सोमवार, 19 अप्रैल 2010

कविता में छिपे दर्द को महसूस करने के लिए आईये चलते हैं....




निर्मला कपिला जी के बाद आईये उस युवा कवि की कविताओं को आत्मसात करते हैं जिन्हें हिंदी चिट्ठाजगत केवल डेढ़ वर्षों से जानता है । डेढ़ वर्षों की अल्पावधि को देखा जाए और लोकप्रियता के ग्राफ को देखा जाए तो आश्चर्य होता है । इस युवा कवि की लोकप्रियता का ग्राफ काफी ऊपर है । इनकी कविताएँ युग और जीवन की प्रवृतियों से प्रेरित होती है । परस्थितियों से उत्पन्न बिभिन्न प्रकार के भौन्जालों के बीच विवशता भरी छटपटाहट इनके काव्य की विशेषता है ।


ओम आर्य की संवेदनशीलता उनकी कविताओं में स्पष्ट परिलक्षित होती है । आईये ओम आर्य की कविता में छिपे दर्द को महसूस करने के लिए चलते हैं कार्यक्रम स्थल की ओर ....यहाँ किलिक करें


जारी है उत्सव मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद

7 comments:

  1. संवेदनशीलता इनके काव्य का आधार है, हमेशा पढ़ती हूँ ओम आर्य जी को,
    रिश्तों की मिठास भी होती है एक प्रश्न में

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  2. आज तीसरा दिन भी ग़ज़ब कॅ आकर्षण पैदा कर रहा है , ओम आर्या की कविताएँ इस उत्सव को आयामित कर रही है , आपको साधुवाद !

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  3. ओम आर्य जी की रचनाएं बहुत अच्‍छी रहती हैं .. इस उत्‍सव के साथ बने रहना सुखद लग रहा है !!

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  4. दोनों ही रचनायें बहुत उम्दा!! ओम जी बहुत शानदार कविता लिखते हैं और उनकी लेखनी सदैव आकर्षित करती है.

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  5. दोनों ही बहुत मन को भायी बहुत सुन्दर

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