शुक्रवार, 30 जनवरी 2009

उसी बापू को मेरा फ़िर नमन आज श्रद्धा का यारों ।

(शहीद दिवस पर विशेष )

जहाँ पे खुशनुमा गुल से सजा हो गुलिस्तां यारों
समझ लेना वही है गांधी का हिन्दुस्तां यारों ।

हमेशा अम्न के ही वास्ते जीने की चाहत में -

बड़े बेचैन दिखते हैं हमारे नौजवां यारों ।

कहीं हिन्दू कहीं मुस्लिम कहीं सिक्खों-इसाई हैं -
गले मिलते हुए गुजरे हमेशा कारवां यारों ।

अदब से सर झुकाकर मिलने की तहजीब हमारी -
जिसे झुककर करे सलाम धरती-आसमां यारों ।

शराफत से रहे दुश्मन बहुत सम्मान देते हम-
संभल जाते अगर हो जाए दुश्मन मेहरबां यारों ।

हम शायरी से दर्दमंदों की दवा करते हैं यार -
हमारे गीत-ग़ज़लों के बहुत हैं कद्र दां यारों ।

चमन को सींचने में जिसने जीवन होम कर डाला -
उसी बापू को मेरा फ़िर नमन आज श्रद्धा का  यारों ।
() रवीन्द्र प्रभात

सोमवार, 26 जनवरी 2009

भारतीय गणतंत्र का ६० वें वर्ष में प्रवेश , मुबारक हो मेरे देश !



सर पे हिमालय का मुकुट चरणों में सागर है ,

ज़रा नजदीक से देखो हंसी भारत का मंजर है ।



सभी को प्यार से पानी पिलाने की मेरी तहजीब-

मेरे पुरखों का तोहफा है विरासत है धरोहर है ।



इबादत की अलग है रीत मेरे मुल्क में फ़िर भी-

सभी हिन्दू -मुसलमां-सिक्ख भाई हैं सहोदर हैं ।



सरे कश्मीर से कन्याकुमारी तक कहीं जाओ-

जितना खुशनुमा बाहर से है उतना ही अन्दर है ।



किसी शायर ने हिन्दुस्तान को जन्नत नवाजा है-

कहा है जर्रे-जर्रे में यहाँ बसते पैगंबर हैं ।



चलो अच्छा हुआ "प्रभात" इस जरखेज माटी में-

किया तूने बसेरा खुशनुमा तेरा मुकद्दर है ।



आज हमारा भारतीय गणतंत्र ६० वें वर्ष में कर गया है प्रवेश !

आईये हम सब मिलकर फ़िर एक बार कहते हैं- " मुबारक हो मेरे देश !"

शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग-11)

"रोज गिर जाती है दीवार तेरे वादों की
रोज हम मौत के साए में रहा करते हैं!"


बस यही है सच्चाई हमारे समाज की, लेकिन इस समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो हमारे लिए प्रेरणा के प्रकाशपुंज हैं । हमें ग़लत करने से वे बचाते हैं और सही करने की दिशा में उचित मार्गदर्शन देते हैं । ऐसे लोग हमारे प्रेरणा स्त्रोत होते हैं । हमारे लिए अनुकरनीय और श्रधेय होते हैं। हिन्दी ब्लॉग जगत की कमोवेश जमीनी सच्चाईयां भी यही है।

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके विचार तो महान होते हैं, कार्य महान नही होते । कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके कार्य तो महान होते हैं विचार महान नही होते । मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके कार्य और विचार दोनों महान होते हैं । हमारे कुछ हिन्दी ब्लोगर भी इसी श्रेणी में आते हैं जिनकी उपस्थिति मात्र से बढ़ जाती है नए चिट्ठों की गरिमा ।

आज हम ऐसे ही प्रेरणाप्रद चिट्ठाकारों की चर्चा करेंगे , लेकिन उससे पहले हम कुछ विशेष चिट्ठों की चर्चा करने जा रहे हैं जो किन्ही कारणों से दस भागों में समाहित नही हो पाये थे और विशेष सम्मान के हकदार थे । पहला ब्लॉग है -
तस्लीम

यह विज्ञान पर आधारित कम्युनिटी ब्लॉग है । इस ब्लॉग के कर्ताधर्ता हैं लखनऊ के जाकिर अली रजनीश । तस्लीम कोई उर्दू का शब्द नही अपितु स्थानीय मुद्दों पर जागरूकता फैलाने वाले वैज्ञानिकों की टीम के अंगरेजी नाम का संक्षिप्त रूप है । इसका मकसद है आप अपने आस-पास की प्रकृति और विज्ञान को कितना समझते हैं ।

इस ब्लॉग पर जितने सुंदर और सारगर्भित विचार देखने को मिले हैं उतनी ही सुंदर तस्वीर भी डाले जाते रहे हैं । तस्वीरों के जरिय बाकायदा विज्ञान पहेली चलती है। स्थानीय मुद्दों पर आधारित ब्लॉग की श्रेणी में यह ब्लॉग यकीनन श्रेष्ठ है। वर्ष – २००८ में इस ब्लॉग पर जो महत्वपूर्ण पोस्ट मुझे देखने को मिली , वह थी लखनऊ की गंदी हो रही गोमती नदी को लेकर चिंता दिखाई पड़ती है तथा उसकी सफाई के लिए जनता के स्तर पर हो रही कोशिशों के प्रति उत्साह भी ।

" रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया ।
इस बहकाती हुयी दुनिया को सभालो यारों । . "



हमारा न्याय और न्याय की धाराएं इतनी पेचीदा हो गयी है , कि अदालत का नाम सुनकर व्यक्ति एकबार काँप जाता है जरूर क्योंकि बहुत कठिन है इन्साफ पाने की डगर । हमारा मकसद यहाँ न तो न्यायपालिका पर ऊंगली उठाने का है और न ही किसी की अवमानना का । पर यह कड़वा सच है की हमारी प्रक्रिया इतनी जटिल हो गयी है की इन्साफ का मूलमंत्र उसमें कहीं खोकर रह गया है। आदमी को सही समय पर सही न्याय चाहकर भी नही मिल पाता। ऐसे में अगर कोई नि:स्वार्थ भाव से आपको क़ानून की पेचीदिगियों से रू-ब-रू कराये और क़ानून की धाराओं के अंतर्गत सही मार्ग दर्शन दे तो समझिये सोने पे सुहागा । ऐसा ही इक ब्लॉग है –
तीसरा खम्बा. ब्लोगर हैं कोटा राजस्थान के दिनेश राय द्विवेदी ।

आज तपेदिक हो गया है सच को , कल्पनाएँ लूली- लंगडी हो गयी है और बार- बार मर्यादा की गलियारों में घूमते हुए लोग जब सामना करते हैं अपनी गलतियों का तो कहते हैं शायद विधाता को यही मंजूर है ….!

ऐसे में जब हमारे बीच का कोई ब्लोगर सच उजागर करने की दिशा में कार्य कर रहा हो तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए । इस श्रेणी के दो ब्लॉग मुझे अच्छे लगे –
भडास और मुहल्ला .

हिन्दी को समृध्द करने में हमारी क्षेत्रीय भाषाओं की महत्वपूर्ण भुमिका रही है , इसलिए हिन्दी ब्लॉग की चर्चा के क्रम में क्षेत्रीय भाषाओं के महत्वपूण ब्लॉग की चर्चा न की जाए तो बेमानी होगा । क्षेत्रीय भाषाओं में कई चिट्ठे सक्रिय हैं और सब एक पर एक । उसी भीड़ से मैंने दो मोती निकाले हैं जो वर्ष-२००८ में अत्यधिक सक्रीय थे । पहला है
भोजपुर नगरिया और मिथिला मिहिर
पहला है भोजपुरी में और दूसरा है मैथिलि में । भोजपुरी के ब्लॉग पर ब्लोगर प्रभाकर पांडे देवरिया से लेकर कुशीनगर तक की कथाओं का जिक्र करते है और मिथिला मिहिर पर मैथिलि भाषा की दुर्लभ रचनाएँ आपको मिलेंगी ।

वर्ष-२००८ में हिन्दी चिट्ठा क्रान्ति के अग्रदूत और नए चिट्ठाकारों के लिए प्रेरणा के प्रकाश पुंज रहे ये ब्लोगर –

( नामों का उल्लेख वरीयताक्रम में नही है , अपितु वर्णानुक्रम में है )

(१) शब्दावली में अग्रणी - श्री अजित वाडनेकर (२) सकारात्मक टिपण्णी में अग्रणी - श्री अनूप शुक्ल (३) साफ़गोई में अग्रणी - श्री डॉ अमर कुमार (४) विज्ञान में अग्रणी - श्री अरविन्द मिश्रा (५) व्यंग्य में अग्रणी - श्री अविनाश वाचस्पति (६) हास्य में अग्रणी - श्री अशोक चक्रधर (७) तकनीकी पोस्ट में अग्रणी - उन्मुक्त (८) सामुदायिक गतिविधियों में अग्रणी -श्री जाकिर अली रजनीश (९)कानूनी सलाह में अग्रणी - दिनेश राय द्विवेदी (१०) सिनेमा संवंधित फीचर में अग्रणी- श्री दिनेश श्रीनेत (११) चिंतन में अग्रणी - दीपक भारतदीप (१२) विनम्र शैली में अग्रणी - श्री नीरज गोस्वामी (१३) क्षेत्रीय भाषा भोजपुरी में अग्रणी-श्री प्रभाकर पांडे (१४) सकारात्मक प्रतिक्रया में अग्रणी- श्री पंकज अवधिया (१५) सकारात्मक सोच में अग्रणी -श्री महेंद्र मिश्रा (१६) तकनीकी सृजन में अग्रणी- श्री रवि रतलामी (१७) शिक्षा- दीक्षा में अग्रणी -श्री शास्त्री जे सी फिलिप (१८) ज्योतिष में अग्रणी- श्रीमती संगीता पुरी (१९) प्रशंसा -प्रसिद्धि में अग्रणी- श्री समीर लाल (२०) सामयिक सोच -विचार में अग्रणी- श्री ज्ञान दत्त पांडे ........ !

अत्यन्त महत्वपूर्ण सुझाव , जिसका हम स्वागत करते हैं-
Udan Tashtari ब्लॉग के ब्लोगर श्री समीर लाल जी ने सुझाव दिया है, कि -
अद्भुत क्षमता ऐसी कि मात्र गीतों के माध्यम से संपूर्ण ब्लॉग जगत पर छा जाने में अग्रणी: गीत सम्राट राकेश खण्डॆलवाल जी का नाम मेरी तरफ से जोड़ा जाए .../
हम आपके इस महत्वपूर्ण सुझाव का सम्मान करते हैं तथा श्री राकेश खण्डॆलवाल जी का नाम पूरे सम्मान के साथ इस श्रृंखला से जोड़ रहे हैं । श्री समीर लाल जी इस सुझाव के लिए आपका आभार !

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गुरुवार, 15 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग-10)

हिन्दी चिट्ठा हलचल - २००८ अब समापन की ओर तेजी से अग्रसर है, किंतु जो महत्वपूर्ण विषय अभी तक छूटे हुए हैं उसके बिना इस महायज्ञ की पूर्णाहुति हो ही नही सकती । वैसे तो अभी भी कई महत्वपूर्ण विषय छोटे हुए हैं , पर सबसे महत्वपूर्ण विषय है तकनीकी चिट्ठों की चर्चा । इस विषय को मैं चिट्ठा- चर्चा के प्रारंभिक भागों में ही लेना चाहता था , लेकिन सबसे आखरी में लेना मुनासिब इसलिए समझा कि जो सबसे ज्यादा अहम् है उसे बाद में उल्लेख कर विशेष सम्मान दिया जाए ।

मेरी जानकारी में कई तकनीकी चिट्ठे हैं जो वर्ष-२००८ में धमाल मचाते रहे, मगर सबकी चर्चा करना संभव नही । तो आईये कुछ चिट्ठों पर प्रकाशित तकनीकी पोस्ट जो मुझे अत्यन्त उपयोगी लगी उसी की चर्चा करते हैं आज।

पहला चिट्ठा है "Raviratlami Ka Hindi Blog " इस ब्लॉग पर ०१ अक्तूबर को एक पोस्ट प्रकाशित हुयी " ये फीड क्या है ? ये फीड ? और,आपके चिट्ठे की पूरी फीड क्यों जरूरी है ?" दूसरा चिट्ठा है उन्मुक्त जिसपर १५ दिसम्बर को प्रकाशित "फ्रेमिंग भी ठीक नही .... । " इसी प्रकार छुट-पुट पर १३ दिसंबर को प्रकाशित "ओ एस-२/ जिंदा रहना चाहता है ... । "॥दस्तक॥ पर२२ अक्तूबर को प्रकाशित " चिट्ठे पर फाईल अप लोड कीजिये "। सुनो भाई साधो........... पर २७ अगस्त को कई भागों में प्रकाशित "ब्लॉग पेज को कैसे सजाएं ...... । "अंकुर गुप्ता का हिन्दी ब्लाग पर २४ अगस्त को प्रकाशित "अब उबंतू इंस्टाल बिना किसी दिक्कत के " । kunnublog - Means Total Entertainment पर १३ नवम्बर को प्रकाशित "ओपेरा मोबाईल को कंप्यूटर बनाता है और हिन्दी फिल्म देखे और ब्लागींग कंप्यूटर की तरह कर सकते हैं ..... ।" Pratham पर ०५ नवम्बर को प्रकाशित " File Sharing आपके Mobile से हीहिन्दी ब्लॉग टिप्स पर ३० अक्तूबर को प्रकाशित "सबसे आसान आरकाइव (सभी प्रविष्ठियां दिखाएं) "diGit Blog हिन्दी पर १६ अक्तूबर को प्रकाशित "एचटीसी टच एचडी की एक नई फीचर…।"Control Panel कंट्रोल पैनल पर २८ अगस्त को प्रकाशित "How to improve Apple iPhones Battery life?"e-मदद पर २६ अगस्त को प्रकाशित "कोई फ्री में वेबसाइट (डोमेन) दे तो थोड़ा सावधान रहें ।"नौ दो ग्यारह पर १९ अगस्त को प्रकाशित "गूगल पर बीजिंग २००८"समोसा बर्गर पर २८ अगस्त को प्रकाशित "अपने कंप्यूटर पर वर्डप्रेस इंस्टाल तकनीकी दस्तक पर ०९ अगस्त को प्रकाशित "आप का काम आसान बनाये.. " आदि प्रशंसनीय कही जा सकती है ।

वर्ष-२००८ में उपरोक्त चिट्ठों के अतिरिक्त और चिट्ठे भी थे , जिसपर अच्छी-अच्छी जानकारियां प्राप्त होती रही , वे महत्वपूर्ण ब्लॉग हैं - मानसिक हलचल...... /सारथी... /hindiblogosphere .../टेक पत्रिका.../ Blogs Pundit... /हि.मस्टडाउनलोड्स डॉटकॉम... /Vyakhaya... /दुनिया मेरी नज़र से - world from my eyes!!... /घोस्ट बस्टर का ब्लॉग... /ज्ञान दर्पण... /Cool Links वैब जुगाड़... /अक्षरग्राम... /लिंकित मन... /मेरी शेखावाटी... आदि चिट्ठों पर भी समय-समय पर सारगर्भित तकनीकी पोस्ट देखने को लगातार मिले हैं । जानकारियों से परिपूर्ण पोस्ट सृजन हेतु उपरोक्त चिट्ठाकारों को मेरी नए वर्ष में कोटिश: शुभकामनाएं !

समय की प्रतिबद्धता के कारण बहुत सारे तकनीकी ब्लॉग की चर्चा नही की जा सकी है , मगर यह कदापि न सोचा जाए कि उनके ब्लॉग पर सार्थक पोस्ट नही परोसी जाती । अगले और अन्तिम भाग में हम आपको बताएँगे कि कौन-कौन से ब्लोगर वर्ष- २००८ में नए ब्लोगर हेतु प्रेरणास्त्रोत रहे और किस ब्लोगर का योगदान हिन्दी ब्लॉग जगत में नई क्रान्ति लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा सकता है ...!

......अभी जारी है .../

बुधवार, 14 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग- 9)


अब हम जिस ब्लॉग की चर्चा करने जा रहे हैं उसका नाम है “ प्राइमरी का मास्टर “ जी हाँ मास्टर साहब हैं उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के प्रवीण त्रिवेदी , जो अपने ब्लॉग के बारे में बड़े हीं साफ़ ढंग से कहते हैं , कि- “प्राईमरी स्कूल में कार्य कर रहे अध्यापकों से जुडी समस्यायों और छवियों को लेकर अंतर्द्वंद का ही परिणाम है मेरा यह ब्लॉग…!”

हमारी शिक्षा व्यवस्था की नींब और हमारे व्यापक सामाजिक सरोकारों को नया आयाम देने हेतु सुदृढ़ आधार रहा है प्राईमरी स्कूल । बस इसी बात को प्रमाणित करने की वेचैनी दिखती है उत्तर प्रदेश के इस छोटे से शहर के इस ब्लोगर में। शिक्षा के विभिन्न आयामों से गुजरते हुए यह ब्लॉग कभी- कभी सार्थक वहस को भी जन्म देता दिखाई देता है। प्रवीण कहते हैं, कि प्राईमरी के मास्टर की सबसे बड़ी समस्या है वह ख़ुद को अपडेट नही रख पाता , वहीं जनमानस को चाहिए की प्राईमरी मास्टर के प्रति अपने पूर्वाग्रहों को अपने मन से हटा दें…।

प्राईमरी का यह मास्टर अपने ब्लॉग पर अनेक दिलचस्प बातें करता हुआ दिखाई देता है , जैसे एक जगह प्रवीण कहते हैं ,कि कई स्कूल मिलकर अपने शिक्षकों का भी मूल्यांकन करें … ।

यह ब्लॉग वर्ष-२००८ में लगातार पोस्ट-दर-पोस्ट मुखर होता गया और इसके पाठक वहस- दर- वहस इस ब्लॉग का हिस्सा बनते चले गए । इस ब्लॉग को मेरी शुभकामनाएं !

कमोवेश इसी पृष्ठभूमि का परिस्कृत रूप है एक ब्लॉग , जिसका नाम है- “एक हिंदुस्तानी की डायरी“
उस ब्लॉग पर जहाँ एक शिक्षक की वेचैनी परिलक्षित होती है, वहीं इस ब्लॉग पर एक वेचैन हिन्दुस्तानी की वैचारिकछटपटाहट परिलक्षित होती है । यह वेचैन हिन्दुस्तानी कभी इकसठ साल पुराने मुद्दे को उठाता है तो कभी मायावती और पेप्सिको प्रमुख इंदिरा नुई के बीच की समानताओं को । इस ब्लॉग की सबसे बड़ी खासियत है ब्लोगर की दृढ़ता । ब्लोगर कभी ग्लोबलायिजेसन के अंतर्विरोधों को सामने लाने की कोशिश करता है तो कभी विदेशी व्यापार के असर को रेखांकित करते हुए इसके सकारात्मक पहलुओं की विवेचना भी ।

यह एक गंभीर ब्लॉग है और इस पर अनेकों गंभीर विषयों को बड़े सहज ढंग से उठाया गया है ।

शिक्षा और समाज के बाद आईये चलते हैं भारतीय लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ न्यायपालिका की और। जी हाँ न्याय के विभिन्न पहलुओं से रू-ब-रू कराने वाला ब्लॉग है “अदालत “

अदालती कार्यवाही और फैसलों का समग्र प्रभामंडल है यह ब्लॉग। हम फैसलों को व्यक्तिगत हार- जीत के रूप में देखते हैं , जबकि इनका मकसद होता है सामाजिक व्यापकता। एक तरफ़ जहाँ लोकेश कर्णाटक हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए बिकलान्गता के पैमाने की चर्चा करते हैं , वहीं दूसरी तरफ़ अदालतों की भाषा शैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अपने विचारों को पूरी दृढ़ता के साथ रखने में कामयाब होते दिखते हैं ।

कहीं-कहीं ब्लोगर तो किसी बेजान से मुकदमें से सामाजिक प्रसंग ढूंढता हुआ दीखता है, तो कहीं भूत-प्रेत के मुकदमों से सनसनी पैदा करता हुआ। कुल मिलाकर यह ब्लॉग काफी दिलचस्प है।

शिक्षा, समाज और अदालत के बाद आईये चलते हैं अब प्रेम की दुनिया में । एक ऐसे ब्लॉग पर जिसके क्लिक मात्र से आप विचरण करने लगेंगे प्रेम की मनचाही दुनिया में ।

तो आईये प्रेम कथाओं के इस पार्क पर चलिए करते है विचरण अपनी प्रेम भावनाओं के संग । यहाँ अजब-गजब प्रेम क वे क्षण मिलेंगे जो भीतर अक्सर किसी न किसी अनजान टकराहट से पैदा होते रहते हैं । इस ब्लॉग का नाम है “ अखाडे का उदास मुगदर “

यह ब्लॉग नेट कथा की दुनिया में प्रेम की प्रासंगिकता को रेखांकित करता है और पाठकों को प्रेम की प्रतिबद्धताओं से परिचय कराता है ।इस ब्लॉग के साथ आप प्रसंग और सन्दर्भ दोनों का अलग-अलग पथ कर सकते हैं और प्रेम की शूक्ष्म अनुभूतियों से वाकिफ भी । कुल मिलाकर यह ब्लॉग काफी दिलचस्प है।


किसी ने कहा है ,की मनुष्य के सात स्वास्थ्य होते हैं , उनमे से एक है शारीरिक स्वास्थ्य जसके ठीक-ठाक न रहने पर व्यक्ति का न तो मानसिक विकास हो सकता है और न भावनात्मक । इसके अभाव में किसी भी व्यक्ति का अस्तित्व शून्यबत है । इस चिट्ठा चर्चा में अब हम इसी विषय पर केंद्रित एक ब्लॉग की चर्चा कराने जा रहे हैं . ब्लॉग का नाम है-
स्वास्थ्य चर्चा ब्लोगर हैं जयपुर के मिहिर भोज।


इस ब्लॉग के माध्यम से हिन्दी भाषी पाठकों के लिए स्वास्थ्य विषयक जानकारी देने का अच्छा प्रयास कहा जा सकता है । आज के इस प्रदुषण भरे माहौल में जब व्यक्ति किसी न किसी रोग से पीड़ित है ऐसे में मिहिर भोज की यह स्वास्थ्य चर्चा कई दृष्टिकोण से काफी अहम् है ।


समयबद्ध भविष्यवाणी के साथ अनिश्चय से निश्चय की ओर कदम बढाती ज्योतिष की नई शाखा है एक ब्लॉग , जिसका नाम है
गत्यात्मक ज्योतिष ब्लोगर हैं बोकारो झारखंड की संगीता पुरी।

ज्योतिष एक ऐसा विषय है जिस पर लोगों के विचारों में काफी मतभेद देखने को मिलता , कोई इसे अंध विशवास तो कोई विज्ञान की संज्ञा देते हैं । विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व बनाने वाले कुछ लोग जो इसे अंध विश्वास की संज्ञा देते हैं वही किसी अनजाने भय से ग्रस्त होते ही ज्योतिषीय सलाह लेने से पीछे नही हटते । खैर विचारों का यह द्वंद चलता रहेगा , मगर कुल मिलाकर यह चिट्ठा ज्योतिषीय सलाहकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है । ब्लोगर को मेरी शुभकामनाएं ।

भीतर झांकने का जो हमारा दर्शन है वह पिछले संस्कारों को जानने तथा परिष्कृत करने के लिए है । जीवन चक्र की अनुभूति करने वाला एक ब्लॉग है
सच्चा शरणम ब्लोगर हैं उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सकल डीहा के हिमांशु । यह ब्लॉग हमें हमारे भीतर की यात्रा कराता है।

यह ब्लॉग कर्म और अकर्म के बीच झुलाते मानवीय भावनाओं के अंतर्विरोधों को आयामित करता हुआ दिखाई देता है । हमारेजीवन का आधार है मन। मन है तो इच्छा है । इच्छा है तो गतिविधि है , लक्ष्य है, कार्य कलाप है , जीवन है । मन क्या है ? इसका स्वरूप , इसका कार्य , इसका वातावरण कैसे तैयार होता है ? जानना हो तो इस ब्लॉग पर एक बार अवश्य आईये …..

एक कविता की यह पंक्तियाँ है, कि-" अनजाने में फ़िर भी अनजान नही /दबे पाँव आहट मन- मस्तिस्क को रौंदती आगे बढ़ी/घोर निद्रा , फ़िर अधजगे में वह सपना मन में उठे आवेग को शायद सुलाने का प्रयत्न किया / उसकी ही याद में फ़िर एक बार तंद्रा भंग हुयी और भूल गया कि मैं कौन हूँ ?" इन प्रश्नों का हल ढूँढना हो तो आ जाईये
स्वप्न लोक पर । ब्लोगर हैं विवेक सिंह ।

ब्लोगर अपनी अत्यन्त सूक्ष्म-अनुभूतिओ के माध्यम से ले जायेगा एक सपनों की दुनिया में , जहाँ पहुँच कर कोई भी पाठक चौंक जायेगा एकवारगी । अत्यन्त ही सुंदर है विवेक सिंह की अनुभूतियों से रचा- बसा यह ब्लॉग।

……..अभी जारी है …/

सोमवार, 12 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग- 8)

आज मैं जिन चिट्ठों की चर्चा करने जा रहा हूँ, वह चिट्ठा है तो विषय आधारित हीं, मगर मुझे उन चिट्ठों की सबसे ख़ास बात जो समझ में आयी वह है ब्लोगर के विचारों की दृढ़ता और पूरी साफगोई के साथ अपनी बात रखने की कला । ब्लॉग चाहे छोटा हो अथवा बड़ा , उसकी किसी भी पोस्ट ने मेरे मन-मस्तिस्क झकझोरने का प्रयास किया उसकी चर्चा करना आज मैं अपना धर्म समझ रहा हूँ । हो सकता है आप मेरे विचारों से सहमत न हों , मगर जो मुझे अच्छा लगा , वह आपके सामने है ।


आज सबसे पहले हम चर्चा करेंगे विचारों की दृढ़ता को वयां करता एक ब्लॉग “समतावादी जन परिषद् “ का । इस ब्लॉग पर कनाडा के माड वार्लो का एक लेख प्रकाशित है। वार्लो कनाडा में पानी के निजीकरण के ख़िलाफ़ आन्दोलन चलाती है। उस आलेख में यह उल्लेख है की वर्ष- २०२५ में विश्व की आवादी आज से २.६ अरब अधिक हो जायेगी । इस आवादी के दो-तिहाई लोगों के समक्ष पानी का गंभीर संकट होगा तथा एक-तिहाई के समक्ष पूर्ण अभाव की स्थिति होगी ।

ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता यह है ,कि वर्ष-२००८ में यह ब्लॉग विचारों और पूर्वानुमान की सार्थकता को आयामित करता रहा । वैसे यह ब्लॉग समतावादी जन परिषद् भारत के चुनाव आयोग में पंजीकृत है और आम-जन की आवाज़ परिलक्षित होता है। इन्हें राजनीतिक विचारधारा से कुछ भी लेना देना नही है, वे भी इस ब्लॉग से मिली जानकारियों का मजा ले सकते हैं ।

ब्लॉग अपने हर आलेख में जीवन का कर्कश उद्घोष करता दिखाई देता है , वह भी पूरी निर्भीकता के साथ । यही इस ब्लॉग की विशेषता
दूसरा ब्लॉग जिसकी चर्चा मैं आज करने जा रहा हूँ , वह है – “ इंडियन बाईस्कोप डॉट कॉम “ ब्लोगर दिनेश का बाईस्कोप देखिये और महसूस कीजिये हिन्दी सिनेमा की सुनहरी स्मृतियाँ ! सिनेमा के शूक्ष्म पहलुओं से रू-ब-रू कराता है यह ब्लॉग। ब्लोगर दिनेश का कहना है, की –“ सिनेमा के प्रति सबसे पहले अनुराग कब जन्मा , नही कह सकता , पर जितनी स्मृतियाँ वास्तविक जीवन की है , उतनी ही सिनेमाई छवियों की भी है । बरेली के दिनेश बेंगलूरू में काम करते बक्त भी इस ब्लॉग के माध्यम से अपने शहर, समाज और सिनेमा के रिश्तों में गूंथे हैं। "
दिनेश अपने एक लेख में यह लिखते हैं, की “ कई बार मन में यह सवाल कौंधता है की भीतर और बाहर की अराजकता को एक सिस्टम दे सकूं , एक दिशा दे सकूं- वह कौन सा रास्ता है . मन ही मन बुद्ध से लेकर चग्वेरा तक को खंगाल डालता हूँ ……!”
सबसे बड़ी बात है इस ब्लॉग की पठनीयता और संप्रेशानियता जो इस ब्लॉग को एक अलग मुकाम देती है । सिनेमाई वार्तालाप के क्रम में ब्लोगर की आंचलिक छवि और संस्मरण की छौंक उत्कृष्टता का एहसास कराती है। निष्पक्ष और दृढ़ता के साथ अपनी सुंदर प्रस्तुति और अच्छी तस्वीरों के माध्यम से यह ब्लॉग पाठकों से आँख- मिचौली करता दिखाई देता है।
वर्ष-२००८ में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण ब्लॉग से मैं मुखातिब हुआ । भीखू महात्रे, मुम्बई का किंग अर्थात मनोज बाजपेयी भी पधार चुके हैं ब्लॉग की दुनिया में । मनोज बाजपेयी के बारे में मैं क्या कहूं आप से , इस प्रयोगधर्मी अभिनेता को कौन नही जानता , पूरा विश्व जानता है , मगर एक राज की बात आज मैं बताने जा रहा हूँ वह है, की मनोज बाजपेयी जहाँ के रहने वाले हैं वहाँ मेरी ससुराल है । यानी की वे बिहार के पश्चिम चंपारण जनपद के बेलवा गाँव के हैं और मेरी ससुराल है पश्चिम चंपारण का जिला मुख्यालय बेतिया ।
मनोज ने अपने ब्लॉग पर जो भी आलेख लिखे हैं , वह जीवन का कड़वा सच दिखाई देता है। मनोज अपने बारे में लिखते हैं, की “ मुझे याद है एक नाटक- जो मैंने कई साल पहले दिल्ली रंगमंच पर किया था . इसमें मैं अकेला अभिनेता था . इस नाटक में मैं इक रिटायर्ड स्टेशन मास्टर की भुमिका की थी , जो अपने बेटे और बहू द्वारा प्रताडितहै ….!” ऐसे बहुत सारे अविस्मरनीय क्षण महसूस कराने को मिलेंगे आपको इस ब्लॉग पर ।
मनोज ने अपने पहले ही आलेख में बड़ी दिल चस्प संस्मरण सुनाते हैं की कैसे बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र के रहने वाले एक अभिनेता के घर पहली बार टेप आया। मनोज कहते हैं, की बाबूजी बीर गंज से पानासोनिक का टेप रिकॉर्डर ले आए थे । ब्लोगर कहते हैं की बिहार के कई लोगों के घर टेप रिकॉर्डर नेपाल के बीरगंज से ही आया। इस संस्मरण को जब मनोज सुनाते हैं तो जिस्म में अजीब सी सिहरन महसूस होती है।
और भी कई मार्मिक और दिलचस्प संस्मरण आपको पढ़ने को मिलेंगे इस ब्लॉग पर। बस एक वार क्लिक कीजिये और चले जाईये मनोज के संग विचारों और संस्मरणों की दुनिया में।
आज की इस चर्चा में जिस चौथे ब्लॉग की मैं चर्चा करने जा रहा हूँ , वह है-कबाड़खाना “
किसी विचारक ने कहा है, कि जो बस्तुओं के पीछे भागता है, वह अकेला होता है और जो व्यक्तियों के पीछे भागता है उसके साथ पूरी दुनिया होती है.इस बात को जब हम महसूस करना छोड़ देते है , वही से कबाड़वाद पृष्ठभूमि बनने लगती है. बस इसी को महसूस कराता हुआ यह ब्लॉग है कबाड़खाना ।
अशोक पांडे का यह ब्लॉग भारत का आम उपभोक्ता को आईना दिखाने का काम करता है और यही ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता है। प्रकृति को उत्पादन और उपभोग की मार से बचाने का माध्यम है यह कबाड़खाना ।
रवीश कुमार इस ब्लॉग के बारे में कहते हैं, कि –“ पेप्पोर रद्दी पेप्पोर चिल्लाते- चिल्लाते अशोक पांडे का यह ब्लॉग कबाड़वाद फैला रहा है। इस ब्लॉग पर जो भी आता है , उसका कबाड़ीवाला कहकर स्वागत किया जाता है। विरेन डंगवाल हों या उदय प्रकाश, ये सब कबाड़ीवाले हैं। “ इस कबाड़ में आपको मिलेंगे रागयमन में गंगा स्तुति सुनाते हुए पंडित छन्नू लाल मिश्रा , वहीं बेरोजगारी पर कविता लिखते सुंदर चंद ठाकुर ……और भी बहुत कुछ …आईये और देखिये इस कबाड़ में आपके लायक क्या है ?

मेरा दावा है, की आप जो चाहेंगे मिलेगा इस कबाड़खाने में ।


…..अभी जारी है …./

शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग- 7)

किसी ने खूब ही कहा है- "हँसना रवि की प्रथम किरण सा, कानन मेंनवजात शिशु सा ।"
हमारा वर्तमान इतना विचित्र है,कि अपनी इस सहज ,सुलभ विशिष्टताको हमने ओढ लियाहै, हर आदमी इतना उदास है,कि उसे हँसने के लिए लाखों जतन करनेपड़ते हैं। हँसने के लिए।कोशिश करना इंसान के लिए बहाने ढूँढना या फिर दिखावाके लिए हँसना हमारे व्यक्तित्व केखोखलापन को उजागर करता है। ईश्वर हर जगहइंसानों को जोर -जोर से हिल-हिल कर हँसनेकी कोशिश करते देख वाकई हँसता होगा, क्योंकि ईश्वर तो उदास नहीं हैं, हम उदास हैं,हमारी मशीनरी दिनचर्या ने हमेंचिरचिरा बना दिया है,हम हँसने के लिए वजहढूँढ़ते हैं,यदि ज़िंदगी को कुछ कमगंभीर कर लिया जाये, तो इस अद्भुत आश्चर्य हँसी कोमहसूस कर सकेंगे।
यह टिपण्णी मेरे द्वारा ०४ अगस्त २००७ को हास्य के एक अति महत्वपूर्ण ब्लॉग "ठहाका " को अपनी शुभकामनाएं अर्पित करते हुए दी गयी थी और कुछ दिनों बाद उसी ब्लॉग से प्रेरित होकर मैं परिकल्पना लेकर आप सभी के बीच आया था । इसी चर्चा के साथ मुझे खुशी हो रही है यह कहते हुए कि परिकल्पना की यह १०० वां पोस्ट है, मगर अफशोस है कि पिछले वर्ष जनवरी में ही बसंत आर्य ने ठहाका लगाना बंद कर दिया ।
इन पंक्तियों के साथ मैं इस चर्चा को आगे बढ़ा रहा हूँ ,कि -" हर शख्स के भीतर इक नयाअहसास जगाया जाय ,कि उनका आईना पलटकर उन्हें ही दिखाया जाय , मगर यह शर्तहो सबके लिए महफ़िल जमे जब भी- न हँसे कोई, न मुस्कुराए, बस ठहाका लगाया जाय ।"
वर्ष- २००८ में हास्य-व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से जिन चिट्ठों ने खूब धमाल मचाया ,
वह हैं -हिंदी जोक्स - हिन्दी के चुटकुले, यह चिट्ठा प्रारूप में हैं। तीखी नज़र -इस ब्लॉग पर हास्य-व्यंग्य की क्षणिकाएं लगातार देखने को मिली ।जैसे " लगा रहा आतंक की जो भारत में आग , गायें उसके साथ हम कैसे किरकिट राग , कैसे किरकिट राग, बताए दुनिया हमको , भरा न अब तक घाव भुलाएं कैसे गम कोदिव्यदृष्टि जिस घर में होता मातम भाईनहीं भूल कर कभी बजाता वह शहनाई ....!" बामुलाहिजा यह ब्लॉग कार्टून के माध्यम से आज के सामाजिक , राजनैतिक कुसंगातियों पर व्यंग्य करता है । कार्टूनिष्ट हैं कीर्तिश भट्ट । current CARTOONS ताज़ा राजनैतिक घटनाक्रमों पर आधारित कार्टून का एक और महत्वपूर्ण चिट्ठा । कार्टूनिस्ट हैं -चंद्रशेखर हाडा जयपुर । मजेदार हिंदी एस एम एस चटपटे और मजेदार चुटकुलों अथवा हास्य क्षणिकाओं का अनूठा संकलन । चिट्ठे सम्बंधित कार्टून हिन्दी चिट्ठाजगत में हो रही गतिविधियाँ कार्टून रूप में पेश करने की कोशिश है ।
चक्रधर का चकल्लस यह ब्लॉग हिन्दी के श्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य कवि अशोक चक्रधर का है , जिसमें उनके द्वारा सृजित कविता और व्यंग्य प्रकाशित होते है , अपने इस ब्लॉग के सन्दर्भ में श्री अशोक चक्रधर कहते हैं - " इस चक्रधर के मस्तिष्क के ब्रह्म-लोक में एक हैं बौड़म जी। माफ करिए, बौड़म जी भी एक नहीं हैं, अनेक रूप हैं उनके। सब मिलकर चकल्लस करते हैं। कभी जीवन-जगत की समीक्षाई हो जाती है तो कभी कविताई हो जाती है। जीवंत चकल्लस, घर के बेलन से लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन तक, किसी के जीवन-मरण से लेकर उसके संस्मरण तक, कुछ न कुछ मिलेगा। कभी-कभी कुछ विदुषी नारियां अनाड़ी चक्रधर से सवाल करती हैं, उनके जवाब भी इस चकल्लस में )मिल सकते हैं। यह चकल्लस आपको रस देगी, चाहें तो आप भी इसमें कूद पड़िए।"
SAMACHAR AAJ TAK इस ब्लॉग पर आज की ताज़ा खबरें परोसी जाती है मगर मनोरंजक ढंग से और यही इस ब्लॉग की विशेषता है । अज़ब अनोखी दुनिया के ब्लोगर शुभम आर्य कहते हैं कि -" अजाब अनोखी इस दुनिया में घटनाओं को बस्तुत: रिकोर्ड्स कर पाना किसी चमत्कार से कम नही है । आप सभी को हिन्दी ब्लोगिंग जगत में इस प्रकार की विचित्र चित्रावली एवं बहुत सी रोचक बातों से परिचित कराने की कोशिश करूंगा । अंगरेजी जगत में यह काफी दिनों से विद्यमान है, किंतु हिन्दी पाठकों के लिए शायद यह प्रारंभिक प्रयासों में से एक होगा ....!" वैसे काफी दिलचस्प है यह अज़ब अनोखी दुनिया ।
आईये अब मिलते हैं की बोर्ड के खटरागी से यानी अविनाश वाचस्पति से जिनके ब्लॉग का पता है http://avinashvachaspati.blogspot.com/ इस ब्लॉग पर हास्य-व्यंग्य और अबिनाश वाचस्पति के द्वारा अन्य साहित्यिक समाचार पढ़ सकते हैं । यूँ ही निट्ठल्ला..... ताज़ा परिस्थितियों पर व्यंग्य इस ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता है और इसका प्रस्तुतीकरण अपने आप में अनोखा , अंदाज़ ज़रा हट के , आप भी पढिये और डूब जाईये व्यंग्य के सरोबर में । डूबेजी यह ब्लॉग जबलपुर के ब्लोगर श्री राजेश कुमार डूबे जी का है , ब्लोगर के लिए कार्टून एक विधा से बढ़कर, व्यंग्य के सारथी के समान , एक सामाजिक आन्दोलन है ।
दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका पर भी कभी-कभार अच्छी और संतुलित हास्य कवितायें देखने को मिल जाती है , यह ब्लॉग सुंदर और सारगर्भित और स्तरीय है । hasya-vyang यह ब्लॉग सुरेश चंद्र गुप्ता जी का है , जो अपने ब्लॉग के बारे में कहते हैं, कि-"हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है। पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं। हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं। हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है। इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे। " सचमुच इस ब्लॉग पर ब्लोगर हास्य-व्यंग्य के साथ न्याय करता हुआ दीखता है ।
निरंतर यह ब्लॉग जबलपुर के महेंद्र मिश्रा का है , इस पर भी आप व्यंग्य के तीक्ष्ण प्रहार को महसूस कर सकते हैं । अनुभूति कलश ब्लॉग पर आपको मिलेंगे डा राम द्विवेदी की हास्य-व्यंग्य कविताओं से आप रू-ब रू होंगे । इसी प्रकार योगेन्द्र मौदगिल और अविनाश वाचस्पति के सयुक्त संयोजन में प्रकाशित चिट्ठा है हास्य कवि दरबार जिस पर आपको मिलेंगे हास्य-व्यंग्य कविताएं, कथाएं, गीत-गज़लें, चुटकुले-लतीफे, मंचीय टोटके, संस्मरण, सलाह व संयोजन।
...........अभी जारी है ..../

मंगलवार, 6 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग- 6 )


हिन्दी का एक और वेहद महत्वपूर्ण ब्लॉग है
“ रचनाकार “। यह वरिष्ठ चिट्ठाकार और सृजन शिल्पी श्री रवि रतलामी जी का ब्लॉग है , यह केवल ब्लॉग नही साहित्य का चलता- फिरता इन्सायिक्लोपिदिया है ,जिसके अंतर्गत ये कोशिश होती है की आज के प्रतिष्ठित कवियों , गज़लकारों के साथ-साथ नवोदित कवियों,गज़लकारों की कविताओं और ग़ज़लों को नया आयाम देते हुए उन्हें इस ब्लॉग के माध्यम से पाठकों से रू-ब -रू कराया जाए । यह ब्लॉग मैं नियमित पढ़ता हूँ और मेरा यह मानना है की इसे उन सभी को पढ़ना चाहिए जो सृजन से जुड़े हैं ।

इसी प्रकार “ अभिव्यक्ति “ और “साहित्यकुंज” भी अनेक गज़लकारों और कवियों का रैन वसेरा बना रहा पूरे वर्ष भर । ये दोनों पत्रिकाएं एक प्रकार से साहित्य का संबाहक है और साहित्यिक गतिविधियों को प्राण वायु देते हुए हिन्दी की सेवा में पूरी जागरूकता के साथ सक्रिय है । इन दोनों पत्रिकाओं को मेरी कोटीश: शुभकामनाएं …दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों के साथ कि “……हो कहीं भी आग फ़िर भी आग जलानी चाहिए …।”

इसी दिशा में एक लघु, किंतु महत्वपूर्ण पहल किया है भाई नीरव ने अपनी ब्लॉग पत्रिका “वाटिका “ और "गवाक्ष " के माध्यम से । यह ब्लॉग भी साहित्य की विभिन्न विधाओं में प्रकाशित सुंदर और सारगर्भित लेखन का नायाब गुलदस्ता है , विल्कुल उसी तरह जैसे देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर ।
वर्ष-२००७ में नेट पर एक और साहित्यिक पत्रिका “ सृजनगाथा “ पर भी मेरी नज़र गयी और उसमें अपनी ग़ज़ल देखाकर मैं चौंक गया एकबारगी । इन्होने देश के महत्वोपूर्ण गज़लकारों की ग़ज़लों का संकलन प्रकाशित था जो कई दृष्टि से वेहद महत्वपूर्ण था । तब से मैं इस पत्रिका का नियमित पाठक हूँ ।

सुबीर संवाद सेवा , हिन्दी युग्म, रचनाकार, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज और श्रीजनगाथा साहित्य को नयी दिशा देने हेतु सतत क्रियाशील ब्लॉग की श्रेणी में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इन्हे यदि हिन्दी ब्लॉग साहित्य का सप्त ऋषि कहा जाए तो न अतिशयोक्ति होनी चाहिए और न शक की गुंजायश ही। इन सातों ब्लॉग पत्रिकाओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं इन पंक्तियों के साथ , कि -“….इस शहर में इक नाहर की बात हो, फ़िर वही पिछले पहर की बात हो , ये रात सन्नाटा बुनेगी इसलिए, कुछ सुबह कुछ दोपहर की बात हो ……।!”

कुछ और महत्वपूर्ण ब्लॉग है , जिस पर वर्ष -२००८ में यदा- कदा गंभीर गज़लें देखने को मिली , उन में से महत्वपूर्ण है “ उड़न तश्तरी “ जिस पर इस दौरान उम्दा गज़लें पढ़ने को मिली है। एक बानगी देखिये-"चाँद गर रुसवा हो जाये तो फिर क्या होगा, रात थक कर सो जाये तो फिर क्या होगा।यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँआँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा. "

कुछ और ब्लॉग पर अच्छी ग़ज़लों का दस्तक देखिये और कहिये - ……वाह जनाब वाह...क्या शेर है…क्या ग़ज़ल है……!

ये ब्लॉग हैं " महावीर" " नीरज " "विचारों की जमीं" "सफर " " इक शायर अंजाना सा…" "भावनायें... " आदि ।
ग़ज़ल की चर्चा को यहीं विराम देते हैं और चलते हैं हास्य की दुनिया में , जहाँ हमारी प्रतीक्षा में खड़े हैं कई ब्लोगर , सराबोर कराने के लिए हास्य से हमारे दामन को । हास्य पर हम करेंगे चर्चा विस्तार से , लेकिन अगले पोस्ट में ……….!
.........अभी जारी है…....../

रविवार, 4 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग- 5 )

"आज लहू का कतरा कतरा स्याई बना है,और ये जख्मी दिल ही खत की लिखाई बना है. " ये पंक्तियाँ हैं सीमा गुप्ता की , जिनका ब्लॉग है "MY PASSION" सीमा अपनी अभिव्यक्ति को ग़ज़ल में पिरोती हुयी कहती हैं कि -"चांदनी कहाँ मिलती है, वो भी अंधेरों मे समाई है,
रोशनी के लिए हमने ख़ुद अपनी ही ऑंखें जलाई हैं।"

इसी श्रेणी के एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग है - "कुछ मेरी कलम से " इस ब्लॉग के ब्लोगर के द्वारा जिस पञ्च लाइन का उल्लेख किया गया है वह इस प्रकार है- "जब करनी होती ख़ुद से बाते तो में कुछ लफ्ज़ यूँ दिल के कह लेती हूँ ....!" रंजना यानी रंजू भाटिया कहती हैं , कि -"ज़रा थम थम के रफ़्ता रफ़्ता चल ज़िंदगी कि यह समा या फ़िज़ा बदल ना जाएअभी तो आई है मेरे दर पर ख़ुशी कही यह तेरी तेज़ रफ़्तार से डर ना जाए!
दूसरा ब्लॉग है -"पारुल…चाँद पुखराज का" इस ब्लॉग पर अभिव्यक्तियाँ अंगराई लेती है और छोड़ जाती है संवेदनाओं का नया प्रभामंडल पाठकों के लिए , ब्लोगर ने अपने परिचय में गुलजार की ये सुंदर पंक्तियाँ प्रस्तुत की है -"कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही…रात दिन गिर रहे हैं चौसर पर…औंधी-सीधी-सी कौड़ियों की तरह…हाथ लगते हैं माह-ओ साल मगर …उँगलियों से फिसलते रहते है…धूप-छाँव की दौड़ है सारी……कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही………………और जो क़ायम है,बस इक मैं हूँ………मै जो पल पल बदलता रहता हूँ !"
इसी श्रेणी का एक और ब्लॉग पर मेरी नज़रें गयी और ठहर गयी अनायास ही , फ़िर तो उसकी चरचा के लिए मन बेताब हो उठा । नाम है "डॉ. चन्द्रकुमार जैन " जी हाँ यही ब्लॉग है और यही ब्लोगर भी । मुक्तकों और ग़ज़लों का एक ऐसा ब्लॉग जिसे बड़े प्यार और मनुहार से प्रस्तुत किया गया है । इस श्रेणी की मेरी सबसे पसंदीदा ब्लॉग है यह । इनकी ग़ज़ल की कुछ पंक्तियाँ देखिये - "हर सुमन में सुरभि का वास नहीं होता,
हर दीपक का मनहर प्रकाश नहीं होता। हर किसी को प्राण अर्पित किए जा सकते नहीं,हर जीवन में मुस्काता मधुमास नहीं होता।।"

आईये एक और ब्लॉग से आपका परिचय करवाता हूँ , नाम है -"क्षणिकाएं " , ब्लोगर कहती हैं , कि -"मन की कलम, ख़्वाबों के पन्ने ,उम्मीदों की स्याही , समय मेरे पास रख जाता है, तब मैं लिखती हूँ ..... !"
कोलकाता के मीत की चरचा हो और और दिल्ली के दिलवाले मीत की चरचा न हो ऐसा कैसे हो सकता है , तो आईये दिल्ली के मीत से मिलते हैं । ब्लोगर कहते हैं- "बचपन मामा के यहाँ गुज़ारा... बड़ा होकर पायलेट बनना चाहता था... लेकिन नसीब में शायद आसमान की ऊँचाइयाँ नहीं लिखी थी... जब भी किसी प्लेन की आवाज कानो में गूंजती तुंरत दौड़ के बाहर जाता था... प्लेन को देखने के लिए... खैर! कब मुझे लिखने का शौक हुआ मालूम नहीं... बस जब भी कभी हाथ में पेंसिल आ जाती थी, तो कागज पे चित्रकारी करता था और जब पेन आ जाता था, तो लिख देता था कोई गीत...!"
मेरे पसंदीदा शायर ब्लोगर में से एक हैं " परम जीत बाली " जिनका ब्लॉग है "दिशाएँ " । जब भी मौका मिलता है इस ब्लॉग पर आ जाता हूँ , क्योकि इस ब्लॉग पर मिलता अभिव्यक्ति के सृजन का सुख ।
दूसरा मेरा पसंदीदा ब्लॉग है इस श्रेणी का वह है -"प्रहार " । इस ब्लॉग पर भी आपको ग़ज़ल की सुंदर भावाभिव्यक्तियाँ मिलेंगी , पूरी शान्ति, सुख, संतुष्टि की गारंटी के साथ।
ग़ज़लों की इस दुनिया में एक और नाम है डा अनुराग , जिनका ब्लॉग है "दिल की बात '' बड़े सहज ढंग से ये अपनी अभिव्यक्तियों में धार देते हुए मासूम अदाओं के साथ परोस देते हैं पाठकों के। यही इस ब्लोगर की विशेषता है । अपने ब्लॉग पर ब्लोगर स्वीकार करता है, कि -"रोज़ कई ख़्याल दिल की दहलीज़ से गुज़रते है,कुछ आस पास बिखरे रहते है,कुछ दिल की तहो मे भीतर तक ज़िंदा रहते है,साँस लेते रहते है,कोई ख़ूबसूरत लम्हा फिर उन्हे कई दिनों की ऑक्सीजन दे जाता है। कभी-कभी उन लम्हो को जिलाये रखने के लिए धूप दिखा देता हूँ,कुछ को लफ़्ज़ो की शक़ल मे कागज़ॉ पर उतार देता हूँ। "
आजकल श्री पंकज सुबीर जी सुबीर संवाद सेवा में पाठकों को ग़ज़ल सिखा रहे हैं , ग़ज़ल के विभिन्न पहलूओं पर उनका पक्ष नि:संदेह प्रशंसनीय है । इसी कड़ी में हिंद युग्म भी पीछे नही है । ग़ज़ल के लिए इससे वेहतर पहल और क्या हो सकती है ।
मैंने अपने एक आलेख में जनवरी -२००८ में परिकल्पना पर ग़ज़ल की विकास-यात्रा शीर्षक से ग़ज़ल के इतिहास और वर्त्तमान पर प्राकाश डाला है, जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं ।
..........अभी जारी है ......../

शनिवार, 3 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल (भाग- 4 )

“यूँ न रह-रह के हमें तरसायिये, आईये, आ जाईये , आजायिये ,फ़िर वही दानिश्ता ठोकर खाईये, फ़िर मेरे आगोश में गिर जाईये,मेरी दुनिया मुन्तजिर है आपकी , अपनी दुनिया छोड़ कर आजायिये…।!”

यही वह ग़ज़ल है , जिसे हम गुनगुनाते हुए आज की चर्चा की शुरूआत करने जा रहे हैं, जीवन के कोलाहल से दूर यदि ग़ज़लों की दुनिया में समा जाने को आप आतुर हैं तो चलिए चलते हैं सुखनसाज़ के पास । सुखनसाज़ का पन्ना खुलेगा और खिलेगी मेहदी हसन की जादूई आवाज़ । वह आवाज़ जिसे सुनने के लिए बेचैन रहते हैं मेरे कान। इस ब्लॉग पर आने के बाद होठों से अपने-आप फूट पड़ते हैं ये शब्द- माशाल्लाह !……क्या ब्लॉग है …।

इस ब्लॉग पर अहमद फ़राज़ से लेकर बेगम अख्तर तक की दुनिया आबाद है । मैं तो यही कहूंगा कि यदि आप अभी तक न आए हों तो इस ब्लॉग पर एक बार आईये, आ जाईये, आजायिये…।वैसे तो बहुत सारे ब्लॉग हैं जहाँ पहुँच कर आप ग़ज़ल गुनगुनाने को बेताब हो जायेंगे, हिन्दी चिट्ठा हलचल की अपनी एक सीमा है और उसी सीमा में आबद्ध होकर अपनी बात कहनी है , सारे चिट्ठों की चर्चा तो नही कर सकता मगर कुछ ब्लॉग जो मेरे पसंदीदा है उसकी चर्चा न करुँ तो बेंमानी होगा ।

इसी प्रकार गजलों मुक्तकों और कविताओं का एक नायाब गुलदश्ता है महक , जो अपनी महक से वातावरण को काव्यमय बनाने की दिशा में लगातार सक्रिय भूमिका अदा करता रहा । यहाँ आपको ग़ज़लों के स्वर सुनाई नही देंगे , मगर स्वरचित मुक्तकों, ग़ज़लों , कविताओं तथा विचारों की भावात्मक अनुभूति जरूर महसूस करेंगे, यह मेरा विश्वास है ।इस ब्लॉग पर प्रकाशित एक ग़ज़ल के कुछ शेर पढिये और कहिये कैसा महसूस किया आपने-“यूही किसी को सताना कभी अच्छा होता है , प्यार में खुद तड़पना कभी अच्छा होता है रिश्तों की नज़दिकोया बनाए रखने के लिए ,दूरियों का उन में आना कभी अच्छा होता है ”


ग़ज़लों एक और गुलदश्ता है अर्श , जिसकी पञ्च लाईन है “ जिंदगी मेरे घर आना जिंदगी “ अच्छी अभिव्यक्ति और सुंदर प्रस्तुति के साथ अपनी ग़ज़लों से ह्रदय के पोर-पोर बेधने में ये पूरे वर्ष भर कामयाब रहे इनकी ग़ज़लों के एक-दो शेर देखें- “ अब रोशनी कहाँ है मेरे हिस्से, लव भी जदा-जदा है मेरे हिस्से , गर संभल सका तो चल लूंगा – पर रास्ता कहाँ है मेरे हिस्से ....!” इस ब्लॉग को मेरी ढेरों शुभकामनाएं !

इस तरह के ब्लॉग की लंबी फेहरीश्त है हिन्दी चिट्ठाजगत पर, सबकी चर्चा करना संभव नही । फ़िर भी जो ब्लॉग मुझे ज्यादा पसंद है उसकी चर्चा के बिना आगे बढ़ पाना भी मेरे लिये संभव नही है । चलिए इसी श्रेणी के कुछ और उम्दा ब्लॉग पर नज़र डालते हैं -

ब्लॉग की इस महफ़िल में अनेक सुखनवर हैं, कोई राही है तो कोई रहवर है….आईये ऐसे हे इक ब्लॉग से आपका तारूफ करवाता हूँ , नाम है युगविमर्श । बहुत सारे सुखनवर मिलेंगे आपको इस ब्लॉग पर ।
दूसरा ब्लॉग है अरूणाकाश, गाजिआबाद की अरुणा राय की एक-दो पंक्तियाँ देखिये और पूछिए अपने दिल से की तुम इतने प्यारे क्यों हो ? अरुणा ख़ुद कहती है, की –“ प्यार करने का खूबां हम पर रखते हैं गुनाह उनसे भी तो पूछिए , तुम इतने प्यारे क्यों हुए….!” यह ब्लॉग भावनाओं की धरातल पर उपजी हर उस ग़ज़ल से रूबरू कराती है , जो इस ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता रही , मगर अफशोश यह ब्लॉग किन्ही कारणों से आज हिन्दी चिट्ठाजगत में अक्तूबर -२००८ के बाद अस्तित्व में नही है । कुछ मजबूरियां रही होंगी ...... !
एक और ब्लॉग है महाकाव्य । तलत महमूद को पसंद कराने वाले कर्णाटक के ब्लोगर महेन मेहता का यह ब्लॉग शब्दों में महाकाव्य ढूँढता नज़र आता है । इस ब्लॉग का सम्मोहन स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। एक क्लिक कीजिये और डूब जाईये ग़ज़लों की दुनिया में । आपको मिलेंगे यहाँ फरीदा खानम और बेगम अख्तर की आवाज़ का जादू , वहीं दुनिया की दूसरी भाषाओं से जुड़े आवाज़ के जादूगर । कातिल शिफाई की ग़ज़ल को सुनते हुए कोई भी व्यक्ति भीतर तक स्पंदित हो सकता है । अगर अब तक न आए हों तो इस ब्लॉग पर एक बार अवश्य पधारें , मुझे यकीन है फ़िर आप इसी के होकर रह जायेंगे – चलो अच्छा हुआ काम आगई दीवानगी अपनी , बरना हम जमाने भर को समझाने कहाँ जाते …….!यदि आप शेरो- शायरी के शौकीन हैं तो कोलकाता के अपने इस मीत से मिलना मत भूलिए , ये आपको अपने शेर से केवल गुदगुदाएँगे ही नही , वल्कि दीवानगी की हद तक भी ले जायेंगे । एक बार जाकर तो देखिये इस ब्लॉग पर फ़िर आप कहेंगे यार प्रभात ! तुमने तो मुझे दीवाना बना दिया । मेरा मानना है कि-


"किसी दरिया , किसी मझदार से नफरत नहीं करता , सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता ,यक़ीनन शायरी का इल्म जिसके पास होता वह -किसी नुक्कड़ , किसी किरदार से नफरत नहीं करता।"

अभी जारी है ......../

गुरुवार, 1 जनवरी 2009

वर्ष-2008 : हिन्दी चिट्ठा हलचल ( भाग- 3 )



सबसे पहले परिकल्पना के समस्त सुधि

पाठकों ,शुभ चिंतकों को -

नव वर्ष-२००९ की मंगलकामनाएं !

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.......... पिछले भाग -२ से आगे बढ़ते हुए लोक संस्कृति से जुड़े ब्लॉग से इस पोस्ट की शुरूआत करते हैं .....

वैसे लोकरंग को जीवंत रखते हुए अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज कराने वाले चिट्ठों की श्रेणी में एक और नाम है- ठुमरी , जिसपर आने के बाद महसूस होता है की हमारे पास सचमुच एक विशाल सांस्कृतिक पहचान है और वह है गीतों की परम्परा । इसी परम्परा को जीवंत करता हुआ दिखाई देता है यह ब्लॉग। अपने आप में अद्वितीय और अनूठा ।

कहा गया है, की भारत गावों का देश है, जहाँ की दो-तिहाई आवादी आज भी गावों में निवास करते है । गाँव नही तो हमारी पहचान नही , गाँव नही तो हमारा अस्तित्व नही , क्योंकि गाँव में ही जीवंत है हमारी सभ्यता और संस्कृति का व्यापक हिस्सा । तो आईये लोकरंग- लोकसंस्कृति के बाद चलते हैं एक ऐसे ब्लॉग पर जो हमारी ग्रामीण संस्कृति का आईना है ….नाम है खेत खलियान

यद्यपि जहाँ गाँव है वहाँ खेती है और जहाँ खेती है वहाँ खलियान तो होगा ही , मैंने पूरी तरह जांचने-परखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ की हिन्दी चिट्ठाजगत में इस ब्लॉग के अतिरिक्त और कहीं भी खेती की इतनी विस्तृत जानकारी नही होगी । खेती के हर पहलू पर बारीक नज़र है यहाँ । मैं जब भी इस ब्लॉग पर आता हूँ उत्साहित हो जाता हूँ । इसमें चलती- फिरती बातें नही है, जो भी है खेती से जुड़े तमाम तरह के दस्तावेज।

खेत-खलियान की सैर कराता यह ब्लॉग एक ओर जहाँ खेत-खलियान की सैर कराता है , वहीं मध्यप्रदेश के किसानों की आवाज़ बनकर उभरता भी दिखाई देता है । सिर्फ़ मध्यप्रदेश ही नही इसमें मैंने पंजाब के मालवा इलाके में कीट नाशकों के दुष्प्रभाव की पोल खोलते पोस्ट भी पढ़े हैं। कुल मिलाकर यहाँ बातें “ गेंहू , धान और किसान की है , यानी पूरे हिन्दुस्तान की है…॥!”

वैसे खलियान से जुड़े हुए एक और ब्लॉग पर नज़र जाती है , जिसके ब्लोगर हैं कुमार धीरज ,हालांकि ब्लॉग का नाम खलियान जरूर है , मगर ब्लोगर की नज़रें खेत- खलियान पर कम , राजनीतिक गतिविधियों पर ज्यादा है !वैसे इस ब्लॉग पर हर प्रकार के सामयिक पोस्ट देखे जा सकते हैं , लेखनी में गज़ब का धार है और हर विषय पर लिखते हुए ब्लोगर ने एक गंभीर विमर्श को जन्म देने का विनम्र प्रयास किया है ।

इनके ब्लॉग से गुजरते हुए सबसे पहले मेरी नज़र एक पोस्ट ओडीसा और कंधमाल के आंसू पर गयी और इस ब्लोगर की प्रतिभा के सम्मोहन में मैं आबद्ध होता चला गया । एह ब्लॉग गंभीर और संवेदनशील विषयों को बाखूबी वयां करता है !


खेत- खलियान के बाद आईये चलते हैं बनस्पतियों की ओर ….! पूरी दृढ़ता के साथ बनस्पतियों से जुडी जानकारियों का पिटारा लिए रायपुर के पंकज अवधिया अंध विशवास के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं । विज्ञान की बातों को बहस का मुद्दा बनाने वाले अवधिया का ब्लॉग है मेरी प्रतिक्रया , जिसका नारा है अंध विशवास के साथ मेरी जंग।

पंकज की जानकारियां दिलचस्प है । पढ़कर एक आम पाठक निश्चित रूप से हैरान हो जायेगा कि जंगलों में पानी, रोशनी के लिए पेड़-पौधों में कड़ी स्पर्धा होती है । मैदान जितने के लिए वे ख़ास किस्म के रसायन भी छोड़ते हैं ताकि प्रतोयोगी की बढ़त रूक जाए।
वे बिमारियों के लिए पारंपरिक दबाओं का दस्तावेज भी बना रहे हैं। साईप्रस, कोदो और बहूटी मकौड़ा आदि के माध्यम से अनेक असाध्य वीमारियों पर की भी बातें करते हैं जो ब्लोगर की सबसे बड़ी विशेषता है।
सचमुच मेरी प्रतिक्रया एक ऐसा ब्लॉग है जो हमें उस दुनिया की जानकारी देता है जिसके बारे में हम अक्सर गंभीर नही होते। कृषि वैज्ञानिक पंकज अवधिया हमें अनेक खतरों से बचाते हुए दिखाई देते हैं। ख़ास बात यह है की उनका हर लेख एक किस्सा लगता है,किसी विज्ञान पत्रिका का भारी-भरकम लेख नही….अपने आप में अनूठा है यह ब्लॉग !

ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित एक और ब्लॉग है बिदेसिया जो एक कम्युनिटी ब्लॉग है और इसके ब्लोगर हैं पांडे कपिल, जो भोजपुरी साहित्य के प्रखर हस्ताक्षर भी हैं, साथ ही इस समूह में शामिल हैं प्रेम प्रकाश , बी. एन. तिवारी और निराला ।

है तो इस ब्लॉग में गाँव से जुड़े तमाम पहलू मगर एक पोस्ट ने मेरा ध्यान बरबस अपनी और खिंच लिया था वह है नदिया के पार और पच्चीस साल । १९८२ में आयी थी यह फ़िल्म जिसे मैंने दर्जनों बार देखी होगी उस समय मैं बिहार के सीतामढी में रहता था और उस क्षेत्र में नदिया के पार की बहुत धूम थी , पहली बार मेरे पिताजी ने मुझसे कहा था रवीन्द्र चलो आज हम सपरिवार इस फ़िल्म को देखेंगे …..फ़िर उसके बाद अपने स्कूली छात्रो के साथ इस फ़िल्म को मैंने कई बार देखी … आज भी जब इस फ़िल्म के ऑडियो कैसेट सुनता हूँ तो गूंजा और चंदन की यादें ताजा हो आती है । ब्लोगर ने इस फ़िल्म के २५ साल पूरे होने पर गूंजा यानी साधना सिंह के वेहतरीन साक्षात्कार लिए हैं ।

बहुत कुछ है विदेसिया पर, जो क्लिक करते ही दृष्टिगोचर होने लगती है । सचमुच लोकरंग के चिट्ठों में एक आकर्षक चिट्ठा यह भी है। अगर कहा जाए की लोक संस्कृति को जीवंत रखने में विदेसिया की महत्वपूर्ण भुमिका है तो न किसी को शक होना चाहिए और न अतिशयोक्ति ही …!

वैसे एक और ब्लॉग है दालान ,नॉएडा निवासी रंजन ऋतुराज सिंह जी द्वारा मुखिया जी के नाम से लिखित चिट्ठा। जो पढ़ने से पहले महसूस होता है की जरूर यह ग्रामीण परिवेश से जुडी हुयी बातों का गुलदस्ता होगा , मगर है विपरीत इसमें पूरे वर्ष भर ग्रामीण परिवेश की बातें कम देखी गयी , इधर – उधर यानी फिल्मी बातें ज्यादा देखी गयी । मुखिया जी का यह ब्लॉग अपने कई पोस्ट में गंभीर विमर्श को जन्म देता दिखाई देता है ।

वर्ष के आखरी कई पोस्ट में उनके द्वारा अमिताभ और रेखा के प्रेम संबंधों से कई भावात्मक बातों को उद्धृत करता हुआ पोस्ट महबूब कैसा हो ?कई खंडों में प्रकाशित किया गया है, जो मुझे बहुत पसंद आया …….शायद आपको भी पसंद आया हो वह आलेख और उससे जुडी तसवीरें …..कुल मिलाकर यह ब्लॉग सुंदर और गुणवत्ता से परिपूर्ण है ….इस ब्लॉग को मेरी शुभकामनाएं !
नोएडा के मुखिया जी के ब्लॉग दालान की चर्चा के बाद आईये चलते हैं बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी । वाराणसी वैसे पूर्वांचल का एक महत्वपूर्ण शहर है , जहा का परिवेश आधा ग्रामीण तो आधा शहरी है । मैं इस शहर में लगभग पाँच वर्ष गुजारे हैं । खैर चलिए यहाँ के एक अति महत्वपूर्ण ब्लॉग की चर्चा करते हैं, नाम है सांई ब्लॉग । हिन्दी में विज्ञान पर लोकप्रिय और अरविन्द मिश्रा के निजी लेखों का संग्राहालय है यह ब्लॉग, जो पूरी दृढ़ता के साथ आस्था और विज्ञान के सबालों के बीच लड़ता दिखाई देता है . इस सन्दर्भ में ब्लोगर का कहना है, की उन्होंने जेनेटिक्स की दुनिया की नवीनतम खोज जीनोग्राफी के जांच का फायदा उठाया है।

एक पोस्ट में ब्लोगर मंगल ग्रह पर भेजे गए फिनिक्स की कथा मिथकों के सहारे कहते हुए दिलचस्पी पैदा करते हैं . कई प्रकार के अजीबो-गरीब और कौतुहल भरी बातों से परिचय कराता हुआ यह ब्लॉग अपने आप में अनूठा है । सुंदर भी है और इसकी प्रस्तुति सारगर्भित भी ।

अपने ब्लॉग के बारे में अरविन्द मिश्रा बताते हैं, की “ डिजिटल दुनिया एक हकीकत है और यह ब्लॉग उस हकीकत की एक मिशाल है …..!”
……..अभी जारी है……../

 
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