tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post7067994654832718031..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: पाश्चात्य चश्में से भारतीय गरीबी को नंगा दिखाने का यह कैसा षडयंत्र है ?रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-9522952192568890272009-04-24T17:28:00.000+05:302009-04-24T17:28:00.000+05:30सटीक और विचार करने योग्य बात कही है आपने . आभारसटीक और विचार करने योग्य बात कही है आपने . आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-40874194486692181952009-04-23T14:17:00.000+05:302009-04-23T14:17:00.000+05:30भारत की गरीबी बेचकर अपनी अमीरी बढ़ाने वाले कुछ विद...भारत की गरीबी बेचकर अपनी अमीरी बढ़ाने वाले कुछ विदेशी लोग - ये कब सुधरेंगे?Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-5291334857719684652009-04-23T11:20:00.000+05:302009-04-23T11:20:00.000+05:30हर किसी को शोषित की कहानी अच्छी लगती है क्योंकि अन...हर किसी को शोषित की कहानी अच्छी लगती है क्योंकि अन्य अनेक चीजों कि तरह मुक्त बाज़ार में गरीबी भी एक अच्छा ब्यापार है , शायद इसलिए उसने उडाया है हमारी गरीबी का उपहास !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-13860995481531074902009-04-23T10:46:00.000+05:302009-04-23T10:46:00.000+05:30आपने सही कहा है, कि वैश्वीकरण के बावजूद भी संस्कृत...आपने सही कहा है, कि वैश्वीकरण के बावजूद भी संस्कृतियाँ एक-दूसरे को समझने में काफी हद तक नाकाम रही है . यह कभी न बदलने वाले लोकप्रिय पूर्वी रूढिवादी धारणा का हिस्सा है .हम इन बातों से बखूबी वाकिफ हैं .अपनी टिपण्णी में जयंत जी ने बड़ी अच्छी बात कही है कि मेरे घर का कचरा मैं ही देखूंगा और साफ़ करूंगा..<br />मेरा पडोसी कौन होता है घर में घुस के झाँक के मुझे ही मेरे घर के बारे नसीहत देने वाला?<br /><br />वो लोग क्यों नहीं अपना कचरा (ड्रग्स, सेक्स, हिंसा, रंग-भेद आदि) साफ़ करते हैं?<br />यहाँ मैं शास्त्री जी के भी विचारों से सहमत हूँ कि हमे सबसे पहले तो इन देशी अंग्रेजों को ठिकाने लगाना होगा.<br />आपकी दृढ़ता को मैं प्रणाम करता हूँ !गीतेशhttps://www.blogger.com/profile/14766567920202691433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-27937899320007473022009-04-23T09:08:00.000+05:302009-04-23T09:08:00.000+05:30विदेशों में वाकई में एक तबका ऐसा है जो हम को नंगा ...विदेशों में वाकई में एक तबका ऐसा है जो हम को नंगा दिखाना चाहता है. लेकिन यह न भूलें कि ये लोग इसलिये सफल हो जाते हैं क्योंकि हिन्दुस्तान में इनके काफी पिछलग्गू हैं जो अपने भाईबहनों को अनावृत करने में अत्यंत आनंद और घमंड महसूस करते हैं.<br /><br />हमे सबसे पहले तो इन देशी अंग्रेजों को ठिकाने लगाना होगा.<br /><br />सस्नेह -- शास्त्रीShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-84800146429243577312009-04-23T08:58:00.000+05:302009-04-23T08:58:00.000+05:30बहुत सुन्दर ब्लाग है अर्थात रचनायें. आपसे जहां सहम...बहुत सुन्दर ब्लाग है अर्थात रचनायें. आपसे जहां सहमति नहीं है वह है धर्म निरपेक्षता और साम्प्रदायिकता, यह शब्द हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिये गढा़ गये हैं. हिन्दू अपने हित की बात करें तो साम्प्रदायिक मुसलमान करें तो धर्म निरपेक्ष. और दुनिया में कोई भी आदमी निरपेक्ष नहीं हो सकता.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-62242161654191835032009-04-22T22:46:00.000+05:302009-04-22T22:46:00.000+05:30दिगम्बर नासवा जी,
सच तो है, पर मेरे घर का कचरा मै...दिगम्बर नासवा जी,<br /><br />सच तो है, पर मेरे घर का कचरा मैं ही देखूंगा और साफ़ करूंगा..<br />मेरा पडोसी कौन होता है घर में घुस के झाँक के मुझे ही मेरे घर के बारे नसीहत देने वाला?<br /><br />वो लोग क्यों नहीं अपना कचरा (ड्रग्स, सेक्स, हिंसा, रंग-भेद आदि) साफ़ करते हैं?<br /><br />~जयंतजयंत - समर शेषhttps://www.blogger.com/profile/13334653461188965082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-45073492933454026632009-04-22T22:43:00.000+05:302009-04-22T22:43:00.000+05:30जो सदियों से चला आ रहा है... वर्ण विभेद, उसी के चल...जो सदियों से चला आ रहा है... वर्ण विभेद, उसी के चलते हमें नीचा दिखाने का प्रयास आज भी जारी है..<br />आपने सच लिखने का साहस किया..<br /><br />आपकी सचमुच जय हो!!!<br /><br />~जयंतजयंत - समर शेषhttps://www.blogger.com/profile/13334653461188965082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-43132076499489448512009-04-22T18:36:00.000+05:302009-04-22T18:36:00.000+05:30आपका कहना कुछ हद तक सही है............पर मुझे लगता...आपका कहना कुछ हद तक सही है............पर मुझे लगता है सब से पहले हमें खुद अपना घर देखना होगा...........हम , हमारा मीडिया कितना सजग है भारत का सम्मान रखने के लिए..............दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-64317977682006118222009-04-22T17:32:00.000+05:302009-04-22T17:32:00.000+05:30सचमुच आपने जो कहा वह कड़वा सच है !सचमुच आपने जो कहा वह कड़वा सच है !पूर्णिमाhttps://www.blogger.com/profile/15739774997781645780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-79709579682518307552009-04-22T15:34:00.000+05:302009-04-22T15:34:00.000+05:30बिल्कुल सही और दिल को छूती विचारणीय बात!!बिल्कुल सही और दिल को छूती विचारणीय बात!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-85118014126922748852009-04-22T15:04:00.000+05:302009-04-22T15:04:00.000+05:30आपने सही कहा है कि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इसका विरो...आपने सही कहा है कि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इसका विरोध किया जाना चाहिए , ताकि उन्हें हमारी शक्ति का अंदाजा हो सके ।<br />आखिर वे यही दिखाना चाहते हैं न कि हम बेटियाँ बेचते हैं .....! मार्मिक अभिव्यक्तिmalahttps://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-79382545947787731622009-04-22T15:01:00.000+05:302009-04-22T15:01:00.000+05:30mera khayal hai ki aap sahi hai.
mai aapse sahmat ...mera khayal hai ki aap sahi hai.<br />mai aapse sahmat hun ..<br />vo isliye ki film mai mujhe aisa kuch khas nahi laga jiske liye oskar diya jaye ..isse behtar sangeet, behtar shabd, behtar sanvad or behtar muddo par banii filmo ko aaj tak oskar nahi mila..jaise ki rang de basanti ..lagaan ya kahoo madar india ...<br /><br />kyuN ?<br /><br />kyuki usse desh ke aan shaan or desh ka maan deshprem or desh bhakti jhalakti hai gariibi nahii doosri baat ye ki dunia ki economy ladkhada rahii hai ab usko sahara de sakti hai to kuch had tak india kyuki desh ne or koi tarakki ki ho ya nahi population mai khoob tarakki ki hai..or kisi bhi desh ki khapat uski population pe depend karti hai ..<br />isliye oskar de diya taki desh nazar mein aa jaye dunia kii or vo bhi garibii ke sath <br />ho sakta hai mai apni baat thik se na rakh paya huN ..par sharansh yahi hai ki mai aapki baat se sahmat hunनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.com