tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post573490151788300917..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: कितना भी कह लो - शेष रह ही जाता है (आखिर से पहले)रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-61509620159866237512013-01-03T19:58:44.579+05:302013-01-03T19:58:44.579+05:30कैलाश जी के कमेन्ट से पूरा इत्तेफाक रखता हूँ , कृष...कैलाश जी के कमेन्ट से पूरा इत्तेफाक रखता हूँ , कृष्ण की तलाश में सुदामा को भूल गए |<br /><br />सादर Akash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-62184203919827101142013-01-02T12:28:26.751+05:302013-01-02T12:28:26.751+05:30नए के आगाज़ के लिए शेष का रहना जरुरी है नए के आगाज़ के लिए शेष का रहना जरुरी है Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-91664539027572127552013-01-01T15:32:00.006+05:302013-01-01T15:32:00.006+05:30
मित्र यानि बिना कुछ कहे कहनेवाला
और सुननेवाला
न...<br />मित्र यानि बिना कुछ कहे कहनेवाला <br />और सुननेवाला <br />न स्वार्थ,न दंभ ...<br />न वक्र,न मिथ <br />कृष्ण को तो बहुत टेरा हमने <br />अब सुदामा को ढूंढ लाना है <br />नि:शब्द करते इन पंक्तियों के भाव ... <br />सभी रचनाओं का चयन एवं प्रस्तुति अनुपम ... <br />आभार सहित सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-36019078660570386482013-01-01T14:36:21.009+05:302013-01-01T14:36:21.009+05:30हम कृष्ण की तलाश में सुदामा को भूल गए हैं..उत्कृष्...हम कृष्ण की तलाश में सुदामा को भूल गए हैं..उत्कृष्ट रचनाओं के चयन के लिए आभार..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com