tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post3210676869672116515..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: आबार एशो [ फिर आना ]रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-73686958327705196592012-12-18T07:31:30.949+05:302012-12-18T07:31:30.949+05:30आदरणीय रश्मि दीदी ,
देरी से आने के लिए क्षमा . कु...आदरणीय रश्मि दीदी , <br />देरी से आने के लिए क्षमा . कुछ इस तरह से व्यस्त हो गया था की आ ही नहीं पाया . <br />मैं दिल से आभारी हूँ , आपके इस पोस्ट के लिए . आपने परिकल्पना पर मुझे स्थान दिया , मेरे लिए ये बहुत बड़ी बात है . <br /><br />इसके लिए धन्यवाद. <br /><br />आदरणीय आकाश मिश्र जी , आपके कमेंट ने मेरी कहानी में जान डाल दी. <br /><br />आप सभी मित्रो का दिल से आभार . <br /><br />विजय <br />vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-33507693383944006502012-12-13T20:23:21.321+05:302012-12-13T20:23:21.321+05:30बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुतियां...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुतियां...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-67098416170254039362012-12-13T20:05:08.045+05:302012-12-13T20:05:08.045+05:30आबार एसो -हर कड़ी बहुत रोचक और भाव पूर्ण है -ऐसा लग...आबार एसो -हर कड़ी बहुत रोचक और भाव पूर्ण है -ऐसा लगता है हर एक घटना बिलकुल हमारे सामने घटित हो रहा -बहुत सुन्दर प्रस्तुति कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-17176101383649726162012-12-13T17:57:51.369+05:302012-12-13T17:57:51.369+05:30प्रस्तुति अच्छी लगी..प्रस्तुति अच्छी लगी..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-27375088744793854592012-12-13T13:00:19.335+05:302012-12-13T13:00:19.335+05:30बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
आभार सहित
सादरबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...<br />आभार सहित<br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-75700338392790122862012-12-13T11:45:18.118+05:302012-12-13T11:45:18.118+05:30'आबार एशो' के बारे में तो क्या कहूँ , इतनी...'आबार एशो' के बारे में तो क्या कहूँ , इतनी प्यारी कहानियाँ | ऐसा लग रहा था कि हर भाग अपने में एक लघु फिल्म है इस सहजता से भावों और घटनाओं का वर्णन किया गया | जो बांग्ला भाषा नहीं समझता उसके लिए आबार एशो शब्द को एक अधखुले रहस्य की तरह इस्तेमाल किया गया जिस पर से पर्दा इस विषय पर लिखी निशिकांत कि कविता से हटता है | अनिमा के जरिये ऐसे खूबसूरत भाव उकेरे गए हैं कि लगता है जैसे ये पोस्ट अणिमा की कोई खूबसूरत तस्वीर या निशिकांत की कोई कविता हो | एक और खास बात हर जगह न ही कलकत्ता शब्द का प्रयोग हुआ है और न ही कोलकाता बल्कि कोलकत्ता , बढ़िया लगा |<br />और जहां तक में इन युनिफोर्म की बात है तो एक सच्चाई का बयान है इसमें , मरने से ठीक पहले की जिंदगी में पूरी जिंदगी दिखा दी गयी है और एनेमी स्टिल एट द गेट्स ने कहानी को और ऊँचाई दी है - <br />मेरे हिस्से का जो कर्ज था ,<br />मैंने मर कर अदा किया | :)<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.com