शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

सर्दी का अंत मधुरिम वसंत।


"परिकल्पना फगुनाहट सम्मान-2010 " हेतु नामित रचनाकारों क्रमश: ललित शर्मा, अनुराग शर्मा और वसंत आर्य की रचनाओं की प्रस्तुति के क्रम में हम आज प्रस्तुत कर रहे  है पिट्सवर्ग सं. रा. अमेरिका से श्री अनुराग शर्मा द्वारा प्रेषित  कविता, जो पूरी तरह प्रकृति के मानवीकरण पर आधारित है -




वसंत














मन की उमंग
ज्यों जल तरंग


कोयल की तान
दैवी रसपान

टेसू के रंग
यारों के संग


बालू पे शंख
तितली के पंख

फल अधकच्चे
बादल के लच्छे


इतराते बच्चे
फूलों के गुच्छे

रक्ताभ गाल
और बिखरे बाल

सर्दी का अंत
मधुरिम वसंत।

() अनुराग शर्मा

6 comments:

  1. जैसे एक एक मोती को पिरोकर माला बनाई गई हो. सुंदरतम रचना. बहुत लाजवाब.

    रामराम.

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  2. अच्छी लगी अनुराग जी की कविता, बधाई !

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  3. सर्दी का अंत? यह बार बार पल्टा मार रही है!

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  4. कम शब्दों मे बहुत कुछ कह गये अनुराग जी। सुन्दर रचना के लिये उन्हें बधाई

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