बचपन में हमें जहाँ भी खिलौने दिखाई देते थे , हम अनायास ही ठिठक जाते थे । हमारे लिए दुनिया का मंहगा उपहार व्यर्थ था इन खिलौनों के एवज में । हमें वह ज्यादा प्रिय लगता था जो खिलौनों के साथ दोस्ती करने की छूट देता था और पागलपन की हद तक उन खिलौनों में समां जाने के जिद पूरी करता था ।
बड़ा हुआ तो किताबों से दोस्ती करने लगा , पागलपन की हद तक लिखने की जिज्ञासा जगी फिर कोरे कागज़ पर कलम से शब्दों को खुरचने लगा और टूटी-फूटी भाषा में लिखने लगा कविता और कहानी ........फिर जीविका और जीवन के बीच तारतम्य बिठाने की जुगत में आगे बढ़ा ....जीवन और जीविका के बीच संघर्ष की भी स्थिति आई ...फिर आधुनिक युग के सबसे बड़े चमत्कार कंप्यूटर से दोस्ती की जिज्ञासा जगी । किसी मित्र ने उकसाया और डायरी लिखने की आदतों से निजात पाने की उद्देश्य से ब्लॉग लिखने लगा .....!
कमोवेश यही शायद आप सभी की साथ भी हुआ होगा ? ......ब्लॉग लेखन के क्रम में वर्ष-२००७ के उत्तरार्द्ध में मैंने खेल-खेल में चिट्ठा और चिट्ठाकारों की वर्ष भर की गतिविधियों को काव्य के माध्यम से प्रस्तुत करने की विनम्र कोशिश की । तब हिन्दी के ज्यादा चिट्ठे सक्रीय नहीं थे । वर्ष-२००८ में चिट्ठों की संख्या में काफी इजाफा हुआ , काव्य में चिट्ठा हलचल को प्रस्तुत करना कठिन था , इसलिए मैंने पिछले दो वर्षों से हिंदी चिट्ठों की वृहद् विवेचना कर रहा हूँ , ताकि आपके लेखन को , समर्पण की हद को वृहद् आयाम मिल सके । आप सम्मान भाव के साथ हिन्दी चिटठा जगत का हिस्सा बने रह सके और नए चिट्ठाकारों को सार्थक लेखन के लिए उत्प्रेरित करते रह सकें ।
परिकल्पना का हिंदी चिटठा विश्लेषण -२००९ शुरू करने से पूर्व मेरे मन में यह ख्याल आया था कि विश्लेषण की समाप्ति के पश्चात् दक्षिण अफ़्रीकी ब्लॉग पुरस्कार की तरह एक बड़ा आयोजन लखनऊ में कराऊं और उस आयोजन में ऑनलाइन कैलेण्डर वर्ष के लिए हिन्दी चिट्ठा पुरस्कार प्रदान किये जाएँ ।भीड़ से सराबोर समारोह स्थल हो और देश-विदेश से आए हुए अंतिम दौर के प्रतिभागी व इसमें रुचि रखने वाले चिट्ठाकार शामिल हो । समारोह पूरी तरह अनौपचारिक हो , जैसा कि चिट्ठाकार समुदाय से उम्मीद की जाती रही है और सम्मान समारोह से पहले और बाद में साथी चिट्ठाकारों, मीडिया तथा वेब में रुचि रखने वालों को सौहार्दपूर्ण वातावरण में आपसी वार्तालाप के लिए ढेरों समय मिले । बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हों । चिट्ठाकारों को कुछ विशिष्ट और नामचीन चिट्ठों के चिट्ठाकारों से मिलने का अवसर प्राप्त हो और नए चमत्कृत करने वाले शख्सियतों से परिचय भी हो ॥ इस समारोह में वर्ष का सर्वश्रेष्ठ भारतीय हिंदी चिट्ठा / हास्य और व्यंग्य के लिए सर्वश्रेष्ठ चिट्ठा /सर्वश्रेष्ठ विदेशी हिंदी चिटठा/सर्वश्रेष्ठ भारतीय हिंदी राजनीतिक चिट्ठा /सर्वश्रेष्ठ भारतीय हिंदी नव चिट्ठा अदि का चुनाव करते हुए अंग वस्त्र , स्मृति चिन्ह , सम्मान पत्र और नकद राशी के साथ भव्य समारोह में प्रदान किये जाएँ ।
परिकल्पना सम्मान की योजना मैं बना ही रहा था कि मुझे अचानक ज्ञात हुआ कि श्री अलवेला खत्री जी इस दिशा में पहल कर चुके हैं । खैर यह उनकी अच्छी पहल थी , किन्तु वे इसे व्यापकता की परिधि में नहीं ले जा सके । उन्हें इस सम्मान सूची में कुछ नए और सार्थक लिखने वाले चिट्ठाकारों को भी शामिल करना चाहिए था । किसी भी यज्ञ की सफलता में समूह का बहुत बड़ा योगदान होता है । कहा गया है कि पुरस्कार श्रेष्ठता का पैमाना नहीं होता लेकिन श्रेष्ठता का सम्मान जरूर होता हैं।आशा है आगे से अलवेला जी इन बातों पर अवश्य ध्यान देंगे ।
हाँ इस दिशा में एक सार्थक और इमानदार पहल की गुंजाईश नज़र आ रही है पिछले दिनों की गयी संवाद सम्मान की प्रस्तावना में । साहित्यकार के साथ-साथ अत्यंत सुलझे हुए चिट्ठाकार भाई जाकीर अली रजनीश जी के द्वारा घोषित किया गया मेरी दुनिया मेरे सपने पर 20 श्रेणियों में ब्लॉग के लिए दिये जाने वाले 'संवाद सम्मान' हेतु ऑनलॉइन नॉमिनेशन । यह प्रस्तावना वाकई एक बहुत बड़ी पहल है इस दिशा में । इस तरह की पहल होनी ही चाहिए , मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही ...इस पहल का समर्थन भी होना चाहिए और सहयोग भी ।
मैं तो कहूँगा कि जाकिर भाई यदि संभव हो तो इस सम्मान को यादगार बनाईये और आयोजन लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन के बैनर तले करवाईये । प्रबल प्रताप सिंह् /महफूज़ अली / Sudhir (सुधीर) /Jyoti Verma /Dr.Aditya Kumar /Suman /Mithilesh dubey /लोकेन्द्र /सर्वत एम० /सलीम ख़ान जैसे सुलझे हुए श्रेष्ठ चिट्ठाकार आपकी टीम में है । आप असंभव को संभव कर सकते हैं ।
खैर आयोजन की बात हम बाद में भी कर सकते है अभी नोमिनेशन की प्रक्रिया चल रही है , ऐसे में मेरी यही अपील है कि अपनी पसंदीदा श्रेणियों हेतु योग्य व्यक्तियों का नामांकन कर इस आयोजन को सफल बनाने में अपना अमूल्य योगदान दें।
आप बताएं इस सन्दर्भ में आपका क्या कहना है ?
बिल्कुल सही विचार है आपका कि श्रेष्ठ ब्लोगरों का सम्मान हो!
जवाब देंहटाएंकिन्तु पहली बात तो यह है कि अर्थाभाव बहुत बड़ा रोड़ा बन जाता है। और यदि कोई इस रोड़े को दूर कर भी देता है तो बहुत बड़ी विडम्बना यह है कि बहुत सारे गुट बन जाते हैं और आगे क्या होता है यह तो सभी जानते हैं।
आपके लिखने और प्रस्तुत करने की शैली सम्मोहक है . आपने सही कहा है की पुरस्कार श्रेष्ठता का पैमाना नहीं होता लेकिन श्रेष्ठता का सम्मान अवश्य होता है . अलवेला खत्री जी केवल दो श्रेणियों पर ही केन्द्रित रहे जबकि जाकिर अली जी २० श्रेणियों में सम्मान की घोषणा कर चुके है ....इस पहल का स्वागत होना चाहिए !
जवाब देंहटाएंविचार तो बहुत अच्छा है ..पर जैसा की अवधिया जी ने कहा यहाँ गुट बाजी बहुत है ...सब साथ हो तो इस तरह के आयोजन हिंदी भाषा को आगे ले जा सकते हैं ..
जवाब देंहटाएंइस प्रकार का आयोजन होना चाहिए , मगर जिस प्रकार पूरे वर्ष भर के विश्लेषण में आपने ईमानदारी बरती है वही ईमानदार कोशिश होनी चाहिए इस आयोजन में भी ...... मेरी शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंयह बडा श्रमसाध्य कार्य है .. झटके में किया जानेवाला नहीं .. पुरस्कार लोकप्रिय लोगों को ही नहीं .. उसके योग्य व्यक्ति को दी जानी चाहिए .. आपने अपना कार्यक्रम क्यूं रद्द किया ??
जवाब देंहटाएंरविन्द्र भाई आपने तो मात्र एक वाक्य में सब कुछ कह दिया है। पुरस्कार श्रेष्ठता का पैमाना नहीं सम्मान जरूर होता है और माना और मान में सिर्फ एक मात्रा का अंतर ही है। मान को माना जाएगा। यही माना ब्लॉगजगत में धूम मचायेगा।
जवाब देंहटाएंvichar achcha hai par kya ye aayozan gutvaji se pare rah payega? vicharneey hai.
जवाब देंहटाएंआपके विचारो से सहमत हूँ ...आभार
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी, आपने मेरे मन की बात कह दी। वाकई मैं इस विषय पर काफी दिनों से सोच रहा था, पर कुछ व्यस्तता और कुछ व्यक्तिगत समस्याओं की वजह से इसपर कोई सार्थक पहल नहीं कर पा रहा था।
जवाब देंहटाएंआपके इस अपनत्व के लिए में आभार जैसा शब्द नहीं इस्तेमाल करूंगा, क्योंकि यह औपचारिकता मात्र रह जाएगी। जबकि आपकी यह भावना इससे कहीं ज्यादा बड़ी है।
और हाँ, आपने जब इतने अपनत्व से यह बात कही है, तो मेरा मन कहता है कि यह जरूर पूर्ण होनी चाहिए। यकीन जानिए, मैं इस दिशा में कोई कोर कसर नहीं उठा रखूंगा।
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बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?
क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?
इससे फलक विस्तृत होगा,सहभागिता बढ़ेगी !
जवाब देंहटाएंहर बात पर लोग उंगलिया उठायेंगे
जवाब देंहटाएंकर्मवीर इनसे निस्चिंत हो अपना कर्म करे
शुभकामनाएँ
रविन्द्र जी आप से पूरी तरह सहमति है।
जवाब देंहटाएंनमस्कार प्रभात जी !
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना सम्मान की सफलता के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं !
इस बार आपकी सहायता और मार्गदर्शन से अपनी योजना को मूर्तरूप देने का प्रयास करूंगा
आजकी पोस्ट के लिए बधाई !
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
-अलबेला खत्री
रवींद्र जी,
जवाब देंहटाएंपरिकल्पना के हिंदी चिट्ठा विश्लेषण-२००९ का श्रमसाध्य कार्य आप जैसा भागीरथ ही कर सकता है...किसी दूसरे को सम्मान के लिए चुनने का गुरुत्तर और महत्ती दायित्व वही भलीभांति निभा सकता है जिसकी खुद की सर्वत्र स्वीकार्यता हो, जिसका खुद हर कोई सम्मान करता हो...सम्मान कोई कागज का टुकड़ा या चंद सिक्कों का मोहताज नहीं, जिसे बांटने का कोई भी ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा ऐलान कर दे...आपका निर्देशन अगर परिकल्पना सम्मान जैसे किसी आयोजन को मिलता है तो निश्चित रूप से हर ब्लॉगर उसमे भागीदारी देकर अपने को धन्य समझेगा...इस दिशा में जाकिर भाई भी निस्वार्थ भाव से जो साधना कर रहे हैं, उसकी प्रशंसा के लिए मेरे पास शब्द नहीं है...
जय हिंद...
जानकारी के लिये बहुत धन्यवाद रवीन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंआपसे पूरी तरह सहमत हूँ । शायद आज की दुनिया मे कम ही लोग हैं जो दूस्रों को आगे बढाने के लिये सक्रिय रहते हैं । धन्यवाद और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंPahli bar apke blog par ayi...sundar Parikalpna..sarthak parikalpna !!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने । जाकिर जी का यह कदम सराहनीय है । आभार प्रविष्टि के लिये ।
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