्हारे लिये ;
एक उम्र भर के लिये  ...!
आज कही खो गई थी,
वक्त के धूल भरे रास्तों में ;
शायद उन्ही रास्तों में ;
जिन पर चल कर तुम यहाँ आई हो .......!!
लेकिन ; 
क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं ; 
कि,
परायों के घर भीगी आंखों से नहीं जाते........!!!
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प्रभावित करती सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
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