बुधवार, 31 दिसंबर 2008

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग- 2 )

चलिए अब मुंबई हमलों से उबरकर आगे बढ़ते हैं और नजर दौडाते हैं भारतीय संस्कृति की आत्मा यानी लोकरंग की तरफ़ । कहा गया है,कि लोकरंग भारतीय संस्कृति की आत्मा है , जिससे मिली है हमारे देश को वैश्विक सांस्कृतिक पहचान । ऐसा ही एक ब्लॉग है लोकरंग जो पूरे वर्ष तक लगातार अपनी महान विरासत को बचाता - संभालता रहा । यह ब्लॉग लोकरंग की एक ऐसी छोटी सी दुनिया से हमें परिचय कराता रहा, जिसे जानने-परखने के बाद यकीं मानिए मेरे होठों से फूट पड़े ये शब्द, कि " वाह! क्या ब्लॉग है .......!"

इस ब्लॉग में जो कुछ भी प्रस्तुत किया गया , वह हमारी लोक संस्कृति को आयामित कराने के लिए काफी है । चाहे झारखंड और पश्चिम बंगाल के बौर्डर से लगाने वाले जिला दुमका के मलूटी गाँव की चर्चा रही हो अथवा उडीसा के आदिवासी गाँवों की या फ़िर उत्तर भारत के ख़ास प्रचलन डोमकछ की ....सभी कुछ बेहद उम्दा दिखा इस ब्लॉग में ।

कहा गया है, कि जीवन एक नाट्य मंच है और हम सभी उसके पात्र । इसलिए जीवन के प्रत्येक पहलूओं का मजा लेना हीं जीवन की सार्थकता है । इन्ही सब बातों को दर्शाता हुआ एक चिट्ठा है- कुछ अलग सा । कहने का अभिप्राय यह है, कि लोकरंग का गंभीर विश्लेषण हो यह जरूरी नही , मजा भी लेना चाहिए ।

रायपुर के इस ब्लोगर की नज़रों से जब आप दुनिया को देखने का प्रयास करेंगे , तो यह कहने पर मजबूर हो जायेंगे कि- " सचमुच मजा ही मजा है इस ब्लोगर की प्रस्तुति में ....!"

एक पोस्ट के दौरान ब्लोगर कहता है, कि - " अगर वाल्मीकि युग में पशु संरक्षण बोर्ड होता तो क्या राम अपनी सेना में बानरों को रख पाते, युद्ध लड़ पाते ?" और भी बहुत कुछ है इस ब्लॉग में। सचमुच इस ब्लॉग में लोकरंग है मगर श्रद्धा, मजे और जानकारियों के साथ कुछ अलग सा ....!

मेरी कविता की एक पंक्ति है - " शब्द-शब्द अनमोल परिंदे, सुंदर बोली बोल परिंदे...!"शब्द ब्रह्म है , शब्द सिन्धु अथाह, शब्द नही तो जीवन नही .......आईये शब्द के एक ऐसे ही सर्जक हैं अजीत बड नेकर , जिनका ब्लॉग है - शब्दों का सफर । अजीत कहते हैं कि- "शब्द की व्युत्पति को लेकर भाषा विज्ञानियों का नजरिया अलग-अलग होता है । मैं भाषा विज्ञानी नही हूँ , लेकिन जब उत्पति की तलाश में निकालें तो शब्दों का एक दिलचस्प सफर नज़र आता है । "अजीत की विनम्रता ही उनकी विशेषता है ।

शब्दों का सफर की प्रस्तुति देखकर यह महसूस होता है की अजीत के पास शब्द है और इसी शब्द के माध्यम से वह दुनिया को देखने का विनम्र प्रयास करते हैं . यही प्रयास उनके ब्लॉग को गरिमा प्रदान करता है . सचमुच यह ब्लॉग नही शब्दों का अद्भुत संग्राहालय है, असाधारण प्रभामंडल है इसका और इसमें गजब का सम्मोहन भी है ....! इस ब्लॉग को मेरी ढेरों शुभकामनाएं !
अभी जारी है....../

7 comments:

  1. अंग्रेजी नये वर्ष की शुभकामनायें ।

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  2. नया साल आपके लेकर ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आए

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  3. तीनों ब्लॉग की वेहद सार्थक विवेचना की गयी है , आपके द्वारा ! सचमुच लोकरंग को देखने के बाद कोई भी कहेगा " वाह क्या ब्लॉग है ...!" वहीं अलग सा सही में अलग सा ही है और शब्दों के सफर का क्या कहना ....! इसे विहंगावलोकन तक जारी रखें , बधाईयाँ !

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  4. सार्थक विवेचना का क्या कहना ....! इसे जारी रखें , बधाईयाँ !

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