गुरुवार, 20 नवंबर 2008

नेता शिरोमणी श्री राम लाल जी का चुनावी घोषणा - पत्र

आया हूँ तेरे द्वारे,
तू दे-दे मुझको प्यारे,
वोटों की झोली दे-दे,
या खोखा-खोली दे-दे,
मेरा ईमान ले-ले ,
अपना ईनाम दे-दे,
अल्लाह के नाम दे या-
ईश्वर के नाम दे-दे...!
वादा है मेरा वादा बन जाऊंगा मिनिस्टर
अन्तर नही रखूंगा कुत्ता हो या कलक्टर
इंगलिश की तोडूं टाँगे, करूं पूरी सबकी मांगें-
चाहूँगा भाई मेरे मैट्रिक हो फेल ऑफिसर ।
मैं हूँ तुम्हारे लायक,
मुझको बना विधायक,
कुछ गोला-गोली दे-दे,
या अपनी बोली दे-दे,
मेरा सलाम ले- ले,
अपना पयाम दे-दे,
अल्लाह के नाम दे या,
ईश्वर के नाम दे-दे...!
अस्पताल में भरूंगा मैं झोला छाप डॉक्टर
विभाग हेड होंगे सब वार्ड बोयाय- कम्पाउन्दर
गुंडों की चांदी होगी, हिजडों की शादी होगी-
खुलकर के अब दलाली पायेंगे नेता - अफसर ।
कीमत को लात मारूं,
करूं टके सेर दारू ,
खुशियों की होली दे-दे,
अपनी रंगोली दे-दे,
सस्ता है जाम ले-ले,
अपना खुमार दे-दे,
अल्ला के नाम दे या-
ईश्वर के नाम दे-दे...!
ऐसी बनेगी टायर होगी कभी न पंचर
मंहगे मिलेंगे राशन सस्ते मिलेंगे खंजर
हर छात्र को मिलेंगे रियायत में तमंचे-
चाहेंगे जैसा जीवन जियेंगे सारे खुलकर !
चन्दा दे या दुआ दे ,
चाहे तू बद दुआ दे,
मेरी जनता भोली दे-दे,
विजय तिलक की रोली दे-दे,
कट्टा के बल पे दे या-
तू अपने आप दे-दे ,
अल्लाह के नाम दे या -
ईश्वर के नाम दे-दे ...!
लाकर के लोकतंत्र तू पहले ही गलती कर दी
हम जैसे माफियाओं की ऐसे हीं झोली भर दी
मुझसे न रख अपेक्षा , भगवान देगा पैसा
तेरा भी वो हरेगा जैसे मेरी गरीबी हर दी ।
सत्ता मैं तुझसे लूंगा,
भत्ता मैं तुझको दूंगा,
तू चोरी-चोरी दे-दे
या सीनाजोरी दे-दे,
तू दंड-भेद दे , या -
फ़िर साम-दाम दे-दे,
अल्लाह के नाम दे या-
ईश्वर के नाम दे-दे....!
आपका-
अपना राम लाल !

( ऐसा केवल मनोरंजन के उद्देश्य से दिया जा रहा है, ऐसी ओछी सोच वाले नेताओं के फरेबी बातों में न आयें और अपना मत सोच-विचार कर दें , ताकि आपका कीमती वोट सही और सार्थक दिशा मेंप्रयुक्त हो )
कार्टून साभार: हिन्दुस्तान .

2 comments:

  1. बहुत सही और सार्थक रचना , भाई अब हमारे देश में यही संस्कृति शेष रह गयी है ...!

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी जनता भोली दे-दे,
    विजय तिलक की रोली दे-दे,
    कट्टा के बल पे दे या-
    तू अपने आप दे-दे

    ---
    क्या ख्याल है? जनता देगी, जरूर देगी। अभी तो तीन-चार दशक बेवकूफी करेगी - अगर करने का मौका मिलता रहा तो।

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

 
Top