मंगलवार, 22 नवंबर 2016

सम्पत देवी मुरारका को अमर कुमार स्मृति परिकल्पना दशक सम्मान





जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत दस वर्षों मे परिकल्पना परिवार ने अपने दो महत्वपूर्ण साथियों को खोया है। एक डॉ अमर कुमार और दूसरे अविनाश वाचस्पति । इन दोनों शख़्सियतों का जाना किसी करिश्मे का ख़त्म होने जैसा रहा है। उन दोनों विभूतियों के अचानक अलविदा कह देने से केवल हिन्दी ब्लॉगिंग को ही नहीं बल्कि इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ । डॉ अमर कुमार ने जहां अपनी चुटीली टिप्पणियों से ब्लॉग पर नए-नए मुहबरे गढ़कर अपनी स्वतंत्र छवि विकसित की थी वहीं अविनाश वाचस्पति ने ब्लॉग पर नए-नए प्रयोगों को प्रतिष्ठापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

परिकल्पना द्वारा इन दोनों विभूतियों की स्मृति में ग्यारह हजार रुपये के दो पुरस्कार क्रमश"अमर कुमार स्मृति परिकल्पना दशक  सम्मान" हैदराबाद, तेलांगना से सम्पत देवी मुरारका को तथा "अविनाश वाचस्पति  स्मृति परिकल्पना दशक सम्मान" रायपुर, छतीसगढ़ की डॉ. उर्मिला शुक्ल को देने का निर्णय लिया गया है। आज उसकी सूची निर्णायकों ने सौंप दी है। दोनों महत्वपूर्ण सम्मान महिला ब्लॉगर के हिस्से में गया है, जिन्हें आगामी क्रमश: 25 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की आर्थिक राजधानी ऑकलैंड और 31 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की सांस्कृतिक राजधानी हेमिल्टन में सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा। एक ब्लॉगर उत्तर भारत से और एक दक्षिण भारत से हैं।

हिंदी में यात्रा वृतांत की सुपरिचित हस्ताक्षर हैदराबाद (तेलंगाना) निवासी श्रीमती सम्पत देवी मुरारका, जिन्होने 2011 में बहुवचन नामक ब्लॉग प्रारम्भ किया जिसमें नेपाल, थाईलैंड, हांगकांग, सिंगापुर, लन्दन, बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली, फ्रांस, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, बफलो, फिलाडेल्फिया, वाशिंगटन डी.सी., वर्जीनीया, लॉस एन्जलस, लॉस वेगास, नेवेडा ग्रेंड केनन, सोलावेंग, हर्ष कैशल, सेन फ्रांसिस्, बर्सटोव, थौस्मिट नैशनल पार्क, लन्दन ब्रीज, सेंडीगो, 9सी वर्ल्ड), बाल्टीमोर, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन दुबई,आबूधाबी और युएई आदि देशों की यात्रा कर उन्होने वहाँ के सुखद संस्मरणों को अंकित करते हुये सृजन को नया आयाम देने की कोशिश की। वे एकसाथ कई विधाओं में सार्थक हस्तक्षेप रखती हैं। उन्हें 15 से 18 जनवरी 2015 के दौरान भूटान में आयोजित चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान से अलंकृत और विभूषित किया गया था। इसके अलावा वे पूर्व में भारतीय संस्कृति निर्माण परिषद्, हैदराबाद का महारानी झांसी पुरस्कार, भारतीय वांगमय पीठ, कोलकाता का सारस्वत सम्मान, जैमनी अकादमी पानीपत, हरियाणा का रामधारी सिंह दिनकर सम्मान, भारतीय संस्कृति निर्माण परिषद्, हैदराबाद का जन जागृति सद्भावना पुरस्कार, तमिलनाडू हिंदी साहित्य अकादमी, चेन्नई का साहित्य सेवी सम्मान आदि से अलंकृत और समादृत हो चुकी है।
हिंदी कहानी और कविता की सुपरिचित हस्ताक्षर रायपुर (छतीसगढ़) निवासी डॉ उर्मिला शुक्ल ने 2011 में मनस्वी नामक ब्लॉग प्रारम्भ किया जिसमें स्त्री शक्ति और लोकरंग को उन्होने प्रमुखता के साथ उठाते हुये सृजन को नया आयाम देने की कोशिश की। वे एकसाथ कई विधाओं यथा कहानी ,कविता , समीक्षा , शोध पत्र , यात्रा संसमरण आदि पर सार्थक हस्तक्षेप रखती हैं। उनकी पुस्तक ‘हिंदी अपने अपने मोर्चे पर‘ म. प्र. साहित्य परिषद द्वारा 1995 में पाण्डुलिपि प्रकाशन योजना के तहत पुरष्कृत एवं प्रकाशित हुयी है। उनकी प्रकाशित कृतियों में हिंदी अपने अपने मोर्चे पर, फूलमती तुम जागती रहना आदि प्रमुख है। उन्हें विगत 25 मई 2015 को कोलंबो (श्रीलंका) में आयोजित पंचम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में परिकल्पना सार्क सम्मान से अलंकृत और विभूषित किया गया था। अभी हाल ही में कलमकार फाउंडेशन नई दिल्ली की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में उनकी कहानी ‘सलफी का पेड़ नहीं औरत‘ को पुरस्कार के लिए चुना गया था। छत्तीसगढ़ से चुनी जाने वाली ये एकमात्र कहानी है। बस्तर पर आधारित ये कहानी-कहानी जगत में छत्तीसगढ़ को रेखांकित करती है।

शनिवार, 19 नवंबर 2016

आमंत्रण: सप्तम अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन न्यूजीलैंड



इस अवसर पर भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा फ़िजी के लगभग 50 ब्लॉगरों, साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों को भारतीय संस्था परिकल्पना तथा न्यूजीलैंड की संस्था ग्लोबल ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ पिपुल ऑफ इंडियन ओरिजेन वाईकाटों तथा भारतीत विद्या भवन न्यूजीलैंड की ओर से सम्मानित किया जाएगा।

पूरा आमंत्रण ठीक से पढ़ने के लिए यहाँ किलिक करें

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

बॉब डिलेन को नोबेल पुरस्कार


दुनिया में एक पुरस्कार जिसका पूरा साहित्यिक जगत बेसब्री से इंतजार करता है वह साहित्य का नोबेल पुरस्कार होता है। आज एक सुखद समाचार मिला कि अमेरिकी गीतकार और गायक बॉब डिलेन को इस साल का साहित्य का नोबेल पुरस्कार घोषित किया गया है। शायद गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के बाद यह दूसरा गीतकार है जिसे उसके गीतों के लिये नोबेल दिया जा रहा है। कहा गया है कि गीत में समय का स्पन्दन होता है  और वह जीवन्त समाज का परिचायक माना गया हैं। यही कारण है कि बॉब डिलेन अमेरिका के पॉप संगीत के एक ऐसे अमर गीतकार और गायक रहे हैं जिनके छ: सौ से अधिक गीतों ने अमेरिका की कई पीढ़ियों को मनुष्यता और प्रतिवाद की नई संवेदना से समृद्ध किया है। उनके सबसे लोकप्रिय गीतों में मिस्टर टैंबूरिन मैन से लेकर लाइक ए रोलिंग स्टोन, ब्लोइंग इन द विंड और द टाइम्स दे आर चेजिंग शामिल हैं।

विश्व साहित्य जगत में हैरत का कारण यह है कि आमतौर पर साहित्य का नोबेल ऐसे साहित्यकारों को मिलता आया है जिन्होंने अपनी कला की अभियक्ति के लिए जीवन की जटिलताओं को अपना विषय बनाया हो। पुरस्कार की घोषणाएं हुए अभी कुछ ही घंटे हुए हैं। साहित्य के क्षेत्र के आलोचक उनकी रचनाओं को नोबेल पुरस्कार के लिहाज से नए सिरे से जानेंगे समझेंगे।


यहाँ हम उनके एक प्रसिद्ध गीत - Blowin' In The Wind को साझा कर रहे हैं और उसका हिंदी अनुवाद  भी, ताकि आप इन संवेदनाओं को अपनी भाषा में महसूस कर सकें-

Blowin' In The Wind Lyrics

How many roads must a man walk down
Before you call him a man ?
How many seas must a white dove sail
Before she sleeps in the sand ?
Yes, how many times must the cannon balls fly
Before they're forever banned ?
The answer my friend is blowin' in the wind
The answer is blowin' in the wind.

Yes, how many years can a mountain exist
Before it's washed to the sea ?
Yes, how many years can some people exist
Before they're allowed to be free ?
Yes, how many times can a man turn his head
Pretending he just doesn't see ?
The answer my friend is blowin' in the wind
The answer is blowin' in the wind.

Yes, how many times must a man look up
Before he can see the sky ?
Yes, how many ears must one man have
Before he can hear people cry ?
Yes, how many deaths will it take till he knows
That too many people have died ?
The answer my friend is blowin' in the wind
The answer is blowin' in the wind

(हिन्दी में)
कितने रास्ते तय करे आदमी
कि तुम उसे इंसान कह सको ?
कितने समंदर पार करे एक सफ़ेद कबूतर
कि वह रेत पर सो सके ?
हाँ, कितने गोले दागे तोप
कि उनपर हमेशा के लिए पाबंदी लग जाए?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है ।

हाँ, कितने साल क़ायम रहे एक पहाड़
कि उसके पहले समंदर उसे डुबा न दे ?
हाँ, कितने साल ज़िंदा रह सकते हैं कुछ लोग
कि उसके पहले उन्हें आज़ाद किया जा सके?
हाँ, कितनी बार अपना सिर घुमा सकता है एक आदमी
यह दिखाने कि उसने कुछ देखा ही नहीं ?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है ।

हाँ, कितनी बार एक आदमी ऊपर की ओर देखे
कि वह आसमान को देख सके?
हाँ, कितने कान हो एक आदमी के
कि वह लोगों की रुलाई को सुन सके?
हाँ, कितनी मौतें होनी होगी कि वह जान सके
कि काफी ज्यादा लोग मर चुके हैं ?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है।

मंगलवार, 14 जून 2016

विचारों से बहुत मजबूत थे, दमदार थे मुद्रा।











बड़े ज़िद्दी, बड़े निडर, बड़े खुद्दार थे मुद्रा
हमारे बीच के फिक्रमंद फनकार थे मुद्रा।

उन्हें इन मील के पत्थरों से क्या मतलब-
जब सफ़र के लिए हर वक्त तैयार थे मुद्रा।

दिन को रात औ रात को दिन कभी न कहा-
तरक्कीपसंद इस क़ौम के तलबगार थे मुद्रा।

उन्हें बस धर्म से, पाखंड से उबकाई आती थी-
विचारों से बहुत मजबूत थे, दमदार थे मुद्रा।

हमारे बीच जिंदा हैं, रहेंगे सोच की हद तक-
वो साया थे फ़क़्त, नक़्श थे, बेदीवार थे मुद्रा।
*रवीन्द्र प्रभात

शनिवार, 11 जून 2016

डॉ अमर कुमार और अविनाश वाचस्पति की याद में दो महत्वपूर्ण सम्मान की उद्घोषणा।




जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत दस वर्षों मे परिकल्पना परिवार ने अपने दो महत्वपूर्ण साथियों को खोया है। एक डॉ अमर कुमार और दूसरे अविनाश वाचस्पति । इन दोनों शख़्सियतों का जाना किसी करिश्मे का ख़त्म होने जैसा रहा है। उन दोनों विभूतियों के अचानक अलविदा कह देने से केवल हिन्दी ब्लॉगिंग को ही नहीं बल्कि इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ । डॉ अमर कुमार ने जहां अपनी चुटीली टिप्पणियों से ब्लॉग पर नए-नए मुहबरे गढ़कर अपनी स्वतंत्र छवि विकसित की थी वहीं अविनाश वाचस्पति ने ब्लॉग पर नए-नए प्रयोगों को प्रतिष्ठापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्व के दिनों में परिकल्पना द्वारा इन दोनों विभूतियों की स्मृति में ग्यारह हजार रुपये के दो पुरस्कार क्रमश"अमर कुमार स्मृति परिकल्पना दशक  सम्मान" तथा "अविनाश वाचस्पति  स्मृति परिकल्पना दशक सम्मान" देने की घोषणा की गयी थी। आज उसकी सूची निर्णायकों ने सौंप दी है। दोनों महत्वपूर्ण सम्मान महिला ब्लॉगर के हिस्से में गया है, जिन्हें आगामी क्रमश: 25 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की आर्थिक राजधानी ऑकलैंड और 31 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की राजधानी वेलिंगटन में सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा। एक ब्लॉगर उत्तर भारत से और एक दक्षिण भारत से हैं।

आप कयास लगाएँ, हम शीघ्र ही चयन की अंतिम प्रक्रिया से गुजरते हुये उद्घोषित करेंगे।







मंगलवार, 1 मार्च 2016

विश्व के दस शहरों में आयोजित होंगे परिकल्पना दशकीय परिसंवाद

गले 22 अप्रैल को हमारी-आपकी यह परिकल्पना दस वर्ष की हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि यह कृति आज से ग्यारह वर्ष पूर्व पहले जियोसिटीज़ पर फिर ब्लॉग स्पॉट पर अस्तित्व में आई थी। आगे चलकर यह संस्था के रूप में परिवर्तित भी हुयी और पंजीकृत भी। अबतक छ: अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन क्रमश: दिल्ली, लखनऊ, काठमाण्डू, थिंपु, कोलंबो और बैंकॉक में आयोजित करने का श्रेय हिन्दी ब्लॉग जगत में केवल और केवल परिकल्पना को ही जाता है। जगजाहीर है कि परिकल्पना का ब्लॉग सर्वेक्षण रहा हो अथवा ब्लॉग उत्सव  सर्वथा नए-नए आयाम स्थापित हुये हैं। आज पूरे विश्व में बिखरे हुये हिन्दी ब्लॉगरों का एक बड़ा समूह परिकल्पना के साथ जुड़ा हुआ है। लगभग 150 हिन्दी तथा गैर हिन्दी ब्लॉगरों एवं साहित्यकारों को देश-विदेश के मंचों पर सम्मानित करने का श्रेय आपकी परिकल्पना को जाता है। इस पर तथा इसके सहयोगी चिट्ठों पर प्रकाशित सामग्रियों को समेटकर हमने  "हिन्दी ब्लॉग का इतिहास" प्रकाशित किया, जो आज भी हिन्दी ब्लॉग जगत के लिए यह एक महत्वपूर्ण सामग्री है।

हमने निश्चय किया है, कि परिकल्पना की सफलतम दशकीय यात्रा के समापन का आगाज अगले एक वर्ष तक विश्व के दस महत्वपूर्ण शहरों में "परिकल्पना दशकीय परिसंवाद" का आयोजन करके किया जाये। 
प्रस्ताव इस प्रकार है: 

 क्र. सं. शहर का नामप्रदेश/देश का नाम प्रस्तावित तिथि उल्लेखनीयता
1गोरखपुर
 उत्तर प्रदेश/भारत  
      22 अप्रैल 2016    
पूर्वाञ्चल का द्वार
2औरंगाबाद
महाराष्ट्र/भारत
21 अगस्त 2016
महाराष्ट्र का एक महानगर
3

अजंता  
महाराष्ट्र/भारत
22 अगस्त 2016 युनेस्को की विश्व धरोहर 
4
एलोरा
महाराष्ट्र/भारत     23 अगस्त 2016 युनेस्को की विश्व धरोहर
5

कुआलालम्पुर

मलेशिया       23 सितंबर 2016मलेशिया की राजधानी
6

सिंगापुर 

सिंगापुर
25 सितंबर 2016
छोटा, सुंदर व विकसित देश
7

ऑकलैंड   

न्यूजीलैंड     
23 दिसंबर 2016  
दुनिया का सबसे सुंदर  देश
8

हेमिल्टन

न्यूजीलैंड  
25 दिसंबर 2016
दुनिया का सबसे बड़ा  द्वीप
 9
लखनऊ
उत्तर प्रदेश/भारत   
 22  फरवरी 2017
परिकल्पना का मुख्यालय
10
नई दिल्ली  
भारत   
 22  मार्च 2017
भारत की राजधानी


जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत दस वर्षों में परिकल्पना परिवार ने अपने दो महत्वपूर्ण साथियों को खोया है। एक अमर कुमार और दूसरे अविनाश वाचस्पति । इसलिए इन दोनों शख़्सियतों को समर्पित होगा परिकल्पना का समग्र दशकीय परिसंवाद।

साथ ही  इन दोनों शख़्सियतों की याद  में लखनऊ एवं नई दिल्ली  में  क्रमश"अमर कुमार स्मृति ब्लॉग दशक  सम्मान" तथा "अविनाश वाचस्पति  व्यंग्य दशक सम्मान" से  एक- एक ब्लॉगर को  सम्मानित  किया जाएग। इस सम्मान के अंतर्गत  प्रत्येक सममानधारकों  को  रु 11000/-  नकद, अंगवस्त्र  और  मान पत्र भेंट  किए जाएँगे।

शेष जानकारी शीघ्र ही......

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

अद्भुत और अद्वितीय होगा न्यूज़ीलैंड का ब्लॉगर सम्मेलन

............पिछले पोस्ट से आगे बढ़ते हुये
ब न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टावर पर शानदार आतिशबाजी के साथ नव वर्ष का सेलिब्रेशन शुरू होगा तो पूरी दुनिया के हिन्दी ब्लॉगर वहाँ उपस्थित रहेंगे। यह एक शानदार पल होगा जब हम नव वर्ष की पूर्व संध्या पर नए साल का आगाज करेंगे, क्योंकि पूरी दुनिया में न्यूजीलैंड एक ऐसा देश है जहां एक दिन पूर्व ही नव वर्ष मनाया जाता है। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया नववर्ष का सबसे पहले स्वागत करता है। न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टावर पर लोगों की भीड़ जुटती है, जहां लेजर शो का आयोजन और आतिशबाजी होती है। स्काई टावर को इस मौके पर खास तौर पर सजाया जाता है। नए साल की शुरूआत के साथ ही स्काई टावर रोशनी से नहा उठता है। स्काई टावर से निकलती आतिशबाजियों से पूरा ऑकलैंड जगमगा उठता है। बता दें, न्यूजीलैंड के बाद नववर्ष के समारोहों का आगाज ऑस्ट्रेलिया में होता है। 

जिस शहर यानि ऑकलैंड में आगामी 22 दिसंबर 2016 से 01 जनवरी 2017 तक सप्तम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन होना है, उसके बारे मे जाने एक वीडियो के माध्यम से-


जो प्रतिभागी इस आयोजन में शामिल होने के इच्छुक हो वे
निम्न ईमेल पर संपर्क करें : parikalpnaa00@gmail.com

 
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