गुरुवार, 29 जुलाई 2010

वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का सम्मान

कहा गया है कि प्रेम में जीव अभय हो जाता है , वहां तो सिर्फ समर्पण ही रह जाता है ! प्रेम सर्वस्व न्योछावर करके गदगद हो जाता है ! अहंकार सबकुछ पाकर भी खुश नहीं होता है ! प्रेम दूसरों की छाया बनकर अपने को धन्य मानता है, अहंकार दूसरो की छाया छीनकर भी उदास बना रहता है ....प्रेम जब कुछ बाँट नहीं पाता तब दुखी होता है !

ऐसे दो गीतकार हैं हमारे चिट्ठाजगत में जिनका एक मात्र उद्देश्य है प्रेम बांटना ....उनके गीतों में प्रेम की कोमलता होती है और छंद श्रृंगार से सराबोर ! इनके गीत ह्रदय की धड़कन और साँसों के आरोह-अवरोह के वे सरगम होते हैं जिसमें डूबकर पाठक सत्य -शिव और सुन्दर की तलाश हेतु आतुर हो जाता है !

ये दोनों गीतकार हैं क्रमश: डा. रूप चन्द्र शास्त्री मयंक और संजीव वर्मा सलिल


इन दोनों सुमधुर गीतकारों को ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ किलिक करें

17 comments:

  1. शास्त्री जी एवं वर्मा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल

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  2. शास्त्री जी एवं वर्मा जी को बहुत बहुत बधाई

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  3. शास्त्री जी एवं वर्मा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  4. शास्त्री जी एवं वर्मा जी को बहुत बहुत बधाई .

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  5. शास्त्री जी एवं आचार्य जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!

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  6. शास्त्री जी एवं वर्मा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  7. आप दोनों को बधाई
    भारत के भूगोल में जहां एक तरफ शहरी कूड़े-करकट के ढेरों के बीच सड़े गले प्लास्टिक और फूंस से ढकी मिट्टी या बांस के खम्बों की खड़ी दलितों की झोंपड़ियां हैं तो दूसरी ओर वहीं हिन्दुओं की बहुमंजिली इमारतें, ऊंचे-ऊंचे रंगमहल और शीशमहल बने हुए हैं।

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  8. बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  9. आदरणीय आचार्य संजीव वर्मा जी सलिल
    और
    आदरणीय डा. रूप चन्द्र शास्त्री जी मयंक

    बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !

    शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  10. बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

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