शनिवार, 1 जुलाई 2017

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस: चलो सकारात्मकता की ओर.....






प्रतिबद्ध हूँ, संबद्ध हूँ और आवद्ध हूँ ..... बाबा आपके सुझाए रास्ते पर चल सकूँ बस इसलिए कटिबद्ध हूँ। साहित्य हो या ब्लॉग दोनों रचनात्मकता से सकारतमकता की ओर ले चलने का मार्ग है। ब्लॉग यानी चिट्ठा मनुष्य की समता और ममता को मजबूती प्रदान करता है। बसर्ते लेखन में प्रतिबद्धता हो। जब आप नए-नए सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति  के दौर से गुजरते हैं तब आपका मन डायरी लिखने की प्रवृत्ति को जन्म देता है। यही तो है ब्लॉग। और क्या है? 

किन्तु यह विचारों के प्रवाह को रोकता नहीं, आगे बढ़ाता है। हिमालय को काटकर गंगा बहाता है। सूर्य को जलाकर रोशनी देता है। व्यक्तिगत चेतना को मजबूती  और विचारों को नियंत्रित रखता है। कुछ लोग कहते हैं हिन्दी हमारी मातृभाषा थी, अब मात्र भाषा रह गयी है और कल मृत भाषा हो जाएगी। ऐसा नहीं है, यह तो नकारात्मक सोचने वालों के विचार हैं। हमारे नहीं, हम ब्लॉगर हैं, चिट्ठाकार हैं । हम दृढ़ प्रतिज्ञ हैं सकारात्मकता की ओर बढ़ने के लिए। आइए हिन्दी चिट्ठाकारिता को देते हैं एक नया आयाम और बढ़ते हैं सकारात्मकता की ओर.....
 
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