रामभरोसे की  कल की बतकही से नाराज गजोधर ने आज चौपाल में घोषणा की कि कोई भी व्यक्ति विवाद वाला विषय नही उठाएगा , धरीछान ने अपनी सहमति जतायी और बारी-बारी से बटेसर,असेसर और बालेसर ने भी हाँ में हाँ मिला दिया ।  
          
                 सर्दी  ज्यादा है , इसलिए चौपाल लगी है राम भरोसे की मरई में, चुहुल भी खूबी है आज . चौबे जी को दिल्लगी सूझी, मचरै मचर करे जुतवा उतारिके बैठ गए दरी बिछाके और कहैं कि- इसबार सर्दी में बसंत की मिलावट हो गयी है. रात में खुबई सर्दी और दिन में बासंती बयार. अब रसे-रसे चुअत महुआ मुंह के लगाबे , राज ठाकरे के जैसन कहीं बीमार पड़ गए तब ? गजोधर ने अपनी चुप्पी तोडी और लगाया ठहाका......ई का कहत हौ चौबे जी , अब मौसम में भी मिलावट होई जात है, तब त मान ही के पडी कि घोर कलियुग आयी गबा है महाराज !  
             लेकिन ई बसंत है बड़ी काम की चीज , इधर ठाकरे बीमार पड़ी गए और उधर चिदंबरम ब्याज घटाके करने की तैयारी में है मायाबी मिलाबट बजट के माध्यम से । कैसन मिलावट ? अरे झूठ में सच की , इतना भी नही समझते ? 
बोले चौबे जी -  देख गोविंदा जैसन दांत मत निपोड़ , हंस मत .....हम सच बोल रहे हैं, झूठ नाही बोल रहे ।     
        अचानक टपक पड़े बीच बहस में अपने इंटरनेट बाबा , चार-चार सुंदरियों के मध्य बैठकर सुखों का परित्याग करने और शांति से रहने की सीख देने वाले इंटरनेट बाबा गुस्से में हैं आज. कह रहे हैं कि बहुत बाबा लोग पैदा हो गए हैं लोकल में. रेट बिगाड़ के रख दिए हैं पट्ठे ने . पब्लिक से पैसा ऐसा झड़बा लेता है कि हमरे प्रवचन के लिए कुछ भी नही बचता . एकदम ड्राई हो गया है , पिछले एक महीने से सरवर भी परेशान करके रखा है, ऐसे में का करें चले आए ब्लोगर के चौपाल में अपनी व्यथा-कथा लेकर । 
                 गजोधर ने कहा कि ठीक  किए बाबा चले आए , यहाँ भी आप ही के टेस्ट की बात चल रही है . चलो तब तो ठीक समय पर आयें हैं हम। इतना सुनके फ़िर मुखर हो गए इंटरनेट बाबा , कहने लगे -समय बहुत ख़राब चल रहा है बचवा , हर जगह मिलावट का बोलबाला है।  धरम-करम में भी आज़कल खुबई मिलावट हो रहा है। 
              उ कैसे बाबा ?
अब देखो मुम्बई की नाचने वाली कोलकाता के कीर्तन वालों के साथ हो जाती है, कहानी के बीच-बीच में सिचुएसन क्रिएट करके पैसा ऐंठ ती  है . सत्यवान- सावित्री प्रसंग में यमराज को खुश करने के नाम पर पाँच सौ इक्यावन तक रखवा लेती है.....घोर कलियुग आ गया है धरिछन  , घोर कलियुग आ गया है ।
          इतना सुनते ही गर्व से सीना फुलाके बोला गुलतेनवा , कि बाबा ! सबसे टाईट पोजीसन हमरे उत्तर प्रदेश माँ है, माया बहन खूब विकास कर रही है... बाबा बोले कि- अपना कि प्रदेश का ?
           अपना भी और प्रदेश का भी , यानी " सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया "  
           हाँ , ठीक कह रहे हो गुलतेनवा ! सबका विकास हो रहा है तुम्हारे प्रदेश में ....देखो एक बिजली के बल्ब बदलने के लिए तुम्हारे प्रदेश में बाईस लोगों की जरूरत पड़ती है , पूछो कैसे ?
           कैसे बाबा ?
उ ऐसे कि दस की कमेटी   बनती है, पाँच की सब कमेटी, तीन की सुपरवैजरी टीम, दो सीढी पकड़ते हैं , एक बल्ब पकड़ता है और एक रिपोर्ट लिखता है....हुए न बाईस सरकारी कर्मचारी ....इसको कहते हैं विकास ।  अपने साथ-साथ सबका भला , सबका विकास एक साथ ।  का समझे धरिछान ? समझ गया बाबा , सब समझ गया , विकास का मतलब भी समझ गया ......!
             विषय से हटकर बात करते देख गजोधर झुंझलाया , बोला , कि आए हरी भजन को ओटन लगे कपास .....अरे इस मौसम पर आपकी क्या टिप्पणी है बाबा ?
              देखो गजोधर इस मौसम में बहुत कशिश है , अगर कशिश नही होती तो "उड़न तस्तरी" फ़िर से तरोताजा होकर अपने ब्लॉग पर कैसे लौटता ?
                कुछ और बताईये बाबा इस मौसम के बारे में ....!
देखो गजोधर , जब भी इस मौसम की चर्चा होती है शाहरूख की तरह मुझे भी कुछ कुछ होने लगता है....!
                क्या होने लगता है बाबा ?
" ॐ शांति ॐ " होने लगता है .
                   ॐ शांति ॐ का क्या मतलब है बाबा? 
            देखो जब बसंत का आगमन होता है तो ठूंठ बरगद भी हरिया जाता है , चम्पा,टेशू  और अमलतास के चहरे पर लालिमा चढ़ जाती है....और तुमको एक राज की बात बताएं ?
       हाँ-हाँ बताइये बाबा !
मेरे समझ से यही वह मौसम रहा होगा जब मेनका को देखकर विश्वामित्र का आसन डोला होगा ....! यही है परम सुख यानी " ॐ शांति ॐ " !
        इंटरनेट  बाबा की जय जयकार के साथ चौपाल अगली तिथि तक के लिए स्थगित कर दी गयी , इस सूचना के साथ कि " परिकल्पना" पर कल एक बसंत गीत पोस्ट किए जायेंगे ! 
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बसन्त गीत का इन्तजार है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व्यंग्य , शब्दों का संयोजन भी आनंदपूर्ण है , इंटरनेट बाबा की जय !
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र प्रभात जी, वसन्त में आपका लेखन तो गजब निखार पर है।
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