गुरुवार, 27 सितंबर 2012

छोटा सा काँटा


चलते चलते
ध्यान रखते रखते भी
पैर में चुभ गया
छोटा सा काँटा
चलना रुका नहीं
पर दर्द से हाल बेहाल
करने लगा
 छोटा सा काँटा
बैठ गया पेड़ तले
किसी तरह निकल जाए
छोटा सा काँटा
पैर लहुलुहान हो गया
निकलने का नाम ना लिया
जिद पर अड़ गया
छोटा सा काँटा
थक हार कर लंगडाते हुए
फिर चल पडा सफ़र पर
समझ गया ध्यान
कितना भी रख लो
चुभ सकता है
ज़िन्दगी के सफ़र में
छोटा सा काँटा
रुला सकता है
बिगाड़ सकता है
ज़िन्दगी की चाल
करता सकता हैरान
छोटा सा काँटा
कब चुभेगा
पता नहीं चलता
कर देगा जीना दूभर
छोटा सा काँटा
ज़िन्दगी का सफ़र
 बड़ा अजीब होता है
बता गया
छोटा सा काँटा
755-51-27-09-2012

डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"

2 comments:

  1. कब चुभेगा
    पता नहीं चलता
    कर देगा जीना दूभर
    छोटा सा काँटा
    ज़िन्दगी का सफ़र
    बड़ा अजीब होता है
    बता गया
    छोटा सा काँटा

    बढ़िया रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर.....पूरा जीवन दर्शन समझा गया ...एक छोटा सा काँटा !

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