गुरुवार, 20 मार्च 2008

ऐसी हीं बिंदास होली हो इसबार ...!


होली में हो ली हो वाणी मिठास की ,
आंखों में झूल जाए मस्ती एहसास की,

खिल जाए खुशियाँ, घर में उजास हो,
न कोई दु:खी और न कोई उदास हो ,

मस्ती हवा में यूं खुलकर के नाचे ,
जोगीरा कोयलिया व उल्लू भी बांचे,

किसी से कोई भी करे बैर ना,
विद्वेष की अब रहे खैर ना,

गली-कूचे सराबोर रंगों से हो ,
पर न जाती-धरम और न दंगों से हो,

अक्षर के अक्षत से सबका अभिषेक हो ,
भंग हो, रंग हो , विचार मगर नेक हो ,

हर तरफ़ मस्तों की टोली हो, इसबार
ऐसी हीं बिंदास होली हो इसबार ....!
क्योंकि-
जीवन रूपी प्रवृतियों के कलश में
सामूहिकता का रंग भरना ही " होली" है.....!
मेरी शुभकामना है ,कि -रंगों का यह निश्छल त्यौहार
आप व आपके परिवार जन की
स्वस्थ प्रवृतियों का श्रृंगार करे
आत्मिक शक्तियों का विकास करे
रखे उल्लसित , उत्साहित और प्रसन्नचित हमेशा
संचारित करे चेतना में सदइच्छा - सदभाव -सदाचार....!
आप सभी के लिए "होली"
लाये सुखद समाचार ...!

"होलीकोत्सव" की हार्दिक बधाईयाँ !!

शुभेच्छु -
रवीन्द्र प्रभात

10 comments:

  1. बहुत मन से उल्लास का स्रोत ढ़ूंढ़ रहे हैं हम और वह आपकी कवित में मिलता दीख रहा है। बहुत बधाई हो जी होली की।

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  2. बड़ी रंगीन तरह से पेश किया है,आपने ज़ज़्बे !काश ऎसे शब्द मैं भी बुन पाता...मेरी शुभकामनायें स्वीकार करें

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  3. ्बहुत बढिया लिखा है। होली की बधाई।

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  4. भाई प्रभात जी,
    अनोखे अंदाज़ में ,रंगा आपका ब्लॉग
    होली के संग जम गया , रंग फाग का आज !

    इसी तरह जमकर लिखते रहिए
    और रंगकर जमते रहिए !

    बधाई....बधाई.....बधाई.

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  5. रविन्द्र - आपके रंग ऐसे ही बारह मास धुंधले हटायें - सपरिवार होली की शुभ कामनाएँ - मनीष

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  6. आप सभी को परिवार के साथ
    होली की शुभ कामनाएं --

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  7. रवीन्द्र जी
    सुन्दर रचना। होली मुबारक।

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  8. बंधु,
    अंधेरे की भाषा में
    लिखी गई आलोक की यह इबारत
    आपको भी पसंद है.....जानकार खुशी हुई.
    धन्यवाद.

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  9. खूबसूरत! आपको होली मुबारक अब देर से ही सही...:)

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