 वर्ष-२०१० : हिंदी ब्लोगिंग ने क्या खोया -क्या पाया ?
वर्ष-२०१० : हिंदी ब्लोगिंग ने क्या खोया -क्या पाया ?
हिन्दी ब्लोगिंग तभी सार्थक विस्तार पा सकती है, जब हमारे बीच पारस्परिक सहयोग, सद्भाव , सदइच्छा , सदविचार, सद्बुद्धि का वातावरण कायम रह सके । ...
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 वर्ष-२०१० : हिंदी ब्लोगिंग ने क्या खोया -क्या पाया ?
वर्ष-२०१० : हिंदी ब्लोगिंग ने क्या खोया -क्या पाया ?
हिन्दी ब्लोगिंग तभी सार्थक विस्तार पा सकती है, जब हमारे बीच पारस्परिक सहयोग, सद्भाव , सदइच्छा , सदविचार, सद्बुद्धि का वातावरण कायम रह सके । ...
 मेरा बाजू वाला घर
मेरा बाजू वाला घर
खामोशियों के आलिंगन में आबद्ध वह गुब्बारा सुबह से तैरता हुआ अचानक फूट पड़ता है, तब - जब हमारे आँगन में उतरता है रात का अन्धेरा चुपके से । मे...
 बड़ा ज़िद्दी बड़ा निडर बड़ा खुद्दार है वह ...
बड़ा ज़िद्दी बड़ा निडर बड़ा खुद्दार है वह ...
(ग़ज़ल ) बड़ा ज़िद्दी बड़ा निडर बड़ा खुद्दार है वह इसलिए शायद अलग-थलग इसपार है वह । रात को दिन और दिन को रात कैसे कहे- यार जब राजनेता नहीं फनका...
 .........महाकवि मुहफट
.........महाकवि मुहफट
व्यंग्य कौन कहता है , कि अब नहीं रही लखनवी नफ़ासत । अवध से भले ही चली गयी है नवाबों की नवाबी , मगर यहाँ के ज़र्रे - ज़र्रे में वही हाजिर- जव...
 .....और तुम हो !
.....और तुम हो !
कभी-कभी स्मृतियों में झांकना कितना सुखद और रोमांच से परिपूर्ण होता है , इसका अंदाजा मुझे तब हुआ जब आज अचानक डा0 रोहिताश्व अस्थाना द्वारा संप...
 दिल्ली के बाद अब बारी है लखनऊ की !
दिल्ली के बाद अब बारी है लखनऊ की !
श्री समीर लाल 'समीर' हिंदी चिट्ठाजगत के सर्वाधिक समर्पित,लोकप्रिय और सक्रिय हस्ताक्षर हैं । साहित्य की हर विधाओं में लिखने वाले श्र...
 ग़ज़ल को फ़कत जज़्बात मत कहना ।
ग़ज़ल को फ़कत जज़्बात मत कहना ।
ग़ज़ल लफ़्ज तोले बिना बात मत कहना दिन को खामखाह रात मत कहना । दर्द है, नसीहत है, तजुर्बा भी- ग़ज़ल को फ़कत जज़्बात मत कहना । जिंदगी एक सफ़र है...
 सच उगलना पाप है तो पाप हमने कर दिया
सच उगलना पाप है तो पाप हमने कर दिया
अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी भारत यात्रा की शुरुआत मुंबई हमलों में मारे जाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दे कर की और मुंबई को भारत ...
 मौत दे दे मगर जग हंसाई न दे ।
मौत दे दे मगर जग हंसाई न दे ।
(ग़ज़ल ) कद ये छोटा लगे कुछ दिखाई न दे रब किसी को भी ऐसी ऊँचाई न दे । मुफलिसों को न दे बेटियाँ एक भी - मौत दे दे मगर जग हंसाई न दे । रात कर ...
 पराये शहर में इक हमजुबां हमराज पाया
पराये शहर में इक हमजुबां हमराज पाया
(ग़ज़ल ) पराये शहर में इक हमजुबां हमराज पाया समंदर लांघने की तब कहीं परवाज़ पाया । सड़क के पत्थरों को देख करके यार मैंने- समय के साथ जीने का ...
 पटाखे फोड़कर क्यूं नोट जलाएं बाबू जी ?
पटाखे फोड़कर क्यूं नोट जलाएं बाबू जी ?
कल दीपावली का त्यौहार था, मैंने अपनी बड़ी बिटिया उर्विजा से पूछा कि पटाखे नहीं फोड़ने हैं क्या ? उसने तपाक से कहा पापा ! पटाखे फोड़कर रुपयों ...
 ज़िन्दगी की थीम पर थिरकता खुबसूरत गीत
ज़िन्दगी की थीम पर थिरकता खुबसूरत गीत
जी हाँ एक ऐसा गीत जो ज़िन्दगी की थीम पर थिरकते हुए ऐसे अनछुए पहलुओं को सामने लाता है, कि बरबस थिरकने लगते हैं हमारे होठ और अंगराईयां लेने लग...