tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post3355805254622944937..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: पके आम सा मन हुआ , रची पान सी प्रीत !!रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-33465110721829532732008-03-19T11:24:00.000+05:302008-03-19T11:24:00.000+05:30आपकी कविता पढ कर मन होली के रंगों में भीग गया। बधा...आपकी कविता पढ कर मन होली के रंगों में भीग गया। बधाई स्वीकारें।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-48298389949268037382008-03-18T20:48:00.000+05:302008-03-18T20:48:00.000+05:30न केवल चित्र वरन पंक्तियां भी रंग मय है! पूरा फागु...न केवल चित्र वरन पंक्तियां भी रंग मय है! पूरा फागुन का अन्दाज।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-84073264822222385742008-03-18T20:03:00.000+05:302008-03-18T20:03:00.000+05:30भाई बहुत बढ़िया. एकदम छा गया सुरूर. कमाल के दोहे...भाई बहुत बढ़िया. एकदम छा गया सुरूर. कमाल के दोहे. मस्त कर दिया आपने.अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-68903000240812750092008-03-18T17:21:00.001+05:302008-03-18T17:21:00.001+05:30भाई बड़ी अच्छी बयार है आपके यहाँ, अब तो थोड़ा सुरूर ...भाई बड़ी अच्छी बयार है आपके यहाँ, अब तो थोड़ा सुरूर भी बनने लगा है होली का..मज़ा आ गयाVIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-167365722380121352008-03-18T17:21:00.000+05:302008-03-18T17:21:00.000+05:30रविन्द्र जीबहुत सुंदर दोहे हैं...किसकी तारीफ करूँ ...रविन्द्र जी<BR/>बहुत सुंदर दोहे हैं...किसकी तारीफ करूँ जब सब एक से बढ़ कर एक हैं...वाह... <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-25241163536701272692008-03-18T17:01:00.000+05:302008-03-18T17:01:00.000+05:30तन पे सांकल फागुनी, नेह लुटाये मीत !पके आम सा मन ह...तन पे सांकल फागुनी, नेह लुटाये मीत !<BR/>पके आम सा मन हुआ , रची पान सी प्रीत !!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.com