tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post2963894408454035917..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: बैल नही हो सकता आदमी कभी भीरवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-5754691432969443752007-10-26T13:44:00.000+05:302007-10-26T13:44:00.000+05:30अच्छी रचना,बहुत सुंदर्,....एकद्म सही कहा आप न,कटु ...अच्छी रचना,बहुत सुंदर्,....एकद्म सही कहा आप न,कटु सत्य है.बधाई.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-23140391035196835302007-10-26T10:49:00.000+05:302007-10-26T10:49:00.000+05:30सुरम्य रचना! कटु सत्य तो यही है कि सारे विवाहित पु...सुरम्य रचना! कटु सत्य तो यही है कि सारे विवाहित पुरुष 'बैल' की तरह जिन्दगी भर 'गृहस्थी' की गाड़ी खींचते रहते हैं। वैसे महाभारत की कथा है कि उर्वशी ने अर्जुन को "बैल" बना दिया था अभिशाप देकर, अपना प्रणय-निवेदन ठुकराने पर।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-68421568320739473242007-10-24T21:25:00.001+05:302007-10-24T21:25:00.001+05:30अब क्या बतायें? सारा 'बैल चिंतन' तो शेयर मार्केट म...अब क्या बतायें? सारा 'बैल चिंतन' तो शेयर मार्केट में सिमट कर रह गया है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-19567525457755987852007-10-24T21:25:00.000+05:302007-10-24T21:25:00.000+05:30रवीन्द्र जी एकद्म सही कहा आप ने, मेरी हिन्दी थोड़ी ...रवीन्द्र जी एकद्म सही कहा आप ने, मेरी हिन्दी थोड़ी कमजोर है, क्या बैल और सांड दो अलग अलअग प्राणी हैं , अगर नही तो एक जगह है जहां बैल की बहुत पूछ है , जहां हर दम उसके गुण गाये जाते हैं- शेयर मार्केटAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-28845199770525950892007-10-24T20:03:00.000+05:302007-10-24T20:03:00.000+05:30बहुत बढिया! सही कहा है।बहुत बढिया! सही कहा है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-85740360436646067732007-10-24T19:59:00.000+05:302007-10-24T19:59:00.000+05:30अद्भुत!!!सारे तथ्यों पर निगाह और उस निगाह पर भी चौ...अद्भुत!!!<BR/>सारे तथ्यों पर निगाह और उस निगाह पर भी चौकसी… वाकई बहुत सुंदर्… भीतर तक टटोल गई यह रचना…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-55046100666351967062007-10-24T19:41:00.000+05:302007-10-24T19:41:00.000+05:30सत्य वचन. अच्छी रचना. बधाई.सत्य वचन. अच्छी रचना. बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-48758371790478763812007-10-24T16:14:00.000+05:302007-10-24T16:14:00.000+05:30कविता अच्छी है रवीन्द्र भाई और बात भी कायदे की है....कविता अच्छी है रवीन्द्र भाई और बात भी कायदे की है. औरत को अगर गाय कहा जाये तब भी ठीक है. मगर आदमी अगर बैल हो जाये तो गईया को भी नही भाता है. आप कुच्छ भी कह लें लेकिन जमाना तो साँढों का है जो जिस खेत मे जी चाहे घुस कर चरने लगते है.बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.com