शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

अद्भुत और अद्वितीय होगा न्यूज़ीलैंड का ब्लॉगर सम्मेलन

............पिछले पोस्ट से आगे बढ़ते हुये
ब न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टावर पर शानदार आतिशबाजी के साथ नव वर्ष का सेलिब्रेशन शुरू होगा तो पूरी दुनिया के हिन्दी ब्लॉगर वहाँ उपस्थित रहेंगे। यह एक शानदार पल होगा जब हम नव वर्ष की पूर्व संध्या पर नए साल का आगाज करेंगे, क्योंकि पूरी दुनिया में न्यूजीलैंड एक ऐसा देश है जहां एक दिन पूर्व ही नव वर्ष मनाया जाता है। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया नववर्ष का सबसे पहले स्वागत करता है। न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टावर पर लोगों की भीड़ जुटती है, जहां लेजर शो का आयोजन और आतिशबाजी होती है। स्काई टावर को इस मौके पर खास तौर पर सजाया जाता है। नए साल की शुरूआत के साथ ही स्काई टावर रोशनी से नहा उठता है। स्काई टावर से निकलती आतिशबाजियों से पूरा ऑकलैंड जगमगा उठता है। बता दें, न्यूजीलैंड के बाद नववर्ष के समारोहों का आगाज ऑस्ट्रेलिया में होता है। 

जिस शहर यानि ऑकलैंड में आगामी 22 दिसंबर 2016 से 01 जनवरी 2017 तक सप्तम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन होना है, उसके बारे मे जाने एक वीडियो के माध्यम से-


जो प्रतिभागी इस आयोजन में शामिल होने के इच्छुक हो वे
निम्न ईमेल पर संपर्क करें : parikalpnaa00@gmail.com

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

सप्तम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन न्यूजीलैंड में आयोजित होंगे


पको सूचित करते हुये अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है, कि नई दिल्ली, लखनऊ, काठमांडू, थिंपु, कोलंबो और बैंकॉक के बाद परिकल्पना द्वारा आगामी अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) में दिनांक 22 दिसंबर 2016 से 1 जनवरी 2017 के बीच प्रकृति की अनुपम छटा से ओतप्रोत प्रशान्त महासागर में ऑस्ट्रेलिया से सटे हुये दक्षिण पश्चिमी पेसिफ़िक ओशन के दो बडे द्वीप और अन्य कई छोटे द्वीपों से बने बेहद खूबसूरत देश न्यूजीलैंड की आर्थिक राजधानी ऑकलैंड में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।

इस अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह, आलेख वाचन, चर्चा-परिचर्चा में देश विदेश के अनेक साहित्यकार, चिट्ठाकार, पत्रकार, अध्यापक, संस्कृतिकर्मी, हिंदी प्रचारकों और समीक्षकों की उपस्थिति रहेगी। जैसा कि आपको विदित है कि ब्लॉग, साहित्य, संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध संस्था "परिकल्पना" पिछले पाँच वर्षों से ऐसी युवा विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा वह छ: अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलनों का संयोजन भी कर चुकी है जिसका पिछला आयोजन थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में किया गया था।
न्यूज़ीलैंड प्रशान्त महासागर में ऑस्ट्रेलिया से सटा हुआ दक्षिण पश्चिमी पेसिफ़िक ओशन में दो बडे द्वीप और अन्य कई छोटे द्वीपों से बना एक देश है। इसके 40 लाख लोगों में से लगभग तीस लाख लोग उत्तरी द्वीप में रहते हैं और दस लाख लोग दक्षिणी द्वीप में। यह द्वीप दुनिया के सबसे बडे द्वीपों में गिने जाते हैं। अन्य द्वीपों में बहुत कम लोग रहतें हैं और वे बहुत छोटे हैं।

आकलैंड, न्यूज़ीलैंड का सबसे बड़ा नगर है। यह प्रायद्वीप के बहुत संकरे भाग में स्थित हैं। इस कारण दोनों तटों पर इसका अधिकार हैं परंतु उत्तम बंदरगाह पूर्वी तट पर है। आस्ट्रेलिया से अमरीका जानेवाले जहाज, विशेषकर सिडनी से वैंकूवर जानेवाले, यहाँ ठहरते हैं। यह आधुनिक बंदरगाह है। यहाँ पर विश्वविद्यालय, कलाभवन तथा एक नि:शुल्क पुस्तकालय है जो सुंदर चित्रों से सजा है।

इस संबंध में विस्तृत जानकारी शीघ्र ही......

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

स्मृति शेष: अविनाश वाचस्पति का न होना

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके विचार तो महान होते हैं, पर जीवन महान नहीं होता। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन तो महान होता है, पर विचार महान नहीं होते। लेकिन विरले ही सही एक व्यक्ति ऐसा मिल ही जाता है, जिसके जीवन और विचार दोनों महान होते हैं। ऐसा ही थे अविनाश वाचस्पति। अविनाश का एक व्यंग्य है "रावण का होना खलता नहीं है", मगर हमारे बीच अविनाश का न होना "पूरे ब्लॉग जगत" को खलेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। कुछ दिन पूर्व यानि 11 जनवरी को मैंने अविनाश जी को फोन करके कहा कि अब आपकी तबीयत कैसी है ? उन्होने ठहाका और कहा कि "प्रभात भाई हेपिटाइटिस सी नामक जानलेवा बीमारी से तो मुझे इश्‍क हो गया है। अब इससे क्या डरना, जिस दिन जाएगी मुझे भी साथ लेकर जाएगी। मैंने कहा ऐसा नहीं कहते, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। 22 जनवरी को जब मैं थाईलैंड से लौटा तो उन्होने मुझे फोन किया कि कैसी रही यात्रा। मैंने कहा कि आपकी कमी खाली। इस बार फिर उन्होने ठहाका लगाया और कहा कि कमी तो मेरी बीमारी को भी मुझसे अलग होकर होती है। खैर एक खुशखबरी है कि मैं अब ठीक हो गया हूँ, आपसे जल्दी ही मिलता हूं। एक दो दिन में मैं मिलने की योजना बना ही रहा था, कि यह दुखद समाचार मिला कि वे अब इस दुनिया में नहीं रहे। यह सुनकर मैं कुछ देर समझ ही नहीं पाया कि यह कैसे हो गया?

मेरा एक प्यारा और आत्मीय मित्र मुझे छोडकर चला गया और इसी के साथ आज ब्लाॅग जगत का एक स्तंभ ढह गया। मैंने साथ-साथ मिलकर हिन्दी ब्लॉग जगत मे कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, हिन्दी ब्लॉगिंग: अभिव्यक्ति की नई क्रांति पुस्तक और परिकल्पना ब्लॉगोत्सव उनमें से एक है। उन्हीं के शब्दों में-

परिकल्पना परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

 
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