मंगलवार, 14 जून 2016

विचारों से बहुत मजबूत थे, दमदार थे मुद्रा।











बड़े ज़िद्दी, बड़े निडर, बड़े खुद्दार थे मुद्रा
हमारे बीच के फिक्रमंद फनकार थे मुद्रा।

उन्हें इन मील के पत्थरों से क्या मतलब-
जब सफ़र के लिए हर वक्त तैयार थे मुद्रा।

दिन को रात औ रात को दिन कभी न कहा-
तरक्कीपसंद इस क़ौम के तलबगार थे मुद्रा।

उन्हें बस धर्म से, पाखंड से उबकाई आती थी-
विचारों से बहुत मजबूत थे, दमदार थे मुद्रा।

हमारे बीच जिंदा हैं, रहेंगे सोच की हद तक-
वो साया थे फ़क़्त, नक़्श थे, बेदीवार थे मुद्रा।
*रवीन्द्र प्रभात

शनिवार, 11 जून 2016

डॉ अमर कुमार और अविनाश वाचस्पति की याद में दो महत्वपूर्ण सम्मान की उद्घोषणा।




जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत दस वर्षों मे परिकल्पना परिवार ने अपने दो महत्वपूर्ण साथियों को खोया है। एक डॉ अमर कुमार और दूसरे अविनाश वाचस्पति । इन दोनों शख़्सियतों का जाना किसी करिश्मे का ख़त्म होने जैसा रहा है। उन दोनों विभूतियों के अचानक अलविदा कह देने से केवल हिन्दी ब्लॉगिंग को ही नहीं बल्कि इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ । डॉ अमर कुमार ने जहां अपनी चुटीली टिप्पणियों से ब्लॉग पर नए-नए मुहबरे गढ़कर अपनी स्वतंत्र छवि विकसित की थी वहीं अविनाश वाचस्पति ने ब्लॉग पर नए-नए प्रयोगों को प्रतिष्ठापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्व के दिनों में परिकल्पना द्वारा इन दोनों विभूतियों की स्मृति में ग्यारह हजार रुपये के दो पुरस्कार क्रमश"अमर कुमार स्मृति परिकल्पना दशक  सम्मान" तथा "अविनाश वाचस्पति  स्मृति परिकल्पना दशक सम्मान" देने की घोषणा की गयी थी। आज उसकी सूची निर्णायकों ने सौंप दी है। दोनों महत्वपूर्ण सम्मान महिला ब्लॉगर के हिस्से में गया है, जिन्हें आगामी क्रमश: 25 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की आर्थिक राजधानी ऑकलैंड और 31 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की राजधानी वेलिंगटन में सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा। एक ब्लॉगर उत्तर भारत से और एक दक्षिण भारत से हैं।

आप कयास लगाएँ, हम शीघ्र ही चयन की अंतिम प्रक्रिया से गुजरते हुये उद्घोषित करेंगे।







 
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