सोमवार, 22 अप्रैल 2013

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग सम्मेलन काठमाण्डू में क्यों ?


पिछले पोस्ट में यह उदघोषणा हुयी थी,कि इसबार अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग सम्मेलन और परिकल्पना सम्मान समारोह काठमाण्डू में ही आयोजित किए जाएँगे । तो चलिये काठमाण्डू ( काठमाण्डु या काठमाडौं ) चलने की तैयारी करते हैं,किन्तु एक दिवसीय आयोजन में नहीं, बल्कि तीन दिवसीय सम्मेलन में ।

 दूरभाष पर कमेटी मेम्बर से तथा नेपाल के व्यवस्थापक से हुई वार्तानुसार यह तय किया गया है कि यह सम्मेलन हिन्दी दिवस पर यानि 13-14-15 सितंबर 2013 में होंगे । 

आपके मन में यह जिज्ञासा होगी कि इसबार यह सम्मेलन - 
काठमाण्डू ( काठमाण्डु या काठमाडौं) में ही क्यों ? 

दरअसल बात ऐसी है कि इस साल हिन्दी ब्लॉगजगत दस वर्ष की अवधि को पार करके ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश कर गया है । इसलिए परिकल्पना सम्मान के अंतर्गत हम हिन्दी के साथ-साथ दस क्षेत्रीय भाषाओं के ब्लॉगर को भी सम्मानित करने जा रहे है, जिसमें से एक नेपाली भाषा भी है । नेपाली भाषा का स्त्रोत मूल रूप से नेपाल में ही है, किन्तु हमारे लिए यह सौभाग्य का विषय है कि यह भाषा भारतीय संबिधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भारत की एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भाषा भी है । भारत में इस भाषा का साहित्य अत्यंत समृद्ध है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि नेपाल की राजधानी काठमांडू खूबसूरती और शांति का अनूठा संगम है। काठमांडू नेपाल का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय शहर है जहां सैलानियों का सबसे ज्यादा आगमन होता है। पहाड़ियों से घिरे इस खूबसूरत शहर को यूनेस्को की विश्‍वदाय धरोहरों में शामिल किया गया है।

यहां की रंगीन संस्कृति और परंपराओं के अलावा विशिष्ट शैली में बने शानदार घर सैलानियों को अनायास ही अपनी और आकर्षिक कर लेते हैं। यहां के शानदार मंदिर पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखते हैं।

 साथ ही यहां के प्राचीन बाजारों की रौनक भी देखते ही बनती है। इसलिए सोचा गया कि सम्मान-समारोह के अतिरिक्त एक दिन ब्लॉगरों के मिलने-मिलाने, पढ़ने-पढ़ाने का कार्यक्रम और एक दिन पर्यटन का भी लाभ मिले ऐसी व्यवस्था की जाए। 28 अप्रैल 2013 को लखनऊ में परिकल्पना समारोह की कोर कमेटी की बैठक होने जा रही है,जिसके पश्चात कार्यक्रम का विस्तृत व्योरा प्रस्तुत किया जायेगा ।

इस समारोह में सहभागिता के इच्छुक ब्लॉगर कृपया मुख्य आयोजक परिकल्पना समय के निम्नलिखित ई मेल आई डी पर अपना संक्षिप्त परिचय, संपर्क, फोन न.,ई मेल संपर्क आदि प्रेषित कर दें ताकि समय पर उन्हें पर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराई जा सके ।

-मेल आई डी :  parikalpana.samay@gmail.com

आपके जेहन में एक बात और कौंध गयी होगी, कि यह परिकल्पना समय क्या है ?

यदि  विनय जैन के द्वारा 19 अक्टूबर 2002 को अंगे्रजी ब्लाग पर हिन्दी की कड़ी सर्वप्रथम आरंभ करने के आगाज को छोड़ दिया जाये तो प्रामाणिक तौर पर  हिन्दी में ब्लागिंग आरंभ करने का श्रेय आलोक कुमार को जाता है, जिन्होने  21 अप्रैल 2003 में हिन्दी के पहले  ब्लॉग "नौ दो ग्यारह" की शुरुआत की थी । इसप्रकार कल हिन्दी ब्लॉग जगत ने दस वर्ष पूरा कर लिया और आज ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश कर गया है ।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर परिकल्पना समूह ने एक नयी पत्रिका "परिकल्पना समय" के मासिक प्रकाशन का संकल्प लिया है । एक-दो दिन में इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी । इस पत्रिका का प्रकाशन  मई 2013  से प्रारंभ हो जाएगा ।

कार्यक्रम से संबन्धित किसी भी प्रकार का पत्र व्यवहार कृपया उपरोक्त  ई मेल संपर्क पर ही करें - यदि इस कार्यक्रम के आयोजन से संबन्धित आपके कोई सुझाव हो तो नि:संकोच टिप्पणी बॉक्स में दर्ज करें । आपके सुझाव पर अवश्य अमल किया जाएगा ।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2013

हम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं...... ?


कल मैं लम्बी यात्रा पर था, रास्ते में देखा कि एक ट्रक खड्ड में गिरी है और उसके पीछे लिखा है - " हम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं ।" मुझे बड़ी हंसी आई, मगर ट्रक पर लिखी उस उक्ति के कारण नहीं, बल्कि यात्रा के दौरान मोबाइल पर फेसबूक की एक टिप्पणी को पढ़कर । 

संतोष त्रिवेदी जी ने लिखा था कि "डायचे-वेले के ब्लॉगिंग सम्मान को लेकर कुछ लोग इत्ते उतावले हो रहे हैं कि चार लोगों के सहयोग से जर्मनी जाने से परहेज नहीं है। हमने तो अभी तक यही सुना था कि अंत समय में ही चार कांधों की ज़रूरत होती है .....!"


जैसे ही डायचे-वेले का प्रकरण आया है, मुझसे मेरे एक ब्लॉगर मित्र ने पूछा कि भैया जर्मनी तो कोई एक ही जाएगा न .... आप में इक्यावन लोगों की गुंजाइश है .....कब कर रहे हैं परिकल्पना सम्मान की घोषणा ? 

मैंने कहा- भाई कहाँ डायचे-वेले का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और कहाँ दो कौरी की परिकल्पना, सम्मान लेने के लिए भला अब कोई ब्लॉगर लखनऊ क्यों आयेगा ? जर्मनी क्यों नहीं जाएगा ? 

मैंने तो सोचा था कि इस बार यदि कोई याद नहीं दिलाया तो सो जाऊंगा लंबी चादर तानकर, लेकिन क्या करूँ यह ब्लॉगजगत न तो ठीक से जगाने देता है और न ही सोने ही देता है । इतना कहना था कि उस ब्लॉग पंडित ने कृष्ण की तरह मेरे पुरुषार्थ को ललकारते हुये श्लोक ही बाँच डाला कि " उद्यमेन हि सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथे: । नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृग : ॥" 

फिर उन्होने मुझे समझाया कि ऐसे समय में जब हिन्दी ब्लॉगजगत का पूरा कुनबा "डायचे-वेले ब्लॉग फिक्सिंग" की खबरों को चटखारे लेकर सुनने मे व्यस्त है, धीरे से परिकल्पना सम्मान (तृतीय)  के 51 नामितों की घोषणा कर ही दिया जाये। क्या पता पिछले वर्ष की तरह फिर कोई डिस्क्लेमर की नज़र लग जाये । अब भला किस-किस पर आप मुकदमा करते फिरोगे ? किस-किसको गला फाड़के स्पष्टीकरण देते फिरोगे भला ? 

इतना सुनने के बाद मुर्दा भी उठकर खड़ा हो जाये, मैं तो भला जीवित जीव हूँ । मैंने कहा मित्र पिछली बार एक सज्जन ने यह कहकर उंगली उठाई थी कि दिल्ली और लखनऊ में होने वाले सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय कैसे हो गए ? 

उनका आशय था कि भारत से बाहर होने वाला सम्मेलन ही अंतर्राष्ट्रीय होता है, इसलिए मैं इसबार कार्यक्रम दिल्ली, लखनऊ के बाद अब पटना या भोपाल में नहीं करूंगा । 

तो कहाँ करेंगे ? उन्होने भारी मन से पूछा । मैंने कहा विदेश में । इसपर उन्होने कहा "तब तो पासपोर्ट और वीजा का चक्कर लगेगा ?" 

मैंने कहा उसकी जरूरत नहीं, क्योंकि काठमाण्डू के लिए पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती। काठमाण्डू का नाम सुनते ही उनके चेहरे खिल गए और मुस्कुराकर कहा "हाँ यह ठीक है ।'' 

तो चलिये काठमाण्डू चलने की तैयारी करते हैं, लेकिन इसबार एक दिवसीय नहीं, बल्कि तीन दिवसीय सम्मेलन में ।

इसके लिए एक सप्ताह के भीतर कमेटी मेम्बर की बैठक लखनऊ में होगी और 51 पुरस्कारों की घोषणा के साथ तय कार्यक्रमों को सार्वजनिक कर दिया जाएगा । 

क्या आप तैयार हैं काठमाण्डू चलने के लिए ? 

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

हद है जी .....

अभी-अभी  अचानक साउथ एशिया टुडे के एडिटर साहब के एक मेल की प्रति मुझे प्राप्त हुयी है । यह मेल ब्लॉगर महिला रचना जी को संबोधित है और मुझे उसकी एक प्रति भेजी गयी है । उल्लेखनीय है कि रचना जी के द्वारा साउथ एशिया के एडिटर साहब को लिखे गए पत्र में मेरे ऊपर गंभीर इल्जाम लगाया गया है कि मैंने हिन्दी ब्लोगिंग का इतिहास पुस्तक में नाम छापने के एवज में ब्लोगरों से पैसे लिए  हैं और अब उनके द्वारा मांगने पर मेरे द्वारा वापस नहीं किया जा रहा है। 

एडिटर साहब के द्वारा रचना को दिये गए प्रतियुत्तर में यह कहा गया है, कि यदि यह इल्जाम सिद्ध नहीं हुआ  तो यह मान हानि के दायरे में आयेगा । 

प्राप्त मेल इसप्रकार है : 
---------- Forwarded message ----------
From: Editor South Asia Today <editor@southasiatoday.org>
Date: Sat, Apr 13, 2013 at 10:52 AM
Subject: Fwd: I object
To: Ravindra Prabhat <parikalpanaa@gmail.com>

---------- Forwarded message ----------
From: Editor South Asia Today <editor@southasiatoday.org>
Date: Sat, Apr 13, 2013 at 10:42 AM
Subject: Fwd: I object
To: रचना <indianwomanhasarrived@gmail.com>


Ms. Rachana ji,

The views and the script published in South Asia Today are the writer's own. and South Asia Today is not to be blemed for that. This letter of your had been forwarded to Mr. Prabhat & Mrs. Nazia Rizvi.

But here the charges framed against Mr. Prabhat are baseless that "He took the money and published the names of the bloggist and rest ware ignored who did'nt pay."

Charges framed by you if are not found to be true . Then may be you will find your self in the contempt of humanrights laws.  

Thanking You 
South Asia Today

Copy to : (1) Mr. Ravindra Prabhat 
               (2) Mrs. Nazia Rizvi


---------- Forwarded message ----------
From: रचना <indianwomanhasarrived@gmail.com>
Date: Fri, Apr 12, 2013 at 9:36 PM
Subject: I object
To: contact@southasiatoday.org


I strongly object to the contents of the above article 
I am the moderator of naari blog and Ravindra Prabhat is no authority on hindi bloging. 
He took money from people whose name he gave in the book he published on hindi bloggers and those who did not pay were ignored
regards 
rachna
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आप सभी से मेरा निवेदन है कि यदि कोई भी ब्लॉगर मेरी उस पुस्तक में नाम छपवाने के एवज में मेरे व्यक्तिगत खाते में पैसे स्थानांतरित किए हो अथवा मनीऑर्डर अथवा चेक / ड्राफ्ट भेजे हों तो प्रूफ के साथ अवश्य सूचित करें, ताकि इस कृत्य के लिए मैं शर्मिंदा हो सकूँ । हाँ एक निवेदन और है कि यदि इस पुस्तक में नाम छपवाने के एवज में मेरे नाम पर यदि किसी और के द्वारा धन उगाही की गयी हो तो उसका भी प्रमाण दें । 

मैं जानता हूँ कि ऐसा कोई भी प्रमाण  है ही नहीं । आपसे एक और निवेदन है कि अपना मन्तव्य भी दे कि इस प्रकार के आक्षेप के लिए संबन्धित व्यक्ति पर क्या मुझे मान-हानि का मुकदमा दायर करना चाहिए ? 

गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

तस्लीम को ही वोट क्यों दिया जाए ?

इस समय विश्व की 14 भाषाओं (6 श्रणियों) में दिया जाने वाला 'बॉब्स अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार-2013', चर्चा में है। पुरस्‍कार के प्रथम चरण में चयनित ब्‍लॉगों के लिए ऑनलाइन वोटिंग कराई जा रही है, जिसके बाद विजेता का चयन किया जाएगा। इस प्रतियोगिता का परिणाम 07 मई को घोषित किया जाएगा और विजेताओं को ये पुरस्‍कार 18 जून 2013 को जर्मनी में प्रदान किए जाएंगे। 

ब्लॉग्स प्रस्तावित करने की डेढ़ महीने से ज़्यादा चली प्रक्रिया के बाद जूरी ने चुनींदा ब्लॉग्स को नामांकित भी कर दिया है । विगत 3 अप्रैल से लेकर आने वाले पांच हफ्तों तक आप अपने पसंदीदा ब्लॉग के लिए वोट कर सकते हैं और उसे विजेता बना सकते हैं।

हिंदी का सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग चयन हेतु नामित 10 ब्लॉग : 
उपरोक्त नामित  ब्लॉग्स की विशेषताओं पर नज़र डालें तो मुझे कुछ ही ब्लॉग्स  ऐसा दिखाता है जो वोट करने योग्य है । मसलन तस्लीम,सर्प संसार, चोखेर वाली,विज्ञान विश्व और मोहल्ला लाइव । क्योंकि इन ब्लॉग्स का चयन निराश नहीं करता । यह वाकई नामित होने योग्य ब्लॉग्स है और इन ब्लॉग्स के साथ मेरी शुभकामनायें है । 

किन्तु  मेरी इच्छा है कि सबसे ऊपर के पायदान पर तस्लीम को ही होना चाहिए । आप कहेंगे क्यों ? 

तो इस विषय पर बिना लाग लपेट के जो मेरी राय है, वह यह है कि "तस्लीम एक विज्ञान ब्लॉग है, जो अंधविश्वास के खिलाफ अपनी मुहिम को तर्कसंगत तरीके से रखता है । इसलिए मैं उसे पसंद करता हूँ ।"

'तस्‍लीम' मूल रूप से एक स्‍वैच्छिक संगठन है, जिसका पूरा नाम है 'टीम फॉर साइंटिफिक अवेयरनेस ऑन लोकल इश्यूज़ इन इंडियन मासेज' और इसका शार्ट रूप है, TSALLIM. इसका औपचारिक गठन चर्चित विज्ञान लेखक डॉ0 अरविंद मिश्र की प्रेरणा से 17 मार्च 2007 को हुआ था और इसके संस्‍थापक संदस्‍य थे डॉ0 अरविंद मिश्र, डॉ0 जाकिर अली रजनीश एवं अर्शिया अली आदि और उद्देश्‍य था समाज में फैले अंधविश्‍वास को दूर करना तथा विज्ञान संचार के प्रति लोगों को जागरूक करना। 

हालांकि वैचारिक भिन्‍नता के कारण बाद के दिनों में डॉ0 मिश्र ने स्‍वयं को तस्‍लीम से मुक्‍त कर लिया, लेकिन फिर भी वे मानसिक स्‍तर पर आज भी उससे जुडे हुए हैं और 'तस्‍लीम' से जुड़ी प्रत्‍येक गतिविधि पर नजर रखते हैं।

'तस्‍लीम' आज भी ब्लॉग जगत का एक सक्रिय नाम है, वरन अपनी रोचक तथा विविधता से भरपूर सामग्री के कारण अलेक्‍सा रैंक में हिन्‍दी के सर्वाधिक लोकप्रिय ब्‍लॉगों में जगह बनाए हुए है। प्रारम्‍भ में तस्‍लीम में चित्र पहेलियों का प्रकाशन प्रारम्‍भ हुआ था, जो काफी सराही गयीं। लेकिन कुछ समय के बाद एक ऐसा दौर भी आया कि जब चारों ओर चित्र पहेलियों की बाढ़ सी आ गयी। ऐसी स्थिति में 'तस्‍लीम' ने नीरसता से बचते हुए 'पहेलियों' को विराम दिया और अन्‍य गम्‍भीर विषयों की ओर ध्‍यान दिया। वर्तमान में इसमें मुख्‍य रूप से अंधविश्‍वास विषयक विभिन्‍न सामग्री की अधिकता देखने को मिलती है। इसके साथ ही साथ यहां पर विज्ञान सम्‍बंधी विविध सामग्री, जैसे पर्यावरण चेतना, विज्ञान पुस्‍तकों, विज्ञान संचार की विभिन्‍न प्रविधियों आदि पर भी भरपूर सामग्री प्रकाशित होती रहती है।

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि तस्‍लीम एक स्‍वैच्छिक संगठन है, इसलिए यह ब्‍लॉग जगत के बाहर भी अपनी गतिविधयां करता रहता है और अपनी सार्थक पहलों के द्वारा सामाजिक चेतना के कार्य में संलग्‍न रहता है। तस्‍लीम द्वारा अब तक जो बडे पैमाने पर आयोजन किये गये हैं, उनमें 'विज्ञान लेखन के द्वारा ब्‍लॉग संचार' कार्यशाला'बाल साहित्‍य में नवलेखन' संगोष्‍ठी, 'क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन' कार्यशाला के नाम शामिल हैं। 

इसके अलावा 'तस्‍लीम' वर्ष 2012 में 'परिकल्‍पना सम्‍मान समारोह एवं अन्‍तर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन' का मुख्‍य आयोजक भी रहा है। इससे स्‍पष्‍ट है कि जमीनी स्‍तर पर भी 'तस्‍लीम' की भागीदारी प्रशंसनीय तथा प्रेरणाप्रद है। 

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि 'तस्‍लीम' एक ब्‍लॉग भर नहीं है, यह एक सम्‍पूर्ण आंदोलन है, जो विज्ञान संचार की अपनी सार्थक मुहिम के लिए जाना जाता है। यह ब्‍लॉग नियमित है और इसका लेआउट भी काफी आकर्षक है। यदि यहां पर इसके विजिटर्स की संख्‍या अथवा एलेक्‍सा रैंक को भी शामिल कर लिया जाए, तो यह ब्‍लॉग निश्‍चय ही नामांकित ब्‍लॉगों की सूची में सिरमौर हो जाता है। 

मेरी दृष्टि में 'बॉब्‍स पुरस्‍कारों' के लिए 'हिन्‍दी का श्रेष्‍ठ ब्‍लॉग' कटेगरी में शामिल यह एक ऐसा ब्‍लॉग है, जो वास्‍तव में 'श्रेष्‍ठ ब्‍लॉग' के सम्‍मान का अधिकारी है।

जैसा कि आपको पता ही होगा कि इन पुरस्‍कारों के लिए वोटिंग की सुविधा डायचे वेले की ऑफीशियल वेबसाइट https://thebobs.com/ पर दी गयी है और साइट के नियमों के अनुसार 'फेसबुक', 'टिवटर' एवं 'ओपेन आईडी' से प्रत्‍येक 24 घंटे पर किसी के भी द्वारा वोट किया जा सकता है।


यदि आप मुझसे सहमत हैं तो, अपना वोट तस्लीम को देने के लिए इस लिंक पर अवश्य जाइए...



 
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