रविवार, 27 जून 2010

अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव-२०१० की पहली तैयारी बैठक संपन्न

जैसा कि आप सभी को विदित है कि आगामी कुछ महीनों बाद लखनऊ में अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की तैयारी चल रही है और इसके क्रियान्वयन की दिशा में ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम पूरीतरह कटिबद्ध है । उल्लेखनीय है कि ब्लोगोत्सव-२०१० में अपनी सकारात्मक टिप्पणियों तथा रचनाओं के साथ शामिल प्रमुख उद्योगपति ,चिन्तक और आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख सदस्य श्री सुमन सिन्हा जी ने इस आयोजन को भव्यता के साथ संचालित करने दिशा में हर प्रकार से सहयोग करने का वचन दिया है ।


अचानक दिनांक २४.०६.२०१० को श्री सुमन सिन्हा जी का मेल मुझे प्राप्त हुआ कि मैं कल यानी २५.०६.२०१० को इंडिगो की फलाईट से मुम्बई से चलकर लखनऊ आ रहा हूँ और आपके साथ एक संक्षिप्त बैठक करना चाहता हूँ , ताकि कार्यक्रम को संपादित करने की दिशा में किसी निर्णय पर पहुंचा जा सके ।


जिस समय सूचना मिली मैं भी लखनऊ से बाहर था , किन्तु मिलने की आतुरता और सुयोग बन जाने के कारण यह सकारात्मक मुलाक़ात संभव हुई ।


अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव-२०१०
की पहली तैयारी बैठक में मेरे साथ ब्लोगोत्सव के सांस्कृतिक सलाहकार श्री जाकिर अली रजनीश और लोक संघर्ष के श्री रणधीर सिंह सुमन उपस्थित थे । ज्ञातब्य हो कि श्री सुमन सिन्हा जी के समक्ष कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गयी तथा कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों से उन्हें अवगत कराया गया, साथ ही उन्हें इस कार्यक्रम के संभावित बज़ट की जानकारी भी दी गयी । इस तैयारी बैठक में उनके द्वारा कई सुझाव सभा पटल पर रखे गए तथा आगे की रणनीति पर व्यापक चर्चा की गयी ।
उनके द्वारा दिए गए सुझाव में प्रमुख था , कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग से संवाधित कार्यक्रम भी हो और प्रत्येक सत्र की शुरुआत से पूर्व १० या १५ मिनट मेडिटेशन के लिए सुरक्षित रखा जाए , ज्यादा से ज्यादा नए और युवा चिट्ठाकारों को शामिल किया जाए । सम्मान समारोह की भव्यता पर विशेष ध्यान दिया जाए......आदि । लीजिये पढ़िए उन्ही के शब्दों में कि उन्होंने क्या कहा ?

"निश्चित रूप से अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की ये पहल प्रशंसनीय है . मैं इस पहल का स्वागत करता हूँ और इसके क्रियान्वयन में अपनी सकारात्मक सहभागिता का विश्वास दिलाता हूँ .साथ ही रविन्द्र जी को एक सुझाव भी देना चाहता हूँ कि परिकल्पना के माध्यम से एक ऐसा कार्यक्रम अंतरजाल पर चलाया जाए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित हो तथा उन्हें कला और संगीत की सही तालीम देते हुए समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सके, क्योंकि कला के माध्यम से ही हम समाज को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं ..........

................सुमन सिन्हा "

शनिवार, 26 जून 2010

वहुप्रतिक्षित परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा शीघ्र



जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत १५ अप्रैल को परिकल्पना पर ब्लोगोत्सव-२०१० की भव्य शुरुआत हुई थी । उल्लेखनीय है कि पहली बार इंटरनेट पर इसप्रकार का अनोखा प्रयोग हुआ है और यह उत्सव हिंदी ब्लॉग जगत के लिए कामयाबी की एक नयी परिभाषा गढ़ने में समर्थ हुआ है . ब्लोगोत्सव के समूचे परिदृश्य को लोकसंघर्ष पत्रिका द्वारा एक आकर्षक विषेशांक का स्वरुप प्रदान किया जा रहा है ताकि दस्तावेज के रूप में सुरक्षित रखा जा सके और इस उत्सव से जुड़े प्रतिभागियों को एक नया आयाम प्रदान किया जा सके . इसी अनुक्रम में आगामी कुछ महीने बाद लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव की परिकल्पना की जा रही है, जिसमें ब्लोगोत्सव-२०१० में शामिल ५० श्रेष्ठ चिट्ठाकारों को सम्मानित किये जाने की योजना है । इस दिशा में कई बैठकें हो चुकी है और यह प्रक्रिया भी अपने आखिरी और निर्णायक दौर में है ।
मेरे समझ से ब्लोगोत्सव-२०१० में शामिल सभी रचनाकार आज के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में सर्वाधिक अग्रणी हैं । सभी एक से बढ़कर एक हैं । सभी की रचनाएँ प्रेरणादायक और सारगर्भित है । यही वह कारण था कि बिभिन्न वर्गों से श्रेष्ठ रचनाकारों के चयन में हमारी ब्लोगोत्सव की टीम पूरे पंद्रह दिनों तक माथापच्ची करती रही, आपस में मैतेक्य बनाने का लगातार प्रयास होता रहा और मेल से सुझाव प्राप्त किये जाते रहे । कई वर्गों में दो-तीन नाम ऐसे थे जिसमें से श्रेष्ठ का आकलन कठिन था , खैर जहां हमारी टीम को नाम चयन में कठिनाई महसूस हुई वहां जानकारी जुटाकर उनकी सक्रियता और उनकी रचनाओं पर टिप्पणी को महत्व देते हुए सम्मान हेतु चयन कर अंतिम निर्णय हेतु मुझपर छोड़ दिया गया ......अब मेरे लिए वह क्षण ज्यादा पीडादायक था जब इस सम्मान के लिए मैं अपने प्रिय रचनाकारों के नाम पर विचार नहीं कर पाया ।
परिकल्पना सम्मान-२०१० हेतु विभिन्न वर्गों से ५० चिट्ठाकारों के नाम -चयन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है । अगले महीने के प्रथम सप्ताह में हम वहुप्रतिक्षित परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा परिकल्पना पर करने जा रहे हैं
() रवीन्द्र प्रभात

मंगलवार, 22 जून 2010

सांस्कृतिक गतिविधियाँ :ख़लिश (तेरी आवाज़ मेरे अलफ़ाज़ ) का लोकार्पण

कल यानी २१ जून २०१० को युवा कवि श्री दीपक शर्मा की एक ग़ज़ल और एक नज़्म ब्लोगोत्सव-२०१० में प्रकाशित की गयी जिसे काफी पाठकों ने मुक्त कंठ से सराहा । अभी हाल में उनकी तीसरी काव्यकृति खलिश का लोकार्पण हुआ है । प्रस्तुत है लोकार्पण से संवंधित समाचार-
विगत ५ जून २०१० को युवा कवि दीपक शर्मा की सहयोग प्रकाशन ( शारदा प्रकाशन समूह ) द्वारा प्रकाशित तृतीय काव्यकृति ख़लिश का लोकार्पण त्रिवेणी कला संगम, तानसेन मार्ग, मंडी हाउस , नई दिल्ली के सभागार में भव्यता के साथ संपन्न हुआ।
खलिश ( तेरी आवाज़ मेरे अल्फाज़) कवि दीपक शर्मा का विभिन्न सामाजिक विषयों पर लिखी गई नज्मों का मौलिक संग्रह है जो कवि दीपक शर्मा की अपनी ही शैली को दर्शाता है.

पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि महामहिम श्री त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ( पूर्व राज्यपाल कर्नाटक एवं प्रधान संपादक - साहित्य अमृत ) , कार्यक्रम अध्यक्ष श्री रविन्द्र कालिया ( निदेशक - भारतीय ज्ञानपीठ), विश्व विख्यात साहित्यकार श्रीमती चित्रा मुदगल ,सुप्रसिद्ध कवि एवं दूरदर्शन निदेशक डॉ. अमरनाथ " अमर " , आकाशवाणी नई दिल्ली के निदेशक श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी , प्रख्यात साहित्यकार एवं साहित्य अकादमी के उप सचिव श्री बिजेंद्र त्रिपाठी, नई धारा साहित्यिक पत्रिका के संपादक और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शिवनारायण सिंह, प्रसिद्ध राजनेता तथा चर्चित समाज सेवी श्री हिमांशु कवि, श्रीमती श्वेता शर्मा तथा प्रसिद्ध व्यंग्य कवि एवं साहित्यकार डॉ. विवेक गौतम के कर कमलों द्वारा हुआ.


मुख्य अतिथि श्री त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी जी ने कवि दीपक शर्मा की भूरि - भूरि प्रशंसा की और कवि दीपक को आशावादी नज़रिए वाला शायर बताया और उनकी अनेक नज्मो को सराहा जिनमे " फकीर की चादर", "बेटी की हत्या" आदि प्रमुख हैं और " ज़िन्दगी चलते रहने का नाम है" नज़्म का पाठ भी किया.

विश्व विख्यात साहित्यकार श्रीमती चित्रा मुदगल जी के शब्दानुसार कवि दीपक शर्मा कालजयी शायर साहिर लुधियानवी के बहुत आगे की कड़ी हैं और दीपक शर्मा की नज्मो में एक अलग तासीर है ,सोच है शैली है . चित्रा जी ने “फकीर की चादर ,मजबूरी से ज्यादा मजबूरी ,रिक्शेवाला ,जिंदगी की हंसी आदि नज्मो की प्रमुख रूप से प्रशंसा की और अपने मानस पुत्र कवि दीपक शर्मा को स्नेहिल आशीष दिया .

डॉ .अमरनाथ ’अमर ’ ने कवि दीपक शर्मा के बहुआयामी नज़रिए को अंतर्मन से सराहा और नज़्म संग्रह के बिषयों पर बहुत ही भावुक होकर बोले तथा कई नज्मो के अंश भी सुनकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया .”मैं पूजा की थाली में जलता हुआ दीपक हूँ “ और ज़िन्दगी इतनी हंसी इतनी हंसी बताऊँ क्या … आदि नाम का अपने स्वर में पाठ भी किया .

अन्य मंचसीन विशिष्ठ अतिथिओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कवि दीपक को इस अद्भुत संग्रह के लिये शुभकामनाएं और साधुवाद दिया

मंच का बेहद सफल सञ्चालन डॉ .विवेक गौतम ने किया और कवि दीपक शर्मा की नज़्म “यार कुछ लम्हा मुझे छोड़ दे तन्हा ” का पाठ किया .


कवि दीपक शर्मा ने अपने संग्रह से कुछ रचनाओं को अपनी शैली में सुनाकर सभागार में उपस्तिथ श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और अपने विचारों से सोचने पर मजबूर कर दिया .

अध्यक्ष श्री रविन्द्र कालिया जी ने कवि दीपक शर्मा को इस संग्रह पर शुभकामनाये दी और समाज के विभिन्न पहलुओं पर उनकी लिखी सशक्त रचनाओ को समाज का आइना बताया . कवि दीपक शर्मा को साहित्य का परोकार बताया और करतल ध्वनि के मध्य इस भव्य कार्यक्रम का समापन किया .

श्रोताओं से खचाखच भरे समागार में देश ने नामी साहित्यकार ,उद्यमी ,समाज सेवी , प्रशंसक ,पत्रकार उपस्थित थे .इस भव्य ,सफल ,उत्कर्ष आयोजन पर और खलिश (तेरी आवाज़ मेरे अलफ़ाज़ )के सफल लोकार्पण पर कवि दीपक शर्मा को बधाई ।
आईये उनकी इस पुस्तक से एक खुबसूरत नज्म पर नज़र डालते हैं- यहाँ किलिक करें
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शनिवार, 12 जून 2010

जीवन सबका पानी है

बचपन में ....पहली बार हमने जिस कविता को याद किया वह थी- "मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है...!" यदि अपने जीवन को टटोला जाए तो इस कविता को ऐसे पढ़ा जा सकता है- " मेरा बेटा राजा, मेरी बेटी रानी है, जीवन सबका पानी है । "

जल-शब्द ही जीवन में रोमांच कर देता है , क्यों न करे मनुष्य का शरीर ही ७० प्रतिशत जल का दिया हुआ है । वास्तव में जल हाईड्रोजन के दो अणु और ऑक्सीजन के एक अणु का मिश्रण है । चूँकि ऑक्सीजन जीवनदाता है तो नि:संदेह जल ही जीवनदाता हो जाता है । यदि जल की कमी हुई तो मनुष्य का जीवन ही नहीं पूरी श्रृष्टि का अर्थतंत्र ही बिगड़ जाएगा ।

जल हमारे जीवन के लिए कितना मायने रखता है , कि हम मुहावरों और लोकोक्तियों में उसका कई प्रकार से प्रयोग करते हैं , यथा- तुम्हारी आँखों का पानी मर गया है......तुम बहुत पानीदार हो हम जानते हैं.....आदि ।


आज समाज में हमारी छोटी- छोटी गलतियों के कारण जल की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं ......आप भी अपने आसपास इस प्रकार की समस्याओं से आये दिन रूबरू हो रहे होंगे ? मेरे समझ से जल पर व्यापक बहस होनी चाहिए कि इसके संरक्षण के लिए कौन-कौन से उपाए किये जाएँ ? कैसे इसके संरक्षण के लिए लोग हाथ से हाथ मिलाकर प्रयास करे ? कैसे समाज के कुछ कथित ठेकेदारों को जल के संरक्षण हेतु उत्प्रेरित किया जाए ? कैसे बचाया जाए कुएं और नलकूप के पानी को ? कैसे रोका जाए जल की आपदा को ? आदि-आदि ....!


इसी विषय पर केन्द्रित होगा परिकल्पना का आगामी माह जुलाई । हम पूरे महीने इसी विषय पर वार्ता करेंगे ....परिचर्चा के माध्यम से । इसमें से तीन श्रेष्ठ कृतियों का चयन कर क्रमश: १०००/- ५००/- और २५०/- रुपये का पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे ।


अत: आप सभी से विनम्र निवेदन है कि जल के संरक्षण हेतु उपायों, सुझावों, आलेखों, कहानियों, कविताओं, गीतों, ग़ज़लों आदि को " जीवन सबका पानी है" शीर्षक के साथ दिनांक २५.०६.२०१० तक आवश्यक रूप से निम्न ई-मेल आई डी पर अपने एक फोटो तथा संक्षिप्त परिचय के साथ प्रेषित कर दें -

ravindra.prabhat@gmail.com


भवदीय-

रवीन्द्र प्रभात

गुरुवार, 10 जून 2010

समय विदा लेने को आतुर है एक नई सुबह के निनाद के लिए ....


समय विदा लेने को आतुर है एक नई सुबह के निनाद के लिए .... फिर होगा एक मंच, मिलेंगे हम , होगा एक उत्सव हमारी कृतियों का ,जुड़ेंगे नए कदम हमारे साथ और कहेंगे ...
मकसदों की आग तेज हो
मनोबल की हवाएं हो
तो वह आग बुझती नहीं है
मंजिल पाकर ही दम लेती है
आंधियां तो नन्हे दीपक से हार जाती है
सच है - क्षमताओं को बढाने के लिए
आंधी-तूफ़ान का होना जरूरी होता है
प्रतिभाएं तभी स्वरुप लेती हैं
जब बक्त की ललकार होती है
जो जमीन बंजर दिखाई देती है
उससे उदासीन मत हो
ज़रा नमीं तो दो
फिर देखो वह क्या देती है?
हाथ-दिल-मस्तिस्क-दृष्टि लिए प्रभु तुम्हारे संग है
सपनों की बारीकियां देखो
फिर हकीक़त बनाओ
तुम्हारे ऊपर है-
हाथ को खाली देखते हो या सामर्थ्य को
मन अशांत हो तो घबड़ाओ मत
याद रखो समुद्र मंथन के बाद ही
अमृत निकलता है ....!





ये दिन फिर आये या न आये, ये मौसम फिर आये या न आये मगर ब्लोगोत्सव की ये यादें कभी भुलाई नहीं जा सकेगी ...एक अमिट छाप बनकर छाती रहेगी मौसम की आती-जाती रफ़्तार पर .....यह मेरा विश्वास है .....कहिये आप क्या कहते हैं इस बारे में ? आज का यह सांस्कृतिक उत्सव कैसा लगा अवश्य अवगत कराबें !

हिंदी हैं हम ... उत्सव ने यह राष्ट्रीय परिधान दिया




हिंदी हैं हम ... उत्सव ने यह राष्ट्रीय परिधान दिया , और इस परिधान में सजी नारी के बोल-
(नीलम प्रभा )
अदभुत , अविस्मरनीय , अलौकिक , .. उत्सव के समापन की घोषणा किस तरह हो, यहाँ अदा जी का अनुरोध भी हमें रोक रहा है... यहाँ किलिक करें

बाजे अलख बधाई अवध में बाजे अलख बधाई




बिहार का ज़िक्र तो हर जगह होता है, तो यहाँ भी आया है बिहार ......... बिहार की थाप लिए खडी हैं मधुबाला जी अपने समूह के साथ , रोक नहीं पायेंगे आप खुद को , गा उठेंगे उनके साथ....( बाजे अवध ....)




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यूँ तो हमारी अपनी हैं अदा जी , अदा ही अदा है जिनका अंदाज... लिखने की अदा , बोलने की अदा, गाने की अदा . मधुबाला जी को जाते देख इनकी अदा ने कुछ यूँ कहा है ............
(अभी न जाओ छोडकर )



कौन जायेगा , क्यूँ जायेगा इस इन्द्रधनुषी उत्सवी रंगों के बीच से और अगर गया तो .....



(जाइये आप कहाँ जायेंगे)
समय थम गया है , मंच पर मौजूद है हमारी आर्मी..... जी हाँ ये यहाँ आने से खुद को रोक नहीं पायेंगे.....यहाँ किलिक करें

तज़ाकिस्तान से नोज़िया करोमतुल्लो की आवाज़ में सुनें तुने चुराई मोरी निंदिया

मैं हैरान हूँ, इस परिकल्पना का जादू हर जगह है, आई हैं तज़ाकिस्तान से देखिये नोज़िया करोमतुल्लो .... तो इनकी आवाज़ का जादू परिकल्पना ब्लॉग उत्सव -
के नाम .............









देश, विदेश .... मेरा शहर, तेरा शहर सब रंग गए हैं उत्सवी रंग में . सबके होठों पर गीत मचल उठे हैं ... कुछ इस तरह....यहाँ किलिक करें

चलिए कुछ मीठा हो जाये ....

क्या समा बाँधा है विशिष्ट सलाहकार एडवोकेट मुहम्मद शुएब जी, प्रायोजक सलाहकार एडवोकेट रणधीर सिंह 'सुमन' , साहित्यिक सलाहकार अविनाश वाचस्पति , सांस्कृतिक सलाहकार जाकिर अली 'रजनीश', कार्यक्रम समन्वयन सलाहकार सर्वत एम.जमाल, रश्मि प्रभा, ललित शर्मा, एवं सलीम खान ... तकनीकी सलाहकार विनय प्रजापति 'नज़र' मुख्य संपादक रवीन्द्र प्रभात ने , हर आँखें कह रही हैं . .


('साया' फिल्म के इस गाने को गूगल से लिए गए चित्रों के साथ संवारा है खुशबू प्रियदर्शिनी ने )

और अब उसका नूर और पटना की इशिता सिन्हा की मीठी आवाज़ .... बन्द आँखों में कल्पना का विस्तृत आकाश लिए चलिए कुछ मीठा हो जाये ....

आओ हुजुर तुमको सितारों में ले चलूँ

आज हम ब्लोगोत्सव की सुनहरी यादों को आपके समक्ष रखने का विनम्र प्रयास कर रहे हैं , ताकि उन महत्वपूर्ण क्षणों को आप करीब से महसूस कर सकें जिससे आप वंचित रह गए थे . हम शुरुआत ब्लोगोत्सव के समापन समारोह से कर रहे हैं , क्योंकि ऑडियो एरर आ जाने के कारण आप कुछ ऑडियो नहीं सुन पाए थे ....!

नमस्कार
मैं रश्मि प्रभा
लेकर आई हूँ आज
आपके लिए विशेष गीतों से भरी शाम !

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आज की इस मुलाकात का कोई नाम दें या कहें बीजारोपण कई परिवेशों का ... अब इंतज़ार होगा इनके वटवृक्ष होने का , हर मौसम का, नयी कोपलों का --- यह अंत नहीं आरम्भ है अपनी भाषा ,अपनी भावनाओं के विस्तार का . तो चलिए इस पूरे दिन को हम नए रंगों से, नई संभावनाओं से भर दें ..







आईये सबसे पहले सुनते हैं स्वप्न मञ्जूषा शैल की आवाज़ में-
आओ हुजुर तुमको सितारों में ले चलूँ .......



करते हैं आरम्भ उत्सव की आख़िरी धुन ....जी हाँ , आख़िरी जश्न , पर उदास नहीं होना है . क्योंकि इस उत्सव ने हमें नए सम्बन्ध, नए आयाम, नयी संभावनाएं दी हैं ....और आज यूँ भी उत्सवी मंगल है, लखनऊ के नवाबों के समय से यह पूरा महीना भक्ति उत्सव से ओत -प्रोत होता है , तो हम क्यूँ रहें पीछे ........

रुकिए, रुकिए ... अहा , क्या नजारा है . मंच पर खुशबू प्रियदर्शिनी और अपराजिता कल्याणी मंगल गीत के साथ आई हैं, अहो भाग्य इस उत्सव का , 'रथ चढ़ी रघुनन्दन.....यहाँ किलिक करें

सोमवार, 7 जून 2010

वर्ष-2010 अपने समापन तक हिंदी ब्लॉगिंग को एक नया आयाम देने में सफल होगा



आज जिस प्रकार हिंदी ब्लॉगर साधन और सूचना की न्यूनता के बावजूद समाज और देश के हित में एक व्यापक जन चेतना को विकसित करने में सफल हो रहे हैं वह कम संतोष की बात नहीं है । अपने सामाजिक सरोकारों को व्यक्त करने की प्रतिबद्धता के कारण आज हिंदी के कतिपय ब्लोग्स समानांतर मीडिया की दृष्टि से समाज में सार्थक भूमिका निभाने में सफल रहे हैं । हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप देने में हर उस ब्लॉगर की महत्वपूर्ण भूमिका है जो बेहतर प्रस्तुतिकरण, गंभीर चिंतन, समसामयिक विषयों पर सूक्ष्मदृष्टि, सृजनात्मकता, समाज की कुसंगतियों पर प्रहार और साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी बात रखने में सफल हो रहे हैं। ब्लॉग लेखन और वाचन के लिए सबसे सुखद पहलू तो यह है कि हिन्दी में बेहतर ब्लॉग लेखन की शुरुआत हो चुकी है जो हिंदी समाज के लिए शुभ संकेत का द्योतक है । वैसे वर्ष-2009 हिंदी ब्लॉगिंग के लिए व्यापक विस्तार और बृहद प्रभामंडल विकसित करने का महत्वपूर्ण वर्ष रहा है , जबकि वर्ष-2010 अपने समापन तक हिंदी ब्लॉगिंग को एक नया आयाम देने में सफल होगा ऐसी उम्मीद की जा रही है.........।



हिंदी चिट्ठाकारी पर मेरे इस विहंगम आलेख को सृजनगाथा ने अपने ताज़ा जून-२०१० अंक में मूल्यांकन स्तंभ के अंतर्गत प्रकाशित किया है, इस आलेख में वर्ष-२००९ के जून-जुलाई तक अस्तित्व में आ चुके   महत्वपूर्ण  हिंदी चिट्ठों की चर्चा हुई है।   इस महत्वपूर्ण और विश्लेषणपरक   आलेख को एक बार अवश्य पढ़ें , क्योंकि यह आलेख नहीं हिंदी ब्लोगिंग का जीवंत दस्तावेज है -

सृजनगाथा में प्रकाशित इस आलेख के लिए यहाँ किलिक करे
 
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