tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post3675425904846924087..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: कलयुग का भविष्य-महर्षि वेदव्यास ।रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-2448812255504519122012-06-12T18:12:17.508+05:302012-06-12T18:12:17.508+05:30यह पोस्ट तो लगता है नोस्ट्रेड्मस ने पढ़ मारी होग...यह पोस्ट तो लगता है नोस्ट्रेड्मस ने पढ़ मारी होगी अपनी भविक्ष्यवाणियां लिखने से पहलेKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-24126492642508179222012-06-12T18:05:51.658+05:302012-06-12T18:05:51.658+05:30सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है-"सही"। कल...सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है-"सही"। कलियुग में एक फिल्मी गीत लिखा गया है "रामचन्द कह गये सिया से ...." जिसने भी लिखा है यथार्थ है। सृजन की पराकाष्ठा है विनाश, और विनाश में बीज होते हैं नव सृजन के....तथापि यह सोचाकर अकर्मण्य या हताश होने की आवश्यकता नहीं।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com