
वो चार आने का सिक्का
उसने सम्हाल कर रखा है
जो माँ ने मरने से 
एक दिन पहले खर्चने के लिए 
दिया था 
बड़े उल्लास से सिक्का लेकर 
मेले में पहुंचा था 
पहली बार अकेले किसी मेले में 
गया था ,
घंटों घूमता रहा पर तय नहीं 
कर सका 
कैसे खर्च करे,कुछ खाए 
या कुछ खरीद कर घर ले जाए ,
मन मचलता फिर ध्यान आता ,
कहीं ऐसा ना हो,कुछ अच्छा छूट जाए 
इसी ऊहापोह में घंटों घूमता रहा
चार आने का सिक्का भी 
उससे खर्च नहीं हो सका था 
घर पहुँच माँ ने पूछा ,
सिक्के का क्या किया ?
उसने झूठ कह दिया 
चाट पकोड़ी में खर्च कर दिया 
अगले दिन ही 
माँ की तबियत खराब हो गयी 
फिर माँ कभी ठीक नहीं हुयी 
सदा के लिए संसार से चली गयी 
कई दिन तक उसे माँ से 
झूठ बोलने का, और चार आने 
खर्च नहीं कर पाने का मलाल रहा 
पर अब बुढापा आ गया 
जब भी माँ की याद आती 
तिजोरी से सिक्का निकाल कर 
घंटों उसे देखता रहता 
शायद सिक्के में उसे माँ की 
सूरत दिखती है 
सोच कर खुशी होती है 
कितना अच्छा हुआ 
जो उस दिन उसने 
चार आने खर्च नहीं किये 
वो चार आने का सिक्का 
अब उसके लिए माँ की सबसे 
कीमती धरोहर है
20-04-2012
470-51-04-12
 
बहुत सुंदर ...बेशकीमती धरोहर
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा है ... इस धरोहर के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंचार आने की अहमियत वो क्या जाने जिसके हाथ में बचपन से ही नोट थमा दिये गए हों.....!!