tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post8799939266707355752..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: यदि चिंतन को चोरी करके ही लिखना है , तो ब्लोग लेखन करने की क्या आवश्यकता ?रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-39911271604721311792008-01-06T14:59:00.000+05:302008-01-06T14:59:00.000+05:30मैं आपकी बात से सहमत हूँ दीपक भारतदीपमैं आपकी बात से सहमत हूँ <BR/>दीपक भारतदीपdpkrajhttps://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-47528271839960133522008-01-03T18:37:00.000+05:302008-01-03T18:37:00.000+05:30अनिल जी के द्वारा अपनी भूल मान लेना बहुत बड़ी बात ...अनिल जी के द्वारा अपनी भूल मान लेना बहुत बड़ी बात है !व्यक्ति अपनी गलती को स्वीकार कर लेता है तो उसका व्यक्तित्व और बड़ा हो जाता है !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-17794594579885507122008-01-02T16:47:00.000+05:302008-01-02T16:47:00.000+05:30आपका एहसास , आपकी मन:स्थिति को बयान कर रहा है , मन...आपका एहसास , आपकी मन:स्थिति को बयान कर रहा है , मन की पवित्रता मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण है ! कहा गया है की वाणी ,बुद्धि ,वस्त्र ,विवेक और व्यवहार ही मनुष्य का सबसे बड़ा अलंकार है , इसपर हमेशा ध्यान दिया करें ! कोई बात नहीं भाई , लिखना जारी रखें , मैं आपके ब्लॉग पर यदा -कदा आता-जाता रहूँगा !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-79930643077977254472008-01-02T12:17:00.000+05:302008-01-02T12:17:00.000+05:30sir ji.apki rachna mujhe bahut achhi aur prerak la...sir ji.<BR/>apki rachna mujhe bahut achhi aur prerak lagi..isliye maine use upyog kiya.. par apko isse thes pahunchi hai to maafee chahta hoon. maine apko email bhi kiya hai is bawat..ummed hai ki aap apne nausikhiye bhai ko maaf karenge.अनिल पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/08537581524466402579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-64956291661834619372008-01-02T11:54:00.000+05:302008-01-02T11:54:00.000+05:30आशीष भाई , आपकी विनम्रता प्रशंसनीय है , वैसे मैंने...आशीष भाई , <BR/>आपकी विनम्रता प्रशंसनीय है , वैसे मैंने तो केवल नेक मशविरा दिया था अनिल को कि ऐसा न करें ! इससे लेखन के प्रति सदैव ही भ्रम की स्थिति बनी रहती है , सकारात्मक लेखन समाज का आईना होता है , उसे चिट्ठा के माध्यम से आईना का स्वरूप ही बनाए रखा जाए तो अच्छा होगा ! जहाँ तक मेरी विनम्र मान्यता है , कि आपको कोई चीज यदि पसंद आ जाए तो पूरी इमानदारी के साथ दर्शायें , इससे विश्वास का माहौल बना रहता है !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-31858836030763831352008-01-02T11:28:00.000+05:302008-01-02T11:28:00.000+05:30रविंद्र जी नमस्कार अभी अभी आपका ब्लॉग देखा और फि...रविंद्र जी नमस्कार अभी अभी आपका ब्लॉग देखा और फिर अनिज की गलती का पता चला, जब उससे बात की तो उसने बताया कि उसके मन में आपको ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। लेकिन आपको ठेस पहुंची है। इसके लिए मैं अनिल की ओर से आपसे माफी मांगता हूं। उसने आपकी कविता को अपने ब्लॉग से हटा लिया है। अब ऐसे में आपसे विनम्र निवेदन की अनिल को छोटा भाई मानकर पुरानी बातों को भूलकर गुस्सा थूंक दें। <BR/><BR/>आपका<BR/>आशीषAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-66165117148994769262008-01-02T06:51:00.000+05:302008-01-02T06:51:00.000+05:30मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं । इस मसले पर...मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं । इस मसले पर लोगों के अपने अपने विचार हैं, मेरा मानना है कि बिना पूर्व स्वीकृति या नाम का उल्लेख किए बिना ऐसा करना सर्वथा उनुचित है, ऐसे में हमारे छत्तीसगढ की एक कहावत याद हो आती है - 'खीरा चोर, जोंधरी चोर, धीरे धीरे सेंध फोर ।' प्रदर्शन के लिए ऐसी प्रवृत्ति निंदनीय है ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-69496115163534800112008-01-02T06:42:00.000+05:302008-01-02T06:42:00.000+05:30कलाकारी के साथ फोटोस्टेट का कारनामाजिसे आपका पन्ना...कलाकारी के साथ फोटोस्टेट का कारनामा<BR/>जिसे आपका पन्ना ने करतूत बना डालाअविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-43908008739244535842008-01-02T06:38:00.000+05:302008-01-02T06:38:00.000+05:30काश! कि इतना ही जोड़ देते "रवीन्द्र जी की एक और mi...काश! कि इतना ही जोड़ देते "रवीन्द्र जी की एक और mirror site"हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-36180433582438407932008-01-02T03:21:00.000+05:302008-01-02T03:21:00.000+05:30मैं आपसे सहमत हूँ।मैं आपसे सहमत हूँ।Sanjay Gulati Musafirhttps://www.blogger.com/profile/16895238398380336879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-33793526510182526992008-01-02T02:45:00.000+05:302008-01-02T02:45:00.000+05:30गलत बात है । हम आपके साथ है।गलत बात है । हम आपके साथ है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-39445513299650189712008-01-02T02:10:00.000+05:302008-01-02T02:10:00.000+05:30जब ब्लॉग ही "आपका पन्ना" है तो इमीटेशन तो उसके नाम...जब ब्लॉग ही "आपका पन्ना" है तो इमीटेशन तो उसके नाम में निहित है! क्या परेशान होना। :-) <BR/>खैर, आपने सही समस्या की ओर इंगित किया।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com