tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post8556203090035477920..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: ग़ज़ल: अब न हो शकुनी सफल हर दाव में ...!रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-11317458219642517312008-04-29T17:50:00.000+05:302008-04-29T17:50:00.000+05:30द्रौपदी बेवस खड़ी कहती है ये -अब न हो शकुनी सफल हर ...द्रौपदी बेवस खड़ी कहती है ये -<BR/>अब न हो शकुनी सफल हर दाव में !<BR/><BR/>मंहगाई और मेहमान दोनों हैं खड़े-<BR/>काके लागूं पाय इस अभाव में ? <BR/><BR/><BR/>क्या बात है..... <BR/>बेहद उम्दा भाव बेहद खूबसूरती से लिख दिये हुज़ूर आपने<BR/>दिल को छू गये...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-17941694447729443822008-04-28T04:00:00.000+05:302008-04-28T04:00:00.000+05:30मंहगाई और मेहमान दोनों हैं खड़े-काके लागूं पाय इस अ...मंहगाई और मेहमान दोनों हैं खड़े-<BR/>काके लागूं पाय इस अभाव में ? <BR/><BR/>बहूत सुंदर रवीन्द्र जी ,बिना गोलमोल सिधे मर्के कि बात और सीधी सादी भाषा मे.दीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-26490106965453277152008-04-26T16:05:00.000+05:302008-04-26T16:05:00.000+05:30मंहगाई और मेहमान दोनों हैं खड़े-काके लागूं पाय इस अ...मंहगाई और मेहमान दोनों हैं खड़े-<BR/>काके लागूं पाय इस अभाव में ?Manas Pathhttps://www.blogger.com/profile/17662104942306989873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-11271806687292310762008-04-26T10:06:00.000+05:302008-04-26T10:06:00.000+05:30प्रभात जी,बर्तनों की बात मत अब पूछिए-आजकल सब व्यस्...प्रभात जी,<BR/><BR/>बर्तनों की बात मत अब पूछिए-<BR/>आजकल सब व्यस्त हैं टकराव में !<BR/><BR/>मंहगाई और मेहमान दोनों हैं खड़े-<BR/>काके लागूं पाय इस अभाव में ? <BR/><BR/>बात करता है अमन की जो "प्रभात "<BR/>भावना उसकी जुडी अलगाव में !<BR/><BR/>हर शेर बरबस ही "वाह" कह उठने को मजबूर करता है। उपर उद्धरित शेर खास पसंद आये।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसाद<BR/>www.rajeevnhpc.blogspot.comराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-10121921686338214162008-04-26T07:55:00.000+05:302008-04-26T07:55:00.000+05:30द्रौपदी से वर्तमान - सब हैं एक समान!द्रौपदी से वर्तमान - सब हैं एक समान!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-47053582388785550332008-04-25T21:44:00.000+05:302008-04-25T21:44:00.000+05:30बर्तनों की बात मत अब पूछिए-आजकल सब व्यस्त हैं टकरा...बर्तनों की बात मत अब पूछिए-<BR/>आजकल सब व्यस्त हैं टकराव में ! <BR/>मंहगाई और मेहमान दोनों हैं खड़े-<BR/>काके लागूं पाय इस अभाव में ? <BR/>wah wah bahut khubAnonymousnoreply@blogger.com