tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post4018726167448325624..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: परिकल्पना - खोज और अमरत्व रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-51014602722380071822013-11-09T16:11:41.128+05:302013-11-09T16:11:41.128+05:30बहुत खूब !
मरने के बाद का इंतजाम :)बहुत खूब !<br />मरने के बाद का इंतजाम :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-85531654087433233582013-11-09T12:24:59.750+05:302013-11-09T12:24:59.750+05:30अमरत्व पर बेहद रोचक और जानकारीपरक प्रस्तुति के लिय...अमरत्व पर बेहद रोचक और जानकारीपरक प्रस्तुति के लिये आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-50990322901684979082013-11-09T11:42:02.120+05:302013-11-09T11:42:02.120+05:30 यदि मधुरतम, सुखद स्मृतियाँ बंधी हों तो वहां दुबार... यदि मधुरतम, सुखद स्मृतियाँ बंधी हों तो वहां दुबारा कभी नहीं जाना चाहिए,नहीं तो कालखंड विशेष में सुरक्षित सुखद स्मृतियों को आघात पहुँचता है,क्योंकि तबतक समय और परिस्थितियां पूर्ववत नहीं रहतीं.<br /><br />यह अमरता बड़ी सांसारिक किस्म की चीज़ है। और हर कोई इसे थोड़ा कम या ज्यादा हासिल ही कर सकता है<br /><br />~~विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.com