शनिवार, 29 जनवरी 2011

वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-१८ )

.........गतांक  से आगे

 भारतीय संगीत की गूँज पूरी दुनिया में सुनाई देती है ! संगीत के कारण आज हमारा भारत दुनिया में अपनी एक अलग छवि प्रस्तुत करने में सफल हुआ है ! अपने इस गौरवशाली परंपरा को जीवंत बनाए रखने की दिशा में कई घराने सक्रिय हैं और उन घरानों की जानकारी देने के लिए हिंदी में कई ब्लॉग भी सक्रिय है ,जो भारतीय संगीत की इस परंपरा को आम जन-जीवन से जोड़ते है !

"एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी, ऐसा तो कम ही होता है वो भी हों तनहाई भी, गीतों की बात ही कुछ ऐसी होती है। खुद को ही मैं ढूँढ रहा नज्मों में, कुछ गीतों में और नज्म? वो तो गोया गुलजार के लफ्जों में अगर कहूँ तो -नज़्म उलझी हुई है सीने में/मिसरे अटके हुए हैं होठों पर/उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह। गर किसी मोड़ पे अगर मिल जाऊँ तो बस एक गीत गुनगुना देना...!" ऐसा कहना है तरुण का अपने बारे में, ब्लॉग गीत गाता चल पर ! यह ब्लॉग पूरी तरह भारतीय गीत-संगीत की प्रस्तुति से जुडा है !
इस वर्ष संगीत को समर्पित ब्लोग्स पर ज्यादा हलचल नहीं देखी गयी , सुर-पेटी पर केवल दो पोस्ट प्रकाशित हुए ,वहीं सुर साधकों से मुलाक़ात पर आधारित ब्लॉग एक मुलाक़ात पर पूरे वर्ष में केवल तीन पोस्ट ही देखे गए !जाने क्या मैंने कही पर केवल चार,शब्द सृष्टि पर केवल एक ही पोस्ट देखे गए,गीतों की महफ़िल पर केवल छ:पोस्ट देखे गए , किन्तु वर्ष-२००६ से हिंदी ब्लॉगजगत का हिस्सा बने एक बेहद खुबसूरत ब्लॉग एक शाम मेरे नाम ने इस वर्ष खूब धमाल मचाया !इस पर कुल ७७ पोस्ट देखे गए इस वर्ष "वार्षिक संगीत माला " की प्रस्तुति इस ब्लॉग की सबसे बड़ी उपलब्धि है ! इस पर आप फैज़ अहमद फैज़, कातिल शिफाई, परवीन शाकर, अहमद फ़राज़ , सुदर्शन फाकिर आदि कि गज़लें और नज्में ....वर्ष की चुनिन्दा संगीत मालाओं से आप रूबरू हो सकते हैं ! यह ब्लॉग हिंदी का एक नायाब ब्लॉग है !



My Photo
वर्ष-२०१० में संगीत से जुड़े जिन ब्लोग्स पर सार्थक पोस्ट की उपस्थिति देखी गयी उसमें प्रमुख है-"ठुमरी"ब्लोगर हैं विमल वर्मा !अपने बारे में विमल कहते हैं कि- "बचपन की सुहानी यादों की खुमारी अभी भी टूटी नही है.. जवानी की सतरंगी छाँह आज़मगढ़, इलाहाबाद,बलिया और दिल्ली मे.. फिलहाल १६-१७ साल से मुम्बई मे..मनोरंजन चैनल के साथ रोजी-रोटी का नाता......!"


न शास्‍त्रीय टप्‍पा.. न बेमतलब का गोल-गप्‍पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्‍तो, है रंगमंच तैयार.. छाया गांगुली की आवाज में फागुन के गीत या फिर कवि नीरज जी की आवाज़ में... " कारवां गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे , ग्रामोफोनीय रिकोर्ड के कबाड़खाने से कुछ रचनाएँ सुननी हो अथवा एक अफ़गानी की आवाज़ में ....जब दिल ही टूट गया ....पूरे वर्ष में केवल १२ पोस्ट और सभी नायाब !


सर्दियों की ठुठुरती रातें...दूर एक वीरान सा महल...घुप्प अँधेरा और किसी के पायल की झंकार...सफ़ेद चोले में लहराता एक बदन...और एक सुरीली आवाज़....जी हाँ ऐसी ही आवाज़ से पूरे वर्ष हमें रूबरू कराता रहा हिंद युग्म का आवाज़ ब्लॉग!मशहूर फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज के साथ - वर्ष २०१० के टॉप गीत सुनना हो तो इस खुबसूरत ब्लॉग पर अवश्य पधारें !  
संगीत की बात हो और रेडियो न बजे तो सबकुछ नीरस सा लगता है , ऐसे में रेडियोनामा हमारी उस कमी को पूरा करता है ! यह एक सामूहिक ब्लॉग है और इससे जुड़े हैं-पियूष मेहता, अन्नपूर्णा, ममता, डा.प्रवीण चोपड़ा,अफलातून,युनुस खान, रवि रतलामी, डा अजित कुमार, संजय पटेल, इरफ़ान,काकेश, तरुण, प्रियंकर, अनिता कुमार, सजीव सारथी ,कमल शर्मा ,मनीष कुमार, लावण्या शाह, जगदीश भाटिया, विकास शुक्ला, बी.एस. पावला आदि !
रेडियोनामा रेडियो-विमर्श का सामूहिक-प्रयास है। अगर आप भी रेडियो-प्रेमी हैं और रेडियो से जुड़ी अपनी यादें या बातें इनके  साथ  साथ बांटना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। अपनी बात आपको हिंदी में लिखनी होगी। अगर आप केवल अंग्रेजी में लिखते हैं तो भी कोई बात नहीं,  आपका लेख ये हिंदी -अनुवाद करके प्रकाशित करेंगे। हिन्दी सबंधी तकनीकी सहायता के लिए नि:संकोच आप  इनसे संपर्क कर सकते  हैं । रेडियोनामा के अलावा यदि आप रेडियो  प्रेमी हैं तो यहाँ भी सुन सकते हैं रेडियो -यानी कौल साहब का रेडियो-पन्ना, सागर नाहर की सूची, बीबीसी हिंदी, वॉइस ऑफ अमेरिका हिंदी, हम एफ एम सऊदी अरब, डॉयचे वेले--जर्मनी की हिंदी सेवा, रेडियो जापान की हिंदी सेवा, आकाशवाणी समाचार, रेडियोवर्ल्ड, रेडियो तराना आदि पर !

संवाद सम्मान-२००९ से सम्मानित युनुस खान का ब्लॉग रेडियोवाणी पर इस वर्ष भी अनेक सार्थक पोस्ट देखे गए !मध्‍यप्रदेश के दमोह शहर में पैदा हुए ब्लोगर युनुस  खान  म0प्र0के कई शहरों में पाले बढ़ें  । बचपन से ही संगीत, साहित्‍य और रेडियो में गहरी दिलचस्‍पी थी  । सन 1996 से मुंबई स्थित  देश के प्रतिष्ठित रेडियो चैनल विविध भारती (vividh bharati) में एनाउंसर के पद पर कार्यरत हैं । नए पुराने तमाम अच्‍छे गीतोंके साथ-साथ दुनिया भर की फिल्‍मों में इनकी गहरी रूचि है । कविताएं और अखबारों में लेखन भी ये यदा कडा करते रहते हैं !इस ब्लॉग पर कुल ३०० पोस्ट प्रकाशित है जो आपका भरपूर मनोरंजन करने में पूरी तरह सक्षम है !

My Photoवहीं मिर्जापुर में पैदा हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़े  और समकालीन जनमत के साथ पटना होते हुए दिल्ली पहुंचे इरफ़ान स्वतंत्र पत्रकारिता,लेखन और ऒडियो-विज़ुअल प्रोडक्शन्स से जुड़े होने के वावजूद हिंदी ब्लोगिंग को समृद्ध करने की दिशा में दृढ़ता के साथ सक्रिय हैं ! इनका ब्लॉग है टूटी हुई बिखरी हुई !इस ब्लॉग पर इस वर्ष कुल २७ पोस्ट प्रकाशित हुए और सब एक से बढ़कर एक !

My Photoसंगीत की साधना को समर्पित ब्लॉग का यह विश्लेषण तबतक पूर्ण नहीं हो सकता जबतक पारुल चंद पुखराज का ....की चर्चा न हो जाए , क्योंकि यह ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत के लिए विशिष्ट है !युनुश खान की तरह पारुल भी संवाद सम्मान-२००९ से सम्मानित हैं ! इस ब्लॉग पर इस वर्ष ६५ पोस्ट प्रकाशित हुए हैं, जो पूरी तरह साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों और संगीत को समर्पित है !पारुल "पुखराज" को गुलज़ार की ये पंक्तियाँ बहुत पसंद है -"कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही…रात दिन गिर रहे हैं चौसर पर…औंधी-सीधी-सी कौड़ियों की तरह…हाथ लगते हैं माह-ओ साल मगर …उँगलियों से फिसलते रहते है…धूप-छाँव की दौड़ है सारी……कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही………………और जो क़ायम है,बस इक मैं हूँ………मै जो पल पल बदलता रहता हूँ …!"

इसके अलावा वर्ष-२०१० में गीत-संगीत से जुड़े जिन ब्लोग्स पर सार्थक पोस्ट की प्रस्तुति हुई है, उसमें प्रमुख है - संगीत, किससे कहें , गीतों की महफ़िल, सुख़नसाज़ ,रंगे सुखन , जोग लिखी संजय पटेल की , बाजे वाली गली , दिलीप के दिल से , आगाज़  , कबाड़खाना आदि !इन सारे  ब्लोग्स का उद्देश्य रहा है अच्छे संगीत,साहित्य और उससे जुड़े पहलुओं को उजागर करना रहा है, जो प्रशंसनीय है !इनपर  सुगम संगीत से लेकर क्लासिकल संगीत को सुना जा सकता है , मन  के अंतर में हर क्षण अनेकों भाव उमडते रहतें हैं ,इन्ही भावों को हिन्दी भाषा के माध्यम से अंतर्जाल पर लिखने का प्रयास है अंतर्ध्वनि ! नीरज रोहिल्ला का यह ब्लॉग अन्य ब्लॉग कि तुलना में कुछ अलग है यह संगीत का ब्लॉग नहीं है अनुभूतियों का ब्लॉग है ! इस पर भी अनेक सार्थक पोस्ट देखे गए इस वर्ष !

.......जारी है विश्लेषण, मिलते हैं एक विराम के बाद

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-१७ )


......गतांक  से  आगे



विश्लेषण के विगत १६ भागों में आप हमारे साथ  साहित्य, विज्ञान, कृषि, कार्टून्स, चिट्ठा चर्चा  तथा देश के ज्वलंत मुद्दों से संवंधित ब्लॉग चर्चा में शामिल रहे,अनेक महत्वपूर्ण चिट्ठों के विश्लेषण के क्रम में आपको वर्ष-२०१० की प्रमुख गतिविधियों से भी रूबरू होना पडा होगा, संभव है कुछ ब्लोग्स चर्चा में शामिल न हो पाए हों, क्योंकि विश्लेषण की अपनी एक सीमा होती है, जिसके भीतर रहकर ही निर्भीक और निष्पक्ष समीक्षा कर्म को मूर्तरूप देना होता है,निश्चित रूप से आप मेरी विवशता महसूस कर रहे होंगे !विश्लेषण के क्रम में कई मित्रों के मेल और सुझाव  मुझे प्राप्त हुए हैं, मेरी पूरी कोशिश रही है कि उन सुझावों को तथा प्राप्त लिंक को सम्मानजनक स्थान दिया जाए....कहाँ तक मैं सफल रहा मुझे मालूम नहीं !खैर विश्लेषण अब संपन्नता की ओर अग्रसर है, यानी १९ भागों के पश्चात जब हम २० वें भाग में प्रवेश करेंगे तो एक समग्र विश्लेषण पूरे ब्लॉगजगत का होगा और वर्ष के १०० सफल पुरुष वो महिला ब्लोगर जिन्हें अंग्रेजी में ब्लोगर ऑफ दी ईयर कहा जाता है से आप सभी को हम रूबरू करायेंगे ! चलिए आज के इस भाग की शुरुआत करते हैं वर्ष-२०१० में स्वास्थ्य संवंधित जागरूकता लाने वाले ब्लॉग की चर्चा से !


कहा गया है पहला सुख निरोगी काया,स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है !शरीर की रुग्णता के कारण मन की अनेक इच्छाएं पूरी होने से रह जाती है !शरीर में भी प्रकृति ने इतनी शक्ति दी है कि व्यक्ति हर तरह से स्वयं को स्वस्थ रख सके !अपने आप ही आवश्यक रोधक तत्वों का निर्माण कर सके !प्राकृतिक जीवन चर्या में शरीर के लिए विशेष कुछ करने आवश्यकता नहीं रहती !जो कुछ शक्तियां दिन में खर्च होती है ,वे रात्री में फिर अर्जित हो जाती हैं !कुछ शक्तियां उम्र के साथ घटती है,उन्हें प्राणयाम जैसे अभ्यास से पूरा किया जा सकता है ! मगर कैसे ? तो चलिए चलते हैं हिंदी ब्लॉगजगत के कुछ चिट्ठाकारों के पास -






27 minutes to improve memory
जब प्राणयाम की बात हुई है तो मुझे  दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका में१३ जुलाई को प्रकाशित उस आलेख की याद आ रही है,जिसमें उन्होंने प्राणयाम की परिभाषा बताते हुए कहा है कि -श्वास की गति को रोकना फिर छोड़ना ही प्राणयाम है !

My Photo
वैसे ब्लॉगजगत में एक दिलचस्प ब्लोगर हैं शंकर फुलारा और उनके ब्लॉग का नाम है टेंशन पोईंट - चिंतन विन्दु ! फुलारा कहते हैं कि समस्त बीमारियों की जड़ है यह टेंशन, इसलिए टेंशन लेने का नहीं देने का ....सुनिए उन्हीं के शब्दों में क्या कहते हैं फुलारा साहब - "जैसा कि हमारे सूत्र वाक्य से स्पष्ट होता है, जिस भी कारण से टेंशन ( तनाव ) उत्पन्न हो, उसे औरों को भी दे दो । पिछले कुछ वर्षो से अपने पास के तिराहे पर अपने हाथ से बना पोस्टर लगा कर यही कार्य कर रहा हूँ, जो काफी लोकप्रिय है। इसी का नाम है "टेंशन पॉइंट",अब आगे से यही टेंशन आपको इस ब्लॉग पर दूंगा। ज्वलंत मुद्दों के अनुसार यह अपडेट होता रहेगा। वैसे हमारा एक क्लब है, अंकल क्लब। मैं उसका संचालक भी हूँ।"

फुलारा साहब के चिंतन के बाद आईये चलते हैं मथुरा निवासी रविकांत शर्मा के अध्यात्मिक चिंतन की ओर उनका कहना है कि "अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर केवल आत्मिक विचार ही ले जा सकता है ...!" यह तथ्य कहाँ तक सत्य है मैं नहीं कह सकता, किन्तु इस ब्लॉग को देखकर मथुरा और कृष्ण प्रेम की झलक अवश्य मिलती है !

धर्म-विचार- हास्य -रुदन अपनी जगह है, पर आरोग्यता की शीतल छाया के लिए कोई आयुर्वेद को अपनाता है तो कोई होमियोपैथ तो कोई अंग्रेजी अथवा यूनानी  दवाओं को !हिंदी ब्लॉगजगत में स्वास्थ्य सलाह देने वाले ब्लोग्स की काफी कमी है !आयुर्वेद और होमियोपैथ के ब्लॉग तो कुछ अत्यंत स्तरीय है मगर संख्या के लिहाज से अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में काफी कम ! ऐसे में जब स्वास्थ्य परामर्श को लेकर सचालित ब्लोग्स की काफी कमी महसूस होती है वहीं दो ब्लॉग अपनी गतिविधियों से हमें काफी चमत्कृत करते हैं पहला कुमार  राधारमण और विनय चौधरी का साझा ब्लॉग स्वास्थ्य सबके लिए और दूसरा लखनऊ निवासी अलका सर्बत मिश्र का ब्लॉग मेरा समस्त !
स्वास्थ्य सबके लिए हिंदी एक ऐसा महत्वपूर्ण ब्लॉग है, जिसमें समस्त असाध्य विमारियों से लड़ने के उपचार बताये जाते हैं ! चूँकि, व्यक्ति अनेक धरातलों पर जीता है, अत: रोग भी हर धरातल पर अलग-अलग स्वरूपों में प्रकट होते हैं ! सबके लिए स्वास्थ्य का अभिप्राय यह है कि हर बीमारी से लड़ने का हर किसी को साहस प्रदान करना !इस ब्लॉग के द्वारा किया जा रहा कार्य श्रेष्ठ और प्रशंसनीय है !

दूसरा ब्लॉग है मेरा समस्त जो पूर्णत: आयुर्वेद को समर्पित है ! आयुर्वेद के सन्दर्भ में ब्लोगर का कहना है कि "आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है...ऐड्स, थायराइड, कैंसर के अतिरिक्त भूलने की बीमारी, चिड़चिड़ापन आदि से खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है,बस आयुर्वेद पर भरोसा होना चाहिये !ब्लोगर अलका मिश्र  केवल आलेखों  से ही पाठकों को आकर्षित नहीं करती वल्कि   आलेखों में उल्लिखित औषधियों के आदेश पर आपूर्ति भी करतीं हैं......!

Onlymyhealth health website
आयुर्वेद से संवंधित इस वर्ष की प्रमुख पोस्ट इन ब्लोग्स पर देखी जा सकती है अर्थात   आयुर्वेद : आयुषमन , आयुर्वेद,पर्यायी व पूरक औषध पद्धती --Indian Alternative Medicine , only my health , अपने विचारThe Art of  Living , shvoong .comवन्दे मातरम्, आयुष्मान, हरवल वर्ल्ड, चौथी दुनिया, ब्रज डिस्कवरी , Dr. Deepak  Acharya , दिव्य हिमांचल , उदंती . com  , विचार मीमांशा, दिव्ययुग निर्माण न्यास  , स्वास्थ्य चर्चा , स्वास्थय के लिये टोटके , प्रवक्ता आदि पर

My Photoजहां तक होमियोपथिक से संवंधित ब्लॉग का सवाल है तो हिंदी ब्लॉगजगत में ज्यादा ब्लॉग नहीं दिखाई देता, एक ब्लॉग है E - HOMOEOPATHIC MIND magazine  जिसपर यदाकदा कुछ उपयोगी पोस्ट देखने को मिले हैं ! इस ब्लॉग को वर्डप्रेस पर भी वर्ष-२००९ में बनाया गया, किन्तु नियमित नहीं रखा जा सका !जब होमियोपैथिक की बात चली है तो वकील साहब दिनेश राय द्विवेदी के अनवरत पर विगत वर्ष कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट देखे गए , किन्तु आलोचनात्मक ! १० अप्रैल को उनका आलेख आया होमियोपैथी हमारी स्वास्थ्यदाता हो गई ,११ अप्रैल-२०१० को उनका कहना था कि  क्या होमियोपैथी अवैज्ञानिक है? इस पोस्ट के प्रकाशन के दो दिन बाद उनका एक और आलेख प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था होमियोपैथी को अभी अपनी तार्किकता सिद्ध करनी शेष है

आयुर्वेदिक पध्‍दति की तरह ही होम्‍योपेथी भी धैर्य की मॉंग करती है। यह एक मात्र 'पेथी' है जिसके प्रयोग पशुओं पर नहीं, मनुष्‍यों पर होते हैं। इन दिनों इनका सस्‍तापन कम हो रहा है। यह चिकित्‍सा पध्‍दति भी मँहगी होने लगी है। ऐसा कहना है विष्णु वैरागी का, जबकि मनोज मिश्र का मानना है कि निश्चित रूप से डॉ. हैनिमेन एक विलक्षण व्यक्तित्व थे जिन्हों ने एक नई चिकित्सा पद्धति को जन्म दिया। जो मेरे विचार में सब से सस्ती चिकित्सा पद्धति है। इसी पद्धति से करोड़ों गरीब लोग चिकित्सा प्राप्त कर रहे हैं। यही नहीं करोड़पति भी जब अन्य चिकित्सा पद्धतियों से निराश हो जाते हैं तो इस पद्धति में उन्हें शरण मिलती है....!

My Photo
"वैज्ञानिकों एवं चिकित्साशास्त्रियों ने विभिन्न प्रकार के अनुसंधानों से यह निश्चित रूप से पुष्टि कर दिया है की मनुष्य के शरीर की रचना एवं शरीर के विभिन्न अंग जैसे मुंह, दाँत, हाथों की अंगुलियाँ,नाख़ून एवं पाचन तंत्र की बनावट के अनुसार वह एक शाकाहारी प्राणी है .....!"ऐसा  कहना है  स्वास्थ्य विशेषज्ञ राम बाबू सिंह का अपने ब्लॉग एलोबेरा प्रोडक्ट में !०५ जून-२०१० को प्रकाशित इस आलेख का शीर्षक है शाकाहारी बनें स्वस्थ रहें !

वर्ष-२०१० के उत्तरार्द्ध में  स्वास्थ्य  से  संवंधित  एक  वेहतर ब्लॉग  का आगमन हुआ है,जिसका नाम है स्वास्थ्य सुख ! इसकी पञ्चलाईन है निरोगी शरीर -सुखी जीवन का आधार.....३०  अक्तूबर-२०१० को सुशील बाकलीवाल द्वारा प्रसारित इस ब्लॉग का पहला आलेख पाठकों को ऐसा आकर्षित किया कि मानों उनका मनोनुकूल ब्लॉग आ गया है हिंदी ब्लॉगजगत में ! इस ब्लॉग को मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनाएं !

गुरुवार, 20 जनवरी 2011

वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-१६)

.......गतांक से आगे 


विश्लेषण के १५ भागों में आप कई ज्वलंत मुद्दों और साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को प्राणवायु देने वाले चिट्ठोंकी चर्चा मेंशामिल रहे ,किन्तु आज मैं जिन चिट्ठाकारों की चर्चा करने जा रहा हूँ उनके अवदान को न तो यह समाज कभी खारिज कर पायेगा और न ही यह ब्लॉगजगत !


ब्लॉग लेखन एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है और लोग तेजी से इसकी ओर आकृष्ट  हो रहे हैं। ऐसे में इसके द्वारा विज्ञान संचार की अपार सम्भावनाएं छिपी हुई हैं। ब्लॉग लेखन की सबसे बडी विशेषता  यह है कि यह पूरे विश्व  में पढा जा सकता है और अनन्त समय तक अंतर्जाल पर सुरक्षित रहता है। इसके साथ ही साथ विश्व  के किसी भी कोने से किसी भी सर्च इंजन द्वारा खोजने पर ब्लॉग में उपलब्ध सामग्री तत्काल ही इच्छुक व्यक्ति तक पहुंच जाती है। यही कारण है कि ब्लॉग लेखन द्वारा विज्ञान संचार की अपार सम्भावनाएं बनती हैं। यदि ब्लॉग लेखकों और विज्ञान संचारकों को इसके महत्व एवं प्रक्रिया की समुचित जानकारी प्रदान की जाए, तो विज्ञान संचार के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र साबित हो सकता है।
 
जी हाँ ,मैं बात कर रहा हूँ  समाजिक एवं वैज्ञानिक चेतना के प्रचार के लिए कार्य करने वाले ब्लॉग की ,जिनके द्वारा केवल ब्लॉग पर ही नहीं,अपितु अनेक कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया जाता है, ताकि जन चेतना को विज्ञान से जोड़ा जा सके !विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन, और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है । इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार'के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।

PrirodneNauke.png
इस दिशा में एक ब्लॉग है तस्लीम , जिसके द्वारा  विभिन्न स्थानों एवं समयों पर विविध कार्यक्रम सम्पन्न किये जाते रहे हैं तथा वैज्ञानिक जागरूकता के काम को नियमित रूप से सम्पादित किया जाता रहा है।तस्लीम द्वारा निष्पादित  उक्त गतिविधियों को विद्वतजनों ने न सिर्फ पसंद किया है, बल्कि समाचार पत्रों आदि में इस सम्बंध में प्रकाशित  रिपोर्टों आदि ने संस्था का उत्साहवर्द्धन  किया है। इसके अतिरिक्त ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री को सम्पूर्ण विश्व  में ११  हजार से अधिक पाठकों द्वारा न सिर्फ पढ़ा गया है, बल्कि अपनी टिप्पणियों के द्वारा इसे सराहा और प्रोत्साहित भी किया गया है।तस्लीम‘ ने अपने ब्लॉग कार्यशालाओं के माध्यम से  विज्ञान संचार के अपने प्रयासों के दौरान यह देखा है कि हिन्दी भाषी  लागों में इससे जुड़ने की प्रबल आकांक्षा है किन्तु तकनीकी जानकारी न होने के कारण वे पीछे रह जाते हैं। इस दिशा में तस्लीम के द्वारा किया जा रहा कार्य प्रसंशनीय है ! इस ब्लॉग के ३३९ प्रशंसक  हैं ! इस संस्था के अध्यक्ष हैं अब्दुल कवी, उपाध्यक्ष हैं डा0 अरविंद मिश्र, सचिव हैं ज़ाकिर अली 'रजनीश, ' कोषाध्यक्ष हैं अर्शिया अली, सक्रिय सहयोगी हैं जीशान हैदर ज़ैदी !

दूसरा ब्लॉग है साईंस ब्लोगर असोसिएशन,इसकी स्‍थापना 20 दिसम्‍बर 2008 को हुई थी। यह भी अंधविश्वास के प्रति एक अभियान का हिस्सा है, जो ब्लॉग पोस्ट और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिक गतिविधियों को प्राणवायु देने का महत्वपूर्ण कार्य करता है ! इस पर प्रत्येक वर्ष "साईंस ब्लोगर ऑफ़ दी ईयर" का खिताब किसी एक ब्लोगर को प्रदान किया जाता है !यह मंच है विज्ञान के ब्लागरों का, यहाँ होता है विज्ञान का संवाद और संचार ब्लॉग के जरिये और होती हैं  विज्ञान और टेक्नोलॉजी की बातें, जन जन के लिए, आम और खास के लिए भी! इनका कहना है कि आप वैज्ञानिक हो तो भी इस ब्लॉग से जुडें, जन संचारक हों तो भी आपका स्वागत है इस ब्लॉग पर ! इस संस्था के अध्यक्ष हैं डा0 अरविंद मिश्र, उपाध्यक्ष हैं ज़ीशान हैदर ज़ैदी,सचिव हैं ज़ाकिर अली 'रजनीश', कोषाध्यक्ष हैं अर्शिया अली,तकनीकि निर्देशक हैं विनय प्रजापति तथा इसके सक्रिय सहयोगी हैं रंजना भाटिया,अल्पना वर्मा,मनोज बिजनौरी,जी0के0 अविधया,सलीम खान,डा0 प्रवीण चोपड़ा,अभिषेक मिश्रा,अंकुर गुप्ता,अंकित,हिमांशु पाण्डेय,पूनम मिश्रा और दर्शन बवेजा आदि !

My Photo
विज्ञान का एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग है साईब्लाग [sciblog] , ब्लोगर हैं डा अरविन्द मिश्र !यह ब्लॉग २९ सितंबर -२००७ को अस्तित्व में आया !ब्लॉग पर वैज्ञानिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से सक्रिय लोगों में सर्वाधिक चर्चित ब्लोगर हैं डा अरविन्द मिश्र , जिनका इस ब्लॉग को शुरू करने के पीछे जो उद्देश्य रहा है उसके बारे में इनका कहना है कि -" मेरा मानना है कि ब्लॉग एक खुली डायरी है ,वेब दुनिया का एक सर्वथा नया प्रयोग .अभिव्यक्ति का एक नया दौर .एक डायरी चिट्ठा कैसे बन गयी /या बन सकती है मेरा मन स्वीकार नहीं कर पा रहा.फिर चिट्ठे से कच्चे चिट्ठे जैसी बू भी आती है .मगर चूँकि नामचीन चिट्ठाकारों ने इस पर मुहर लगा दी है और यह शब्द भी अब रूढ़ सा बन गया है मैंने पूरे सम्मान के साथ असहमत होते हुए भी इसे स्वीकार तो कर लिया है पर अपने हिन्दी ब्लॉग पर इस प्रयोग के दुहराने की हिम्मत नही कर पाया -इसलिए देवनागरी मे ही अंगरेजी के शब्दान्शों को जोड़ कर काम चलाने की अनुमति आप सुधी जनों से चाहता हूँ.इस ब्लॉग पर मैं विज्ञान के विविध विषयों पर अपना दिलखोल विचार रख सकूंगा .यह ब्लॉग तो अभी इसके नामकरण पर ही आधारित है .आगे विज्ञान की चर्चा होगी ...!"




इसके अलावा इस वर्ष जहां-जहां ब्लॉग पर वैज्ञानिक गतिविधियाँ देखी गयीं  उसमें प्रमुख Science Fiction in India ,  विज्ञान गतिविधियां Science Activities , क्यों और कैसे विज्ञान मे , प्रश्न मंच ,ईमली ईको क्लब Tamarind Eco Club ,सर्प संसार (World of Snakes) , Dynamic  , स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़ , विज्ञान की दुनिया… हिंदी के झरोखे से…, विज्ञान हिन्दी वेबसाइट  ,  विज्ञान - विक्षनरी , विज्ञान BBC Hindi , Hash out Science » विज्ञान » चर्चा,विज्ञान , विज्ञान « Hindizen – निशांत का हिंदीज़ेन ..., कलिकऑन , विज्ञान मन आदि !

My Photo

देखा जाए तो हिंदी ब्लोगिंग में विज्ञान से संवंधित ब्लॉग का अभी भी अभाव है, अन्य विषयों के ब्लॉग की तुलना में विज्ञान से जुड़े हुए ब्लॉग काफी कम है ! इस संवंध में दर्शन बबेजा का कहना है कि "सभी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को समझें विज्ञान एवँ पर्यावरण के प्रति विद्याथियों को शिक्षित करें। जिससे उनमें पर्यावरण की रक्षा करने की जागरुकता आए। यह कार्य अत्यावश्यक इसलिए है कि विद्यार्थी के कोमल मन मस्तिष्क पर बचपन में प्राप्त ज्ञान की अमिट छाप रह्ती है और वह इसे जीवन भर नहीं भूलता। इसलिए अंधविश्वाश निवारण एवं पर्यावरण संरक्षण में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है, इससे इंकार नही किया जा सकता।" 



इस  वर्ष आये विज्ञान से संवंधित नए ब्लोगों में सर्वाधिक चर्चित रहा स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़  , लखनऊ  के हरफनमौला ब्लोगर सलीम खान का यह विषय पर आधारित ब्लॉग ०२ जनवरी-२०१० को ब्लॉगजगत का हिस्सा बना और अपने कतिपय महत्वपूर्ण पोस्टों के माध्यम से हिंदी ब्लोगिंग में हलचल पैदा करने में सफल रहा है ! इस नए ब्लॉग को मेरी शुभकामनाएं !

इसके अलावा विज्ञान की नित नयी जानकारी इन्द्रजाल मे उपलब्ध कराने का एक विनम्र प्रयास किया जा रहा है विज्ञान विश्व के द्वारा ! विज्ञान व तकनीक से जुड़े मुद्दों पर चर्चा, सवाल-जवाब तथा सूचना का आदान प्रदान करने में इस वर्ष सार्थक भूमिका निभाया ज्ञान- विज्ञान ने ! इस वर्ष कुछ इधर की, कुछ उधर की ब्लॉग पर एक सार्थक पोस्ट २९ मई २०१० को देखी गयी , विषय था मनोविज्ञान---मन का विज्ञान या आत्मा का ?


आईये अब आपको एक ऐसी साईट पर ले चलते हैं जहा कुछ ख़ास है आपके लिए !भारत सरकार के द्वारा 1989 में स्थापित संस्था “विज्ञान प्रसार” का कार्य विज्ञान को आम लोगों विशेषकर बच्चों में लोकप्रिय बनाना है। विज्ञान प्रसार की हिन्दी पत्रिका “विज्ञान प्रगति” जिन्होंने पढ़ी होगी वे अवश्य इससे परिचित होंगे। किंतु वि.प्र. के जालस्थल में अनेक कमियाँ भी दिखायी देती हैं। ऐसा अकसर होता है कि सरकार के हिन्दी को बढ़ावा देने के उपक्रम मूलतः प्रतीकात्मक रह जाते हैं। यही कारण है इस जाल-स्थल पर अधिकांश सामग्री अंग्रेजी में है और केवल बाहरी लिंक हिन्दी में हैं। यद्यपि प्रयास सराहनीय है। किंतु अच्छा होता यदि अंदर की सामग्री भी हिन्दी में होती।भाषा के प्रश्न को छोड़ दें तो यदि आप विज्ञान में रूचि रखते हैं या अपने घर परिवार के बच्चों को विज्ञान की सरल-सुलभ जानकारी देना चाहते हैं तो एक बार इस जाल-स्थल पर अवश्य जाएँ। विज्ञान प्रसार के जाल-स्थल पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें। 


....जारी है विश्लेषण, मिलते हैं एक विराम के बाद

सोमवार, 17 जनवरी 2011

वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-१५ )

.....गतांक से आगे
वर्ष-२०१० में हिंदी ब्लॉगजगत को अचानक सदमें में ले गयी ब्लोगवाणी ! कई लोगों ने इसका कारण बताया ब्लोगवाणी का अव्यवसायिक होना तो कईयों  ने कहा कि ब्लोगवाणी कुछ लोगों के साथ पक्षपातपूर्ण रबैया अपना रही थी और जब विरोध हुआ तो उसने बोरिया-विस्तार समेट ली ! कारण कुछ भी रहा हो मगर ब्लोवाणी का बंद होना हिंदी ब्लॉगजगत के लिए एक दु:खद पहलू रहा !

वरिष्ठ ब्लोगर श्री रवि रतलामी का मानना है कि -"ब्लॉगवाणी और फिर चिट्ठाजगत की अकाल मृत्यु के पीछे इनका घोर अ-व्यवसायिक होना ही रहा है. मेरे विचार में यदि ये घोर व्यवसायिक होते, अपने सृजकों के लिए नावां कमाकर देने की कूवत रखते और परमानेंट वेब मास्टर रखने, नित नए सपोर्ट व इनफ्रास्ट्रक्चर जुटाने की कवायदें करते रहते तो इनमें सभी में व्यवसायिक रूप से पूर्ण सफल होने की पूरी संभावनाएँ थीं....!" वहीं एक और प्रमुख ब्लोगर श्री जाकिर अली रजनीश का मानना है कि -"वहाँ पर जान बूझकर एक खास प्रकार की नकारात्मक मानसिकता वाली पोस्टों को तो लगातार बढ़ावा दिया जा रहा था पर कम्यूनिष्ट तथा अन्‍य विचारधारा वाले लोगों के ब्लॉग तक नहीं रजिस्टर्ड किये जा रहे थे। जो लोग इसके शिकार बने, उनमें ‘नाइस’ मार्का सुमन जी का नाम सबसे ऊपर है। यहाँ तक तो जैसे-तैसे मामला चल रहा था, लेकिन जब ब्लॉगवाणी ने जानबूझकर पाबला जी को भी अपने लपेटे में ले लिया, तो पानी सिर के ऊपर निकलना ही था, और निकला भी। नतीजतन ब्लॉगवाणी वालों को लगा कि उनका अपमान किया जा रहा है और उन्होंने उसकी अपग्रेडेशन रोक दी।" वहीं डा.अरविन्द मिश्र जी जाकिर भाई के उक्त विचारों से सहमत नहीं थे, उनका कहना था कि -"मैथिली और सिरिल जी ने बिना आर्थिक प्रत्याशा केब्लोगवाणी के माध्यम से  हिन्दी ब्लागिंग में जो अवदान दिया उसकी सानी नहीं है ..!"

खैर बौद्धिक जगत में आरोप-प्रत्यारोप चलते रहते हैं, किन्तु कुछ हफ़्तों बाद अचानक चिट्ठाजगत का भी बंद हो जाना हिंदी ब्लॉगजगत की एक बड़ी घटना रही !
चिट्ठा-विश्व और नारद का पतन वर्ष-२०१० से पूर्व हो चुका है, किन्तु हिंदी ब्लोगिंग को प्रमोट करने की दिशा में अग्रणी ब्लॉग एग्रीगेटर ब्लोगवाणी की अकाल मृत्यु पूरे ब्लॉगजगत को चौंका गयी एकबारगी !हिंदी ब्लॉगजगत को सबसे बड़ा झटका लगा वर्ष के आखिरी माह में अनायास ही चिट्ठाजगत के अस्वस्थ हो जाने से, हलांकि अस्वस्थता से उबरकर कुछ ही दिनों में चिट्ठाजगत उठ खडा हुआ था, तब ब्लोगरों, खासकर नए ब्लोगरों में आशा की एक किरण तैर गयी थी ,किन्तु कुछ दिन ज़िंदा रहने के उपरांत चिट्ठाजगत की भी अकाल मृत्यु हो गयी !






उल्लेखनीय है कि चिट्ठाजगत से संदर्भित महत्वपूर्ण सन्दर्भ देते हुए पावला जी ने कहा  है कि -" चिट्ठाजगत के पीछे मूलत: 3 व्यक्ति हैं,आलोक कुमार, विपुल जैन, कुलप्रीत (सर्व जी) !आलोक कुमार हिन्दी जाल जगत के आदि पुरूष कहलाते हैं। ये वही हैं जिन्होंने हिन्दी का पहला चिट्ठा "नौ दो ग्यारह"  में लिखना शुरू किया और ब्लॉग को चिट्ठा कह कर पुकारा। वर्षों से ये अपनी वेबसाईट "देवनागरी॰नेट" द्वारा दुनिया को अन्तर्जाल पर हिन्दी पढ़ना व लिखना सिखाते आ रहे हैं। 2007 की शुरूआत में आलोक जी ने अपने चिट्ठाजगत की कल्पना को अपने मित्र विपुल जैन के समक्ष रखा और विपुल उनकी कल्पना से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसको वास्तविक रूप देने की ठान ली। विपुल का अपना एक जाल स्थल "हि॰मस्टडाउनलोड्स॰कॉम"  है जहाँ से आप अनेक उपयोगी सॉफ्टवेयरों के नवीनतम संस्करण डाउनलोड कर सकते हैं।इस कार्य में अहम मदद की कुलप्रीत सिंह ने। कुलप्रीत कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में पीएचडी हैं और डबलिन, आयरलैंड में कार्यरत हैं। इन्होंने चिट्ठाजगत की संरचना को बनाने में विपुल की खास मदद की है। कुलप्रीत भारतीय बहुभाषीय जालस्थल "शून्य॰इन" के संस्थापक हैं। जहाँ विभिन्न भारतीय भाषाओं में तकनीकी विषयों पर बहस की जाती है।चिट्ठाजगत पर दिखने वाले विभिन्न ग्राफ़िक्स संजय बेंगाणी जी द्वारा प्रदत्त हैं !" यह वर्ष हलांकि एग्रीगेटर के आने और काल कलवित हो जाने के वर्ष के रूप में याद किया जाएगा, क्योंकि इस वर्ष दो अतिमहत्वपूर्ण ब्लॉग एग्रीगेटर की अकाल मौत हुई है और इसी शोक के बीच कई महत्वपूर्ण ब्लॉग एग्रीगेटर का आगमन भी हुआ है !

आठ माह पूर्व  इंडली आई  और उसने कई भारतीय भाषाओं में एक साथ ब्लॉग फीड की सुविधा प्रदान किया,इसकी सबसे बड़ी समस्या है ब्लॉग की फीड को ऑटोमैटिक न लेना।  ब्लोगवाणी की अकाल मौत के बाद हमारीवाणी अस्तित्व में आई,किन्तु कई प्रकार के अफवाहों के बीच यह अभी भी कायम है !हामारीवाणी की टीम के द्वारा प्रसारित वक्तव्य के आधार पर " हमारीवाणी की ALEXA रैंकिंग विश्व में 81,000 तक पहुंच चुकी है। इसमें हर दिन सुधार हो रहा है।हमारीवाणी का एक अभिनव प्रयास ये भी है कि एग्रीगेटर को निर्विवाद रूप से चलाने के लिए ब्लॉगजगत से ही मार्गदर्शक-मंडल बनाया जाए। प्रसिद्ध अधिवक्ता और सम्मानित वरिष्ठ ब्लॉगर श्री दिनेशराय द्विवेदी (अनवरत, तीसरा खंभा) ने मार्गदर्शक-मंडल का प्रमुख बनना स्वीकार कर लिया है।  लोकप्रिय ब्लॉगर श्री समीर लाल समीर  (उड़नतश्तरी), मार्गदर्शक-मंडल के उप-प्रमुख के तौर पर मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हो गए हैं। पांच सदस्यीय मंडल के तीन अन्य सदस्य श्री सतीश सक्सेना  (मेरे गीत), श्री खुशदीप सहगल  (देशनामा), और श्री शाहनवाज़ (प्रेमरस)हैं। हमारीवाणी की पूरी कोशिश रहेगी कि जहां तक संभव हो सके, एग्रीगेटर से विवादों का साया दूर ही रहे। फिर भी कभी ऐसी स्थिति आती है तो मार्गदर्शक मंडल का बहुमत से लिया फैसला ही अमल में लाया जाएगा।"

एक और नया हिंदी ब्लॉग एग्रीगेटर -अपना ब्लॉग हाल ही में चालू हुआ है जो ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत की तरह  बेहतरीन, ढेर सारी सुविधाओं वाला, तेज ब्लॉग एग्रीगेटर महसूस हो रहा है !इसके अलावा एक स्वचालित ब्लॉग संकलक यहाँ पर है जिसमें आप रीयल टाइम गूगल सर्च के जरिए संग्रहित ताज़ा 500 हिंदी  ब्लॉग पोस्टों  को देख सकते हैं. पर चूंकि यह स्वचालित है, और कुछ कुंजीशब्द के जरिए संग्रह करता है, अतः सारे के सारे नवीन ब्लॉग पोस्टें नहीं आ पातीं, फिर भी कुछ पढ़ने लायक लिंक के संग्रह तो मिलते ही हैं !


इस वर्ष   एक और ब्लॉग एग्रीगेटर लालित्य पर मेरी नज़र पडी ,यह एग्रीगेटर ललित कुमार का व्यक्तिगत एग्रीगेटर है ,जिसमें उनके द्वारा कुछ उत्कृष्ट ब्लॉग को जोड़ा गया है !ललित कुमार का कहना है कि -" हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में कहा जाता है कि यह अभी तक भी शैशव अवस्था में है। मैं नहीं जानता कि यह कितना सच है लेकिन लालित्य हिन्दी ब्लॉग्स का एक ऐसा एग्रीगेटर है जिसमें केवल अच्छे और उन्नत हो चुके ब्लॉग्स ही संकलित किए जाते हैं। यह ब्लॉग्स केवल तब तक संकलित रहते हैं जब तक उन पर उपलब्ध सामग्री की गुणवत्ता बनी रहती है। इस तरह लालित्य के ज़रिये आपको सीधे, सरल तरीके से उम्दा हिन्दी ब्लॉग्स तक पँहुचने में आसानी होती है !"

कुछ और साईट है जो ब्लॉग को प्रमोट करने की दिशा में कार्य करती है, या फिर जहां आप अपने पसंदीदा ब्लॉग को ढूंढ सकते हैं,जिसमें प्रमुख है ब्लॉग अड्डा ,Woman Who Blog In Hindi , ब्लोग्कुट, इंडी ब्लोगर, रफ़्तार , ब्लॉग प्रहरीक्लिप्द इन , हिंदी चिट्ठा निर्देशिका, गूगल लॉग , वर्ड प्रेस की ब्लोग्स ऑफ द डे , वेब  दुनिया की हिंदी सेवा, जागरण जंक्सन ,बीबीसी के ब्लॉग प्लेटफार्म  आदि !साथ  ही  हिंदी मे ब्लॉग लिखती नारी की अद्भुत रचना यहाँ पढे जा सकते हैं ! इसके अतिरिक्त यदि आपको उन ब्लोग्स के बारे में जानने की इच्छा है  जिसे समाचार पत्र में समय-समय पर स्थान दिया गया हो तो आप ब्लोग्स इन मीडिया पर क्लिक कर सकते हैं !

इस वर्ष कुछ ब्लोगरों ने फीड क्लस्टर.कॉम के सहयोग से भी ब्लॉग एग्रीगेटर बनाकर अपने साथियों को परस्पर जोड़ने का महत्वपूर्ण काम किया है, जिसमें प्रमुख है आज के हस्ताक्षर, परिकल्पना समूह, महिलावाणी ,  हिन्दीब्लॉग जगत, हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट, ब्लॉग परिवार, चिट्ठा संकलक, लक्ष्य, हमर छत्तीसगढ़, हिन्दी ब्लॉग लिंक आदि ।


Blog Bukharऔर  चलते-चलते  मैं आपको एक ऐसे ब्लॉग पर ले चलता हूँ जो ब्लॉगजगत के वेहद कर्मठ और हर दिल अजीज ब्लॉग संरक्षक  श्री बी एस पावला  का ब्लॉग है ब्लॉग बुखार,जिसपर आप ब्लॉग से संवंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं ! यह ब्लॉग अपने-आप में अनूठा है !

.......जारी है विश्लेषण, मिलते हैं एक विराम के बाद

शनिवार, 15 जनवरी 2011

वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-१४ )

......गतांक से आगे
वर्ष-२०१० में मेरी निगाह कई ऐसे ब्लॉग पर गयी, जहां स्तरीय शब्द रचनाएँ प्रस्तुत की गयी थी !शब्द का साहित्य के साथ वही रिश्ता है जो ब्लॉग के साथ है !ब्लॉग हमारी इच्छाओं की वह भावभूमि है जहां पहचान का कोई संकट नहीं होता, अपितु विचारों की श्रेष्ठता का बीजारोपण होता है, भावनाओं का विस्तार होता है और परस्पर स्नेह-संवंधों का आदान-प्रदान !
 
भावना या  इच्छा ! जीवन के मूल में और कुछ नहीं ! प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जीता है , संघर्ष करता है, किन्तु वही व्यक्ति अपनी इच्छा को  संकल्प और संकल्प को परिणाम में परिवर्तित कर पाता है जो खींच-तान कर कद को लंबा नहीं करता, अपितु शाश्वत जीवन जीता है ! किसी ने कहा है कि " खींच-तानकर कद को इतना लंबा नहीं किया करते, लंबी परछाई का ढलते सूरज से इक रिश्ता है !" यही कमोवेश ब्लोगिंग के साथ भी है !

वर्ष-२०१० में कुछ ऐसे ब्लॉग से मैं रूबरू हुआ जिसमें सृजन की जिजीविषा देखी गयी वहीं कुछ सार्थक करने की ख्वाहिश भी !जिसमें जागरूकता और सक्रियता भी देखी गयी तथा जीवन के उद्देश्यों को समझते हुए अनुकूल कार्य करते रहने की प्रवृति भी ! इन ब्लोगरों ने अपने चिंतन को इतना स्पष्ट बनाए रखा कि किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह इसे न ढक पाए ! ये जो कुछ भी निर्णय करे उसमें उद्देश्यों की स्पष्टता रहे और एकाग्रता की सघनता भी !इस प्रवृति को आदर्श प्रवृति कहते हैं तो ऐसे ब्लोगर को आप क्या कहेंगे ?
आदर्श ब्लोगर !
यही न ?

570349-Offerings-for-Buddha-1वर्ष -२०१० में हिन्दी ब्लॉगजगत के लिए सबसे बड़ी बात यह रही कि इस दौरान अनेक सार्थक और विषयपरक ब्लॉग की शाब्दिक ताकत का अंदाजा हुआ । अनेक ब्लोगर ऐसे थे जिन्होनें लेखन के दौरान अपने चंदीली मीनार से बाहर निकलकर जीवन के कर्कश उद्घोष को महत्व दिया , तो कुछ ने भावनाओं के प्रवाह को । कुछ ब्लोगर की स्थिति तो भावना के उस झूलते हुए बटबृक्ष के समान रही जिसकी जड़ें ठोस जमीन में होने के बजाय अतिशय भावुकता के धरातल पर टिकी हुयी नजर आयी ।

जीवन के कर्कश उद्घोष को महत्व देने वाले प्रखर ब्लोगरों में इस वर्ष ज्यादा सार्थक और ज्यादा सकारात्मक नज़र आये  शब्दों के सर्जक  अजीत वाडनेकर , जिनका ब्लॉग है - शब्दों का सफर । अजीत कहते हैं कि- "शब्द की व्युत्पति को लेकर भाषा विज्ञानियों का नजरिया अलग-अलग होता है । मैं भाषा विज्ञानी नही हूँ , लेकिन जब उत्पति की तलाश में निकालें तो शब्दों का एक दिलचस्प सफर नज़र आता है । "अजीत की विनम्रता ही उनकी विशेषता है । वर्ष-२०१० में इनके ब्लॉग पर प्रकाशित २२४ पोस्टों में से जिन-जिन पोस्ट ने पाठकों को सर्वाधिक आकर्षित किया उनमें से प्रमुख है पहले से फौलादी हैं हम… , फोकट के फुग्गे में फूंक भरना , जड़ से बैर, पत्तों से यारी ,भीष्म, विभीषण और रणभेरी ,[नामपुराण-6]नेहरू, झुमरीतलैया, कोतवाल, नैनीताल .....  आदि !

My Photo
शब्दों का सफर की प्रस्तुति देखकर यह महसूस होता है की अजीत के पास शब्द है और इसी शब्द के माध्यम से वह दुनिया को देखने का विनम्र प्रयास करते हैं . यही प्रयास उनके ब्लॉग को गरिमा प्रदान करता है .सचमुच यह ब्लॉग नही शब्दों का अद्भुत संग्राहालय है, असाधारण प्रभामंडल है इसका और इसमें गजब का सम्मोहन भी है ....!

इस श्रेणी का दूसरा ब्लॉग है कर्मनाशा !
कर्मनाशा !
विंध्याचल के पहाड़ों से निकल कर काफ़ी दूर तक उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा उकेरने वाली यह छुटकी-सी नदी अंतत: गंगा में मिल जाती है किन्तु आख्यानों और लोक विश्वासों में इसे अपवित्र माना गया है ! आखिर कोई भी नदी कैसे हो सकती है अपवित्र? इस ब्लॉग से जुड़े शब्दों के सर्जक सिद्धेश्वर का कहना है कि "अध्ययन और अभिव्यक्ति की सहज साझेदारी की नदी है कर्मनाशा .....!"

"खोजते - खोजते
बीच की राह
सब कुछ हुआ तबाह।
बनी रहे टेक
राह बस एक...!"

ये पंक्तियाँ सिद्धेश्वर ने अपने ब्लॉग पर लिखे १० फरवरी-२०१० को, जो हिंदी ब्लोगिंग के उद्देश्यों को रेखांकित कर रही है !इसे यदि हिंदी ब्लोगिंग हेतु पञ्च लाईन के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो शायद किसी को भी आपत्ति नहीं होगी ,क्योंकि मानव जीवन से जुड़े विविध विषयों को मन के परिप्रेक्ष्य में देखना ही इस ब्लॉग की मूल अवधारणा है !

उपरोक्त दोनों शब्दकार कबाडखाना से  जुड़े हैं और श्रेष्ठ कबाडियों की श्रेणी में आते हैं !
शब्द प्राणवान होते हैं,गतिमान होते हैं और इसे गति प्रदान करता है ब्लॉग !इस तथ्य को जिन ब्लोगरों  ने दृढ़ता के साथ प्रतिष्ठापित किया उनमें प्रमुख हैं - क्रिएटिव मंच-Creative Manch ....एक ऐसा मंच जहां आप पहुँच कर सृजनशीलता का सच्चा सुख अनुभव करेंगे । इस ब्लॉग के मुख्य संयोजक हैं प्रकाश गोविन्द और उनके प्रमुख सहयोगी हैं मानवी श्रेष्ठाअनंतश्रद्धा जैन ,शोभना चौधरीशुभम जैन और रोशनी साहू
इस ब्लॉग से जुड़े चिट्ठाकारों का शरू से यह प्रयास रहा है कि कुछ सार्थक करने का प्रयास किया जाए ! आप कोई भी पोस्ट देख सकते हैं भले ही परिलक्षित न हो किन्तु अत्यंत मेहनत छुपी है हर एक पोस्ट में !साज-सज्जा के लिहाज से आम तौर पर किसी के लिए ऐसी पोस्ट तैयार करना संभव नहीं है ब्लॉग जगत में जैसा कि कहा जाता है यहाँ प्रतिक्रियाएं लेन-देन के अंतर्गत होती हैं ! ऐसे माहौल में 'क्रिएटिव मंच' की लोकप्रियता हतप्रभ करती है क्योंकि 'क्रिएटिव मंच' कभी कहीं जाकर प्रतिक्रिया नहीं देता ! इसके बावजूद भी किसी भी पोस्ट पर २५ - ३० प्रतिक्रियाएं आना आम बात है !
इस समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो हमारे लिए प्रेरणा के प्रकाशपुंज हैं । हमें ग़लत करने से वे बचाते हैं और सही करने की दिशा में उचित मार्गदर्शन देते हैं । ऐसे लोग हमारे प्रेरणा स्त्रोत होते हैं । हमारे लिए अनुकरनीय और श्रधेय होते हैं। हिन्दी ब्लॉग जगत की कमोवेश जमीनी सच्चाईयां भी यही है।



कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके विचार तो महान होते हैं, कार्य महान नही होते । कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके कार्य तो महान होते हैं विचार महान नही होते । मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके कार्य और विचार दोनों महान होते हैं । हमारे कुछ हिन्दी ब्लोगर भी इसी श्रेणी में आते हैं जिनकी उपस्थिति मात्र से बढ़ जाती है नए चिट्ठों की गरिमा ।

वर्ष-२०१० में सकारात्मक प्रस्तुति को आधार मानते हुए कुछ ऐसे ब्लॉग का चयन किया है,जिसपर अनुपातिक रूप से पोस्ट तो कम प्रकाशित हुए किन्तु पोस्ट की प्रासंगिकता बनी रही , इसमें साहित्यिक ब्लॉग भी हैं और सामाजिक-सांस्कृतिक भी ............... जिनमें प्रमुख है -

सदा का (सद़विचार) / रमण कॉल का ब्लॉग  (इधर उधर की) / युनुस खान का (रेडियो वाणी) / रविश कुमार का  (कस्बा qasba ) / डा आशुतोष शुक्ल का (सीधी खरी बात..) / मनोज कुमार का (मनोज) /अमरेन्द्र त्रिपाठी का (कुछ औरों की , कुछ अपनी ...)/  प्रेम प्रकाश का ब्लॉग  (पूरबिया) / डा रूप चन्द्र शास्त्री 'मयंक' का (शब्दों का दंगल) / राजीव ठेपडा का ब्लॉग (दखलंदाज़ी) / यशवंत माथुर का (जो मेरा मन कहे) / विजय माथुर का (विद्रोही स्व-स्वर में....) / अशोक कुमार पाण्डेय का (जनपक्ष) /रश्मि प्रभा- रवीन्द्र प्रभात का (वटवृक्ष) /रवि रतलामी का (रचनाकार) /मनीष कुमार का  (एक शाम मेरे नाम)/ अमितेश का  (रंगविमर्श) / आना का ब्लॉग  (कविता) (Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन) / ललित कुमार का (राइटली एक्सप्रेस्ड) / पारुल पुखराज का (.......चाँद पुखराज का......) / अनूप शुक्ल का (फुरसतिया) / एस एम मासूम का  (अमन का पैग़ाम) / मनोज कुमार का  (राजभाषा हिंदी) / अमीत-निवेदिता का (बस यूँ ही) /डा पवन कुमार मिश्र का ब्लॉग  (पछुआ पवन (pachhua पवन) / विनीता यशस्वी का (यशस्वी) / जीतेन्द्र चौधरी का (मेरा पन्ना) / केवल राम का (चलते -चलते ....!) / सुमनिका का  (सुमनिका) / मनोज कुमार का (विचार) / परमेन्द्र सिंह का (काव्य-प्रसंग) / अनुपमा पाठक का (अनुशील) / दिनेश शर्मा का ब्लॉग (प्रेरणा) / सदा का ब्लॉग  (SADA ) / प्रत्यक्षा की  (प्रत्यक्षा) / प्रकाश बादल का ब्लॉग (प्रकाश बादल) / (नया सवेरा) / संजय बेंगानी का  (जोगलिखी : संजय बेंगाणी का हिन्दी ब्लॉग :: Hindi Blog of Sanjay bengani, Hindi site, tarakash blog, Hindi न्यूज़) / अरविन्द श्रीवास्तव का  (जनशब्द) / माधवी शर्मा गुलेरी का ब्लॉग  (उसने कहा था ..) / नीरज गोस्वामी का (नीरज) / शास्त्री जे सी फिलिप का (सारथी) /(संकल्प शर्मा . . .) /  (विद्रोही स्व-स्वर में....) / दीप्ती शर्मा का  (स्पर्श) आदि !
हर  क्रिया की प्रतिक्रया होती है, जो चंचलता को बनाए रखती है ! हर वाद के साथ प्रतिवाद होता है, जो चंचलता को बनाए रखता है !हर राग के साथ द्वेष जुडा होता है जो चंचलता को बनाए रखता  है !विकास के लिए समभाव की,योग की आवश्यकता होती है !चंचलता को शान्ति में परिवर्तित करने की आवश्यकता होती है !अपने आत्मविश्वास को जगाने की आवश्यकता है, ताकि एक सुन्दर और खुशहाल सह-अस्तित्व की परिकल्पना को मूर्तरूप दिया जा सके ! इसके लिए जरूरी है विचारों की द्रढता, क्योंकि कहा भी गया है कि विचार विकास का बीज होता है !
My Photoआईये अब एक ऐसे ही दृढ विचारों वाले ब्लोगर की बात करते हैं,जो ब्लॉग के माध्यम से एक नयी सामाजिक क्रान्ति का उद्घोष कर रहा है नाम है जय कुमार झा और ब्लॉग है-

ब्लोगर का कहना है कि -"क्या जनता सिर्फ इसलिए है कि वोट डालकर 5साल के लिए अंधी-बहरी-गूंगी होकर भ्रष्ट नेताओं की अव्यावहारिक,अतर्कसंगत नीतियों को असहाय होकर सहती रहे और यह पूछने को मज़बूर हो कि किससे कहें,कहां जाएं,कौन सुनेगा हमारी? भारत एक गणतंत्र है और अब हम जनता असल मालिक बनकर रहेंगे । क्या आप हैं हमारे साथ? आइए,मिलकर सरकार को आदेश दें।"उपरोक्त विचारों को पढ़कर आपको अंदाजा लग ही गया होगा कि यह ब्लोगर देश और समाज के लिए कुछ करने की जीबटता रखता है,इनके ब्लॉग पोस्ट्स से गुजरते हुए भी यही महसूस होता है !
अपने बारे में जय कुमार झा कहते हैं कि-"मैं बीस वर्षों से टेक्सटाइल और मानव संसाधन से कई बड़ी कम्पनियों के सी.ई.ओ ,प्रोडक्शन मैनेजर और एच.आर.डी मैनेजर के पद पर कार्य करते हुए जुड़ा रहा हूँ / ईमानदारी और उसूलों की वजह से मैं अब मानवीय शोध,सामाजिक जाँच और देश में सही मायने में लोकतंत्र की स्थापना के लिए चल रहे, हर आन्दोलन से जुड़ा हुआ हूँ / मैं चाहता हूँ कि -इस भारत जैसे लोकतंत्र में सही मायने में लोकतंत्र की स्थापना हो यानि ''असल मालिक जनता और सब यहाँ तक कि प्रधानमंत्री तक,एक सच्चे सेवक कि तरह व्यवहार करे,ना कि एक तानाशाह की तरह ''जिससे इस अमीर देश में गरीबी का नामों निशान तक ना हो और हर कोई आम नागरिक हर किसी सरकारी खर्चों और घोटालों की जाँच किसी भी वक्त देश के इमानदार समाज सेवकों से या सामाजिक जाँच के आधार पर कर सके /तब जाकर जनता के खजानों ''सरकारी पैसों ''की लूट बंद होगी /इसके लिए हर नागरिक को निडरता से एकजुट होने कि जरूरत है ,आइए एकजुट हों......!"

हमें गर्व है कि ऐसे लोग आज हिंदी ब्लोगिंग के माध्यम से नयी क्रान्ति की प्रस्तावना कर रहे हैं , इनके विचारों को  मेरा नमन !
.........चलते My Photo-चलते मैं एक चौंकाने वाला तथ्य आपके सामने रख रहा हूँ कि एक ब्लॉग जिसकी शुरुआत २७ नवम्बर २०१०  को हुई ! वर्ष के आखिरी ३५ दिनों में इसपर वैसे तो मात्र १२ पोस्ट प्रकाशित हुए मगर इस ब्लॉग के प्रशंसकों की संख्या ५० के आसपास पहुँच गयी , ब्लॉग का नाम है नज़रिया और ब्लोगर हैं -   सुशील बाकलीवाल   जबकि -
एक पुराना ब्लॉग है अमरेन्द्र त्रिपाठी का कुछ औरों की , कुछ अपनी, जो  वर्ष २००९ से ब्लॉगजगत का हिस्सा है, किन्तु इस ब्लॉग पर पूरे वर्ष में केवल १४  पोस्ट ही प्रकाशित हुए !हलांकि इस पर जो भी पोस्ट प्रकाशित हुए हैं वह गंभीर विमर्श को जन्म देने में सक्षम है !
 
.......जारी है विश्लेषण मिलते हैं एक विराम के बाद
 
Top