बुधवार, 17 अक्टूबर 2007
आस्तिनों में संभलकर सांप पाला कीजिये !
ज़िंदगी के श्वेत पन्नों को न काला कीजिये
आस्तिनों में संभलकर सांप पाला कीजिये।
चंद शोहरत के लिए ईमान अपना बेचकर -
हादसों के साथ खुदको मत उछाला कीजिये।
रोशनी परछाईयों में क़ैद हो जाये अगर -
आत्मा के द्वार से कुछ तो उजाला कीजिये।
खोट दिल में हर किसी के पास है थोडी-बहुत
दूसरों के सर नही इलज़ाम डाला कीजिये ।
ताकती मासूम आँखें सर्द चूल्हों की तरफ ,
सो न जाये तब तलक पानी उबाला कीजिये।
जब तलक '' प्रभात'' तेरे घर की है मजबूरियाँ ,
शायरी की बात तब तक आप टाला कीजिये ।
() रवीन्द्र प्रभात
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चंद शोहरत के लिए ईमान अपना बेचकर -
जवाब देंहटाएंहादसों के साथ खुदको मत उछाला कीजिये।
--वाह रविन्द्र भाई, बहुत खूब. बधाई.
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंताकती मासूम आँखें सर्द चूल्हों की तरफ ,
जवाब देंहटाएंसो न जाये तब तलक पानी उबाला कीजिये।
कटु सत्य……मार्मिक
एक बहुत अच्छी बन पड़ी रचना।
जवाब देंहटाएं''रोशनी परछाईयों में क़ैद हो जाये अगर -
जवाब देंहटाएंआत्मा के द्वार से कुछ तो उजाला कीजिये। ''
अच्छी लगी, ऐसे ही लिखते रहें .
सच है गरीब बच्चों को रोटी के किस्से सुना कर ही सुला देता है. आपने मार्मिक शेर कहा है.
जवाब देंहटाएंताकती मासूम आँखें सर्द चूल्हों की तरफ ,
सो न जाये तब तलक पानी उबाला कीजिये।