 परिकल्पना वह पड़ाव है, जिस पड़ाव से आगे की राहें स्पष्ट नज़र आती हैं।  हर वर्ष एक साहित्यिक चयन की कोशिश इसकी बुनियाद है।  इस बुनियाद की ईंट पर एक और ईंट रखकर साहित्यिक इमारत की जीती जागती तस्वीर रवीन्द्र प्रभात जी और उनके समूह का अथक प्रयास है।  उनके समूह की एक धारा मैं, रश्मि प्रभा - आपको एक खूबसूरत दिन देने की कोशिशों में शब्दों के अरण्य से चुन चुनकर रचनाकारों को लाती हूँ, एक बार मुक्त कंठ से कहिये - क्या मैं गलत हूँ ?
परिकल्पना वह पड़ाव है, जिस पड़ाव से आगे की राहें स्पष्ट नज़र आती हैं।  हर वर्ष एक साहित्यिक चयन की कोशिश इसकी बुनियाद है।  इस बुनियाद की ईंट पर एक और ईंट रखकर साहित्यिक इमारत की जीती जागती तस्वीर रवीन्द्र प्रभात जी और उनके समूह का अथक प्रयास है।  उनके समूह की एक धारा मैं, रश्मि प्रभा - आपको एक खूबसूरत दिन देने की कोशिशों में शब्दों के अरण्य से चुन चुनकर रचनाकारों को लाती हूँ, एक बार मुक्त कंठ से कहिये - क्या मैं गलत हूँ ?        पल्लवी त्रिवेदी के शब्दों में,
लिखना खुद को ढूँढने जैसा महसूस कराता है हमेशा....कई बार लिखने के बाद खुद को बदला बदला सा पाती हूँ तो कभी अपने अन्दर छुपे हुए जज्बातों का बाहर बह निकलना हैरत में डाल देता है! बदलते मूड के साथ अपने अन्दर बैठे कई इंसानों को महसूस करती हूँ... 
कुछ यूँ  
प्रेम कायनात का सबसे प्यारा जादू है
 वो पगली सिर्फ हंसना जानती थी ! बचपन से ही मैले कपड़ों में पूरे मोहल्ले में भटकती फिरती और जिसे देखती , देखकर " खी खी " करके हंस पड़ती और फिर बस हंसती ही रहती देर तक ! लोग हिकारत से देखते और गुज़र जाते ! कई लोगों को उसकी हंसी देखकर रश्क तक होने लगा ! बुद्धिमान उसकी हंसी को उसका सुख समझते और अपने जीवन को कोसते !
वो पगली सिर्फ हंसना जानती थी ! बचपन से ही मैले कपड़ों में पूरे मोहल्ले में भटकती फिरती और जिसे देखती , देखकर " खी खी " करके हंस पड़ती और फिर बस हंसती ही रहती देर तक ! लोग हिकारत से देखते और गुज़र जाते ! कई लोगों को उसकी हंसी देखकर रश्क तक होने लगा ! बुद्धिमान उसकी हंसी को उसका सुख समझते और अपने जीवन को कोसते !
उसे रुलाने के प्रयत्न किये जाने लगे ! बच्चे जूठे आम फेंक कर मारते , कोई मनचला कंधे पर हाथ मारकर निकल जाता , एक औरत ने उसका एकमात्र शॉल नज़र बचाकर उठा लिया और नाले में डाल दिया दिया , जिस घर के सामने देहरी पर बैठ जाती , गालियां सनसनाती उसके कानों के आर पार हो जातीं ! वो बस हंस पड़ती .... उसकी हंसी में एक नामालूम सी उद्देश्यता थी ! कई बार पेट पकड़ पकड़ कर हंसती।,मगर नामुराद की आँखों में कभी हंसी के मारे भी आंसू नहीं आये ! उसे रुलाना मोहल्ले के एक एक व्यक्ति का उद्देश्य बन गया था !
एक दिन एक अजनबी आया और उसके सामने आकर खड़ा हो गया ! पगली ठठाकर हंस पड़ी , हंसती गयी बस हंसती गयी ! वो भी उसके सामने चुप्प खड़ा रहा बस खड़ा रहा ! पगली हंसी के मारे दोहरी हो हो गयी ! पहर बीतने को आयी ! मोहल्ले के लोग तमाशा देखने इकट्ठे हो गए ! ऐसा लगने लगा पगली हंस हंस कर ही प्राण त्याग देगी ! तभी यकायक अजनबी ने आगे बढ़कर पगली को सीने से लगा लिया ! पगली हंसती हुई छूटने की कोशिश करने लगी , इस कोशिश में उसकी अजीब अजीब भंगिमाएं देख मोहल्ला हंसी के मारे लोटपोट होने लगा ! लेकिन वो उसे कसकर सीने से लगाए रहा , जब पगली थोड़ी बेदम हो उठी तब अजनबी ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में भरकर प्यार से ऊपर उठाया और उसके सर पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा ! पगली अब चुपचाप उसके सीने से लगी थी ! अब वो खामोश थी ! एकाएक उसकी आँखों में एक काला बादल उतर आया और कुछ पलों में बरसात शुरू हो गयी ! पगली रो रही थी .... बिलख बिलख कर रो रही थी ! अजनबी उसे मजबूती से बाहों में भरकर खड़ा था ! एक के बाद एक तूफ़ान पगली की आँखों से गुज़रकर फ़िज़ाओं में घुलते जा रहे थे ! पूरा मोहल्ला सकपकाया हुआ अपनी आँखें पोंछ रहा था ! दो पहर और बीते ! अँधेरा होते ही केवल दो लोग वहाँ खड़े थे ! एक अजनबी की बाहों में घिरी एक रोती हुई पगली!
उस दिन रात भर तूफानी बारिश हुई ! सुबह होते ही मौसम साफ़ हुआ था और पगली की आँखों ने अजनबी के काँधे पर एक शुक्रिया रखा था !
वो इक तूफ़ान की रात थी , इक बरसात की रात थी , इक आंसुओं की रात थी ………… वो इक प्रेम की रात थी !
पप्पू और सौ का नोट
बड़े दिन हुए ..पप्पू कहीं शॉपिंग के लिए नहीं निकले थे ! आज सुबह से ही पप्पू सोचकर बैठे थे कि आज तो चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए मगर जम के शॉपिंग कर डालनी है बस ! ऐसा सुन्दर विचार आने पर पप्पू से फिर रुका न गया ! सुबह नौ बजे ही तैयार होकर जेब में सौ का नोट डालकर निकल पड़े बाज़ार की ओर ! " भले ही किसी पार्क में या नुक्कड़ की पान की दुकान पर या मॉल के सामने सीढ़ियों पर बैठकर दुकानें खुलने का इंतज़ार कर लूंगा पर एक क्षण भी घर में ठहरना अब पाप है !"
जितने खुश पप्पू थे , उससे कम से कम सौ गुना खुश वो सौ का नोट था जो इस वक्त पप्पू की दाहिनी जेब में अपनी रिहाई के पल के इंतज़ार में दिल की धड़कन बढाए बैठा था ! बेचारा नोट पिछले तीन महीनों से जेब में कैद कसमसा रहा था ! एक यायावर को कैद कर देना कितना बड़ा गुनाह है , ये बात उसने कई बार पप्पू को अपने तरीके से समझानी चाही थी ! कभी पूरा ज़ोर लगाकर जेब में फड़फड़ा उठता , कभी यत्न कर कील पर टंगे पैंट से उछाल कर गिर पड़ता , कभी नोक जैसी बनाकर पप्पू को खुजली करता , मगर पप्पू तो पप्पू ही हैं ,नोट को गुडी मुड़ी करके फिर जेब में ठूंस देते !! लिहाज़ा नोट बेचारा बिना अपराध के कैद काट रहा था ! आज पप्पू का शॉपिंग का विचार जानकार नोट अपनी आज़ादी के ख्वाब संजोने लगा था , दुनिया देखने की चाह बेतरह जाग उठी थी !
तो पप्पू चल पड़े बाज़ार की ओर ! कपडे की दुकान ( लिवाइस )का शटर खुलते ही दुकानदार से भी पहले पप्पू छलांग मारकर दुकान में घुस गए ! दुकानदार ने ऐसा आतुर ग्राहक पहले कभी न देखा था ! पप्पू की डिमांड पर एक से बढ़कर एक मंहगे और लेटेस्ट फैशन के कपडे दिखाए जाने लगे ! पप्पू ने सारे कपडे एक एक करके ट्राय मारे .. हर ड्रेस में अपना एक सेल्फी खैंचा! फिर दस जोड़ कपडे पसंद कर लिए !दूकान दार का चेहरा दमक गया .. ऐसी भैरंट शुरुआत तो कभी न हुई थी इस दूकान के इतिहास में ! दुकानदार ने पप्पू के न न करते भी रियल का मिक्स फ्रूट जूस पप्पू को पिलाया !अठारह हज़ार का बिल आया , पप्पू ने अपनी बाई जेब से ए टी एम निकाला और दुकानदार को थमा दिया ! दुकानदार ने कार्ड इन्सर्ट किया , पप्पू ने पासवर्ड डाला , मगर जाने क्या टेक्नीकल समस्या आयी कि पेमेंट न हो सका ! दुकानदार झल्ला उठा और पप्पू से कैश देने को कहा , मगर कौन इतना कैश लेकर चलता है भला ! पप्पू भी खीजे , बैंक को दो चार कर्री गालियां बकीं ,फिर पैक कपडे अलग रखवा कर दूसरा ए टी एम लाने को कह चलते बने !
सौ का नोट को एक एक पल काटना मुश्किल पड़ रहा था , उसने मनाया कि अब पप्पू किसी छोटी दुकान में घुसकर रूमाल , मोज़े टाइप की कोई वस्तु खरीद ले ! मगर पप्पू ने अब वुडलैंड का रुख किया ! मंहगे से मंहगे जूते निकलवाये , ट्राय किये , सेल्फी खैंचे! यहाँ तेरह हज़ार का बिल आया मगर ए टी एम फिर दगा दे गया ! पप्पू हताश बाहर निकल आये !
सौ का नोट आंसू बहाता रहा ..पप्पू मुस्कुराते दुकान दर दुकान परिक्रमा लगाते रहे !
आखिर शाम तक पप्पू ने जूते , कपडे , तरह तरह की हैट , मफलर और मोबाइल के साथ अपने करीब दो सौ सेल्फी खैंच लिए ! आखिरी दुकान से बाहर निकलते वक्त पप्पू ने खुद को आँख मारी , ए टी एम को चूमा और अपनी सफलता पर खुद की पीठ थपथपायी !
अब पप्पू के पास फेसबुक के प्रोफाइल पिक का एक साल का कोटा हो चुका था ! पप्पू गाते मुस्कुराते घर की तरफ लौट रहे हैं !
सौ के नोट की आशाओं पर घड़ों पानी फिरने लगा , सौ का नोट जार जार रो पड़ा ! जब घर के नज़दीक पहुँचने को हुआ तब सौ के नोट ने एक बार पूरी शक्ति बटोरकर जेब में दौंदापेली मचाना शुरू किया ! ऐसा खलबलाया कि पप्पू को उसे निकाल कर हाथ में लेना पड़ा ! फिर जो हुआ वो इस सदी का सबसे बड़ा चमत्कार था !
नोट बोल पड़ा ..
नोट ने सुबकते हुए कहा " बाउजी मैं दुनिया देखना चाहता हूँ !"
पप्पू ने भीगे हुए नोट को देखा , उसे गांधी जी की तस्वीर की जगह डी डी एल जे की काजोल दिखाई पड़ी !
पप्पू ने नोट को ऊंचा उठाकर कहा " जा ..जी ले अपनी ज़िंदगी "
और सामने पान की दुकान से राजश्री गुटके का एक पाउच खरीदा ! दुकानदार को सौ का नोट दिया , नोट स्वयं ही कूदकर दुकानदार की ड्राअर में सबसे नीचे दुबक कर बैठ गया ताकि पप्पू की मनहूस शकल का एक पिम्पल तक ना दिखाई दे !
इस प्रकार पप्पू का दिन सुखपूर्वक ख़तम होता है !
नोट और पप्पू दोनों शाम को अपनी गति को प्राप्त हुए ! दोनों की इच्छाएं पूर्ण हुईं !
पप्पू ने अभी नया प्रोफाइल पिक अपलोड किया ... आपने देखा ?
ये हैं मेरे देवर ..आधे पति परमेश्वर
एक लड़का और एक लड़की की शादी हुई ...दोनों बहुत खुश थे! स्टेज पर फोटो सेशन शुरू हुआ! दूल्हे ने अपने दोस्तों का परिचय साथ खड़ी अपनी साली से करवाया " ये है मेरी साली , आधी घरवाली " दोस्त ठहाका मारकर हंस दिए !
दुल्हन मुस्कुराई और अपनी सहेलियों का परिचय अपनी सहेलियों से करवाया " ये हैं मेरे देवर ..आधे पति परमेश्वर "
ये क्या हुआ ....? अविश्वसनीय ...अकल्पनीय ! भाई समान देवर के कान सुन्न हो गए! पति बेहोश होते होते बचा!
दूल्हे , दूल्हे के दोस्तों , रिश्तेदारों सहित सबके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी! लक्ष्मण रेखा नाम का एक गमला अचानक स्टेज से नीचे टपक कर फूट गया! स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन लाईट भक्क से फ्यूज़ हो गयी!
थोड़ी देर बाद एक एम्बुलेंस तेज़ी से सड़कों पर भागती जा रही थी! जिसमे दो स्ट्रेचर थे!
एक स्ट्रेचर पर भारतीय संस्कृति कोमा में पड़ी थी ... शायद उसे अटैक पड़ गया था!
दुसरे स्ट्रेचर पर पुरुषवाद घायल अवस्था में पड़ा था ... उसे किसी ने सर पर गहरी चोट मारी थी!
आसमान में अचानक एक तेज़ आवाज़ गूंजी .... भारत की सारी स्त्रियाँ एक साथ ठहाका मारकर हंस पड़ी थीं !
 

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सभी लघु कथाएं बहुत अच्छी लगीं ... (h)
जवाब देंहटाएंलक्ष्मण रेखा नाम का एक गमला अचानक स्टेज से नीचे टपक कर फूट गया! स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन लाईट भक्क से फ्यूज़ हो गयी!
जवाब देंहटाएं. (h) (h) (h)
cheer
bahut sundar
जवाब देंहटाएंयूँ तो सभी कथाएँ बहुत दिलचस्प हैं मगर पप्पू जी और उनके नोट के साथ दिन बिताने में बहुत मज़ा आया
जवाब देंहटाएं्बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंसभी लघुकथाएं खूब लगी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति सुंदर कथाऐं ।
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