शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

फागुन के संग पतझड़ आया बहुत दिनों के बाद .....!



फ़िर एक बार लोक सभा चुनाव के बहाने सरगर्मी तेज हो गयी है , हर दल अपने-अपने ढंग से चुनावी जोड़-तोड़ में व्यस्त है । पिछले दिनों लखनऊ से समाजवादी पार्टी के भावी उम्मीदवार के रूप में संजय दत्त ने चुनाव प्रचार की औपचारिक शुरुआत कर दी । बहुत सारे भावनात्मक मुद्दों की बात की गयी । स्व दत्त साहब की पुरानी यादों को ताज़ा कर वोटरों के साथ इमोशनल अत्याचार करने की कोशिश भी की गयी । संजय दत्त के जाने के बाद हर दल के नेता अपने - अपने बिल से बाहर आ गए ...कोई खीश निपोरे हुए तो कोई कथई दांतों के सहारे खोखले बादे करते हुए ....जैसे फागुन के संग पतझड़ आ गया हो शहर में ....प्रस्तुत है चुनावी मंजर पर एक ग़ज़ल -


शीशे के घर पत्थर आया बहुत दिनों के बाद ।
शीशे के घर पत्थर आया बहुत दिनों के बाद ,
अरे चुनावी मंजर आया बहुत दिनों के बाद ।।
दोउ कर जोड़े , खीश निपोरे , बात करे बड़बोले -
दिल्ली से जो चलकर आया बहुत दिनों के बाद ।।
राग-भैरवी छेड़ रहे , पर फटी हुयी आबाज़ -
फागुन के संग पतझड़ आया बहुत दिनों के बाद ।।
चिकनी सूरत वाला सेठ भिखारी के घर जैसे -
चावल में फ़िर कंकड़ आया बहुत दिनों के बाद ।।
सबको रोटी , सबको कपडा ,सबको मिले मकान -
सुनकर मुझको चक्कर आया बहुत दिनों के बाद ।।
इन्द्र धनुषी घटाटोप में उलझाने "प्रभात " कोई -
वोटो का सौदागर आया बहुत दिनों के बाद ।।
()रवीन्द्र प्रभात

12 comments:

  1. बहुत सटीक और सम सामयिक ग़ज़ल
    ये पंक्तियाँ काफी अच्छी लगी -
    चिकनी सूरत वाला सेठ भिखारी के घर जैसे -चावल में फ़िर कंकड़ आया बहुत दिनों के बाद ।।

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात है ,
    ग़ज़ल का हर शेर आज के माहौल को
    प्रतिबिंबित ,कोई ग़ज़ल कहना आप से सीखे !

    जवाब देंहटाएं
  3. A very nice article
    akhilesh
    for reading books rivew log on to
    http://katha-chakra.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. एकदम सही चित्रण है गज़ल में..


    कैसी उम्दा गज़ल लिखी है, बहुत दिनों के बाद!!


    बहुत बेहतरीन!!

    जवाब देंहटाएं
  5. फ़ालो करें और नयी सरकारी नौकरियों की जानकारी प्राप्त करें:
    सरकारी नौकरियाँ

    जवाब देंहटाएं
  6. नेताओ के लिए तो यही काम करने का समय है फिर उसे जनता के मिलने का समय कहां है । संजू बाबा ने लखनऊ की राजनीति में थोड़ा उबाल जरूर ला दिया है । लोगो को लगता है कि यहां भी उनकी गांधीगिरी चलेगी खैर यह समय तो समय बताएगा । फिलहाल तो समय दंगल का है

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर कमाल अद्भुत चावल में फ़िर कंकड़ आया बहुत दिनों के बाद ............! मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
    http://manoria.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  8. RAVINDRA JEE ,
    SANDARBH 'SHAMA ' KE BLOG PE AAPKEE TIPPANEE ' ACHCHA LAGA.
    BAS YE SALAH KEE JO ACHCHA LAGA VO KAHEEN PRAYOJIT GUMRAH ASATYA TO NAHEEN . VAHAA BHEE YAHEE TIPPANEE DEE HAI. LEKIN CHAL MODERATION SE USE DIKHAYA NA HEEN JAYEGA .ISLIYE SOCHA KI SEEDHE AAPSE KAHOON . YOU MAY DISREGARD THIS COMMENT WITH EVERY DISRESPECT, IF YOU MAY DECIDE WITHOUT SRUTINY FOR THE TRUTH.

    AND BEST LUCK .

    MY REGRETS IN ADVANCE , IF SO !

    जवाब देंहटाएं
  9. AAPKE CHINTAN, MANAN ,KAVYA KO MAIN GAMBHEER NA SAMAJHTA TO LIKHNE KEE JAHMAT NA UTHATA .

    BAS ITNA HAI KI KAHEEN AAP PROTSAHAN LEKHAN TO NAHEEN KAR RAHE, JO MUJHSE BHEE KARVAYA JA CHUKA HAI.

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

 
Top