शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

पत्नी,प्रियतमा और प्यार

 

पत्नी को प्रियतमा बना कर  प्यार कीजिये

महका कर इस जीवन को  गुलजार कीजिये
                  घर की मुर्गी दाल बराबर  नहीं समझिये
                  बल्कि बराबर दिल के उसे सजा कर रखिये
                  मान तुम्हे परमेश्वर ,जान लुटा वो देगी
                   तुम मानोगे एक बात वो दस   मानेगी
                  इधर  उधर  ना फिर तुम्हारा मन भटकेगा
                  हर पल तुमको जीने का आनंद   मिलेगा
                  बन कर एक दूजे का संबल जीओ  जीवन
                  और कहीं भी नहीं मिलेगा  ये अपनापन
                  सदा रहोगे जवां,बुढ़ापा  भाग जाएगा
                  तुमको सचमुच में ,जीने का स्वाद आएगा
खुशियाँ भरिये,और सुखमय संसार कीजिये
पत्नी को प्रियतमा बनाकर  प्यार  कीजिये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'                        

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