शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

सजना सम्मुख सजकर सजनी खेल रही है होली..

परिकल्पना फगुनाहट सम्मान-2010  हेतु नामित रचनाकारों क्रमश:  ललित शर्मा, अनुराग शर्मा और वसंत आर्य की रचनाओं की प्रस्तुति के क्रम में हम आज प्रस्तुत है अभनपुर जिला रायपुर छत्तीसगढ़ के श्री ललित शर्मा के गीत--




सजना सम्मुख सजकर सजनी
खेल रही है होली..


कंचनकाया कनक-कामिनी,
वह गाँव की छोरी
चन्द्रमुखी चंदा चकोर
चंचल अल्हड-सी गोरी.
ठुमक ठुमक कर ठिठक-ठिठक कर
 करती मस्त ठिठोली.
सजना सम्मुख सजकर सजनी
खेल रही है होली..


छन-छन, छनक-छनन छन
पायल मृदुल बजाती
सन-सन सनक सनन सन
 यौवन-घट को भी छलकाती
रंग रंगीले रसिया के छल से
 भीगी नव-चोली
सजना सम्मुख सजकर सजनी
खेल रही है होली..






पीताम्बर ने प्रीत-पय की
 भर करके पिचकारी
मद-मदन मतंग मीत के
 तन पर ऐसी मारी
उर उमंग उतंग क्षितिज पर
 लग गई जैसे गोली
सजना सम्मुख सजकर सजनी
खेल रही है होली..
















गज गामिनी संग गजरा के
 गुंजित सारा गाँव
डगर-डगर पर डग-मग
डग-मग करते उसके पांव
सहज- सरस सुर के संग
सजना खाये भंग की गोली
सजना सम्मुख सजकर सजनी
खेल रही है होली..
() ललित शर्मा
जारी है वसंतोत्सव , मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद ...!

21 comments:

  1. वाह! हृदय आह्लादित हो उठा रचना को पढ़कर! एक एक शब्द भाव को ऐसा प्रकट कर रहा है मानो शब्द नहीं चित्र हों!

    अनुप्रास का इतना सुन्दर प्रयोग आज के जमाने में बिरला ही देखने को मिलता है। ललित जी की इस रचना को पढ़वाने के लिये आपको कोटिशः धन्यवाद!

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  2. इस रचना में भाव की विशेषता तो है ही .. शब्‍दों का चयन भी बहुत ही खूबसूरती से किया गया है .. मन खुश कर देने वाली रचना है .. ललित जी को बधाई और आपको धन्‍यवाद !!

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  3. एक अरसे के बाद इतनी मधुर रचना पढने मि्ली जैसे पुरा फ़ागुन यहीं उतर आया है। अलंकारों से तो मैं इतनी परिचित नहीं हुँ पर रचना मे प्रयुक्त शब्दों मे लय है।
    ललित शर्मा जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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  4. वाह, बहुत ही मधुर गीत. आनंद आगया पढकर. बहुत शुभकामनाएं.


    रामराम.

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  5. पीताम्बर ने प्रीत-पय की
    भर करके पिचकारी
    मद -मदन मातंग मीत के
    तन पर ऐसी मारी ......
    खेल रही है होली ...

    बहुत लाजबाब !

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  6. पीताम्बर ने प्रीत-पय की
    भर करके पिचकारी
    मद -मदन मातंग मीत के
    तन पर ऐसी मारी ......
    खेल रही है होली ...
    वाह वाह बहुत सुन्दर फगुनाहट है। ललित शर्मा जी को बहुत बहुत बधाई।

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  7. faguni byar shbdo ke zriye mausam khushgwar kar rahi he...fagun ki fagunahat ka sundar varnan ..lalit ji ko badhai...

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 20.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

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  9. Bahut hi sundar holi geet hai ....prashansha ko shabd nahi milate! aapko bahut bahut dhanyawaad!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  10. बहुत सुन्दर रचना. हर शब्द से फागुन का उल्लास छलक रहा है.

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  11. ललित जी की रम्य-प्रस्तुति ! आभार !

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  12. बहुत सुन्दर कविता, ललित भाई का धन्यवाद.

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  13. आपकी कविता निश्चित ही फागुनी रंगों से सराबोर है,क्योंकि कविता सजी है,अनुप्रास के अलंकरण से,और अल्हड़ उल्लास से चल भी रही है मस्ती में.......

    बहुत सारी शुभकामनाएँ ललित जी.......

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  14. बहुत सुन्दर कविता, ललित जी का धन्यवाद

    बी एस पाबला

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  15. Lalit ji,
    bahut hi sundar faag geet ..aur naamit hone ke leye duguni badhaii...
    mera vote pakka..is geet ke liye..

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