शब्द हीरों की खान से भरा संसार 
उदगार के लिए भाषाएँ भी अपार 
जब जिस हीरे को उठाती हूँ 
कलम की सान पर चढ़ाती हूँ 
तब आता है ख्याल - सितारों से आगे ये कैसा जहाँ है ?
    


.... रश्मि प्रभा
                  

आज कलम की तीक्ष्ण धार पर हैं विजय कुमार - हिंदी साहित्य के साथ अंग्रेजी पर भी अपनी पैनी पकड़ रखते हैं !

The Window of my heart

It was a very strange night,
so strange and ruthless;
That I couldn’t recognize,
It as last night of my life....

such restless was my life ;
By traveling a long journey ,
That it made me Frightened and scared
Of the world around me;

On that night I looked out of
The window of my heart... .........

The rains of Life were very harsh;
There were the tornado's of time ;
With unseen storms of fate ;
Making deafening sounds around me ….

My Dry eyes saw you at a distance…
You were so close to my heart and
Yet so far from my reach...
In a dark corner of the cruel world
you were sitting quietly!!!

Your face was hidden
In your knees;
you were trembling and
Getting drenched;
In the harsh rains of life.....
And;
You were burning my name in your tears ......

than suddenly;
You looked at me in a trance of happiness
You were pleading me...
Listen o’ my love
May I come inside your heart...?
I don’t want to stay here in this world…
Please let me come, inside you…

I turned away my face from you
And looked inside the window of my heart;
The world of my heart,
Was breathing its last few breaths ..
My life was destroyed and deserted…
everything had come to an end.....
All my happiness was gone...
the Darkness of death were swallowing my life ......

My destiny was not ready to accept your love
My God did not agree to unite me with you
I lost you to Time, Life and God;

With misty eyes, 
I saw you o’ my great love ....
slowly I whispered your name ….
I Took one last breath;
and than I died..................

मन की खिड़की /// The window of my heart

वो एक अजीब सी रात थी ,
जो मेरे जीवन की आखरी रात भी थी !

ज़िन्दगी की बैचेनियों से ;
घबराकर ....और डरकर ...
मैंने मन की खिड़की से;
बाहर झाँका .........

बाहर ज़िन्दगी की बारिश जोरो से हो रही थी ..
वक़्त के तुफानो के साथ साथ किस्मत की आंधी भी थी.

सूखे हुए आँखों से देखा तो ;
दुनिया के किसी अँधेरे कोने में ,
चुपचाप बैठी हुई तुम थी !!!

घुटनों में अपना चेहरा छुपाये,
कांपती हुई ,और भीगती हुई .....
और;
मेरे नाम को अपने आँसूओँ मेँ जलाती हुई ......

मुझे देखकर कहा ;
सुनो .......
मैं बरसो से भीग रही हूँ ..
मैं तुम्हारे मन के भीतर आ जाऊं ?

मैंने मुड़कर मन की खिड़की से ;
झाँककर अपने भीतर देखा ...
मेरे मन की दुनिया ,
अपनी आखरी साँसे गिन रही थी ..
ज़िन्दगी बेजार सी थी
और वीरान थी ..
सब कुछ ख़तम सा हो गया था…..
मेरी सारी खुशियों को
ज़िन्दगी के अँधेरे निगल गए थे......

मेरी किस्मत को तेरा प्यार मंज़ूर नहीं था ,
मेरे खुदा को तेरा साथ का इकरार नहीं था ,
मैं हार चूका था ;
समय से !
ज़िन्दगी से !!
और खुदा से ...!!!

मैंने बड़े प्यार से ;
अपनी भीगी आँखों से तुम्हे देखा ;
बड़े हौले से तेरा नाम लिया ;
एक आखरी सांस ली ;
और
फिर मर गया ..................


TRANSFORMATION


Standing alone in the evening of heavy rains,
And looking upwards to the dark sky,
With full of storming thunders,
And many dark clouds around.

I started Praying for more and more
Of such lashes of heavy rain,
On my body, on my mind and on my soul;
So that it could wash away my past,
It could wash away all my unknowingly sins,
It could wash away my baseless ego,
It could wash away my useless anger,
It could wash away my earthly beliefs,
It could wash away my wrongdoings,
It could wash away ME.

I am looking to GOD;
Like a baron infertile land,
Waiting for ages for the misty drops,
Drops of love,
Drops of harmony,
Drops of life,
Drops of laughter,
Drops of joy,
Drops of bliss.

Let me begin again a new dawn of life
After this heavy night of rain,
With a whispering sound of fresh air,
With a glittering vision for the road ahead,
And with a zest for the life, which I never lived.

O My Dear GOD,
Please transform me again into a new child
Again Full of strength,
Full of laughter and full of joy,

O GOD, please bless me again
For a new life!!!

रूपांतरण 

एक भारी वर्षा की शाम में अकेले भीगते हुए  ... ..
और अंधेरे आकाश की ओर ऊपर देखते हुए ..
जो की भयानक तूफ़ान के साथ गरज रहा था 
और .. आसपास कई काले बादल भी छाए हुए थे

मैंने प्रभु से प्रार्थना करना शुरू कर दिया की ;
अधिक से अधिक ,ऐसी  भारी बारिश के थपेड़ो पड़े ..
मेरे शरीर पर, मेरे मन और मेरी आत्मा पर;

और यह बारीश ऐसी हो की मेरा अतीत धुल जाए . ..
मेरे सभी वो पाप ,
जो मैंने अनजाने में किये हो ,वो भी बह जाए  ...
यह तेज़ बारिश मेरे निराधार अहंकार को पिघला दे
और साथ में ही मेरे क्रोध को भी ख़त्म कर दे , हमेशा के लिए 
साथ ही  मेरी सांसारिक विश्वासों
और धारणाओ को भी ये मिटटी में मिला दे 
हे प्रभु जो भी गलत काम मुझसे हुए हो ,
ये वर्षा उन्हें मिटा दे .

मैं भगवान की ओर बड़े ही उम्मीद से देख रहा हूँ ...
एक निर्धन बांझ भूमि की तरह ... ...
और एक  लम्बी उम्र से ;
ऐसी ही बारीश की प्रतीक्षा कर रहा हूँ  ..
जो जीवन की बूंदों से मुझे भर दे
जो प्यार की बूंदों से मेरी आत्मा को तृप्त कर दे
जो सदभाव की बूंदों से मेरा संसार को भर दे ..
ये वर्षा मेरे भीतर भर दे हंसी को और खुशियों को 
और एक पवित्र , परम आनंद से मैं भर जाऊं ..

बारिश के इस भारी रात के बाद ....
मैं फिर से जीवन की एक नई सुबह शुरू  कर सकू ..
जिसमे ताज़ी हवा हो एक मीठी फुसफुसाहट की ध्वनि के साथ
और मिले मुझे एक शानदार दृष्टि ;
जिसके कारण मैं अपने भविष्य की सड़क को देख सकू. 
और जी सकू एक सुन्दर जीवन ;
जो की मैं  कभी भी नहीं जी सका .

हे भगवान, कृपया मुझे फिर से आशीर्वाद  दे, एक नए जीवन के लिए ... ...
हे भगवान, कृपया मुझे एक नए बच्चे में फिर से बदल दे 
ताकि ,मैं फिर से उल्लाहास , जीवन , आनंद और  गति से भर जाऊं.

[VIJAY.jpg]

विजय कुमार सप्पत्ति 

मुझे मेरी तलाश है .मैं वक़्त के जंगलो में भटकता एक साया हूँ ,जिसे एक ऐसे बरगद की तलाश है जहाँ वो कुछ सांस ले सके..ज़िन्दगी की.......!!!!


समय है एक विराम का, मिलती हूँ एक छोटे से विराम के बाद..... 

3 comments:

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