१५ अगस्त से जारी है लगातार यह परिचर्चा : आपके लिए आज़ादी के क्या मायने है ? आपने अभी तक कई महत्वपूर्ण चिट्ठाकारों के विचार से रूबरू हुए ! उसी क्रम में आईये पूछते हैं अविनाश जी से कि उनके लिए आज़ादी के क्या मायने है ?
 रवीन्द्र भाई, आप आजादी के मायने पूछ रहे हैं और शब्दों को 250 शब्दों की सीमा में बांध रहे हैं। आजादी के साथ यही होता है। उसे किसी न किसी सीमा में बंधना पड़ता है। पर उसे आजादी का नाम देकर खुशी हासिल कर ली जाती है। आजादी का होना, मतलब बरबादी का खिलौना - जितनी अधिक आजादी होगी उसमें उतनी ही वर्जनाएं होंगी। जितनी वर्जनाएं होंगी, उससे अधिक अपेक्षाएं होंगी। वर्जनामुक्त आजादी हो नहीं सकती। आजादी नहीं है। आजाद कौन है, किसके पास है - न कोई आजाद है , न किसी के पास है आजादी। आजादी एक छलावा भर है। सिर्फ अपना नाम रख लो आजाद और आजाद होने का आनंद पा लो। इसी मरीचिका की तलाश में जुटे रहते हैं सब। आजादी किससे चाहते हैं आप, बच्चा चाहता है कि उसे भरपूर आजादी हो और उसे रोका टोका मत जाए। मां बाप चाहते हैं कि उन्हें आजादी हो कि बच्चे को रोक भी सकें, टोक भी सकें और आज की अंधी दौड़ में झोंक भी सकें। जो अरमान अपने अधूरे रह गए हैं। उन अरमानों की पूर्ति की आजादी हमें होनी चाहिए। जो आजाद है, वस्तुत: वो है ही नहीं। जो है ही नहीं, वो तो आजाद है और जो है, वो सबके क्षेत्र में मौजूद है, जो सबकी पहुंच में है, तो उसे कैसे आजाद मानेंगे हम। वैसे जो थोड़ी बहुत आंशिक आजादी थी भी, वो अब मोबाइल फोन के आगमन के साथ ही लुप्त हो गई है। आप न तो सोते समय आजाद हैं सपने देखने के लिए और न सपने देखते समय आजाद हैं सोने के लिए। जिस दिन सोने और सपने देखने की आजादी मिल जाए तो समझना संपूर्ण आजादी मिल गई है। इसे हासिल करना दुष्कर है, यह मक्का मदीना नहीं है, यह पुष्कर है।
रवीन्द्र भाई, आप आजादी के मायने पूछ रहे हैं और शब्दों को 250 शब्दों की सीमा में बांध रहे हैं। आजादी के साथ यही होता है। उसे किसी न किसी सीमा में बंधना पड़ता है। पर उसे आजादी का नाम देकर खुशी हासिल कर ली जाती है। आजादी का होना, मतलब बरबादी का खिलौना - जितनी अधिक आजादी होगी उसमें उतनी ही वर्जनाएं होंगी। जितनी वर्जनाएं होंगी, उससे अधिक अपेक्षाएं होंगी। वर्जनामुक्त आजादी हो नहीं सकती। आजादी नहीं है। आजाद कौन है, किसके पास है - न कोई आजाद है , न किसी के पास है आजादी। आजादी एक छलावा भर है। सिर्फ अपना नाम रख लो आजाद और आजाद होने का आनंद पा लो। इसी मरीचिका की तलाश में जुटे रहते हैं सब। आजादी किससे चाहते हैं आप, बच्चा चाहता है कि उसे भरपूर आजादी हो और उसे रोका टोका मत जाए। मां बाप चाहते हैं कि उन्हें आजादी हो कि बच्चे को रोक भी सकें, टोक भी सकें और आज की अंधी दौड़ में झोंक भी सकें। जो अरमान अपने अधूरे रह गए हैं। उन अरमानों की पूर्ति की आजादी हमें होनी चाहिए। जो आजाद है, वस्तुत: वो है ही नहीं। जो है ही नहीं, वो तो आजाद है और जो है, वो सबके क्षेत्र में मौजूद है, जो सबकी पहुंच में है, तो उसे कैसे आजाद मानेंगे हम। वैसे जो थोड़ी बहुत आंशिक आजादी थी भी, वो अब मोबाइल फोन के आगमन के साथ ही लुप्त हो गई है। आप न तो सोते समय आजाद हैं सपने देखने के लिए और न सपने देखते समय आजाद हैं सोने के लिए। जिस दिन सोने और सपने देखने की आजादी मिल जाए तो समझना संपूर्ण आजादी मिल गई है। इसे हासिल करना दुष्कर है, यह मक्का मदीना नहीं है, यह पुष्कर है। 
 रवीन्द्र भाई, आप आजादी के मायने पूछ रहे हैं और शब्दों को 250 शब्दों की सीमा में बांध रहे हैं। आजादी के साथ यही होता है। उसे किसी न किसी सीमा में बंधना पड़ता है। पर उसे आजादी का नाम देकर खुशी हासिल कर ली जाती है। आजादी का होना, मतलब बरबादी का खिलौना - जितनी अधिक आजादी होगी उसमें उतनी ही वर्जनाएं होंगी। जितनी वर्जनाएं होंगी, उससे अधिक अपेक्षाएं होंगी। वर्जनामुक्त आजादी हो नहीं सकती। आजादी नहीं है। आजाद कौन है, किसके पास है - न कोई आजाद है , न किसी के पास है आजादी। आजादी एक छलावा भर है। सिर्फ अपना नाम रख लो आजाद और आजाद होने का आनंद पा लो। इसी मरीचिका की तलाश में जुटे रहते हैं सब। आजादी किससे चाहते हैं आप, बच्चा चाहता है कि उसे भरपूर आजादी हो और उसे रोका टोका मत जाए। मां बाप चाहते हैं कि उन्हें आजादी हो कि बच्चे को रोक भी सकें, टोक भी सकें और आज की अंधी दौड़ में झोंक भी सकें। जो अरमान अपने अधूरे रह गए हैं। उन अरमानों की पूर्ति की आजादी हमें होनी चाहिए। जो आजाद है, वस्तुत: वो है ही नहीं। जो है ही नहीं, वो तो आजाद है और जो है, वो सबके क्षेत्र में मौजूद है, जो सबकी पहुंच में है, तो उसे कैसे आजाद मानेंगे हम। वैसे जो थोड़ी बहुत आंशिक आजादी थी भी, वो अब मोबाइल फोन के आगमन के साथ ही लुप्त हो गई है। आप न तो सोते समय आजाद हैं सपने देखने के लिए और न सपने देखते समय आजाद हैं सोने के लिए। जिस दिन सोने और सपने देखने की आजादी मिल जाए तो समझना संपूर्ण आजादी मिल गई है। इसे हासिल करना दुष्कर है, यह मक्का मदीना नहीं है, यह पुष्कर है।
रवीन्द्र भाई, आप आजादी के मायने पूछ रहे हैं और शब्दों को 250 शब्दों की सीमा में बांध रहे हैं। आजादी के साथ यही होता है। उसे किसी न किसी सीमा में बंधना पड़ता है। पर उसे आजादी का नाम देकर खुशी हासिल कर ली जाती है। आजादी का होना, मतलब बरबादी का खिलौना - जितनी अधिक आजादी होगी उसमें उतनी ही वर्जनाएं होंगी। जितनी वर्जनाएं होंगी, उससे अधिक अपेक्षाएं होंगी। वर्जनामुक्त आजादी हो नहीं सकती। आजादी नहीं है। आजाद कौन है, किसके पास है - न कोई आजाद है , न किसी के पास है आजादी। आजादी एक छलावा भर है। सिर्फ अपना नाम रख लो आजाद और आजाद होने का आनंद पा लो। इसी मरीचिका की तलाश में जुटे रहते हैं सब। आजादी किससे चाहते हैं आप, बच्चा चाहता है कि उसे भरपूर आजादी हो और उसे रोका टोका मत जाए। मां बाप चाहते हैं कि उन्हें आजादी हो कि बच्चे को रोक भी सकें, टोक भी सकें और आज की अंधी दौड़ में झोंक भी सकें। जो अरमान अपने अधूरे रह गए हैं। उन अरमानों की पूर्ति की आजादी हमें होनी चाहिए। जो आजाद है, वस्तुत: वो है ही नहीं। जो है ही नहीं, वो तो आजाद है और जो है, वो सबके क्षेत्र में मौजूद है, जो सबकी पहुंच में है, तो उसे कैसे आजाद मानेंगे हम। वैसे जो थोड़ी बहुत आंशिक आजादी थी भी, वो अब मोबाइल फोन के आगमन के साथ ही लुप्त हो गई है। आप न तो सोते समय आजाद हैं सपने देखने के लिए और न सपने देखते समय आजाद हैं सोने के लिए। जिस दिन सोने और सपने देखने की आजादी मिल जाए तो समझना संपूर्ण आजादी मिल गई है। इसे हासिल करना दुष्कर है, यह मक्का मदीना नहीं है, यह पुष्कर है। 
अविनाश वाचस्पति 
(वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार )
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परिचर्चा अभी जारी है, मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद.....
 

 
 
आप व्यक्ति की आजादी की बात कर रहे हैं या देश की? अविनाश भाई यहाँ व्यक्ति की आजादी की बात कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंव्यक्तिगत आज़ादी जहां से शुरू होती है देश की आज़ादी वहीं से असंतुलित होती है बिखरने लगती है। हर चीज़ की कोई न कोई तो सीमा होती ही है इसी तरह देश की आज़ादी के लिये हमारे अधिकार और कर्तव्यों की भी सीमा तो होनी ही चाहिये अगर सपने देखना शुरू करें तो सपनों की तो कोई सीमा नही होती इस लिये देश की आज़ादी को कायम रखने के लिये अपनीभत्वाकाँक्षाओं को कुछ सीमित करना ही पडेग। धन्यवाद । शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहा हा हा यह भी खूब रही .
जवाब देंहटाएंजो अरमान अपने अधूरे रह गए हैं। उन अरमानों की पूर्ति की आजादी हमें होनी चाहिए। Agreed 100%
जवाब देंहटाएंप्रमोद ताम्बट
भोपाल
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अविनाश जी ...... बहुत सही कहा , बात आजादी के मायने की और शब्द सीमा !...सच कहा - आजादी एक छलावा भर है।
जवाब देंहटाएंpooree aazadee maane barbaadee. hamare desh men kuchh log pooree aazadee ka phaayada utha rahe hain aur doosaron ke liye barbaadee kee jameen taiyaar kar rahe hain.
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