tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post1326724702314174168..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: ब्लॉगोत्सव २०१४, उन्नीसवाँ दिन, विविध रंग-रूप की प्रविष्टियाँरवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-70735447552194123712014-06-23T20:18:37.667+05:302014-06-23T20:18:37.667+05:30मेरी कविताओं के मामले में बेचैनी यही थी कि इस दहली...मेरी कविताओं के मामले में बेचैनी यही थी कि इस दहलीज़ वाली पोजीशन से अरबी भाषा में कविता कैसे लिखी जाए।<br /> (c) cheerविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-36467873741193792912014-06-23T16:17:18.729+05:302014-06-23T16:17:18.729+05:30आपके टिकने की जगह या 'पोजीशन' का सवाल, लेख...आपके टिकने की जगह या 'पोजीशन' का सवाल, लेखन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। फ़र्ज़ कीजिए, हम पांच कवियों को एक गुलाब या एक लाश देते हैं और उस पर लिखने के लिए कहते हैं।<br /><br />क्या नजरिया है एक गुलाब और एक लाश वाह :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com