tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post231936924412529849..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: ...... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (3)रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-52903688746328826772013-01-19T09:31:43.910+05:302013-01-19T09:31:43.910+05:30आज की घटनाओं पर आधारित सुन्दर
भावपूर्ण अभिव्यक्त...आज की घटनाओं पर आधारित सुन्दर <br /><br />भावपूर्ण अभिव्यक्तियाँ ....आभार व बधाई !<br /><br />सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-90753755744239832892013-01-18T15:43:40.704+05:302013-01-18T15:43:40.704+05:30सभी रचनाओं का चयन एवं प्रस्तुति अनुपम ...
जो सर...सभी रचनाओं का चयन एवं प्रस्तुति अनुपम ... <br /> जो सर की अहमियत नहीं जानते <br />उनके सर को नीलाम कर देगी <br />अहमियत नहीं जाननेवाले दुश्मन ही हैं .........<br />बहुत सही कहा आपने <br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-30833627319804949202013-01-18T10:50:11.820+05:302013-01-18T10:50:11.820+05:30सुन्दर रचनाएँ.सुन्दर रचनाएँ.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-40097547745962754832013-01-18T10:48:23.346+05:302013-01-18T10:48:23.346+05:30हर रचना चीखती हुई सी ...कोई चीख भीतर दबी हुई...कुछ...हर रचना चीखती हुई सी ...कोई चीख भीतर दबी हुई...कुछ सरे आम चीखती हुई ....सभी प्रभावपूर्ण ...हमेशा की तरह Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-53719614580802898062013-01-18T10:44:19.300+05:302013-01-18T10:44:19.300+05:30परिवर्तन अपनी आर्मी कर सकती है
और करेगी .....
उसन...परिवर्तन अपनी आर्मी कर सकती है <br />और करेगी .....<br />उसने देश के लिए बहुत किया <br />न कोई रहनुमा न कोई मुक्ति दाता,<br />जिनके हाथ कानून वही घातक<br />कोई कृष्ण नहीं आयेगे<br />खुद को खुद ही बचाना होगा<br />लेकर हाथों में मशाल<br />अखंड ज्योति हूँ दुर्गा हूँ मैं निर्भया <br />मिट पाऊँ कभी न, मैं हूँ अक्षया<br /> मैं हूँ !!<br />विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.com