आपको सूचित करते हुये अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है, कि नई दिल्ली, लखनऊ, काठमांडू, थिंपु और कोलंबो के बाद परिकल्पना का आगामी अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन थाईलैंड ( पटाया और बैंकॉक) में दिनांक 10 जनवरी 2016 से 14 जनवरी 2016 के बीच आयोजित होंगे। उल्लेखनीय है कि लखनऊ से प्रकाशित "परिकल्पना समय" (हिन्दी मासिक पत्रिका) और "परिकल्पना" (सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था) ने संयुक्त रूप से प्रकृति की अनुपम छटा से ओतप्रोत एशिया का एक महत्वपूर्ण देश थाईलैंड की सांस्कृतिक राजधानी पटाया और राजनीतिक राजधानी बैंकॉक में पाँच दिवसीय "षष्टम अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन सह परिकल्पना सम्मान समारोह" के आयोजन करने का निर्णय लिया है।
इस अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह, आलेख वाचन, चर्चा-परिचर्चा में देश विदेश के अनेक साहित्यकार, चिट्ठाकार, पत्रकार, अध्यापक, संस्कृतिकर्मी, हिंदी प्रचारकों और समीक्षकों की उपस्थिति रहेगी। जैसा कि आपको विदित है कि ब्लॉग, साहित्य, संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध संस्था "परिकल्पना" पिछले पाँच वर्षों से ऐसी युवा विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा वह पाँच अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलनों का संयोजन भी कर चुकी है जिसका पिछला आयोजन श्रीलंका की राजधानी कोलंबो और सांस्कृतिक राजधानी कैंडी में किया गया था।
सम्मेलन का मूल उद्देश्य स्वंयसेवी आधार पर एशिया में हिन्दी ब्लॉग के विकास हेतु पृष्ठभूमि तैयार करना, हिंदी-संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना, भाषायी सौहार्द्रता एवं सांस्कृतिक अध्ययन-पर्यटन का अवसर उपलब्ध कराना आदि है।
इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी के तीन सत्र होंगे जिनके विषय है –"ब्लॉग के माध्यम से एशिया में शांति-सद्भावना की तलाश", "एशिया में भाषाई सद्भाभना और उत्पन्न समस्याएँ" तथा "एशिया में साहित्यिक-सांस्कृतिक आदान-प्रदान"। इसके अलावा सुर-सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी प्रवाहित करती काव्य संध्या और लोककला प्रदर्शनियाँ भी आयोजित होगी।
10 जनवरी 2016 की रात्री में समस्त प्रतिभागी भारत के प्रमुख महानगर कोलकाता से बैंकॉक के लिए वायु मार्ग से प्रस्थान करेंगे। बैंकॉक पहुँचने के पश्चात समस्त प्रतिभागी सड़क मार्ग से थाईलैंड की सांस्कृतिक राजधानी और दूसरा सबसे बड़ा शहर पटाया के लिए प्रस्थान करेंगे। पटाया थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के बाद दूसरा प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह थाईलैंड की खाड़ी की पूर्वी तट पर बैंकाक से लगभग 165 कि॰मी॰ दक्षिण पूर्व में स्थित है। यह थाइलैंड का सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल है। यहां ऐडवैंचर के शौकीनों के लिए उम्दा विकल्प तो हैं ही, मौजमस्ती के ठिकानों की भी कोई कमी नहीं है। फिर चाहे वह वौकिंग स्ट्रीट हो या फिर मसाज पार्लर्स।
गौतम बुद्ध के अनुयायियों वाले देश थाईलैंड में कहीं-कहीं हिन्दी में लिखे ग्लोसाइन बोर्ड देखने को मिलेंगे। भारतीयों के साथ थाईवासी हिन्दी में बात करने का प्रयास करते हैं। भारतीयों को देखकर वे नमस्ते, शुक्रिया आदि कहते हैं। ये हिन्दी के शब्द उनकी जुबान पर छाए हुए हैं। यहाँ आपको कोरल आइसलैंड के साथ-साथ मुख्य पर्यटन स्थलों के भ्रमण का अवसर प्राप्त होगा। रात्री में यहाँ सूर-सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी प्रवाहित करती काव्य संध्या आयोजित की जाएगी।
इसके बाद हम बैंकॉक के लिए रवाना होंगे। करीब सात करोड़ की आबादी वाले थाईलैंड में हर साल लगभग 60 लाख पर्यटक जाते हैं। इनमें काफी संख्या में भारतीय भी होते हैं। दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र , उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत के राज्यों से हर साल हजारों लोग थाईलैंड जाते हैं। थाईलैंड में कई पंजाबी परिवार सौ साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं। यहाँ पर भारतीय खाना आसानी से मिल जाता है। वहीं कई लोग फर्राटे से हिन्दी बोलते हैं। थाईलैंड में म्यांमार के निवासी भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वे हर भारतीय से हिन्दी में ही बात करते हैं। थाईलैंड और भारत की संस्कृति काफी कुछ मिलती-जुलती है। कई लड़कियों और लड़कों के नाम भारतीयों जैसे ही हैं। वहाँ के वर्तमान राजा को 'रामा नाइन'के रूप में जाना जाता है। थाईलैंड के निवासी राजा को भगवान की तरह मानते हैं। वहाँ हर चौराहा व सड़क पर राजा और रानी की तस्वीरें दिखाई पड़ती हैं।
इस आयोजन को थाईलैंड में आयोजित करने के मूल उद्देश्य यह है कि सांस्कृतिक दृष्टि से भारत और थाईलैंड में कई समानताएं हैं । भारत से निकल कर बौद्ध धर्म जहां थाई संस्कृति में विलीन हो गया वहीं भारतीय नृत्य शैलियों का यहाँ व्यापक प्रसार हुआ । थाईलैंड के शास्त्रीय संगीत चीनी, जापानी, भारतीय ओर इंडोनेशिया के संगीत के बहुत समीप जान पड़ता है। यहां अनेकानेक नृत्य शैलियां हैं जो नाटक से जुड़ी हुई हैं। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग सम्मलेन आयोजित करने के पीछे पवित्र उद्देश्य है हिंदी संस्कृति को थाई संस्कृति के करीब लाना और हिंदी भाषा को यहाँ के वैश्विक वातावरण में प्रतिष्ठापित करना।
ठहरने का स्थान:
(1) पटाया : बेला एक्सप्रेस होटल (10 जनवरी एवं 11 जनवरी 2016)
(2) बैंकॉक : ग्रांड एप्लिन (12 जनवरी एवं 14 जनवरी 2016)
(1) पटाया : बेला एक्सप्रेस होटल (10 जनवरी एवं 11 जनवरी 2016)
(2) बैंकॉक : ग्रांड एप्लिन (12 जनवरी एवं 14 जनवरी 2016)
ध्यान दें: इसमें शामिल होने के लिए पासपोर्ट आवश्यक है।
जो प्रतिभागी इस आयोजन में शामिल होने के इच्छुक हो वे
अन्य जानकारी के लिए लिखें: parikalpnaa00@gmail.com: