tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post3134108444693263079..comments2024-03-11T12:50:36.553+05:30Comments on परिकल्पना: कौन करता है यकीं इस गांधी के उपदेश में ?रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-8137691289272815792007-10-20T16:21:00.000+05:302007-10-20T16:21:00.000+05:30रवीन्द्र जी अब तो ये हाल है कि हर जगह गान्धी की तस...रवीन्द्र जी अब तो ये हाल है कि हर जगह गान्धी की तस्वीर दीवाल पर टंगी हुई है और हम सबने उनकी तरफ़ पीढ कर ली है. <BR/>तो भला कौन करे गांधी की बातो पर यकीन. <BR/>बहुत खूब.<BR/> गांधी बाबा खुश होगे या नाराज आपका ये पोस्ट पढ कर अब तो ये भी कहना मुश्किल है.बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-35404311205971941252007-10-05T22:16:00.000+05:302007-10-05T22:16:00.000+05:30बिल्कुल सही रचना है रविंदर भाई ,कौन यकीन कर्ता है ...बिल्कुल सही रचना है रविंदर भाई ,कौन यकीन कर्ता है गांधी के उपदेश में ...अच्छी रचना है ...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-84281925532676105562007-10-03T20:10:00.000+05:302007-10-03T20:10:00.000+05:30प्रिय रवीन्द्र जी,आपकी कविता प्रासंगिक हैं, अच्छी ...प्रिय रवीन्द्र जी,<BR/>आपकी कविता प्रासंगिक हैं, अच्छी लगी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-74855485576199857392007-10-02T22:27:00.000+05:302007-10-02T22:27:00.000+05:30कल तक जो पोषक थे, आज शोषक बन गए-कौन करता है यकीं इ...कल तक जो पोषक थे, आज शोषक बन गए-<BR/>कौन करता है यकीं इस गांधी के उपदेश में ? <BR/>-----------------<BR/><BR/>सत्य को उद्घाटित करती पंक्तियां<BR/>दीपक भारतदीपdpkrajhttps://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-38807670643290027352007-10-02T21:36:00.000+05:302007-10-02T21:36:00.000+05:30सही कह रहे हैं. आईये हम ही याद करें:बापू को शत शत ...सही कह रहे हैं. आईये हम ही याद करें:<BR/><BR/>बापू को शत शत नमन.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-81463702958923418892007-10-02T15:42:00.000+05:302007-10-02T15:42:00.000+05:30कल तक जो पोषक थे, आज शोषक बन गए-कौन करता है यकीं इ...कल तक जो पोषक थे, आज शोषक बन गए-<BR/>कौन करता है यकीं इस गांधी के उपदेश में ? <BR/>---------------------<BR/>शायद बापू इस यकीन न कर सकने के अन्धेरे के कारण और भी प्रासंगिक हैं.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com