गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

आज वसंत की रात, गमन की बात न करना !

वसंतोत्सव में हम आज लेकर आयें हैं बहुचर्चित गीतकार श्री गोपाल दास "नीरज" जी का एक वसंत गीत "आज वसंत की रात गमन की बात न करना"। नीरज जी से हिन्दी संसार अच्छी तरह परिचित है । जन समाज की दृष्टि में वह मानव प्रेम के अन्यतम गायक हैं, दिनकर जी के कथनानुसार  हिन्दी की वीणा है' और अन्य भाषा भाषियों के विचार से  एक 'सन्त कवि'।

वर्तमान समय में वे हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय और लाडले कवि है और बच्चन जी के बाद कवियों की नई पीढ़ी को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले कवियों में से एक । आज अनेक गीतकारों के कंठ में उन्हीं की अनुगूँज है। पूरे सम्मान के साथ आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं उनका एक सम्मोहक गीत-



आज वसंत की रात,
गमन की बात न करना !


धूल  बिछाए फूल-बिछौना,
बगिया पहने चांदी-सोना,
कलियाँ फेंके जादू-टोना,
महक उठे सब पात,
हवन  की बात न करना !


आज वसंत की रात,
गमन की बात न करना !




बौराई अमवा की डाली
गदराई गेहूं की बाली,
सरसों  खडी बजाये ताली,
झूम रहे जल-जात,
शयन की बात न करना !


आज वसंत की रात,
गमन की बात न करना !


खिड़की खोल चन्द्रमा झांके,
चुनरी खींच सितारे टाँके,
मना करूँ  तो शोर मचाके,
कोयलिया अनखात,
गहन की बात न करना !

आज वसंत की रात,
गमन की बात न करना !

निंदिया बैरिन सुधि बिसराई
सेज निगोड़ी करे ढिठाई
ताना मारे सौत जुन्हाई
रह-रह प्राण पिरात,
चुभन की बात न करना !

आज वसंत की रात,
गमन की बात न करना !


यह पीली चूनर, यह चादर
यह सुन्दर छवि यह रस-गागर
जनम-मरण की यह रज-कांवर
सब भू की सौगात,
गगन की बात न करना !
 
आज वसंत की रात,
गमन की बात न करना !

() गोपाल दास नीरज
जारी है वसंतोत्सव , मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद ...!


11 comments:

  1. इन रचनाओं को पढ़ कौन मंत्रमुग्ध हुए बिना रह सकता है...बहुत ही आनंद आया...पढवाने के लिए आपका कोटिशः आभार...

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  2. उन्नाव के कवि सम्मलेन याद आए ,नीरज जी की आवाज़ याद आयी ...आभार.. बड़े दिन बाद पढ़ा ये गीत

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  3. वाह!! नीरज जी यहाँ आये और ३ घंटॆ अकेले समा बाँधे रहे..वो रात नहीं भूलती..आभार आपका.

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  4. रवीन्द्र भाई सुनाना भी था न इसे नीरज की ही आवाज में !

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  5. नीरज जी की कवितायें हिंदी साहित्य की धरोहर है इसे साझा करने के लिए आपका आभार !

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  6. हम तो मस्त हो गए भईया इस गाने को बार-बार बांचकर .

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  7. यह पीली चूनर, यह चादर
    यह सुन्दर छवि यह रस-गागर
    जनम-मरण की यह रज-कांवर
    सब भू की सौगात,
    गगन की बात न करना !

    आज वसंत की रात,
    गमन की बात न करना
    ______________________
    Neeraj ji ke geet ke bahane Basant ki yad fir taja ho aai.anyatha aj ki bhag-daur jindagi men to log apne tak hi simit ho gaye hain.

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  8. sach kahun to dada ko padh hi bal miltaa hai hindi sahitya ke liye samarpit hone ke liye ... bahut hi sunda kavita aur bahut pyaari baat ...


    aabhaar aapka
    arsh

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  9. लोकप्रिय कालजयी कवि की सुन्दर रचना की प्रस्तुति का आभार ।

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